आजम के घर पहुंचीं रुचि वीरा:बोलीं-मोहिबुल्ला राजनीतिक व्यक्ति नहीं, पता नहीं कैसे चुनाव जीत गए; सोच-समझकर करें बयानबाजी

आजम के घर पहुंचीं रुचि वीरा:बोलीं-मोहिबुल्ला राजनीतिक व्यक्ति नहीं, पता नहीं कैसे चुनाव जीत गए; सोच-समझकर करें बयानबाजी

मुरादाबाद से चुनाव जीतने के बाद रामपुर में सपा नेता मोहम्मद आजम खान के घर पहुंची रुचि वीरा ने रामपुर के सांसद मौलाना मोहिबुल्ला नदवी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा- मोहिबुल्ला राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। पता नहीं वो कैसे टिकट पाए और चुनाव जीत गए। उन्हें भूलना नहीं चाहिए कि वो आज सपा की वजह से सांसद बने हैं और इस सपा को आजम खान ने अपने खून पसीने से सींचा है। शुक्रिया छोटा लफ्ज, पहले फुर्सत में जेल जाऊंगी
मुरादाबाद की नवनिर्वाचित सांसद ने बुधवार रात को रामपुर पहुंचीं। यहां आजम खां के घर पर उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा से मुलाकात की। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए रुचिवीरा ने कहा कि, शुक्रिया लफ्ज बहुत छोटा है। मैं आजम खान साहब की सरपरस्ती में सियासत करती आई हूं। आज उनकी पत्नी से मिलने से आई थी। पहले फुर्सत में जेल जाकर आजम खान से मुलाकात करूंगी। तंजीन फातिमा ने माला पहनाकर किया स्वागत
हाल ही में जेल से जमानत पर छूटी आजम की पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा ने रुचि वीरा का फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया। इसके बाद दोनों की आधे घंटे तक एकांत में बात भी हुई। माना जा रहा है कि आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर दोनों के बीच कुछ बात हुई है। रुचि वीरा आजम खां की सबसे खास मानी जाती हैं। आजम की मर्जी के खिलाफ चुनाव जीते हैं मोहिबुल्ला नदवी
दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्ला नदवी का आजम खां और उनके समर्थकों ने जमकर विरोध किया था। आजम खां ने नदवी की मुखालफत में अपने करीबी आसिम रजा का नामांकन भी करा दिया था। लेकिन आसिम का नामांकन खारिज हो गया था। भाजपा कैंडिडेट घनश्याम सिंह लोधी भी आजम खां के करीबियों में शुमार होते हैं। उपचुनाव में वो जीत गए थे। लेकिन इस बार नदवी से उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। चुनाव के दौरान से ही मौलाना मोहिबुल्ला आजम पर हमलावर रहे हैं। दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में पहली बार उन्होंने आजम पर हमला बोलते हुए कहा था कि, रामपुर आजम की जागीर नहीं है, देश में लोकतंत्र है। रुचि वीरा बोलीं- आजम ने सपा को खून पसीने से सींचा
रामपुर में आजम खां के घर पहुंची रुचिवीरा ने कहा- हम दोनों (रुचिवीरा-मोहिबुल्ला) ही सपा की वजह से चुनाव जीते हैं। कैंडिडेट थोड़ा बहुत प्रभावित कर सकता है लेकिन लोकसभा का चुनाव पार्टी बेस पर ही लड़ा और जीता जाता है। उन्होंने कहा आजम खां साहब सपा के बड़े नेता हैं। आजम खां मुरादाबाद या रामपुर तक सीमित नेता नहीं हैं। वो पूरे प्रदेश के और पूरे देश के नेता हैं। रुचिवीरा बोलीं- रामपुर के सांसद मोहिबुल्ला आजम के बारे में जो कुछ बयानबाजी कर रहे हैं उसका उन्हें ध्यान रखना चाहिए। मैं या वो जो एमपी बने हैं वो सपा की देन है और इस सपा के आजम खां फाउंडर मेंबर हैं। उन्होंने खून पसीने से सपा को सींचा है। मोहिबुल्ला को ये नहीं भूलना चाहिए कि पार्टी की वजह से चुनाव जीते हैं और पार्टी में आजम खां का बहुत बड़ा योगदान है। मोहिबुल्ला पर आगबबूला हुई रुचिवीरा ने कहा- मोहिबुल्ला राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। नामालूम उन्हें कैसे टिकट मिला और चुनाव जीत गए। उनके अंदर राजनीतिक अपरिपक्वता है। उनके बयानों से वही झलकती है। एसटी हसन ने भाई होने का फर्ज नहीं निभाया
रुचिवीरा ने रामपुर के निर्वतमान सांसद डॉ. एसटी हसन के बारे में कहा- उन्होंने भाई होने का फर्ज नहीं निभाया। मैं बहन होने का फर्ज जरूर निभाऊंगी। बता दें कि मुरादाबाद में एसटी हसन ने रुचिवीरा का विरोध किया था। बावजूद इसके रुचिवीरा एक लाख वोटों से चुनाव जीती हैं। मुरादाबाद से चुनाव जीतने के बाद रामपुर में सपा नेता मोहम्मद आजम खान के घर पहुंची रुचि वीरा ने रामपुर के सांसद मौलाना मोहिबुल्ला नदवी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा- मोहिबुल्ला राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। पता नहीं वो कैसे टिकट पाए और चुनाव जीत गए। उन्हें भूलना नहीं चाहिए कि वो आज सपा की वजह से सांसद बने हैं और इस सपा को आजम खान ने अपने खून पसीने से सींचा है। शुक्रिया छोटा लफ्ज, पहले फुर्सत में जेल जाऊंगी
मुरादाबाद की नवनिर्वाचित सांसद ने बुधवार रात को रामपुर पहुंचीं। यहां आजम खां के घर पर उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा से मुलाकात की। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए रुचिवीरा ने कहा कि, शुक्रिया लफ्ज बहुत छोटा है। मैं आजम खान साहब की सरपरस्ती में सियासत करती आई हूं। आज उनकी पत्नी से मिलने से आई थी। पहले फुर्सत में जेल जाकर आजम खान से मुलाकात करूंगी। तंजीन फातिमा ने माला पहनाकर किया स्वागत
हाल ही में जेल से जमानत पर छूटी आजम की पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा ने रुचि वीरा का फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया। इसके बाद दोनों की आधे घंटे तक एकांत में बात भी हुई। माना जा रहा है कि आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर दोनों के बीच कुछ बात हुई है। रुचि वीरा आजम खां की सबसे खास मानी जाती हैं। आजम की मर्जी के खिलाफ चुनाव जीते हैं मोहिबुल्ला नदवी
दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्ला नदवी का आजम खां और उनके समर्थकों ने जमकर विरोध किया था। आजम खां ने नदवी की मुखालफत में अपने करीबी आसिम रजा का नामांकन भी करा दिया था। लेकिन आसिम का नामांकन खारिज हो गया था। भाजपा कैंडिडेट घनश्याम सिंह लोधी भी आजम खां के करीबियों में शुमार होते हैं। उपचुनाव में वो जीत गए थे। लेकिन इस बार नदवी से उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। चुनाव के दौरान से ही मौलाना मोहिबुल्ला आजम पर हमलावर रहे हैं। दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में पहली बार उन्होंने आजम पर हमला बोलते हुए कहा था कि, रामपुर आजम की जागीर नहीं है, देश में लोकतंत्र है। रुचि वीरा बोलीं- आजम ने सपा को खून पसीने से सींचा
रामपुर में आजम खां के घर पहुंची रुचिवीरा ने कहा- हम दोनों (रुचिवीरा-मोहिबुल्ला) ही सपा की वजह से चुनाव जीते हैं। कैंडिडेट थोड़ा बहुत प्रभावित कर सकता है लेकिन लोकसभा का चुनाव पार्टी बेस पर ही लड़ा और जीता जाता है। उन्होंने कहा आजम खां साहब सपा के बड़े नेता हैं। आजम खां मुरादाबाद या रामपुर तक सीमित नेता नहीं हैं। वो पूरे प्रदेश के और पूरे देश के नेता हैं। रुचिवीरा बोलीं- रामपुर के सांसद मोहिबुल्ला आजम के बारे में जो कुछ बयानबाजी कर रहे हैं उसका उन्हें ध्यान रखना चाहिए। मैं या वो जो एमपी बने हैं वो सपा की देन है और इस सपा के आजम खां फाउंडर मेंबर हैं। उन्होंने खून पसीने से सपा को सींचा है। मोहिबुल्ला को ये नहीं भूलना चाहिए कि पार्टी की वजह से चुनाव जीते हैं और पार्टी में आजम खां का बहुत बड़ा योगदान है। मोहिबुल्ला पर आगबबूला हुई रुचिवीरा ने कहा- मोहिबुल्ला राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। नामालूम उन्हें कैसे टिकट मिला और चुनाव जीत गए। उनके अंदर राजनीतिक अपरिपक्वता है। उनके बयानों से वही झलकती है। एसटी हसन ने भाई होने का फर्ज नहीं निभाया
रुचिवीरा ने रामपुर के निर्वतमान सांसद डॉ. एसटी हसन के बारे में कहा- उन्होंने भाई होने का फर्ज नहीं निभाया। मैं बहन होने का फर्ज जरूर निभाऊंगी। बता दें कि मुरादाबाद में एसटी हसन ने रुचिवीरा का विरोध किया था। बावजूद इसके रुचिवीरा एक लाख वोटों से चुनाव जीती हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर