बुंदेलखंड की 4 लोकसभा सीटों में से सिर्फ झांसी ही एक ऐसी सीट है, जहां भाजपा ने हेट्रिक लगाकर तीसरी बार परचम फहराया है। यहां गठबंधन को ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबा। शुरुआत से ही कांग्रेस ललितपुर और महरौनी विधानसभा को अपना सेफ क्षेत्र मानकर चल रही थी। इन दोनों विधानसभा में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को छोड़कर कांग्रेस या सपा का कोई भी दिग्गज नेता मैदान में नहीं उतरा। जबकि, भाजपा ने मंत्री प्रहलाद पटेल, साक्षी महाराज, स्वतंत्रदेव सिंह और एसपी सिंह बघेल आदि मंत्रियों को उतारा। साथ ही चुनाव का प्रचार-प्रसार थमने से चंद घंटों पहले गृहमंत्री अमित शाह ने ललितपुर में रैली कर माहौल को भाजपा की तरफ मोड़ दिया। अमित की रैली इतनी असरदार रही कि, जिस ललितपुर विधानसभा को कांग्रेस सबसे सेफ मानकर चल रही थी, वहां प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य को सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा। यहां से भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा को 50,641 वोटों से जीत मिली। झांसी में भी सिर्फ एक बड़ी रैली वरिष्ठ पत्रकार शंशाक त्रिपाठी बताते हैं कि “प्रदीप जैन के नामांकन जुलूस के बाद गंठबंधन ने माहौल बना लिया था। लेकिन कांग्रेस-सपा के बड़े नेताओं को झांसी को नजरअंदाज करना भारी पड़ा। झांसी की बात करें तो यहां गठबंधन की सिर्फ एक बड़ी रैली हुई। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मंच साझा कर वोटों को साधने की कोशिश की। मगर, एक रैली से गठबंधन अपनी बात लोगों तक ठीक तरह से नहीं पहुंचा पाया। प्रियंका गांधी का रोड-शो और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे की रैली सिर्फ बातों में ही रह गई। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा ने दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के साथ कई मंत्रियों को भेजा। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोड शो कर महानगर के वोटरों को साधा। ललितपुर के बाद झांसी सदर विधानसभा से भाजपा को 31215 वोटों की बढ़त मिली।” कार्यकर्ताओं की कमी, सपा के भरोसे झांसी-ललितपुर सीट से चेहरा भले ही कांग्रेस का हो, लेकिन ज्यादा जोर सपा ने लगाया। कांग्रेस के पास अपने खुद के कार्यकर्ता कम और सपा के ज्यादा थे। यानी अधिकतर दामोदार सपा वर्करों के ऊपर था। फिर भी मिलनसार और साफ छवि की वजह से प्रदीप जैन आदित्य ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी। मतदान से 3 दिन पहले तक दोनों प्रत्याशियों में कड़ी टक्कर थी। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली के बाद कांग्रेस-सपा ने लगाम ढीली छोड़ दी। जबकि भाजपा ने अंतिम दिनों में चुनाव में जान झोंक दी। वहां से भी माहौल बदला। मऊरानीपुर में कांग्रेस का दबदबा रहा जिस तरह ललितपुर और महरौनी में कांग्रेस का हाल रहा, वैसे ही मऊरानीपुर विधानसभा में भाजपा को शिकस्त मिली। झांसी-ललितपुर सीट क्षेत्र में 5 विधानसभा आती हैं। 4 विधानसभा में कमल खिला तो मऊरानीपुर में पंजा ने बढ़त बनाई। यहां से कांग्रेस को 127517 और भाजपा को 112423 वोट मिले। इस हिसाब से कांग्रेस ने इस विधानसभा में 15094 वोटों की बढ़त बनाई। पहला- नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया अनुराग शर्मा को दूसरी बार टिकट मिला तो भाजपा के अंदरखाने विरोध हो रहा था। कार्यकर्ता उनसे नाराज थे। जब बात संगठन तक पहुंची तो नेताओं को कार्यकर्ताओं के पास भेजा गया और अधिकतर कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर की गई। एक-एक करके कार्यकर्ता जी-जान से चुनाव में जुट गया। दूसरा- विकास का एजेंडा 10 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने बुंदेलखंड समेत झांसी को दो प्रमुख सौगात दी। पहली डिफेंस कोरिडोर। जमीन अधिग्रहण के बाद यहां बीडीएल ने यूनिट लगाने के लिए बिल्डिंग बनाने का काम शुरू कर दिया है। दूसरी पानी की समस्या को दूर करने के लिए हर घर जल योजना लेकर आए। इसके तहत कई गांवों में पानी पहुंचाया जा चुका है। इसके अलावा योगी सरकार ने बीडा की सौगात भी देकर रोजगार के द्वार खोले हैं। तीसरा 11 जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी की साफ छवि झांसी में भाजपा को बड़ा और मजबूत संगठन है। यहां भाजपा के 4 विधायक, 2 एमएलसी समेत 11 जनप्रतिनिधि हैं। सभी ने चुनाव में ताकत झोंकी। इसके अलावा प्रत्याशी अनुराग शर्मा पर लोगों से सहज मुलाकात न करने के अरोप भले ही लगे हो, लेकिन उन्होंने किसी के साथ गलत नहीं किया। साफ छवि होने का लाभ उनको मिला है। अब जानते हैं विधानसभा वार वोटों का गणित प्रत्याशियों को मिले कुल वोट अनुराग शर्मा (भाजपा)- 6,90,316 प्रदीप जैन ‘आदित्य’ (कांग्रेस)- 5,87,702 रवि प्रकाश कुशवाहा (बसपा)- 63,192 चंदन सिंह (अपना दल, कमेरावादी)- 2,491 दीपक कुमार वर्मा (अल हिन्द पार्टी)- 1,377 इन्द्रसिंह (निर्दलीय)- 2,078 गनेशराम (निर्दलीय)- 2,575 धर्मेंद्र प्रताप (निर्दलीय)- 2,303 रमेश (निर्दलीय)- 6,338 लखन लाल (निर्दलीय)- 6,832 नोटा- 15,302 बुंदेलखंड की 4 लोकसभा सीटों में से सिर्फ झांसी ही एक ऐसी सीट है, जहां भाजपा ने हेट्रिक लगाकर तीसरी बार परचम फहराया है। यहां गठबंधन को ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबा। शुरुआत से ही कांग्रेस ललितपुर और महरौनी विधानसभा को अपना सेफ क्षेत्र मानकर चल रही थी। इन दोनों विधानसभा में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को छोड़कर कांग्रेस या सपा का कोई भी दिग्गज नेता मैदान में नहीं उतरा। जबकि, भाजपा ने मंत्री प्रहलाद पटेल, साक्षी महाराज, स्वतंत्रदेव सिंह और एसपी सिंह बघेल आदि मंत्रियों को उतारा। साथ ही चुनाव का प्रचार-प्रसार थमने से चंद घंटों पहले गृहमंत्री अमित शाह ने ललितपुर में रैली कर माहौल को भाजपा की तरफ मोड़ दिया। अमित की रैली इतनी असरदार रही कि, जिस ललितपुर विधानसभा को कांग्रेस सबसे सेफ मानकर चल रही थी, वहां प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य को सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा। यहां से भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा को 50,641 वोटों से जीत मिली। झांसी में भी सिर्फ एक बड़ी रैली वरिष्ठ पत्रकार शंशाक त्रिपाठी बताते हैं कि “प्रदीप जैन के नामांकन जुलूस के बाद गंठबंधन ने माहौल बना लिया था। लेकिन कांग्रेस-सपा के बड़े नेताओं को झांसी को नजरअंदाज करना भारी पड़ा। झांसी की बात करें तो यहां गठबंधन की सिर्फ एक बड़ी रैली हुई। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मंच साझा कर वोटों को साधने की कोशिश की। मगर, एक रैली से गठबंधन अपनी बात लोगों तक ठीक तरह से नहीं पहुंचा पाया। प्रियंका गांधी का रोड-शो और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे की रैली सिर्फ बातों में ही रह गई। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा ने दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के साथ कई मंत्रियों को भेजा। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोड शो कर महानगर के वोटरों को साधा। ललितपुर के बाद झांसी सदर विधानसभा से भाजपा को 31215 वोटों की बढ़त मिली।” कार्यकर्ताओं की कमी, सपा के भरोसे झांसी-ललितपुर सीट से चेहरा भले ही कांग्रेस का हो, लेकिन ज्यादा जोर सपा ने लगाया। कांग्रेस के पास अपने खुद के कार्यकर्ता कम और सपा के ज्यादा थे। यानी अधिकतर दामोदार सपा वर्करों के ऊपर था। फिर भी मिलनसार और साफ छवि की वजह से प्रदीप जैन आदित्य ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी। मतदान से 3 दिन पहले तक दोनों प्रत्याशियों में कड़ी टक्कर थी। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली के बाद कांग्रेस-सपा ने लगाम ढीली छोड़ दी। जबकि भाजपा ने अंतिम दिनों में चुनाव में जान झोंक दी। वहां से भी माहौल बदला। मऊरानीपुर में कांग्रेस का दबदबा रहा जिस तरह ललितपुर और महरौनी में कांग्रेस का हाल रहा, वैसे ही मऊरानीपुर विधानसभा में भाजपा को शिकस्त मिली। झांसी-ललितपुर सीट क्षेत्र में 5 विधानसभा आती हैं। 4 विधानसभा में कमल खिला तो मऊरानीपुर में पंजा ने बढ़त बनाई। यहां से कांग्रेस को 127517 और भाजपा को 112423 वोट मिले। इस हिसाब से कांग्रेस ने इस विधानसभा में 15094 वोटों की बढ़त बनाई। पहला- नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया अनुराग शर्मा को दूसरी बार टिकट मिला तो भाजपा के अंदरखाने विरोध हो रहा था। कार्यकर्ता उनसे नाराज थे। जब बात संगठन तक पहुंची तो नेताओं को कार्यकर्ताओं के पास भेजा गया और अधिकतर कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर की गई। एक-एक करके कार्यकर्ता जी-जान से चुनाव में जुट गया। दूसरा- विकास का एजेंडा 10 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने बुंदेलखंड समेत झांसी को दो प्रमुख सौगात दी। पहली डिफेंस कोरिडोर। जमीन अधिग्रहण के बाद यहां बीडीएल ने यूनिट लगाने के लिए बिल्डिंग बनाने का काम शुरू कर दिया है। दूसरी पानी की समस्या को दूर करने के लिए हर घर जल योजना लेकर आए। इसके तहत कई गांवों में पानी पहुंचाया जा चुका है। इसके अलावा योगी सरकार ने बीडा की सौगात भी देकर रोजगार के द्वार खोले हैं। तीसरा 11 जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी की साफ छवि झांसी में भाजपा को बड़ा और मजबूत संगठन है। यहां भाजपा के 4 विधायक, 2 एमएलसी समेत 11 जनप्रतिनिधि हैं। सभी ने चुनाव में ताकत झोंकी। इसके अलावा प्रत्याशी अनुराग शर्मा पर लोगों से सहज मुलाकात न करने के अरोप भले ही लगे हो, लेकिन उन्होंने किसी के साथ गलत नहीं किया। साफ छवि होने का लाभ उनको मिला है। अब जानते हैं विधानसभा वार वोटों का गणित प्रत्याशियों को मिले कुल वोट अनुराग शर्मा (भाजपा)- 6,90,316 प्रदीप जैन ‘आदित्य’ (कांग्रेस)- 5,87,702 रवि प्रकाश कुशवाहा (बसपा)- 63,192 चंदन सिंह (अपना दल, कमेरावादी)- 2,491 दीपक कुमार वर्मा (अल हिन्द पार्टी)- 1,377 इन्द्रसिंह (निर्दलीय)- 2,078 गनेशराम (निर्दलीय)- 2,575 धर्मेंद्र प्रताप (निर्दलीय)- 2,303 रमेश (निर्दलीय)- 6,338 लखन लाल (निर्दलीय)- 6,832 नोटा- 15,302 उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
गोरखपुर में माफिया सुधीर सिंह को 2 साल की सजा:गैर लाइसेंसी असलहा बरामद हुआ था, माफिया के ससुर को भी 3 महीने का कारावास
गोरखपुर में माफिया सुधीर सिंह को 2 साल की सजा:गैर लाइसेंसी असलहा बरामद हुआ था, माफिया के ससुर को भी 3 महीने का कारावास गोरखपुर में टॉप-10 माफिया सुधीर सिंह को कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है। इस सजा के साथ ही माफिया सुधीर को 10 हजार रुपए अर्थदंड भी देना होगा। अर्थदंड न देने पर अभियुक्त सुधीर सिंह को 15 दिन का कारावास अलग से भुगतना होगा। यह सजा गैर लाइसेंसी असलहा बरामद होने के जुर्म में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी त्विषि श्रीवास्तव ने सुनाई है। इसके साथ ही माफिया सुधीर सिंह के ससुर नरसिंह को भी कोर्ट ने तीन माह के कारावास से दंडित किया है। नरसिंह बेलीपार इलाके के जंगल रानी सोहास कुंवारी टोला बड़ेरिया का रहने वाला है। जबकि, सुधीर सिंह शाहपुर इलाके के आदर्शनगर कॉलोनी का रहने वाला है। चेकिंग के दौरान असलहा संग पकड़ा गया था सुधीर
कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह और प्रत्युष दूबे का कहना था कि 6 अक्टूबर 2011 को प्रभारी निरीक्षक रविकांत परासर रेलवे स्टेशन रोड स्थित सरदार ढाबा तिराहे पर संदिग्ध वाहन और व्यक्ति की चेकिंग कर रहे थे। उसी समय एक स्कार्पियो गाड़ी चारफाटक की तरफ से आई। जिसे रोक कर चेक किया गया। वाहन में चार व्यक्ति बैठे थे। ससुर का लाइसेंसी असलहा लिए घूम रहा था
इनमें माफिया सुधीर सिंह भी शामिल थे। व्यक्तियों की जमा तलाशी की गई तो अभियुक्त के पास से एक डबल बैरल 12 बोर की बंदूक बरामद हुई। जिसके लाइसेंस के बारे में पूछने पर अभियुक्त ने बताया कि बंदूक का लाइसेंस उसके ससुर अभियुक्त नरसिंह के नाम से है। ऐसे में सुधीर सिंह के पास से गैर लाइसेंसी असलहा बरामद करने का जुर्म सिद्ध होने पर कोर्ट ने उसे दो साल की सजा से दंडित किया है।
Noida Encounter News: नोएडा में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़, दो शातिर चोरों के पैर में लगी गोली
Noida Encounter News: नोएडा में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़, दो शातिर चोरों के पैर में लगी गोली <p style=”text-align: justify;”><strong>Noida News:</strong> ग्रेटर नोएडा की कोतवाली रबूपुरा पुलिस और वंछित बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ में दो बदमाश पैर में गोली लगने से घायल हो गए, जबकि दो बदमाशों को पुलिस ने कांबिंग के दौरान गिरफ्तार किया है. घायल बदमाशों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनके पास से तीन अवैध तमंचे और कारतूस और ब्रेजा गाड़ी भी बरामद हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस मुठभेड़ में पैर में गोली लगने से घायल हुए सौरव और गौरव को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि विकेश और गोविंदा को पुलिस ने कांबिंग ऑपरेशन के दौरान पड़ा है. एडिशनल डीसीपी अशोक कुमार ने बताया कि 7 जुलाई को रबूपुरा के गांव भोयरा में रास्ते को लेकर हुए विवाद में फायरिंग करने वाले इन बदमाशों को पुलिस तलाश कर रही थी. इसी दौरान पुलिस को इनपुट मिला कि चारों बदमाश काले रंग की ब्रेजा गाड़ी में भागने के फिराक में है. सूचना मिलते ही पुलिस की टीम ने वाहनों की चेकिंग शुरू कर दी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>घायल बदमाशों को अस्पताल में कराया भर्ती </strong><br />एडिशनल डीसीपी ने बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे के सेक्टर 20 गौर सिटी के पास ब्रेजा कार को देख पुलिस टीम ने रोकने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस को देख कर कार सवार बदमाश भागने लगे लेकिन कार की स्पीड तेज होने के कारण कार और नियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गई. कार से उतर बदमाश पुलिस पर फायरिंग कर भागने लगे, पुलिस के जवाबी कार्रवाई में सौरव और गौरव को पैर मैं गोली लगने से घायल हो गए पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. जबकि विकेश और गोविंदा को कांबिंग कर गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने दोनों घायल बदमाशों को अस्पताल में भर्ती कराया है इन बदमाशों के कब्जे से तीन तमंचे कारतूस और ब्रेजा गाड़ी बरामद की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/gorakhpur-flood-situation-rapti-river-crosses-danger-mark-flood-threat-ann-2734834″><strong>गोरखपुर में राप्ती नदी के रौद्र रूप ने डराया, खतरे के निशान को किया पार, बाढ़ का खतरा मंडराया</strong></a></p>
रायबरेली नहीं छोड़ने पर राहुल सहमत:मां सोनिया ने समझाया, क्यों यूपी कांग्रेस के लिए जरूरी; प्रियंका दोबारा बन सकती हैं प्रभारी
रायबरेली नहीं छोड़ने पर राहुल सहमत:मां सोनिया ने समझाया, क्यों यूपी कांग्रेस के लिए जरूरी; प्रियंका दोबारा बन सकती हैं प्रभारी लगभग तय हो गया है कि राहुल गांधी मां सोनिया की सीट रायबरेली अपने पास रखेंगे। वह वायनाड छोड़ सकते हैं। बुधवार को हुई कांग्रेस की पहली बैठक और परिवार के साथ रायशुमारी के बाद उन्होंने यह फैसला किया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल दोनों सीटों में से कौन सी सीट चुनें, उनके इस कन्फ्यूजन को सोनिया गांधी ने दूर किया। सोनिया ने राहुल को समझाया कि यूपी कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए उन्हें रायबरेली अपने पास रखना चाहिए। यह भी कहा जा रहा है कि प्रियंका दोबारा यूपी प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं।पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने इस पद को छोड़ दिया था। राहुल के सीट छोड़ने पर प्रियंका वायनाड से उपचुनाव लड़ सकती हैं। गांधी परिवार इसके जरिए उत्तर के साथ दक्षिण में पकड़ मजबूत रखना चाहता है। राहुल के रायबरेली में बने रहने की सहमति के पीछे मां सोनिया की वह भावुक अपील भी है, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘आपको बेटा सौंप रही हूं।’ राहुल ने भी रिजल्ट के दिन पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका संकेत दिया था, उन्होंने यूपी को स्पेशल थैंक्यू बोला था। परिवार ने समझाया रायबरेली क्यों जरूरी
पार्टी के एक सीनियर लीडर ने बताया कि मां सोनिया, बहन प्रियंका और जीजा रॉबर्ट वाड्रा से बातचीत करके रायबरेली नहीं छोड़ने पर सहमत हो गए हैं। परिवार ने समझाया कि रायबरेली की जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि परिवार ने अमेठी की खोई सीट भी हासिल कर ली। रायबरेली में राहुल को वायनाड से बड़ी जीत मिली। ऐसे में रायबरेली छोड़ेंगे तो यूपी में गलत मैसेज जाएगा। यहीं नहीं, गांधी परिवार के मुखिया ने हमेशा यूपी से ही राजनीति की। पिता राजीव गांधी अमेठी और परदादा जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से चुनाव लड़ते रहे हैं। रायबरेली सीट उनकी मां, दादी इंदिरा और दादा फिरोज गांधी की सीट है। प्रियंका खेमा चाहता था राहुल वायनाड नहीं छोड़े
सूत्र बताते हैं कि प्रियंका गांधी के खेमे के कुछ लोग पहले की तरह चाहते थे कि राहुल वायनाड में ही रहें और प्रियंका रायबरेली से उपचुनाव लड़ें। दरअसल, नामांकन से ठीक एक दिन पहले ही गांधी परिवार ने फैसला लिया था कि राहुल रायबरेली से लड़ेंगे। ये फैसला आखिरी वक्त में इसलिए हुआ कि प्रियंका और रॉबर्ट दोनों चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं ने प्रियंका को समझाया कि परिवारवाद के आरोप से कांग्रेस कमजोर होगी। पूरे परिवार को चुनाव में उतरने की बजाय राहुल को ब्रांड बनाना जरूरी है। 3 वजह, क्यों रायबरेली नहीं छोड़ेंगे राहुल 1- सोनिया की अपील, जनता ने रिकॉर्ड वोटों से जिताया
17 मई को सोनिया गांधी इस लोकसभा चुनाव की पहली रैली में रायबरेली पहुंचीं थी। उन्होंने मंच से कहा- ‘मैं आपको बेटा सौंप रही हूं। जैसे मुझे माना, वैसे ही मानकर रखना। राहुल आपको निराश नहीं करेंगे। राहुल ने 3.90 लाख वोटों से जीत दर्ज की, जबकि 2019 में सोनिया गांधी ने 1.67 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। 2- केंद्र में कांग्रेस को आना है तो यूपी में मजबूत पैठ जरूरी
कांग्रेस को यूपी में इस बार 9.4 फीसदी वोट मिला। यह कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह है। 2019 में 6.36% वोट शेयर और एक सीट ही मिली थी। 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में 2.33% वोट और दो सीटें मिली थीं। 3- दक्षिण के बाद हिंदी पट्टी को मजबूत करना चाहते है
राहुल ने 2019 में पहली बार अमेठी के साथ वायनाड से चुनाव लड़ा पर अमेठी हार गए। वायनाड से जीतकर संसद पहुंचे। राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत भी कन्याकुमारी से की थी, इसके बाद कांग्रेस लगातार दक्षिण में मजबूत हुई। खासकर केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में। कर्नाटक में कांग्रेस ने सरकार भी बना ली। इस चुनाव में केरल में कांग्रेस को 20 में से 14 सीटें, तमिलनाडु में 9 और कर्नाटक में 9 सीटें मिलीं। अब राहुल गांधी नॉर्थ इंडिया खासकर हिंदी पट्टी को मजबूत करने पर फोकस करना चाहते हैं। यही वजह है कि दूसरी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने जो रूट चुना उसमें ज्यादातर समय इसी इलाके को दिया। यूपी के बाद कांग्रेस का राजस्थान में भी अच्छा प्रदर्शन रहा। अब दोनों भाई बहन यूपी में अपनी एक्टिविटी और बढ़ा सकते हैं। अमेठी में किशोरी लाल के साथ 4 अन्य सीट जीतने पर उनका कॉन्फिडेंस भी काफी बढ़ा है। दोनों की बॉडी लैंग्वेज भी बदल चुकी हैं। इसके अलावा उन्हें ये भी पता है कि यदि वह यूपी छोड़ देंगे, तो अखिलेश का उन्हें हमेशा सहारा लेना पड़ेगा और कांग्रेस कभी अपने दम पर यूपी में खड़ी नहीं हो पाएगी। इस लिंक को भी पढ़ें… यूपी के सभी 80 सांसदों को डिटेल में जानिए:6 में से 5 मुस्लिम प्रत्याशी जीते, हमीरपुर में सपा सांसद की सबसे छोटी जीत लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ गए हैं। इसमें कुछ नए रिकॉर्ड बने, तो कुछ चौंकाने वाले नतीजे भी देखने को मिले। इंडी गठबंधन के 6 में से 5 मुस्लिम प्रत्याशी जीत गए। यादव परिवार के पांच सदस्य भी जीतने में कामयाब हो गए। पढ़ें पूरी खबर… यूपी में चुनाव की सबसे रोचक-चौंकाने वाली बातें:सबसे छोटी हार, जहां हुड़दंग, संघमित्रा रोईं वहां के नतीजे, भाजपा के 5 बड़े चेहरे जो हारे यूपी की 80 सीटों के रिजल्ट आ गए हैं। भाजपा को 29 सीटों का बड़ा नुकसान हुआ है। पार्टी 62 से सिमटकर 33 सीटों पर आ गई है। वोट शेयर भी 8.63% घटकर 41.37% हो गया है। इंडी गठबंधन यानी सपा-कांग्रेस के वोट शेयर में पिछले चुनाव से करीब दोगुना उछाल आया है। सपा को 33% जबकि कांग्रेस को 9% वोट मिले हैं। पढ़ें पूरी खबर…