<p>दिल्ली के नरेला औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में लगी आग में तीन लोगों की मौत होने की खबर है. इस हादसे में छह लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं.</p>
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<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”en”>Delhi | Three people died, six injured in a fire that broke out in a factory in Narela Industrial Area. Upon preliminary investigation it was revealed that raw moong was roasted on gas burners and a gas leak on one of the pipelines caused the fire to spread which led to…</p>
— ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1799276995815338259?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 8, 2024</a></blockquote>
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</p> <p>दिल्ली के नरेला औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में लगी आग में तीन लोगों की मौत होने की खबर है. इस हादसे में छह लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं.</p>
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<p dir=”ltr” lang=”en”>Delhi | Three people died, six injured in a fire that broke out in a factory in Narela Industrial Area. Upon preliminary investigation it was revealed that raw moong was roasted on gas burners and a gas leak on one of the pipelines caused the fire to spread which led to…</p>
— ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1799276995815338259?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 8, 2024</a></blockquote>
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</p> दिल्ली NCR रायपुर में मॉब-लिंचिंग की आशंका, मवेशी ले जा रहे 3 लोगों को पुल से नीचे फेंकने का आरोप, 2 की मौत
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मौत से पहले पति की क्रूरता का VIDEO:मेरठ में पत्नी के बर्थडे के दिन पति की गिरकर मौत, पत्नी को पीटा, बेटी के मुंह में थूका
मौत से पहले पति की क्रूरता का VIDEO:मेरठ में पत्नी के बर्थडे के दिन पति की गिरकर मौत, पत्नी को पीटा, बेटी के मुंह में थूका मेरठ में पत्नी के बर्थडे के दिन ही उसका सुहाग उजड़ गया। महिला के पति की मौत हो गई, जन्मदिन की खुशियां मातम में बदल गईं। पूरा परिवार घर में सेलिब्रेशन की तैयारी कर रही थी। तभी पति का पानी में पैर फिसला और सिर में चोट लगने से मौत हो गई। वहीं शराबी पति की क्रूरता का एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें वहशी पति खुशियां मनाने के बजाय बर्थडे के दिन पत्नी को पीट रहा है। केक लाने के बजाय पति शराब पीकर घर आया और पत्नी को पीटने लगा। आपसी कहासुनी में पति का पैर फिसला और सिर में चोट लगने से मौत हो गई। पुलिस ने पूरे मामले में जीडी तस्करा डाल दिया है। घरेलू विवाद होने के कारण जांच नहीं की जा रही, वहीं मंगलवार को शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। इधर देर रात मृतक संजय के भाई ने थाने में मृतक की पत्नी और 3 बच्चों पर भाई की हत्या का इल्जाम लगाते हुए तहरीर दी है।
पत्नी के जन्मदिन की चल रही थी तैयारी पूरा मामला मेरठ टीपीनगर थाने की चंद्रलोक कालोनी का है। यहां 55 साल के संजय गुप्ता परिवार संग रहते हैं। संजय मंडी में आढ़ती के यहां मुंशी थे। शराब पीने की लत थी। सोमवार को संजय की पत्नी माधुरी गुप्ता का जन्मदिन था। घर में बेटा आशीष, बेटी प्रिया और बेटी रूपाली घर में ही मां का जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहे थे। संजय की बड़ी बेटी प्रिया की अंबाला में शादी हो चुकी है। मां के जन्मदिन मनाने के लिए वो ससुराल से मायके आई थी। बेटियों ने घर में टिक्की बनाई थी, बेटा केक लेकर आया था। सब संजय के आने का इंतजार कर रहे थे।
पैर फिसला और सिर में लगी चोट
संजय रात को नशे में धुत होकर घर पहुंचा। जब उसने घर में पकवान बने देखे तो त्यौरी चढ़ गई। पहले उसने पत्नी को पीटा फिर बच्चों से मारपीट कर दी। इसी आपसी खींचतान में संजय का पैर आंगन में फैले कूलर के पानी पर फिसल गया। सिर जाकर टुल्लू पंप से लग गया। सिर में चोट लगने के बाद बेटी ने तुरंत एंबुलेंस बुलाई लेकिन तब तक संजय की मौत हो गई थी। वीडियो में पत्नी को पीट रहा संजय संजय के बच्चों ने पुलिस को एक वीडियो दिखाया है। जिसमें मौत से पहले संजय पत्नी से क्रूरता की हदें पार करता दिख रहा है। माधुरी कुर्सी पर बैठी है और संजय उसे चांटे ही चांटे गाल पर मारे जा रहा है। उन्होंने कुर्सी पर बैठी पत्नी को करीब एक साथ 25 थप्पड़ जड़े है। उसके बाद भी पत्नी अपना बचाव करने पर तुली रही। बच्चों ने पिता को रोका तो संजय ने बच्चों को भी छटक दिया।
बड़ी बेटी के मुंह पर थूका
वहीं बीचबचाव करने आई बड़ी बेटी प्रिया के मुंह पर संजय ने थूक दिया। उससे कहा कि तू ससुराल चली जा, यहां हमारे घर क्यों आई, तुझे किसने बुलाया। तब छोटी बेटी रुपाली और बेटे आशीष ने भी पापा की अभद्रता का विरोध किया। घर की लाबी में धक्का मुक्की चल रही थी। इसी बीच कूलर का पानी फर्स पर पड़ा था। उसी पानी में पैर फिसलने से संजय का सिर टुल्लू पंप में लग गया। उसके बाद बेटियों ने तत्काल ही एंबुलेंस बुलाया।
परिवार और भाई एक दूसरे पर लगा रहे आरोप
बड़ी बेटी प्रिया का कहना है कि पापा के सिर में चोट लगने के बाद हमने एंबुलेंस बुलाई। लेकिन तीस मिनट चाचा बृजमोहन ने एंबुलेंस को गली में ही रोक लिया। तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। वहीं संजय के भाई ने देर रात तहरीर दी, जिसमें उसने भाभी माधुरी और तीनों बच्चों पर अपने भाई की हत्या करने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि इन चारों ने घर में बंद करके मेरे भाई की हत्या कर दी। वो चीख और चिल्ला रहे थे लेकिन इन लोगों ने दरवाजा नहीं खोला उन्हें मार डाला। पत्नि के जन्मदिन का खर्चा देख बिफरा संजय
मां के जन्मदिन पर बाहर नहीं जाना चाहते थे। इसलिए बेटा आशीष केक लेकर आया और बेटी प्रिया और रुपाली ने टिक्की बनाई। पत्नी के जन्मदिन पर इतना खर्च होते देख ही संजय गुप्ता बिफर गए और पत्नी के साथ मारपीट शुरू कर दी। यह एक दिन का वाकया नहीं है। बल्कि हर रोज ही माधुरी की संजय पिटाई करता था। घरखर्च को लेकर होता था झगड़ा
बच्चों ने बताया कि पिता घरखर्च नहीं देता था। कुछ दिन पहले भी बच्चों ने पिता को समझाकर मां को 15 हजार रुपये दिलवाए थे। छोटी बेटी रुपाली नोएडा की निजी कंपनी में नौकरी करती है। तब उनका घर चल रहा था। प्रिया ने बताया कि रुपाली की शादी के लिए पापा ने ढाई लाख की रकम जोड़कर चाचा बृजमोहन को दे दी थी। बृजमोहन उक्त रकम को हड़पना चाहते है। इसलिए संजय को बरगला कर मारपीट कराते है। यदि सोमवार को भी बृजमोहन गुप्ता एंबुलेंस को नहीं रोकते तो संजय गुप्ता को उपचार देकर बचाया जा सकता था। ससुराल से टुल्लू पंप लाई बेटी उसी से लगा सिर
घर पर टुल्लू पंप खराब पड़ा था। लेकिन संजय ठीक नहीं करा रहा था, घर में पानी की परेशानी थी, इसलिए सोमवार को प्रिया ससुराल अंबाला से टुल्लू पंप लेकर आई थी, जो घर की लाबी में रख दिया था। उसी पंप में सिर टकराने पर संजय की मौत हुई है।
लुधियाना में 4 बच्चे सतलुज नदी में डूबे:परिवार का रो-रोकर बुरा हाल, नहाने गए थे 6 दोस्त, पुलिस कर रही तलाश
लुधियाना में 4 बच्चे सतलुज नदी में डूबे:परिवार का रो-रोकर बुरा हाल, नहाने गए थे 6 दोस्त, पुलिस कर रही तलाश पंजाब के लुधियाना में गर्मी से राहत पाने के लिए 6 दोस्त सतलुज नदी में नहाने गए थे। पता चला है कि 4 किशोर पानी में डूब गए हैं। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि वे किन परिस्थितियों में डूबे। डूब रहे किशोरों को बचाने के लिए उनके दोस्तों ने काफी प्रयास किया लेकिन वे उन्हें बचा नहीं सके। दो दोस्तों ने घर आकर डूबे किशोरों के परिजनों को पूरी बात बताई। परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। फिलहाल सलेम टाबरी थाने की पुलिस किशोरों की तलाश कर रही है। पुलिस गोताखोरों की भी मदद ले रही है। डूबे दो किशोरों की पहचान हो गई है। समीर खान और शाहबाज अंसारी। जानकारी देते हुए एसएचओ जगजीप सिंह जाखड़ ने बताया कि तलाश अभी जारी है। मामले की जांच की जा रही है।
लखीमपुर खीरी में रात में पटाखे फोड़कर भगा रहे बाघ:लाठी-डंडे लेकर रखवाली, झुंड में ही गांव वाले निकल रहे बाहर
लखीमपुर खीरी में रात में पटाखे फोड़कर भगा रहे बाघ:लाठी-डंडे लेकर रखवाली, झुंड में ही गांव वाले निकल रहे बाहर जिला- लखीमपुर खीरी, गांव- मूढ़ा जवाहर गांव, समय- रात 8 बजे गांव में जाने वाली सड़क के दोनों तरफ गन्ने के खेत हैं। सड़क किनारे झाड़ियां उगी हैं। इससे आधी सड़क ही चलने लायक दिखती है। गांव के एक छोर पर पूरी तरह सन्नाटा था। कोई भी बाहर नहीं दिख रहा था। हर कोई अपने घरों में कैद हो गया था। गांव के दूसरे छोर की तरफ जाने पर करीब 20 लोगों का एक ग्रुप दिखा। इनके हाथों में डंडे थे। ये बीच-बीच में पटाखे फोड़ रहे थे। पूछने पर बताया, यह इसलिए कर रहे ताकि बाघ गांव की तरफ न आए। इससे लोगों को भी सचेत कर रहे कि बाहर नहीं सोएं। घर के अंदर या फिर छत पर सोएं। यह गांव लखीमपुर खीरी जिले की गोला तहसील में पड़ता है। यहां कई बार बाघ देखा गया, इसलिए वन विभाग ने कैमरे लगा दिए। मचान बना दिए। पिंजरा रखकर बाघ को पकड़ने की कोशिश की जा रही।
यह डर सिर्फ मूढ़ा जवाहर गांव का नहीं, 50 गांवों में डर का माहौल है। बाघ डेढ़ महीने में 5 लोगों को अपना शिकार बना चुका है। हालात यह हो गए कि शाम होते ही लोग गांव से बाहर निकलना छोड़ देते हैं, 8 बजे तक घरों में कैद हो जाते हैं। बाघ से बचाव के लिए गांव वालों और वन-विभाग की क्या तैयारियां हैं? विभाग की बाघ पकड़ने की कोशिशों को लेकर गांव वालों का क्या कहना है? क्या इसका कोई असर हुआ? इस रिपोर्ट में पढ़िए… गांव के अनूप यादव कहते हैं- हमारा बच्चा 12वीं में पढ़ता है। उसका 5 किमी दूर स्कूल है। जब तक वह स्कूल से आ नहीं जाता, चिंता लगी रहती है। खाना तक ठीक ढंग से नहीं खा पा रहे। सिर्फ मैं नहीं, पूरे क्षेत्र में लोग बाघ के हमले से डर रहे हैं। पहले तो वन विभाग यहां रहता भी था, लेकिन अब दूसरी जगह हमला हुआ तो वह भी चले गए। बाघ के डर से लोग काम पर नहीं जा रहे, बच्चों को स्कूल जाना भी बंद
इसी गांव में हमारी मुलाकात अवधेश से हुई। वह बाघ को लेकर परेशान हैं। कहते हैं- मेरे दो बच्चे हैं। दोनों यहां से 5 किलोमीटर दूर गोला में पढ़ते हैं। हम उनकी 2 हजार रुपए महीने की फीस जमा करते हैं, लेकिन दोनों स्कूल नहीं जा पा रहे। स्कूल में कहते हैं, फीस भरिए। अब आखिर हम कहां से भरें फीस? हम तो काम पर ही नहीं जा पा रहे, पैसा कैसे आएगा? हम लोग पटाखा फोड़कर खुद को किसी तरह से बचाए हैं। गांव वालों का आरोप- वन विभाग बाघ को पकड़ने की कोशिश नहीं कर रहा
इसी गांव के नंदलाल भार्गव कहते हैं- 15 दिन में हमारे इलाके में दो लोगों को बाघ ने मार डाला। इससे डर कुछ ऐसा है कि लोग मार्केट तक नहीं जा पा रहे। जानवरों के लिए चारा तक नहीं ला पा रहे। रातभर लोग अलग-अलग जगहों पर बैठकर पहरा दे रहे। मशालें जलाते हैं। जो बाघ हमला कर रहा है, वह यहां दो साल से है। गांव के कई लोगों ने इसे देखा, लेकिन वन विभाग पकड़ने की कोशिश नहीं कर रहा। वकील सुचेंद्र कुमार मिश्रा कहते हैं- पास के दो गांव में दो लोगों को बाघ खा गया। दोनों बेहद गरीब परिवार से हैं। आप बताइए, उनका परिवार कैसे चलेगा। बहुत बुरी स्थिति है। हमारे तो गांव के बाहर एक जो बाग है, वहां बाघ रहता है। ये सूचना हम लोगों ने वन विभाग को भी दी, लेकिन उसके कर्मचारी भी वहां जाने से बचने लगे हैं। वन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक पकड़ने का आदेश देते हैं, लेकिन यहां कोई ठोस कदम नहीं उठाना चाहता। जगह- अजान गांव, समय- रात के 11 बजे गांव वालों का दावा- विभाग पकड़ने की जगह बाघ को खाना दे रहा
रात के करीब 11 बजे हम अजान गांव पहुंचे। पूरे गांव में सन्नाटा था। कोई भी घर के बाहर नजर नहीं आया। यहां हमें घर के बाहर श्रीकृष्ण वर्मा मिले। वह कहते हैं- हमारे पूरे गांव में इस बात की चर्चा है कि वन विभाग बाघ को पकड़ना ही नहीं चाहता। वह तो बाघ के भोजन का प्रबंध कर रहा है। यह सुनने में अजीब लगा, हमने पूछा- कैसे? श्रीकृष्ण कहते हैं- इन लोगों ने आबादी से दूर गन्ने के खेतों के बीच पिंजरा लगाया है। वहां ये पड्डा यानी भैंस का बच्चा ले जाकर बांधते हैं। इस दौरान गांव के किसी व्यक्ति को नहीं ले जाते। कल ही जो पड्डा लगाया, उसे बाघ खा गया। अब अगर पिंजरा है, तो उसके अंदर क्यों नहीं बांधते? अगर उसके अंदर बांधा जाए तो बाघ को आसानी से पकड़ा जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। उस खौफ की कहानी जब लोगों का बाघ से सामना हुआ- बाघ का बच्चा देखा तो साइकिल उल्टा मोड़ा और जान बचाकर भागा
क्षेत्र के अनीश अहमद बताते हैं- मैं रपटा पुल की तरफ जा रहा था। मैंने देखा, वहीं सामने बाघ का बच्चा खड़ा था। मेरे होश उड़ गए। कुछ समझ ही नहीं आया। अचानक मैंने साइकिल घुमाई। वहां से जितनी तेज हो सकता है, उतनी तेज भगाकर अपनी जान बचाई। मैंने वहां तो एक ही बच्चा देखा, लेकिन संभव है कि वहां बाघिन और उसका दूसरा भी बच्चा हो। इस घटना के बाद मैं उधर कभी अकेले नहीं गया। बाघ को अक्सर गन्ने के खेतों से आते-जाते देखा
हम मूढ़ा अस्सी गांव पहुंचे। इसी गांव में पिछले हफ्ते जाकिर को गन्ना बांधते वक्त बाघ ने अपना शिकार बनाया था। यहां के शिवाजी वर्मा बताते हैं- हमने कई बार बाघ देखा। वह अक्सर गन्ने के खेतों से होकर आता-जाता रहता है। अब हमारे गांव में उसने शिकार कर लिया, इसलिए यहां लोगों में जबरदस्त डर है। लोग अपने गन्ने के खेतों में नहीं जा पा रहे। गन्ने को नहीं बांधने से सब गिरता जा रहा। एक बाघ के चलते किसानों का बहुत नुकसान हो रहा। इसी गांव के पितंबर कहते हैं- हमने अपने जीवन में बाघ को लेकर इतना डर नहीं देखा। 25 साल पहले भी बाघ आया था। उस वक्त एक व्यक्ति मेरे गांव का दूसरा बगल वाले गांव का खा गया था। लेकिन उस वक्त इतना डर नहीं लगा, जितना आज लग रहा। कोई भी व्यक्ति आज बाहर नहीं जा रहा। वन विभाग यहां बाघ पकड़ने नहीं, उसे सुरक्षा देने आता है। शाम 4 बजे के बाद कोई गांव से बाहर नहीं जा रहा
हम दो दिन में करीब 20 गांवों में गए। इन सभी गांव के हालात एक जैसे दिखे। शाम को 4 बजे के बाद कोई भी व्यक्ति गांव से बाहर अकेले नहीं जाता। रात 8 बजे तक घर के बच्चों को घरों में कैद कर दिया जाता है। हर दो घंटे पर पटाखे फोड़े जा रहे। लाठी-डंडों के साथ लोग समूह में बैठे दिखे। कुछ तो दबी जुबान में यह भी कहते हैं कि अगर हमें लिखित आदेश मिल जाए तो हम बाघ को पकड़ लें, चाहे जिंदा पकड़ें या फिर मुर्दा। DFO बोले- बाघ रॉयल जानवर, वह पिंजरे में नहीं जाता
गांव वालों के आरोप पर DFO संजय बिस्वाल कहते हैं- यह सही है कि हम लोग पड्डे को पिंजरे के बाहर बांधते हैं, लेकिन एक पड्डा पिंजरे के अंदर भी होता है। असल में बाघ रॉयल जानवर है, वह पिंजरे में नहीं जाता। हमारी कोशिश होती है, पड्डे के जरिए उसे उस जगह दोबारा बुलाया जाए। फिर जब वह आराम से बैठकर खाए तो हम उसे ट्रेंकुलाइज (बेहोश) करें। अगर वह भाग रहा होगा, तो हम उसे बेहोश नहीं कर सकते। वह बताते हैं- बाघ अपने शिकार को मारकर एक बार में नहीं खाता। वह दोबारा खाने के लिए आता है। दुधवा टाइगर रिजर्व लेकर बाहर से यहां टाइगर को पकड़ने के लिए टीमें काम कर रही हैं। ऐसे में गांव वालों में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि प्रशासन बाघ को पकड़ना नहीं चाहता। बाघ को पकड़ने के लिए प्रशासन की तैयारियां DFO ने कहा- गन्ने के खेतों की वजह से बाघ पकड़ने में आ रही दिक्कत
हमने वन विभाग के इंतजाम को लेकर डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) संजय कुमार बिस्वाल से बात की। वह बताते हैं- हमारी टीम बाघ को पकड़ने की लगातार कोशिश कर रही है। हमने इलाके में 40 कैमरे लगाए हैं। दो ड्रोन के जरिए निगरानी कर रहे हैं। बाघ अगर दिखता है, तो उसे ट्रेंकुलाइज करने के लिए दो डॉक्टर लगे हैं। इसके अलावा वन विभाग के तमाम कर्मचारी लगे हैं। हमने पूछा, बाघ पकड़ने में दिक्कत कहां आ रही? DFO कहते हैं- आपने देखा होगा कि पूरे इलाका गन्ने की फसल से भरा हुआ है। कई-कई किलोमीटर तक सिर्फ गन्ना दिखता है। जब भी सर्च अभियान चलता है, बाघ इन्हीं गन्नों के सहारे भाग जाता है या फिर कहीं छिप जाता है। वह ड्रोन में नहीं आ पा रहा। DFO आगे बताते हैं- जिन जगहों पर बाघ बार-बार देखा जा रहा, हमने उन जगहों पर पिंजरा लगाया है। वहां मचान बनाई जा रही, ताकि बाघ को ट्रेंकुलाइज किया जा सके। बाकी रात में कोई सर्च अभियान नहीं चल रहा। लोगों को जागरूक कर रहे कि रात में घर के बाहर न निकलें। हमारी कोशिश है कि बाघ जल्द से जल्द पकड़ लिया जाए। ये खबर भी पढ़ें… टाइगर 5 दिन में 3 बच्चों को खा गया; लखीमपुर में बंदूक लिए वनकर्मियों में भी खौफ, किसानों ने खेत जाना छोड़ा राजधानी लखनऊ से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर लखीमपुर जिले में 50 से ज्यादा गांवों में बाघ का खौफ है। बाघ 5 दिन के भीतर तीन बच्चों को खा गया। जब तक शोर मचता है, आदमखोर शिकार कर गन्ने के खेतों में कहां गायब हो जाता है, पता नहीं चलता। पूरी खबर पढ़ें…