पापा शाम को हमारे लिए ढ़ेर सारे आम लाए थे। कहा, तुम चारो बहनों को जितने आम खाने हैं खा लो। हम चारो ने पापा-मम्मी के साथ ही खाना खाया। इसके बाद 10 बजे हम अपनी छोटी बहन आंचल के साथ बाबा-दादी के साथ सोने चले गए। रात में 1 बजे शोर सुनकर जगे तो सभी लोग झोपड़ी में लगी आग में पानी डालने के लिए भाग रहे थे। जब आग बुझी तो पापा-मम्मी के साथ दोनों छोटी बहनों के कंकाल पड़े थे। ये कहना है 10 साल की सोन कुमारी का। प्रयागराज में आकाशीय बिजली गिरने से सोन कुमारी के माता-पिता के साथ दो छोटी बहनें भी जिंदा जल गईं। दोनों बहनें अभी भी विश्वास नहीं कर पा रही हैं कि उनकी दुनिया उजड़ चुकी है। सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है। जिन दो छोटी बहनों के साथ दिनभर खेलती, चहकती थीं, वो उन्हें छोड़कर जा चुकी हैं। दैनिक भास्कर की टीम प्रयागराज मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर उनके गांव सोनबरसा पहुंची। दोनों बच्चियों और उनके दादा-दादी से उनका हाल और घटना के बारे में जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले एक नजर में मामला पढ़िए… बारा तहसील के हल्लाबोर सोनबरसा निवासी वीरेंद्र वनवासी अपनी पत्नी पार्वती और दो बेटियों राधा (6) और करिश्मा (4) के साथ कच्चे मकान में सोए थे। रात में उनके फूस के छप्पर में करीब 1 बजे आकाशीय बिजली गिर गई। जिसमें वीरेंद्र उनकी पत्नी और दो बेटियां जिंदा जल गईं। ग्रामीणों ने जब तक आग बुझाई, तब तक सभी के कंकाल ही मिले। वीरेंद्र शादी पत्तल का काम करता था। वीरेंद्र की चार बेटियां थीं। दो बेटियां सोन कुमारी और आंचल बच गईं। जीवित बचीं सोन कुमारी गांव के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पांच और आंचल चौथी कक्षा में पढ़ती है। बिजली गिरने से दोनों के स्कूल बैग, ड्रेस, कपड़े और खेलने का सामान सब कुछ राख हो गया। पहले देखिए घटनास्थल की तस्वीरें… अब पढ़िए परिजनों से बात… मां बोलीं- हंसते-खेलते सोई थीं, सो कर उठीं तो …
मृतक वीरेंद्र की मां और सोन कुमारी की दादी कहती हैं कि बेटियों का सबकुछ उजड़ गया। बस पापा और माई कहकर रो रही हैं। सोन कुमारी और आंचल की जिंदगी इसलिए बच गई, क्योंकि दोनों हमारे पास सोई थीं। रात 10 बजे दोनों माता-पिता से मिलकर, खाना खाकर उस झोपड़ी से निकल आईं थी, जिस पर आकाशीय बिजली का कहर टूटा। जगी तो बच्चियों ने पापा और अपनी माई के साथ दोनों बहनों का कंकाल ही देखा। मासूमों के सामने ही पुलिस और ग्रामीणों ने जले शव, कंकाल को चादर में लपेटा था। दादी बोलते-बोलते अपनी साड़ी से आंसू पोंछती हैं और कहती हैं- शाम को वीरेंद्र जब मजदूरी कर लौटत रहा तो चारों बिटियां पापा, पापा कहतीं दौड़त रहीं। स्कूल जावत रहीं इसलिए पापा बोलत रहीं। अब केका पापा कहियें। अब जानिए घटना की चश्मदीद मां व बहन ने क्या बताया रात के लगभग 1 बजे कच्चे मकान पर अचानक आकाशीय बिजली गिरी और झोपड़े में आग लग गई। चीख पुकार के बाद आसपास के लोग दौड़े। पास के हैंडपंप से पानी निकाल बुझाने लगे। किसी के हाथ में बाल्टी थी तो किसी के हाथ में स्टील की टंकी। वहीं वीरेंद्र की बहन राजकुमारी कहती हैं कि मैं गर्मी की छुटिट्यों में यहां आई हूं। जब आग लगी तो हमें बचाओ जैसी आवाज सुनाई दी, हम लोग घर से बाहर निकले तो देखा कि भाई के कच्चे मकान में भयानक आग लग चुकी है। हम लोगों ने हैंडपंप से पानी ला-लाकर बुझाना शुरू किया। लेकिन कुछ देर बाद हैंडपंप ने भी धोखा दे दिया। हैंडपंप से पानी निकलना बंद हो गया। उधर कच्चे मकान में लगी आग धू-धू कर जल रही थी। बाबा बोले- बच्चियां कहती हैं पापा कहां गए…क्या बताऊं जीवित बचीं दोनों बेटियां सोन कुमारी और आंचल अपने बाबा छोटेलाल के साथ चिपकी हैं। वह सुबह से बस यही रट लगाए हैं कि बाबा, पापा कहां चले गए, मम्मी कहां चली गई। राधा और करिश्मा भी नहीं दिख रही है। मेरे पास दोनों के सवालों के जवाब नहीं हैं। यह कहकर बाबा बाबा छोटेलाल दोनों को गोद में लपेटकर रोने लगे। दोनों बेटियां पास में मौजूद दादी छोटी से कहती है। कि क्या अब मेरी मां और पिता जी अब हमसे नहीं मिलेंगे? उन्होंने बताया कि जब आग लगी तो मेरी नींद खुल गई। मैंने शोर मचाया तो बस्ती के लोग आ गए। बस्ती से 30 मीटर की दूरी पर हैंडपंप है। लोग दौड़कर बाल्टी ले आए। हैंडपंप से बाल्टियों और डिब्बों में पानी भरकर आग बुझाने का प्रयास करते रहे। जब तक बस्ती के लोग आज को बुझ पाते, तब तक पूरी झोपड़ी और अंदर सो रहे मेरा बेटा वीरेंद्र और उसका परिवार जल गया। पट्टे की जमीन पर मकान बनाकर रहते हैं 60 परिवार वीरेंद्र के पिता छोटेलाल कहते हैं कि बस्ती के लोग 15 साल पहले सोनवर्षा गांव के अंदर रहते थे। ग्राम समाज की जमीन पर पट्टा मिले तो सभी गांव के बाहर कच्चे मकान और झोपड़ी बनाकर रहने लगे। बस्ती में रहने वाले करीब 60 लोग एक ही परिवार के हैं। उन्होंने बताया कि सभी लोग पत्तल बनाकर बाजार में बेचते थे। कभी-कभी बड़े किसानों के यहां जाकर काम करते थे। जिससे उन्हें कुछ रुपए मिल जाते थे और परिवार चलता था। SDM बोले- परिवार को दिलाया जाएगा आवास
SDM संदीप तिवारी ने बताया वीरेंद्र के परिवार को 50 किलो का अनाज अभी तत्काल उपलब्ध करा दिया गया है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास दिलाया जाएगा। दैवीय आपदा के तहत चार लाख रुपए दिलाए जाएंगे। आधार कार्ड बनवाया जाएगा। बैंक में खाता खुलवाकर सहायता राशि पीड़ितों को मुहैया कराई जाएगी। बच्चियां नाबालिग हैं। इन्हें चार हजार रुपए प्रति माह 18 साल तक दिए जाएंगे। सीएम योगी ने घटना पर जताया दुख
सीएम योगी ने घटना पर शोक संवेदना व्यक्त कर श्रद्धाजंलि दी। सीएम ने X (ट्वीटर) पर पोस्ट कर दुख जताया। उन्होंने अफसरों को पीड़ित परिवार को सहायता और मदद करने के निर्देश दिए हैं। विधायक बोले- बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था कराई जाएगी
बारा विधायक वाचस्पति ने आकाशीय बिजली पीड़ित परिवार से मुलाकात कर ढ़ांढ़स बंधाया। कहा- राजस्व अफसरों से बात कर विधायक ने मृतक को 3-3 लाख रुपए आर्थिक सहायता, जीवित बचे बच्चों को भरन पोषण के लिए 4-4 हजार रुपए प्रतिमाह एवं शिक्षा की व्यवस्था कराई जा रही है। पीड़ित परिवार को आवास की भी व्यवस्था मुहैया कराई जाएगी। घटना को दुखद बता कर खेद व्यक्त किया है। ………………. ये खबर भी पढ़िए- प्रयागराज में आकाशीय बिजली गिरने से चार की मौत:पति-पत्नी और दो मासूम बेटियां जिंदा जलीं, कच्चे मकान में सो रहे थे सभी प्रयागराज में एक कच्चे मकान में आकाशीय बिजली गिर गई। आग लगने से घर में सो रहीं दो मासूम बेटियों समेत पति-पत्नी की जिंदा जलने से मौत हो गई। शनिवार रात करीब 12 बजे तेज आंधी आई। इसी बीच बादल गरजने के साथ मकान में आकाशीय बिजली गिर गई। इससे झोपड़ी में आग लग गई। पड़ोसियों ने आग बुझाने की कोशिश की। मगर तब तक सभी की मौत हो चुकी थी। वह कंकाल बन चुके थे। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। प्रशासन ने परिवार को मकान और दैवीय आपदा के तहत धनराशि देने का आश्वासन दिया है। घटना बारा थाना क्षेत्र की है। पूरी खबर पढ़िए पापा शाम को हमारे लिए ढ़ेर सारे आम लाए थे। कहा, तुम चारो बहनों को जितने आम खाने हैं खा लो। हम चारो ने पापा-मम्मी के साथ ही खाना खाया। इसके बाद 10 बजे हम अपनी छोटी बहन आंचल के साथ बाबा-दादी के साथ सोने चले गए। रात में 1 बजे शोर सुनकर जगे तो सभी लोग झोपड़ी में लगी आग में पानी डालने के लिए भाग रहे थे। जब आग बुझी तो पापा-मम्मी के साथ दोनों छोटी बहनों के कंकाल पड़े थे। ये कहना है 10 साल की सोन कुमारी का। प्रयागराज में आकाशीय बिजली गिरने से सोन कुमारी के माता-पिता के साथ दो छोटी बहनें भी जिंदा जल गईं। दोनों बहनें अभी भी विश्वास नहीं कर पा रही हैं कि उनकी दुनिया उजड़ चुकी है। सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है। जिन दो छोटी बहनों के साथ दिनभर खेलती, चहकती थीं, वो उन्हें छोड़कर जा चुकी हैं। दैनिक भास्कर की टीम प्रयागराज मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर उनके गांव सोनबरसा पहुंची। दोनों बच्चियों और उनके दादा-दादी से उनका हाल और घटना के बारे में जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले एक नजर में मामला पढ़िए… बारा तहसील के हल्लाबोर सोनबरसा निवासी वीरेंद्र वनवासी अपनी पत्नी पार्वती और दो बेटियों राधा (6) और करिश्मा (4) के साथ कच्चे मकान में सोए थे। रात में उनके फूस के छप्पर में करीब 1 बजे आकाशीय बिजली गिर गई। जिसमें वीरेंद्र उनकी पत्नी और दो बेटियां जिंदा जल गईं। ग्रामीणों ने जब तक आग बुझाई, तब तक सभी के कंकाल ही मिले। वीरेंद्र शादी पत्तल का काम करता था। वीरेंद्र की चार बेटियां थीं। दो बेटियां सोन कुमारी और आंचल बच गईं। जीवित बचीं सोन कुमारी गांव के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पांच और आंचल चौथी कक्षा में पढ़ती है। बिजली गिरने से दोनों के स्कूल बैग, ड्रेस, कपड़े और खेलने का सामान सब कुछ राख हो गया। पहले देखिए घटनास्थल की तस्वीरें… अब पढ़िए परिजनों से बात… मां बोलीं- हंसते-खेलते सोई थीं, सो कर उठीं तो …
मृतक वीरेंद्र की मां और सोन कुमारी की दादी कहती हैं कि बेटियों का सबकुछ उजड़ गया। बस पापा और माई कहकर रो रही हैं। सोन कुमारी और आंचल की जिंदगी इसलिए बच गई, क्योंकि दोनों हमारे पास सोई थीं। रात 10 बजे दोनों माता-पिता से मिलकर, खाना खाकर उस झोपड़ी से निकल आईं थी, जिस पर आकाशीय बिजली का कहर टूटा। जगी तो बच्चियों ने पापा और अपनी माई के साथ दोनों बहनों का कंकाल ही देखा। मासूमों के सामने ही पुलिस और ग्रामीणों ने जले शव, कंकाल को चादर में लपेटा था। दादी बोलते-बोलते अपनी साड़ी से आंसू पोंछती हैं और कहती हैं- शाम को वीरेंद्र जब मजदूरी कर लौटत रहा तो चारों बिटियां पापा, पापा कहतीं दौड़त रहीं। स्कूल जावत रहीं इसलिए पापा बोलत रहीं। अब केका पापा कहियें। अब जानिए घटना की चश्मदीद मां व बहन ने क्या बताया रात के लगभग 1 बजे कच्चे मकान पर अचानक आकाशीय बिजली गिरी और झोपड़े में आग लग गई। चीख पुकार के बाद आसपास के लोग दौड़े। पास के हैंडपंप से पानी निकाल बुझाने लगे। किसी के हाथ में बाल्टी थी तो किसी के हाथ में स्टील की टंकी। वहीं वीरेंद्र की बहन राजकुमारी कहती हैं कि मैं गर्मी की छुटिट्यों में यहां आई हूं। जब आग लगी तो हमें बचाओ जैसी आवाज सुनाई दी, हम लोग घर से बाहर निकले तो देखा कि भाई के कच्चे मकान में भयानक आग लग चुकी है। हम लोगों ने हैंडपंप से पानी ला-लाकर बुझाना शुरू किया। लेकिन कुछ देर बाद हैंडपंप ने भी धोखा दे दिया। हैंडपंप से पानी निकलना बंद हो गया। उधर कच्चे मकान में लगी आग धू-धू कर जल रही थी। बाबा बोले- बच्चियां कहती हैं पापा कहां गए…क्या बताऊं जीवित बचीं दोनों बेटियां सोन कुमारी और आंचल अपने बाबा छोटेलाल के साथ चिपकी हैं। वह सुबह से बस यही रट लगाए हैं कि बाबा, पापा कहां चले गए, मम्मी कहां चली गई। राधा और करिश्मा भी नहीं दिख रही है। मेरे पास दोनों के सवालों के जवाब नहीं हैं। यह कहकर बाबा बाबा छोटेलाल दोनों को गोद में लपेटकर रोने लगे। दोनों बेटियां पास में मौजूद दादी छोटी से कहती है। कि क्या अब मेरी मां और पिता जी अब हमसे नहीं मिलेंगे? उन्होंने बताया कि जब आग लगी तो मेरी नींद खुल गई। मैंने शोर मचाया तो बस्ती के लोग आ गए। बस्ती से 30 मीटर की दूरी पर हैंडपंप है। लोग दौड़कर बाल्टी ले आए। हैंडपंप से बाल्टियों और डिब्बों में पानी भरकर आग बुझाने का प्रयास करते रहे। जब तक बस्ती के लोग आज को बुझ पाते, तब तक पूरी झोपड़ी और अंदर सो रहे मेरा बेटा वीरेंद्र और उसका परिवार जल गया। पट्टे की जमीन पर मकान बनाकर रहते हैं 60 परिवार वीरेंद्र के पिता छोटेलाल कहते हैं कि बस्ती के लोग 15 साल पहले सोनवर्षा गांव के अंदर रहते थे। ग्राम समाज की जमीन पर पट्टा मिले तो सभी गांव के बाहर कच्चे मकान और झोपड़ी बनाकर रहने लगे। बस्ती में रहने वाले करीब 60 लोग एक ही परिवार के हैं। उन्होंने बताया कि सभी लोग पत्तल बनाकर बाजार में बेचते थे। कभी-कभी बड़े किसानों के यहां जाकर काम करते थे। जिससे उन्हें कुछ रुपए मिल जाते थे और परिवार चलता था। SDM बोले- परिवार को दिलाया जाएगा आवास
SDM संदीप तिवारी ने बताया वीरेंद्र के परिवार को 50 किलो का अनाज अभी तत्काल उपलब्ध करा दिया गया है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास दिलाया जाएगा। दैवीय आपदा के तहत चार लाख रुपए दिलाए जाएंगे। आधार कार्ड बनवाया जाएगा। बैंक में खाता खुलवाकर सहायता राशि पीड़ितों को मुहैया कराई जाएगी। बच्चियां नाबालिग हैं। इन्हें चार हजार रुपए प्रति माह 18 साल तक दिए जाएंगे। सीएम योगी ने घटना पर जताया दुख
सीएम योगी ने घटना पर शोक संवेदना व्यक्त कर श्रद्धाजंलि दी। सीएम ने X (ट्वीटर) पर पोस्ट कर दुख जताया। उन्होंने अफसरों को पीड़ित परिवार को सहायता और मदद करने के निर्देश दिए हैं। विधायक बोले- बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था कराई जाएगी
बारा विधायक वाचस्पति ने आकाशीय बिजली पीड़ित परिवार से मुलाकात कर ढ़ांढ़स बंधाया। कहा- राजस्व अफसरों से बात कर विधायक ने मृतक को 3-3 लाख रुपए आर्थिक सहायता, जीवित बचे बच्चों को भरन पोषण के लिए 4-4 हजार रुपए प्रतिमाह एवं शिक्षा की व्यवस्था कराई जा रही है। पीड़ित परिवार को आवास की भी व्यवस्था मुहैया कराई जाएगी। घटना को दुखद बता कर खेद व्यक्त किया है। ………………. ये खबर भी पढ़िए- प्रयागराज में आकाशीय बिजली गिरने से चार की मौत:पति-पत्नी और दो मासूम बेटियां जिंदा जलीं, कच्चे मकान में सो रहे थे सभी प्रयागराज में एक कच्चे मकान में आकाशीय बिजली गिर गई। आग लगने से घर में सो रहीं दो मासूम बेटियों समेत पति-पत्नी की जिंदा जलने से मौत हो गई। शनिवार रात करीब 12 बजे तेज आंधी आई। इसी बीच बादल गरजने के साथ मकान में आकाशीय बिजली गिर गई। इससे झोपड़ी में आग लग गई। पड़ोसियों ने आग बुझाने की कोशिश की। मगर तब तक सभी की मौत हो चुकी थी। वह कंकाल बन चुके थे। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। प्रशासन ने परिवार को मकान और दैवीय आपदा के तहत धनराशि देने का आश्वासन दिया है। घटना बारा थाना क्षेत्र की है। पूरी खबर पढ़िए उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
बच्चियां बोलीं-नींद खुली तो मां-पिता और बहनों के कंकाल मिले:तीन घंटे पहले सबके साथ खाना खाकर सोई थी, अब किसके साथ खेलूंगी-जीऊंगी
