आस्था हत्याकांड: आज लिया जाएगा डीएनए को मां का सैंपल:कोर्ट से आदेश जारी होने के बाद पुलिस जेल से मेडिकल लाकर कराएगी पूरी प्रक्रिया

आस्था हत्याकांड: आज लिया जाएगा डीएनए को मां का सैंपल:कोर्ट से आदेश जारी होने के बाद पुलिस जेल से मेडिकल लाकर कराएगी पूरी प्रक्रिया

मेरठ में आस्था हत्याकांड में मजबूत चार्जशीट दाखिल करने के लिए पुलिस शुक्रवार को मां राकेश देवी का डीएनए टेस्ट कराएगी। परतापुर पुलिस की तरफ से कोर्ट में इसके लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था। कोर्ट ने इस पर आदेश जारी कर दिए हैं। आज पुलिस जिला कारागार से राकेश देवी काे मेडिकल कॉलेज लेकर जाएगी। वहां पर डॉक्टर राकेश देवी का सैंपल लेंगे। आस्था के शव से पहले ही सैंपल लिया जा चुका है। इसके बाद दोनों सैंपल को डीएनए मिलान के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा। एएसपी ब्रह्मपुरी अंतरिक्ष जैन ने बताया कि आस्था की हत्या के बाद से आज तक उसका सिर बरामद नहीं हुआ। पुलिस ने कई दिन सर्च अभियान चलाया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। गंगनहर में पानी की गहराई होने के कारण सिर का मिल पाना अब मुश्किल है। चूंकि आस्था की सिर कटी लाश बरामद हुई थी, ऐसे में कोर्ट में केस बाद में कमजोर हो सकता था। ऐसे में पोस्टमार्टम के समय आस्था के शव से डीएनए के लिए सैंपल ले लिया गया था। डीएनए टेस्ट की आगे की प्रकिया के लिए परतापुर पुलिस ने कोर्ट में उसकी मां राकेश देवी का डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लेने को अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने उस पर आदेश जारी कर दिए। गुरुवार को पूरी कागजी प्रकिया पूरी हो गई। अब पुलिस शुक्रवार को मां राकेश देवी काे जेल से अस्पताल जाएगी, जहां पर डॉक्टर सैंपल लेंगे। हत्या की कहानी 28 मई से शुरू हुई, जब भाई ने आस्था को अमन के साथ देखा अमन ने आस्था के भाई को डांटा- मां को यह सब न बताना दरअसल, आस्था और उसके परिवार के बीच दूरी 28 मई को आ गई थी। CRPF में तैनात पिता रमेश छत्तीसगढ़ में रहते हैं। रिश्तेदारी के एक शादी समारोह में मां राकेश देवी गई हुई थी। घर पर आस्था और दोनों बेटे मौजूद थे। जब भी परिवार के लोग बाहर चले जाते, आस्था अपने बॉयफ्रेंड अमन को बुला लेती थी। उस दिन भी आस्था ने फोन करके अमन को बुला लिया। छोटे भाई ने आस्था को अमन के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा। अमन ने भी आस्था के छोटे भाई को डांटा था कि चाहे कुछ भी हो जाए। मां के लौटने पर वह इस बात का जिक्र नहीं करेगा। मगर भाई ने मां के घर वापस आते ही पूरी कहानी सुना दी थी। मां ने आस्था को फटकार लगाई। बात पिता रमेश तक भी पहुंची। उन्होंने फोन पर आस्था को बहुत डांटा था। कहा कि अब दोबारा अमन से बात नहीं करना। मगर फोन पर ही आस्था अड़ गई कि वह शादी अमन से ही करेगी। इसके बाद पिता रमेश नरम पड़े और कहा कि ठीक है, जब छुटि्टयों में वह घर आएंगे, तब अमन के परिवार से बात करवाकर शादी कराने की कोशिश करेंगे। यही वजह है कि बुधवार, 4 जून की सुबह 9.30 बजे आस्था अपनी मां से कहती है कि वह अमन से उसकी शादी जल्दी करवा दे। मां ने पुलिस पूछताछ में कहा था- आस्था के शादी की बात कहने पर मुझे गुस्सा आ गया, मगर खुद को संभाला। कुछ देर शांत रही। फिर मैंने आस्था को समझाया। कहा, ‘तुम्हारे पापा घर पर नहीं हैं, ये हो नहीं सकता।’ इसके बाद आस्था नाराज हो गई, बहस करने लगी। कुछ देर में वह बड़बड़ करते हुए मां को ही गाली देने लगी। अंदर कमरे में बैठा मेरा 14 साल का बेटा सब कुछ सुन रहा था। वो बाहर आता है, और मेरी तरफ से आस्था को डांटने लगता है। अब आस्था भड़क जाती है, अपने भाई की पिटाई कर देती है। तब मेरा गुस्सा भड़क उठता है। मैंने और बेटे ने मिलकर आस्था को पीटा, मगर वह बराबर चिल्लाती रहती है कि मैं अमन से ही शादी करूंगी, चाहे कुछ भी कर लो। गुस्से में आकर बेटे ने आस्था के हाथ पकड़े और मैंने गला…। हमने ये नहीं सोचा था कि उसकी सांस रुक जाएगी। हम तो बस डराना चाहते थे। 2 मिनट में उसका शरीर ठंडा पड़ गया, हम रोने लगे, एक-दूसरे से कहने लगे कि अब क्या करेंगे। बेटे ने कहा- अब जेल जाना होगा। हम घबरा गए। राकेश देवी कहती है, मैंने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में तैनात अपने पति रमेश को फोन किया। उन्हें बताया कि मुझसे बहुत बड़ा गुनाह हो गया है। मेरे हाथों से आस्था की हत्या हो गई है। रमेश चौंक जाते हैं, कहते हैं- अरे…ये क्या कर डाला। मैं उनको पूरी कहानी सुनाई। वो कहते हैं- मैं परिवार के लोगों से बात करता हूं कि क्या करना है। तब तक कहीं मत जाना, वहीं लाश के पास रहो। पति से बात होने के बाद मैंने अपने भाई कमल और समर को फोन किया। उन्हें भी पूरी कहानी सुनाई। अब पति रमेश, दोनों भाई ये सोचने लगे कि बेटी तो जा चुकी है, अब मुझे और बेटे को कैसे बचाएं। 4 घंटे बाद करीब 2 बजे कमल और समर ने मुझे फोन किया। कहा- रात 11 बजे तक इंतजार करो, अंधेरा होने का वेट करो। हम कुछ इंतजाम करते हैं। रात के 11 बजे तक मैं और बेटा आस्था की लाश के साथ वहीं रहे। प्लानिंग के तहत रात को 11 बजे कमल का बेटा मंजीत उर्फ मोनू और मेरी मौसी का बेटा गौरव हमारे घर पहुंचे। 10 मिनट तक आपस में बात की कि क्या करना है? कैसे करना है? फिर आस्था की लाश को चादर में बांधकर कार में रखकर वह लोग गए। गंगनहर का बहाव तेज , इसलिए सिर वहां फेंका इसके आगे की कहानी लड़की के मामला कमल ने पुलिस को सुनाई। कमल के मुताबिक, मंजीत और गौरव दादरी गांव से 13 किलोमीटर दूर महरौली के जंगल में बॉडी लेकर पहुंचे। यहां पर मैं और भाई समर अपने खेत पर पहले से मौजूद थे। खेत में लाश को रखकर मैंने और समर ने दरांती से गर्दन को काटकर अलग कर दिया। हमने धड़ को उसी चादर में बांधकर कार की डिग्गी में रख दिया। वहीं पास में बहने वाली छोटी नहर में ले जाकर फेंक दिया। मैंने सिर को एक प्लास्टिक के बोरे में रख लिया था। उसे गंगनहर में फेंका। क्योंकि वहां बहाव तेज होता है, मुझे मालूम था कि सिर पुलिस को इतनी आसानी से नहीं मिलेगा। आस्था 12वीं में पढ़ती थी। एक साल से उसका अमन से प्रेम प्रसंग चल रहा था। कॉलेज के बाहर अक्सर दोनों मिलते थे और साथ-साथ घर जाते थे। 20 रुपए के नोटों के बीच पर्ची से बिगाड़ी प्लानिंग आस्था की लाश को ठिकाने लगाने के लिए फुलप्रूफ प्लानिंग की गई थी। लेकिन आस्था ने जो सलवार पहनी हुई थी, उसमें जेब थी। जेब में 20-20 के तीन नोट थे। उन नोटों के बीच में एक कागज लिपटा हुआ था। इस कागज में आस्था ने अपने प्रेमी अमन के पिता और उसकी बहन का मोबाइल नंबर लिख रखा था। अगर ये नंबर पुलिस को नहीं मिलता तो आस्था की सिर कटी लाश एक पहेली बनकर रह जाती। क्योंकि सिर गंगनहर में फेंका गया है, तो उसका मिलना आसान नहीं है। पुलिस के मुताबिक, केस में उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा पुलिस ने राकेश देवी, उनके नाबालिग बेटे को हत्या का आरोपी बनाया है। जबकि मामा कमल, समर, ममेरे भाई मनजीत और गौरव को साक्ष्य मिटाने का आरोपी बनाया है। इनके खिलाफ BNS की धारा 103(1), 238, 66 (2) में केस दर्ज किया है। इसमें उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है। आस्था का भाई 14 साल का है। वह जुवेनाइल किशोर गृह में है, जबकि बाकी आरोपी 14 दिन की रिमांड पर जेल भेजे गए हैं। मेरठ में आस्था हत्याकांड में मजबूत चार्जशीट दाखिल करने के लिए पुलिस शुक्रवार को मां राकेश देवी का डीएनए टेस्ट कराएगी। परतापुर पुलिस की तरफ से कोर्ट में इसके लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था। कोर्ट ने इस पर आदेश जारी कर दिए हैं। आज पुलिस जिला कारागार से राकेश देवी काे मेडिकल कॉलेज लेकर जाएगी। वहां पर डॉक्टर राकेश देवी का सैंपल लेंगे। आस्था के शव से पहले ही सैंपल लिया जा चुका है। इसके बाद दोनों सैंपल को डीएनए मिलान के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा। एएसपी ब्रह्मपुरी अंतरिक्ष जैन ने बताया कि आस्था की हत्या के बाद से आज तक उसका सिर बरामद नहीं हुआ। पुलिस ने कई दिन सर्च अभियान चलाया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। गंगनहर में पानी की गहराई होने के कारण सिर का मिल पाना अब मुश्किल है। चूंकि आस्था की सिर कटी लाश बरामद हुई थी, ऐसे में कोर्ट में केस बाद में कमजोर हो सकता था। ऐसे में पोस्टमार्टम के समय आस्था के शव से डीएनए के लिए सैंपल ले लिया गया था। डीएनए टेस्ट की आगे की प्रकिया के लिए परतापुर पुलिस ने कोर्ट में उसकी मां राकेश देवी का डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लेने को अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने उस पर आदेश जारी कर दिए। गुरुवार को पूरी कागजी प्रकिया पूरी हो गई। अब पुलिस शुक्रवार को मां राकेश देवी काे जेल से अस्पताल जाएगी, जहां पर डॉक्टर सैंपल लेंगे। हत्या की कहानी 28 मई से शुरू हुई, जब भाई ने आस्था को अमन के साथ देखा अमन ने आस्था के भाई को डांटा- मां को यह सब न बताना दरअसल, आस्था और उसके परिवार के बीच दूरी 28 मई को आ गई थी। CRPF में तैनात पिता रमेश छत्तीसगढ़ में रहते हैं। रिश्तेदारी के एक शादी समारोह में मां राकेश देवी गई हुई थी। घर पर आस्था और दोनों बेटे मौजूद थे। जब भी परिवार के लोग बाहर चले जाते, आस्था अपने बॉयफ्रेंड अमन को बुला लेती थी। उस दिन भी आस्था ने फोन करके अमन को बुला लिया। छोटे भाई ने आस्था को अमन के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा। अमन ने भी आस्था के छोटे भाई को डांटा था कि चाहे कुछ भी हो जाए। मां के लौटने पर वह इस बात का जिक्र नहीं करेगा। मगर भाई ने मां के घर वापस आते ही पूरी कहानी सुना दी थी। मां ने आस्था को फटकार लगाई। बात पिता रमेश तक भी पहुंची। उन्होंने फोन पर आस्था को बहुत डांटा था। कहा कि अब दोबारा अमन से बात नहीं करना। मगर फोन पर ही आस्था अड़ गई कि वह शादी अमन से ही करेगी। इसके बाद पिता रमेश नरम पड़े और कहा कि ठीक है, जब छुटि्टयों में वह घर आएंगे, तब अमन के परिवार से बात करवाकर शादी कराने की कोशिश करेंगे। यही वजह है कि बुधवार, 4 जून की सुबह 9.30 बजे आस्था अपनी मां से कहती है कि वह अमन से उसकी शादी जल्दी करवा दे। मां ने पुलिस पूछताछ में कहा था- आस्था के शादी की बात कहने पर मुझे गुस्सा आ गया, मगर खुद को संभाला। कुछ देर शांत रही। फिर मैंने आस्था को समझाया। कहा, ‘तुम्हारे पापा घर पर नहीं हैं, ये हो नहीं सकता।’ इसके बाद आस्था नाराज हो गई, बहस करने लगी। कुछ देर में वह बड़बड़ करते हुए मां को ही गाली देने लगी। अंदर कमरे में बैठा मेरा 14 साल का बेटा सब कुछ सुन रहा था। वो बाहर आता है, और मेरी तरफ से आस्था को डांटने लगता है। अब आस्था भड़क जाती है, अपने भाई की पिटाई कर देती है। तब मेरा गुस्सा भड़क उठता है। मैंने और बेटे ने मिलकर आस्था को पीटा, मगर वह बराबर चिल्लाती रहती है कि मैं अमन से ही शादी करूंगी, चाहे कुछ भी कर लो। गुस्से में आकर बेटे ने आस्था के हाथ पकड़े और मैंने गला…। हमने ये नहीं सोचा था कि उसकी सांस रुक जाएगी। हम तो बस डराना चाहते थे। 2 मिनट में उसका शरीर ठंडा पड़ गया, हम रोने लगे, एक-दूसरे से कहने लगे कि अब क्या करेंगे। बेटे ने कहा- अब जेल जाना होगा। हम घबरा गए। राकेश देवी कहती है, मैंने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में तैनात अपने पति रमेश को फोन किया। उन्हें बताया कि मुझसे बहुत बड़ा गुनाह हो गया है। मेरे हाथों से आस्था की हत्या हो गई है। रमेश चौंक जाते हैं, कहते हैं- अरे…ये क्या कर डाला। मैं उनको पूरी कहानी सुनाई। वो कहते हैं- मैं परिवार के लोगों से बात करता हूं कि क्या करना है। तब तक कहीं मत जाना, वहीं लाश के पास रहो। पति से बात होने के बाद मैंने अपने भाई कमल और समर को फोन किया। उन्हें भी पूरी कहानी सुनाई। अब पति रमेश, दोनों भाई ये सोचने लगे कि बेटी तो जा चुकी है, अब मुझे और बेटे को कैसे बचाएं। 4 घंटे बाद करीब 2 बजे कमल और समर ने मुझे फोन किया। कहा- रात 11 बजे तक इंतजार करो, अंधेरा होने का वेट करो। हम कुछ इंतजाम करते हैं। रात के 11 बजे तक मैं और बेटा आस्था की लाश के साथ वहीं रहे। प्लानिंग के तहत रात को 11 बजे कमल का बेटा मंजीत उर्फ मोनू और मेरी मौसी का बेटा गौरव हमारे घर पहुंचे। 10 मिनट तक आपस में बात की कि क्या करना है? कैसे करना है? फिर आस्था की लाश को चादर में बांधकर कार में रखकर वह लोग गए। गंगनहर का बहाव तेज , इसलिए सिर वहां फेंका इसके आगे की कहानी लड़की के मामला कमल ने पुलिस को सुनाई। कमल के मुताबिक, मंजीत और गौरव दादरी गांव से 13 किलोमीटर दूर महरौली के जंगल में बॉडी लेकर पहुंचे। यहां पर मैं और भाई समर अपने खेत पर पहले से मौजूद थे। खेत में लाश को रखकर मैंने और समर ने दरांती से गर्दन को काटकर अलग कर दिया। हमने धड़ को उसी चादर में बांधकर कार की डिग्गी में रख दिया। वहीं पास में बहने वाली छोटी नहर में ले जाकर फेंक दिया। मैंने सिर को एक प्लास्टिक के बोरे में रख लिया था। उसे गंगनहर में फेंका। क्योंकि वहां बहाव तेज होता है, मुझे मालूम था कि सिर पुलिस को इतनी आसानी से नहीं मिलेगा। आस्था 12वीं में पढ़ती थी। एक साल से उसका अमन से प्रेम प्रसंग चल रहा था। कॉलेज के बाहर अक्सर दोनों मिलते थे और साथ-साथ घर जाते थे। 20 रुपए के नोटों के बीच पर्ची से बिगाड़ी प्लानिंग आस्था की लाश को ठिकाने लगाने के लिए फुलप्रूफ प्लानिंग की गई थी। लेकिन आस्था ने जो सलवार पहनी हुई थी, उसमें जेब थी। जेब में 20-20 के तीन नोट थे। उन नोटों के बीच में एक कागज लिपटा हुआ था। इस कागज में आस्था ने अपने प्रेमी अमन के पिता और उसकी बहन का मोबाइल नंबर लिख रखा था। अगर ये नंबर पुलिस को नहीं मिलता तो आस्था की सिर कटी लाश एक पहेली बनकर रह जाती। क्योंकि सिर गंगनहर में फेंका गया है, तो उसका मिलना आसान नहीं है। पुलिस के मुताबिक, केस में उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा पुलिस ने राकेश देवी, उनके नाबालिग बेटे को हत्या का आरोपी बनाया है। जबकि मामा कमल, समर, ममेरे भाई मनजीत और गौरव को साक्ष्य मिटाने का आरोपी बनाया है। इनके खिलाफ BNS की धारा 103(1), 238, 66 (2) में केस दर्ज किया है। इसमें उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है। आस्था का भाई 14 साल का है। वह जुवेनाइल किशोर गृह में है, जबकि बाकी आरोपी 14 दिन की रिमांड पर जेल भेजे गए हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर