‘आप किसी राजनीतिक पार्टी का विरोध करें। सरकार का विरोध करें, लेकिन किसी भी सूरत में देश का विरोध न करें। यदि आप देश का विरोध करेंगे तो एक शिक्षक होने के नाते आप अपने स्टूडेंट्स पर क्या प्रभाव छोड़ेंगे। समाज में आपका जो सम्मान है, उसे कैसे सहेज कर चल पाएंगे। अपना सम्मान न खोएं। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने गौरवशाली अतीत वाले विश्वविद्यालय का कोई शिक्षक इतनी हल्की बात कह रहा है। केवल हाइलाइट होने के लिए कुछ भी कह दे रहा है। इनकी जुबान तब कुछ नहीं बोलती जब किसी महिला के टुकड़े करके फ्रिज में रखे जाते हैं। ये सिलेक्टिव बात बोलते हैं जिनसे सिर्फ इन्हें फायदा हो न कि समाज को।’ यह कहना है लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के शिक्षक अमित कुशवाहा और कई स्टूडेंट्स का। हिंदी विभाग के साथी एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन की विवादित टिप्पणी पर कुशवाहा ने बेबाक टिप्पणी की। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के कई स्टूडेंट्स भी प्रोफेसर के खिलाफ बोलना शुरू कर चुके हैं। दैनिक भास्कर ने लखनऊ विश्वविद्यालय के इस पूरे विवाद पर परिसर में टीचर और स्टूडेंट्स से बात कर उनकी राय जानी, पढ़िए रिपोर्ट…। पहले जानिए छात्रों ने क्या कहा… लव जेहाद पर क्यों साध रखी थी चुप्पी पॉलिटिकल साइंस विभाग के सुमित शुक्ला ने कहा- मेरे सवाल है कि जब देश की राजधानी में श्रद्धा वालकर जैसे मर्डर हो रहे थे, तब रविकांत जैसे लोग चुप्पी क्यों साधे बैठे थे। बेटियों के शरीर के टुकड़े करके फ्रिज में रख दिए जाते थे तब आखिर क्यों उन्होंने आवाज नहीं उठाई। क्या उस समय उनकी विचारधारा उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोक रही थी। सिर्फ वो ही मामले क्यों उठाते हैं, जो उन्हें सूट कर रहे हैं। ऐसे शिक्षकों को दोहरा रवैया शोभा नहीं देता। उनको खुद से आत्ममंथन करके अपने अंदर पनप रहे एकतरफा विरोध के स्वर को थामना चाहिए। हाइलाइट होने के लिए ऐसी बयानबाजी ठीक नहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के पीजी स्टूडेंट सचिन ने कहा- शिक्षकों का राजनीतिक विमर्श करना गलत नहीं है। किसी सांस्कृतिक संगठन पर किसी आपराधिक घटना को लेकर दोषारोपण करना ठीक नहीं है। यूपी में कुछ ही सालों में चुनाव होना है। इन बयान से लोग हाईलाइट भी होना चाहते हैं। राजनीतिक दलों में अपनी पहुंच भी बनाना मकसद हो सकता है। इसी के चलते बयानबाजी की जा रही है। मेरे हिसाब से ये ठीक नहीं है। पिछली बार हाथापाई तक नौबत पहुंची एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ तहरीर देने वाले छात्र कार्तिक पांडेय ने कहा- प्रोफेसर रविकांत चंदन को अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। कोई ऐसा कटाक्ष करने से बचना चाहिए, जिससे लोग उनको कटघरे में खड़ा कर सकें। 2022 में इनके विवादित कमेंट आए थे, तो इनके खिलाफ हाथापाई तक की नौबत आ गई थी। वो अभी तक सबक नहीं ले पाए हैं, ये ठीक नहीं है। उन्होंने कहा- रविकांत चंदन JNU के प्रोडक्ट हैं। वे टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य रहे हैं और इनका मकसद ही उस गैंग की विचारधारा को आगे बढ़ाना है। उन्हें यह समझना होगा कि ये दिल्ली का JNU कैंपस नहीं है, ये यूपी की राजधानी का लखनऊ विश्वविद्यालय है। यहां के कैंपस में आपको राष्ट्र विरोधी बातें और गतिविधियां करने का मौका नहीं मिल सकता। टीचर और एसोसिएशन क्या बोले.. पढ़िए प्रोफेसर रविकांत के सोशल मीडिया पोस्ट विवाद मामले में लखनऊ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन कुछ बोलने से पहले ही पल्ला झाड़ चुका है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अनित्य गौरव ने कहा है कि इसे किसी विचारधारा से जोड़ना ठीक नहीं है। लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों ने हमेशा गुरु की गरिमा का मान रखा है। मैं खुद ऐसे बयान से कभी सहमत नहीं हो सकता। LUTA अध्यक्ष कहते हैं कि उन्होंने क्या पोस्ट किया है, मुझे इसकी पूरी जानकारी नहीं है। सोशल मीडिया पोस्ट के बाद से शुरू हुआ विरोध RSS के खिलाफ किए गए प्रोफेसर रविकांत के पोस्ट ने कैंपस का माहौल गर्म कर दिया है। ABVP से जुड़े स्टूडेंट्स में जबरदस्त आक्रोश है। छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कुछ छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण आए दिन कोई ना कोई शिक्षक विवादित बयान दे रहा है या पोस्ट कर रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे किसी भी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहा है। प्रोफेसर ने यह पोस्ट किया था… एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा- कुछ गलत नहीं लिखा मैंने संविधान के दायरे में रहकर बात की लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत ने RSS के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट का बचाव किया। उन्होंने कहा- मेरे पोस्ट को पूरी तरह से और अच्छे से पढ़ा जाए। उसके बाद ही उस पर कोई कमेंट करे तभी अच्छा है। इस तरह कहना मेरी अपनी अभिव्यक्ति है। उन्होंने दैनिक भास्कर से कहा- इस देश में कई तरीके के विचार हैं। भारत अलग-अलग दर्शनों का गढ़ है। संविधानिक दायरे में रहकर मैंने अपनी बात कही है। ये मेरा अपना ओपिनियन है। मुझसे मेरा अधिकार कोई छीन नहीं सकता। मैंने हिंसा और नफरत के खिलाफ बोला प्रोफेसर रविकांत ने कहा- मैं अंबेडकरवादी हूं और अपनी बात पर पूरी तरह से अडिग रहता हूं। बाबा साहब हिंदू राष्ट्रवाद के खिलाफ थे, वह भी RSS के खिलाफ थे। ये जो माहौल है, परिवेश है, इसमें हिंसा को नॉर्मलाइज किया जा रहा है। महिलाओं को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है। प्रोफेसर ने पूछा- प्रज्ञा ठाकुर जब कहती हैं कि महिलाओं को छूरी-चाकू सिर्फ किचन में सब्जी काटने के लिए नहीं रखना चाहिए, खुद की सुरक्षा के लिए भी हमेशा साथ रखना चाहिए, तो ये हिंसा को भड़काना नहीं तो और क्या है? डॉ. रविकांत ने दावा किया कि मेरे खिलाफ तहरीर देने वाला छात्र वही है, जिसने कैंपस में मेरे ऊपर हमला किया था। उसके खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज है और चार्जशीट भी दाखिल हो गई है। बहुत जल्द कोर्ट से उसे सजा भी होने वाली है। प्रोफेसर रविकांत को जानिए… ABVP के महिला विंग ने विरोध किया ————————— ये खबर पढ़िए… प्रोफेसर ने लिखा- पतियों की हत्या के लिए RSS जिम्मेदार, नफरत से सोनम-मुस्कान जैसी महिलाएं पैदा हुईं लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक और प्रोफेसर ने विवादित बयान दिया। हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, मुस्कान और सोनम रघुवंशी जैसी महिलाएं संघी विचार की उपज हैं…। प्रोफेसर की विवादित पोस्ट पर ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़े छात्रों में गुस्सा है। हसनगंज थाने में प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत की गई है। (पूरी खबर पढ़िए) ‘आप किसी राजनीतिक पार्टी का विरोध करें। सरकार का विरोध करें, लेकिन किसी भी सूरत में देश का विरोध न करें। यदि आप देश का विरोध करेंगे तो एक शिक्षक होने के नाते आप अपने स्टूडेंट्स पर क्या प्रभाव छोड़ेंगे। समाज में आपका जो सम्मान है, उसे कैसे सहेज कर चल पाएंगे। अपना सम्मान न खोएं। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने गौरवशाली अतीत वाले विश्वविद्यालय का कोई शिक्षक इतनी हल्की बात कह रहा है। केवल हाइलाइट होने के लिए कुछ भी कह दे रहा है। इनकी जुबान तब कुछ नहीं बोलती जब किसी महिला के टुकड़े करके फ्रिज में रखे जाते हैं। ये सिलेक्टिव बात बोलते हैं जिनसे सिर्फ इन्हें फायदा हो न कि समाज को।’ यह कहना है लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के शिक्षक अमित कुशवाहा और कई स्टूडेंट्स का। हिंदी विभाग के साथी एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन की विवादित टिप्पणी पर कुशवाहा ने बेबाक टिप्पणी की। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के कई स्टूडेंट्स भी प्रोफेसर के खिलाफ बोलना शुरू कर चुके हैं। दैनिक भास्कर ने लखनऊ विश्वविद्यालय के इस पूरे विवाद पर परिसर में टीचर और स्टूडेंट्स से बात कर उनकी राय जानी, पढ़िए रिपोर्ट…। पहले जानिए छात्रों ने क्या कहा… लव जेहाद पर क्यों साध रखी थी चुप्पी पॉलिटिकल साइंस विभाग के सुमित शुक्ला ने कहा- मेरे सवाल है कि जब देश की राजधानी में श्रद्धा वालकर जैसे मर्डर हो रहे थे, तब रविकांत जैसे लोग चुप्पी क्यों साधे बैठे थे। बेटियों के शरीर के टुकड़े करके फ्रिज में रख दिए जाते थे तब आखिर क्यों उन्होंने आवाज नहीं उठाई। क्या उस समय उनकी विचारधारा उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोक रही थी। सिर्फ वो ही मामले क्यों उठाते हैं, जो उन्हें सूट कर रहे हैं। ऐसे शिक्षकों को दोहरा रवैया शोभा नहीं देता। उनको खुद से आत्ममंथन करके अपने अंदर पनप रहे एकतरफा विरोध के स्वर को थामना चाहिए। हाइलाइट होने के लिए ऐसी बयानबाजी ठीक नहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के पीजी स्टूडेंट सचिन ने कहा- शिक्षकों का राजनीतिक विमर्श करना गलत नहीं है। किसी सांस्कृतिक संगठन पर किसी आपराधिक घटना को लेकर दोषारोपण करना ठीक नहीं है। यूपी में कुछ ही सालों में चुनाव होना है। इन बयान से लोग हाईलाइट भी होना चाहते हैं। राजनीतिक दलों में अपनी पहुंच भी बनाना मकसद हो सकता है। इसी के चलते बयानबाजी की जा रही है। मेरे हिसाब से ये ठीक नहीं है। पिछली बार हाथापाई तक नौबत पहुंची एसोसिएट प्रोफेसर के खिलाफ तहरीर देने वाले छात्र कार्तिक पांडेय ने कहा- प्रोफेसर रविकांत चंदन को अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। कोई ऐसा कटाक्ष करने से बचना चाहिए, जिससे लोग उनको कटघरे में खड़ा कर सकें। 2022 में इनके विवादित कमेंट आए थे, तो इनके खिलाफ हाथापाई तक की नौबत आ गई थी। वो अभी तक सबक नहीं ले पाए हैं, ये ठीक नहीं है। उन्होंने कहा- रविकांत चंदन JNU के प्रोडक्ट हैं। वे टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य रहे हैं और इनका मकसद ही उस गैंग की विचारधारा को आगे बढ़ाना है। उन्हें यह समझना होगा कि ये दिल्ली का JNU कैंपस नहीं है, ये यूपी की राजधानी का लखनऊ विश्वविद्यालय है। यहां के कैंपस में आपको राष्ट्र विरोधी बातें और गतिविधियां करने का मौका नहीं मिल सकता। टीचर और एसोसिएशन क्या बोले.. पढ़िए प्रोफेसर रविकांत के सोशल मीडिया पोस्ट विवाद मामले में लखनऊ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन कुछ बोलने से पहले ही पल्ला झाड़ चुका है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अनित्य गौरव ने कहा है कि इसे किसी विचारधारा से जोड़ना ठीक नहीं है। लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों ने हमेशा गुरु की गरिमा का मान रखा है। मैं खुद ऐसे बयान से कभी सहमत नहीं हो सकता। LUTA अध्यक्ष कहते हैं कि उन्होंने क्या पोस्ट किया है, मुझे इसकी पूरी जानकारी नहीं है। सोशल मीडिया पोस्ट के बाद से शुरू हुआ विरोध RSS के खिलाफ किए गए प्रोफेसर रविकांत के पोस्ट ने कैंपस का माहौल गर्म कर दिया है। ABVP से जुड़े स्टूडेंट्स में जबरदस्त आक्रोश है। छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कुछ छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण आए दिन कोई ना कोई शिक्षक विवादित बयान दे रहा है या पोस्ट कर रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे किसी भी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहा है। प्रोफेसर ने यह पोस्ट किया था… एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा- कुछ गलत नहीं लिखा मैंने संविधान के दायरे में रहकर बात की लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत ने RSS के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट का बचाव किया। उन्होंने कहा- मेरे पोस्ट को पूरी तरह से और अच्छे से पढ़ा जाए। उसके बाद ही उस पर कोई कमेंट करे तभी अच्छा है। इस तरह कहना मेरी अपनी अभिव्यक्ति है। उन्होंने दैनिक भास्कर से कहा- इस देश में कई तरीके के विचार हैं। भारत अलग-अलग दर्शनों का गढ़ है। संविधानिक दायरे में रहकर मैंने अपनी बात कही है। ये मेरा अपना ओपिनियन है। मुझसे मेरा अधिकार कोई छीन नहीं सकता। मैंने हिंसा और नफरत के खिलाफ बोला प्रोफेसर रविकांत ने कहा- मैं अंबेडकरवादी हूं और अपनी बात पर पूरी तरह से अडिग रहता हूं। बाबा साहब हिंदू राष्ट्रवाद के खिलाफ थे, वह भी RSS के खिलाफ थे। ये जो माहौल है, परिवेश है, इसमें हिंसा को नॉर्मलाइज किया जा रहा है। महिलाओं को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है। प्रोफेसर ने पूछा- प्रज्ञा ठाकुर जब कहती हैं कि महिलाओं को छूरी-चाकू सिर्फ किचन में सब्जी काटने के लिए नहीं रखना चाहिए, खुद की सुरक्षा के लिए भी हमेशा साथ रखना चाहिए, तो ये हिंसा को भड़काना नहीं तो और क्या है? डॉ. रविकांत ने दावा किया कि मेरे खिलाफ तहरीर देने वाला छात्र वही है, जिसने कैंपस में मेरे ऊपर हमला किया था। उसके खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज है और चार्जशीट भी दाखिल हो गई है। बहुत जल्द कोर्ट से उसे सजा भी होने वाली है। प्रोफेसर रविकांत को जानिए… ABVP के महिला विंग ने विरोध किया ————————— ये खबर पढ़िए… प्रोफेसर ने लिखा- पतियों की हत्या के लिए RSS जिम्मेदार, नफरत से सोनम-मुस्कान जैसी महिलाएं पैदा हुईं लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक और प्रोफेसर ने विवादित बयान दिया। हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, मुस्कान और सोनम रघुवंशी जैसी महिलाएं संघी विचार की उपज हैं…। प्रोफेसर की विवादित पोस्ट पर ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़े छात्रों में गुस्सा है। हसनगंज थाने में प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत की गई है। (पूरी खबर पढ़िए) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
‘प्रोफेसर रविकांत ने हाइलाइट होने के लिए ऐसा पोस्ट किया’:लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र कर रहे बर्खास्तगी की मांग, टीचर बोले- सम्मान न खोएं
