22 साल पुराना मर्डर केस, लेकिन पकड़ा गया गलत आदमी? कोर्ट ने किया चौंकाने वाला फैसला!

22 साल पुराना मर्डर केस, लेकिन पकड़ा गया गलत आदमी? कोर्ट ने किया चौंकाने वाला फैसला!

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Patiala House Court:</strong> दिल्ली में 22 साल पुराने हत्याकांड में शनिवार (14 जून) को आखिरकार सबूतों के आधार पर फैसला आ ही गया. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया में 22 साल पुरानी हत्या के मामले में गलत पहचान से गिरफ्तार एक युवक को बरी करने का आदेश दिया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपी मोहम्मद बशीरुद्दीन को अदालत ने यह कहते हुए सभी आरोपों से मुक्त कर दिया कि वह असली अपराधी नहीं है और उसके फिंगरप्रिंट घटनास्थल पर मिले फिंगरप्रिंट से मेल नहीं खाते.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है पूरा मामला?</strong><br />मोहम्मद बशीरुद्दीन को 17 मई 2025 को दिल्ली पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने 29 जून 2003 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के रेडफर्न इलाके में शौकत मोहम्मद नामक व्यक्ति की हत्या की थी. आरोपों के अनुसार, पीड़ित को पहले नशीली दवा दी गई, फिर उसके साथ मारपीट की गई और उसे एक स्लीपिंग बैग में बंद कर गला घोंटकर मार डाला गया. बाद में उसकी बॉडी जेम्स स्ट्रीट पर एक व्हीली बिन में मिली थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरोपी के वकील ने कोर्ट में दी अहम दलील</strong><br />पटियाला हाउस कोर्ट में आरोपी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि यह पूरी तरह से एक गलत पहचान का मामला है. उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल एजेंसियों द्वारा जिन दस्तावेजों के आधार पर पहचान की गई, उनमें असली आरोपी का नाम “बशीरुद्दीन मोहम्मद” है, जबकि उनके मुवक्किल का नाम “मोहम्मद बशीरुद्दीन” है- जो एक पूरी तरह से अलग व्यक्ति है. वकील ने यह भी बताया कि मोहम्मद बशीरुद्दीन ने 2016 में भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किया था और उसके बाद केवल सऊदी अरब की धार्मिक यात्राओं पर गए थे. उन्होंने कभी ऑस्ट्रेलिया की यात्रा नहीं की और न ही उनका कोई ऑस्ट्रेलियाई वीज़ा रिकॉर्ड है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फोरेंसिक रिपोर्ट बनी मामले में निर्णायक आधार</strong><br />कोर्ट ने इस केस में सीएफएसएल की रिपोर्ट को निर्णायक माना. 12 जून 2025 को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी गई, जिसे अगले दिन खुले कोर्ट में खोला गया. रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट्स और 2003 की हत्या के मामले में फरार अपराधी के फिंगरप्रिंट्स मेल नहीं खाते. अतिरिक्त महानगर दंडाधिकारी (AMM) प्रणव जोशी ने अपने आदेश में कहा कि रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि वर्तमान आरोपी के फिंगरप्रिंट अपराध स्थल के साक्ष्यों से मेल नहीं खाते. इसलिए मोहम्मद बशीरुद्दीन को इस कार्यवाही से तत्काल प्रभाव से बरी किया जाता है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Patiala House Court:</strong> दिल्ली में 22 साल पुराने हत्याकांड में शनिवार (14 जून) को आखिरकार सबूतों के आधार पर फैसला आ ही गया. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया में 22 साल पुरानी हत्या के मामले में गलत पहचान से गिरफ्तार एक युवक को बरी करने का आदेश दिया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपी मोहम्मद बशीरुद्दीन को अदालत ने यह कहते हुए सभी आरोपों से मुक्त कर दिया कि वह असली अपराधी नहीं है और उसके फिंगरप्रिंट घटनास्थल पर मिले फिंगरप्रिंट से मेल नहीं खाते.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है पूरा मामला?</strong><br />मोहम्मद बशीरुद्दीन को 17 मई 2025 को दिल्ली पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने 29 जून 2003 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के रेडफर्न इलाके में शौकत मोहम्मद नामक व्यक्ति की हत्या की थी. आरोपों के अनुसार, पीड़ित को पहले नशीली दवा दी गई, फिर उसके साथ मारपीट की गई और उसे एक स्लीपिंग बैग में बंद कर गला घोंटकर मार डाला गया. बाद में उसकी बॉडी जेम्स स्ट्रीट पर एक व्हीली बिन में मिली थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरोपी के वकील ने कोर्ट में दी अहम दलील</strong><br />पटियाला हाउस कोर्ट में आरोपी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि यह पूरी तरह से एक गलत पहचान का मामला है. उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल एजेंसियों द्वारा जिन दस्तावेजों के आधार पर पहचान की गई, उनमें असली आरोपी का नाम “बशीरुद्दीन मोहम्मद” है, जबकि उनके मुवक्किल का नाम “मोहम्मद बशीरुद्दीन” है- जो एक पूरी तरह से अलग व्यक्ति है. वकील ने यह भी बताया कि मोहम्मद बशीरुद्दीन ने 2016 में भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किया था और उसके बाद केवल सऊदी अरब की धार्मिक यात्राओं पर गए थे. उन्होंने कभी ऑस्ट्रेलिया की यात्रा नहीं की और न ही उनका कोई ऑस्ट्रेलियाई वीज़ा रिकॉर्ड है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फोरेंसिक रिपोर्ट बनी मामले में निर्णायक आधार</strong><br />कोर्ट ने इस केस में सीएफएसएल की रिपोर्ट को निर्णायक माना. 12 जून 2025 को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी गई, जिसे अगले दिन खुले कोर्ट में खोला गया. रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट्स और 2003 की हत्या के मामले में फरार अपराधी के फिंगरप्रिंट्स मेल नहीं खाते. अतिरिक्त महानगर दंडाधिकारी (AMM) प्रणव जोशी ने अपने आदेश में कहा कि रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि वर्तमान आरोपी के फिंगरप्रिंट अपराध स्थल के साक्ष्यों से मेल नहीं खाते. इसलिए मोहम्मद बशीरुद्दीन को इस कार्यवाही से तत्काल प्रभाव से बरी किया जाता है.</p>  दिल्ली NCR दिल्ली में सुबह सुबह बारिश ने गर्मी से दिलाई राहत, 100 KMPH की रफ्तार से चलीं हवाएं