पंजाब के जालंधर में भार्गव कैंप के पास एक युवक का शव मिलने से सनसनी फैल गई। आशंका जताई जा रही है कि युवक की मौत नशे की ओवरडोज से हुई है। मृतक की पहचान 32 वर्षीय राकेश कुमार के रूप में हुई है। पुलिस को शव के पास से नशे के कुछ इंजेक्शन मिले हैं। थाना भार्गव कैंप के एसएचओ गुरमुख सिंह ने कहा- उक्त युवक की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है। परिवार ने पुलिस ने कहा है कि वह रोड पर गिर गया और उसकी मौत हो गई। मृतक कुंवारा था और घर से दोस्त को मिलने के लिए निकला था। जब शव मिला तो उसका उक्त दोस्त नशा न मिलने के कारण मौके पर तड़प रहा था। मगर पुलिस ने मामले में किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि उनके पास कोई शिकायत नहीं आई थी। मगर करीब 2 घंटे बाद परिवार को राकेश के बेसुध पड़े होने की सूचना मिली। राहगीरों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया था। राकेश वेटर का काम करता था। मगर आज कल घर पर ही रहता था। पुलिस ने एक अन्य युवक को भी हिरासत में लिया है। कॉलोनियां के पास पड़ा था राकेश का शव परिवार का कहना है कि राकेश शराब जरूर पीता था, मगर सूखा नशा उसने कब करना शुरू किया, इस बारे में नहीं पता चला। रोजाना की तरह राकेश कुमार अपने घर से निकला था। परिवार को राकेश ने कहा था कि वह अपने दोस्त के साथ कहीं जा रहा है। करीब 2 घंटे बाद किसी राहगीर का फोन आया कि राकेश की हालत गंभीर बनी हुई है और वह भार्गव कैंप कॉलोनियां के पास पड़ा हुआ है। सूचना मिलते ही तुरंत परिवार मौके पर पहुंच गया था। भार्गव कैंप थाने क्षेत्र में हुई घटना परिवार ने मौके से एक अन्य लाडी नाम के युवक भी पकड़ा है। जिसने माना कि राकेश और वह नशा करने के लिए निकले थे। लाडी ने कहा- राकेश ने शराब पी हुई थी। उसने राकेश को मना भी किया था कि इंजेक्शन न लगाए। मगर वह नहीं माना और उसने इंजेक्शन लगा लिया और उसने भी इंजेक्शन लगाना था। मगर उससे पहले ही राकेश की हालत खराब हो गई। लाडी भी मौके पर नशा न मिलने के कारण तड़प रहा था। मगर राकेश की मौत हो गई थी। राकेश को श्रीनगर गया हुआ था। मगर दो दिन पहले ही राकेश वापस लौटा था। शनिवार को देर रात उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। लाडी ने माना कि वह भार्गव कैंप एरिया के रहने वाले नशा तस्कर अंडर टेकर से इंजेक्शन और नशा लेकर आते थे। शनिवार को भी लाडी के पैसे से उससे नशा लेकर आए थे। पंजाब के जालंधर में भार्गव कैंप के पास एक युवक का शव मिलने से सनसनी फैल गई। आशंका जताई जा रही है कि युवक की मौत नशे की ओवरडोज से हुई है। मृतक की पहचान 32 वर्षीय राकेश कुमार के रूप में हुई है। पुलिस को शव के पास से नशे के कुछ इंजेक्शन मिले हैं। थाना भार्गव कैंप के एसएचओ गुरमुख सिंह ने कहा- उक्त युवक की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है। परिवार ने पुलिस ने कहा है कि वह रोड पर गिर गया और उसकी मौत हो गई। मृतक कुंवारा था और घर से दोस्त को मिलने के लिए निकला था। जब शव मिला तो उसका उक्त दोस्त नशा न मिलने के कारण मौके पर तड़प रहा था। मगर पुलिस ने मामले में किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि उनके पास कोई शिकायत नहीं आई थी। मगर करीब 2 घंटे बाद परिवार को राकेश के बेसुध पड़े होने की सूचना मिली। राहगीरों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया था। राकेश वेटर का काम करता था। मगर आज कल घर पर ही रहता था। पुलिस ने एक अन्य युवक को भी हिरासत में लिया है। कॉलोनियां के पास पड़ा था राकेश का शव परिवार का कहना है कि राकेश शराब जरूर पीता था, मगर सूखा नशा उसने कब करना शुरू किया, इस बारे में नहीं पता चला। रोजाना की तरह राकेश कुमार अपने घर से निकला था। परिवार को राकेश ने कहा था कि वह अपने दोस्त के साथ कहीं जा रहा है। करीब 2 घंटे बाद किसी राहगीर का फोन आया कि राकेश की हालत गंभीर बनी हुई है और वह भार्गव कैंप कॉलोनियां के पास पड़ा हुआ है। सूचना मिलते ही तुरंत परिवार मौके पर पहुंच गया था। भार्गव कैंप थाने क्षेत्र में हुई घटना परिवार ने मौके से एक अन्य लाडी नाम के युवक भी पकड़ा है। जिसने माना कि राकेश और वह नशा करने के लिए निकले थे। लाडी ने कहा- राकेश ने शराब पी हुई थी। उसने राकेश को मना भी किया था कि इंजेक्शन न लगाए। मगर वह नहीं माना और उसने इंजेक्शन लगा लिया और उसने भी इंजेक्शन लगाना था। मगर उससे पहले ही राकेश की हालत खराब हो गई। लाडी भी मौके पर नशा न मिलने के कारण तड़प रहा था। मगर राकेश की मौत हो गई थी। राकेश को श्रीनगर गया हुआ था। मगर दो दिन पहले ही राकेश वापस लौटा था। शनिवार को देर रात उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। लाडी ने माना कि वह भार्गव कैंप एरिया के रहने वाले नशा तस्कर अंडर टेकर से इंजेक्शन और नशा लेकर आते थे। शनिवार को भी लाडी के पैसे से उससे नशा लेकर आए थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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परिवार सहित पाकिस्तान जा रहे पूर्व कांग्रेस प्रधान:श्री करतारपुर साहिब में माथा टेकेंगे; पॉलिटिक्स से दूरी बना चुका परिवार, नवजोत सिद्धू क्रिकेट में बिजी
परिवार सहित पाकिस्तान जा रहे पूर्व कांग्रेस प्रधान:श्री करतारपुर साहिब में माथा टेकेंगे; पॉलिटिक्स से दूरी बना चुका परिवार, नवजोत सिद्धू क्रिकेट में बिजी पंजाब कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू आज अपने परिवार के साथ पाकिस्तान जा रहे हैं। वह सीमा पार श्री करतारपुर साहिब में माथा टेकेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने दौरे का पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया है। जानकारी के मुताबिक सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर, राबिया, करण और बहू इनायत भी इस यात्रा पर उनके साथ होंगी। श्री करतारपुर साहिब की यह उनकी दूसरी यात्रा है। इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू नवंबर 2021 में श्री करतारपुर साहिब गए थे। तब कोरोना काल के बंद के बाद करतारपुर साहिब को श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिया गया था, लेकिन उस समय पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी और वह खुद पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी थे। बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू के परिवार ने लंबे समय से कांग्रेस से दूरी बना रखी है। नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति छोड़ क्रिकेट में व्यस्त हैं। हाल ही में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर भाजपा नेता तरनजीत सिंह संधू से मिलने पहुंची थीं। जिसके बाद पंजाब कांग्रेस में हलचल मच गई थी। पाकिस्तान को लेकर विवादों में रहे हैं सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू और पाकिस्तान के बीच विवाद मुख्य रूप से उनके बयानों और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ उनकी दोस्ती से जुड़ा है। सिद्धू कई बार पाकिस्तान जा चुके हैं, जिसमें करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह में उनकी मौजूदगी और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिलना शामिल है। इस घटना से भारत में काफी विवाद हुआ, खासकर भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसके लिए सिद्धू की आलोचना की। पाकिस्तान के प्रति सिद्धू की सकारात्मक टिप्पणियों को अक्सर भारतीय राजनीति में गलत समझा जाता रहा है। उनका कहना है कि उनका प्रयास भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना है, खासकर करतारपुर साहिब जैसे सिख समुदाय के धार्मिक स्थलों के लिए। लेकिन उनके विरोधियों का मानना है कि उनकी ऐसी हरकतें राष्ट्र की सुरक्षा और भारत-पाक संबंधों के संवेदनशील मुद्दों से समझौता कर सकती हैं। सिद्धू परिवार राजनीति से दूर
विधानसभा चुनाव 2022 हारने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू को अचानक जेल जाना पड़ा। 1988 के रोडरेज मामले में उन्हें एक साल की सजा सुनाई गई। 2023 में जेल से बाहर आने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू और उनके पूरे परिवार ने राजनीति से दूरी बना ली। लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में नाम होने के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहीं भी प्रचार नहीं किया। इतना ही नहीं, वे कांग्रेस की बैठकों से भी दूर रहे। नवजोत सिंह सिद्धू का सियासी सफर 2004 में राजनीति में कदम रखा
नवजोत सिंह सिद्धू ने 2004 में भाजपा के टिकट पर राजनीति में कदम रखा। उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट से टिकट मिला, और वे भारी मतों से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। संसद सदस्य के रूप में उन्होंने भाजपा के साथ अपनी पहचान मजबूत की और पंजाब में पार्टी के महत्वपूर्ण चेहरों में से एक बन गए। 2004-2014 तक लोकसभा सदस्य रहे
सिद्धू ने अमृतसर से सांसद रहते हुए कई बार चुनाव लड़े और जीते। उन्होंने 2004, 2009 और 2014 के चुनावों में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई। हालांकि, 2014 में भाजपा ने अमृतसर सीट पर अरुण जेटली को टिकट दिया, जिसके चलते सिद्धू ने यह चुनाव नहीं लड़ा और इससे उनकी पार्टी के साथ असहमति बढ़ने लगी। 2016 में राज्यसभा सदस्यता और भाजपा से इस्तीफा
2016 में भाजपा ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया, लेकिन पार्टी के साथ उनके मतभेद इतने बढ़ गए थे कि कुछ ही महीनों बाद उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और भाजपा से भी अलग हो गए। इस फैसले से उनके राजनीतिक करियर में एक बड़ा मोड़ आया। 2017 में कांग्रेस में शामिल हुए
भाजपा छोड़ने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें अमृतसर (पूर्व) विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद उन्हें पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों का कार्यभार संभाला। कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यकाल और मतभेद
कैबिनेट मंत्री के रूप में सिद्धू ने पर्यटन और संस्कृति के क्षेत्र में काम किया, लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनके मतभेद सामने आने लगे। इन मतभेदों के चलते उन्हें 2019 में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद भी वे कांग्रेस पार्टी में सक्रिय रहे, लेकिन उनकी भूमिका को लेकर विवाद जारी रहा। 2021 में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बने
2021 में, कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में पार्टी को मजबूत करने के लिए सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया। लेकिन सिद्धू और तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच तनातनी बढ़ने से अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद पार्टी के भीतर घमासान मच गया। हार के बाद सिद्धू का प्रभाव पार्टी में कम
2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी और आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद सिद्धू का प्रभाव पार्टी में कम हो गया। 2022 में नवजोत सिंह सिद्धू को रोडरेज केस में 1 साल के लिए जेल में जाना पड़ा। 1 साल जेल में रहने के बाद 2023 में उनकी रिहाई हुई, लेकिन राजनीति में वे सक्रिय नहीं हुए। इसी दौरान उनकी पत्नी का कैंसर का ट्रीटमेंट भी चला। लोकसभा चुनावों में भी नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के हक में प्रचार नहीं किया। सामान्य जीवन में वापस लौट रही डॉ. नवजोत कौर
कैंसर का इलाज करवाने के बाद डॉ. नवजोत कौर अब स्वस्थ हैं और धीरे-धीरे सामान्य जीवन में वापस लौट रही हैं। नवजोत सिंह सिद्धू के बीते साल जेल से बाहर आने से पहले ही उन्होंने अपना इलाज शुरू करवा दिया था। कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा उनके साथ रहे। बीते दिनों नवजोत सिंह सिद्धू के जन्मदिन पर डल्हौजी में पूरे परिवार ने एक साथ समय बताया था। जहां नवजोत कौर ने साइकलिंग करते व डांस करते की तस्वीरों को सांझा किया था। सिद्धू परिवार के कांग्रेस से रिश्ते क्यों खराब हुए?
नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू का कांग्रेस के साथ रिश्ता हाल के वर्षों में कमजोर होता गया है। इसकी मुख्य वजह कांग्रेस के अंदर सिद्धू परिवार के साथ हुए मतभेद और अंदरूनी राजनीति बताई जा रही है। 1. अमरिंदर सिंह के साथ मतभेद
नवजोत सिंह सिद्धू ने 2017 में कांग्रेस जॉइन करने के बाद अमरिंदर सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करना शुरू किया, लेकिन जल्द ही उनके और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच मतभेद पैदा हो गए। सिद्धू ने कई मुद्दों पर अपनी असहमति व्यक्त की, खासकर भ्रष्टाचार और अन्य प्रशासनिक मामलों पर। उनके और कैप्टन के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि 2019 में सिद्धू को लोकल बॉडी मिनिस्टर के पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद उन्हें बिजली विभाग दिया गया, लेकिन नवजोत सिद्धू ने वे विभाग लेने से मना कर दिया। इन मतभेदों के कारण सिद्धू परिवार और कांग्रेस में दूरियां बढ़ने लगीं। 2. पार्टी नेतृत्व और कार्यशैली पर असहमति
पंजाब कांग्रेस में सिद्धू की कार्यशैली और उनके मुखर रवैये से कई वरिष्ठ नेताओं को आपत्ति रही। सिद्धू का यह मानना था कि पार्टी में उन्हें और उनके सुझावों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। उन्होंने कई बार खुलकर नेतृत्व की आलोचना भी की, जो पार्टी के कुछ सदस्यों को नागवार गुजरी। इसके चलते कांग्रेस के अंदर उनकी स्थिति कमजोर होती गई। 3. पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद की समस्याएं
2021 में सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, ताकि पार्टी में एक नया जोश आए। लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी में एकता की बजाय अंतर्कलह बढ़ गई। सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच भी कई मुद्दों पर मतभेद सामने आए, जिससे पार्टी के अंदर अस्थिरता बनी रही। इस स्थिति से कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं में असंतोष फैला, जिससे सिद्धू का कांग्रेस में ग्राफ गिरने लगा। 4. 2022 का विधानसभा चुनाव और कांग्रेस की हार
2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार ने सिद्धू की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए। आम आदमी पार्टी की जीत के बाद कांग्रेस के अंदर हार का ठीकरा सिद्धू के सिर पर भी फूटा। चुनाव के बाद से कांग्रेस ने पंजाब में नए सिरे से रणनीति बनानी शुरू कर दी, जिसमें सिद्धू को कोई बड़ी भूमिका नहीं मिली। इस हार के बाद सिद्धू और कांग्रेस के बीच रिश्ते और कमजोर हो गए।
लुधियाना में जागो समारोह के दौरान गोलीबारी:आपसी विवाद के बाद 2 पक्षों में झड़प, 1 युवक के हाथ में गोली लगी, मची भगदड़
लुधियाना में जागो समारोह के दौरान गोलीबारी:आपसी विवाद के बाद 2 पक्षों में झड़प, 1 युवक के हाथ में गोली लगी, मची भगदड़ लुधियाना की ईश्वर कॉलोनी में जागो समारोह के दौरान दो पक्षों में विवाद हो गया। विवाद के बाद एक पक्ष के युवकों ने दूसरे पक्ष पर फायरिंग कर दी। हमले में एक युवक घायल हो गया। उसे तुरंत सिविल अस्पताल लाया गया, जहां उसके हाथ में गोली लगने के कारण उसे भर्ती कर लिया गया। घायल युवक की पहचान गुरु अंगद कॉलोनी निवासी 26 वर्षीय बलविंदर सिंह के रूप में हुई। अस्पताल में उपचाराधीन बलविंदर सिंह ने बताया कि वह कारपेंटर का काम करता है। वह अपने एक गरीब दोस्त के घर जागो समारोह में शामिल होने गया था, जहां समारोह में आए दो अन्य युवकों से किसी बात को लेकर उसकी कहासुनी हो गई। समारोह के बाद भगदड़ विवाद के बाद एक युवक ने उस पर गोली चला दी। हमले में बलविंदर सिंह गंभीर रूप से घायल होकर गिर पड़ा। फायरिंग के बाद समारोह में भगदड़ मच गई। घायल युवक को समारोह में आए लोगों ने तुरंत सिविल अस्पताल पहुंचाया। वहां उसे भर्ती कराया गया और सदर थाने की पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
पंजाब के खालिस्तान समर्थक सांसद की जीत को चुनौती:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में आज होगी सुनवाई, जानकारी छुपाने का आरोप
पंजाब के खालिस्तान समर्थक सांसद की जीत को चुनौती:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में आज होगी सुनवाई, जानकारी छुपाने का आरोप पंजाब के खडूर साहिब के सांसद व खालिस्तान समर्थक अमृतपाल समर्थक की सांसदी को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले की आज मंगलवार उच्च अदालत में सुनवाई होगी। खडूर साहिब से आजाद चुनाव लड़े विक्रमजीत सिंह की तरफ यह याचिका दायर की गई है। उन्होंने याचिका में अमृतपाल सिंह जानकारी छुपाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। पांच चीजों को याचिका में दी है चुनौती विक्रमजीत ने मामले में निर्वाचन आयोग, पंजाब निर्वाचन आयोग के खर्च अधिकारी, पंजाब के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर व खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर को पार्टी बनाया है। उन्होंने अपनी याचिका में बताया है उन्होंने अपना नॉमिनेशन पेपर अधूरा है। फंड, डोनेशन, खर्च की जानकारी छुपाई गई है। धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए किया गया है। बिना मंजूरी से चुनाव प्रचार सामग्री छपवाई गई। चुनाव आयोग की अनुमति लिए बिना सोशल मीडिया पर प्रमोशन की गई। जेल से लड़ा चुनाव, खुद नहीं किया प्रचार अमृतपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव जेल के अंदर से ही लड़ा। वह अपने एरिया में चुनाव प्रचार करने तक भी नहीं आया, लेकिन इसके बाद भी उसने सबसे बड़ी जीत हासिल की है। उसके समर्थकों और परिवार के मेंबरों ने ही प्रचार की कमान संभाली। अमृतपाल ने कांग्रेस के उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा 1,97,120 वोटों से हराया।