हिमाचल के हमीरपुर जिले की बड़सर विधानसभा क्षेत्र के सलौणी कस्बे में दीपावली की रात एक दुकान में आग भड़क गई। इससे शारदा इलेक्ट्रॉनिक की दुकान में लाखों रुपए का सामान जलकर राख हो गया। स्थानीय प्रशासन नुकसान का आकलन कर रहा है। आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रात लगभग 10 बजे लोकल लोगों ने शारदा इलेक्ट्रॉनिक दुकान से आग की लपटें उठती देखीं। इसके बाद आग बुझाने के प्रयास जरूर किए गए, लेकिन तब तक आग काफी फैल चुकी थी और उस पर काबू नहीं पाया जा सका। दमकल वाहन पहुंचा, पर तब तक सामान जल चुका था आग की सूचना मिलते ही बिझड़ी से फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची। दमकल कर्मियों ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन दुकान के अंदर रखा सारा इलेक्ट्रॉनिक सामान पूरी तरह जल गया। हालांकि, फायर ब्रिगेड ने आग को साथ लगती दूसरी दुकानों तक फैलने से रोक दिया। सलौणी बाजार कमेटी के प्रधान संजय चौहान ने बताया कि वें रात 9:30 बजे तक बाजार में ही थे। इसके लगभग 25 मिनट बाद उन्हें आग लगने की सूचना मिली। जब तक लोग मौके पर पहुंचे, दुकान पूरी तरह जल चुकी थी। इस आगजनी में दुकान में रखा सारा सामान नष्ट हो गया है। पुलिस और प्रशासन आग लगने के कारणों की जांच कर रहे हैं। हिमाचल के हमीरपुर जिले की बड़सर विधानसभा क्षेत्र के सलौणी कस्बे में दीपावली की रात एक दुकान में आग भड़क गई। इससे शारदा इलेक्ट्रॉनिक की दुकान में लाखों रुपए का सामान जलकर राख हो गया। स्थानीय प्रशासन नुकसान का आकलन कर रहा है। आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रात लगभग 10 बजे लोकल लोगों ने शारदा इलेक्ट्रॉनिक दुकान से आग की लपटें उठती देखीं। इसके बाद आग बुझाने के प्रयास जरूर किए गए, लेकिन तब तक आग काफी फैल चुकी थी और उस पर काबू नहीं पाया जा सका। दमकल वाहन पहुंचा, पर तब तक सामान जल चुका था आग की सूचना मिलते ही बिझड़ी से फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची। दमकल कर्मियों ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन दुकान के अंदर रखा सारा इलेक्ट्रॉनिक सामान पूरी तरह जल गया। हालांकि, फायर ब्रिगेड ने आग को साथ लगती दूसरी दुकानों तक फैलने से रोक दिया। सलौणी बाजार कमेटी के प्रधान संजय चौहान ने बताया कि वें रात 9:30 बजे तक बाजार में ही थे। इसके लगभग 25 मिनट बाद उन्हें आग लगने की सूचना मिली। जब तक लोग मौके पर पहुंचे, दुकान पूरी तरह जल चुकी थी। इस आगजनी में दुकान में रखा सारा सामान नष्ट हो गया है। पुलिस और प्रशासन आग लगने के कारणों की जांच कर रहे हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल प्रदेश एक बार फिर भारी बारिश की मार झेल रहा है। शुक्रवार को कुल्लू जिले की मलाणा घाटी में…
शिमला में 10 कमरों का मकान जलकर राख:बेघर हुआ परिवार, पानी की किल्लत के चलते आग पर काबू नहीं पाया जा सका
शिमला में 10 कमरों का मकान जलकर राख:बेघर हुआ परिवार, पानी की किल्लत के चलते आग पर काबू नहीं पाया जा सका हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के चिड़गांव ब्लॉक के आंध्र गांव में रविवार को भीषण अग्निकांड हुआ। इस घटना में चमन लाल मिस्त्री का 10 कमरों का मकान पूरी तरह जलकर राख हो गया। गनीमत यह रही कि घटना में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार, घटना रविवार दोपहर करीब 2 बजे के आसपास हुई। जब आंध्रा गांव में चमन लाल नाम के व्यक्ति के घर अचानक आग लग गई और यह आग देखते ही देखते पूरे घर मे फैल गई। आग ने चंद मिनटों में ही पूरा मकान चपेट में ले लिया। बेघर हुआ पूरा परिवार आग लगने से मकान के लगभग 10 कमरे जलकर खाक हो गए। इस अग्निकांड के कारण मिस्त्री का परिवार बेघर हो गया है और उन्हें खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर होना पड़ा है। यह क्षेत्र सुखी धार वाला है यहां पानी की किल्लत रहती है और मकान लकड़ी का बना हुआ था जिसके कारण मकान में आग तेजी से फेल गई। पानी की कमी के कारण आग पर काबू नहीं पाया
परिजनों और ग्रामीणों ने आग बुझाने तुंरत कोशिश की, लेकिन पानी की कमी के कारण आग तेजी से फैली और उस पर काबू पाना मुश्किल हो गया। स्थानीय लोगों ने घटना की सूचना स्थानीय प्रशासन व अग्निशमन विभाग को दी। दमकल विभाग व स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंचा है । नुकसान का आकलन किया जा रहा है। फिलहाल आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। वहीं, अग्निशमन विभाग के अधिकारी सीताराम ने बताया कि करीब 2:21 पर चिड़गांव फायर स्टेशन पर घटना की जानकारी मिली। घटना की जानकारी मिलते ही तुरंत एक टीम मौके के लिए रवाना हुई। उन्होंने बताया कि आग पर काबू पा लिया है। इसमें एक मकान जलकर राख हो गया है। घटना में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है।
धर्मशाला में अधूरी स्ट्रीट लाइट पर 30 लाख खर्च:फिर भी नहीं जगमगा रही सड़कें, 24.92 करोड़ में दिया था 7000 स्ट्रीट लाइट का ठेका
धर्मशाला में अधूरी स्ट्रीट लाइट पर 30 लाख खर्च:फिर भी नहीं जगमगा रही सड़कें, 24.92 करोड़ में दिया था 7000 स्ट्रीट लाइट का ठेका आठ साल पहले देश की पहली स्मार्ट सिटी बनने का तमगा पाने वाली धर्मशाला आज भी अधूरी स्मार्ट सिटी परियोजनाओं और खराब रोशनी की समस्या से जूझ रही है। नगर निगम द्वारा अधूरी एलईडी स्ट्रीट लाइट परियोजना में करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बावजूद शहर की कई गलियां अभी भी अंधेरे में हैं। आरटीआई कार्यकर्ता कुलतार चंद गुलेरिया ने नगर निगम से प्राप्त जानकारी के आधार पर खुलासा किया कि एलईडी लाइट्स की मरम्मत पर करीब 30 लाख रुपए खर्च किए गए, जबकि इन लाइटों का इंस्टालेशन काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है। चार साल पहले एचपीएल इलेक्ट्रिकल एंड पावर लिमिटेड को 24.92 करोड़ रुपए की लागत से 7000 एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने का ठेका दिया गया था। इस योजना के तहत 17 वार्डों में नई लाइटें लगाई जानी थीं और 2280 पुरानी लाइटें बदलनी थीं। इनमें से कई लाइटें सेंसर से लैस ‘स्मार्ट लाइट्स’ भी थीं। लेकिन फिलहाल नगर के अधिकांश हिस्से अभी भी अंधेरे में हैं। तय समय पर पूरा नहीं किया गया कार्य नगर निगम की 14 जुलाई 2023 की बैठक में ठेकेदार को काम पूरा करने के लिए आखिरी मौका दिया गया था, लेकिन तय समय बीत जाने के बाद भी कार्य अधूरा है। स्मार्ट सिटी के जीएम इंजीनियर विशाल चौधरी ने स्वीकार किया कि बारिश के कारण लगभग 30 प्रतिशत लाइटें खराब हो गई हैं। उन्होंने बताया कि अभी केवल पांच वार्डों की लाइट क्वालिटी की जांच की गई है। वहीं ठेकेदार कंपनी के मैनेजर पारस ने कहा, “हमने इंस्टालेशन पूरा कर दिया था, लेकिन पिछले दो साल से नगर निगम ने मेंटिनेंस कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया। अब कंपनी रिपेयर नहीं करेगी।” स्थानीय लोगों ने इस मामले को लेकर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि जहां लाइटें अभी तक नहीं लगी हैं, वहां मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च करना स्पष्ट वित्तीय अनियमितता है। आरटीआई कार्यकर्ता कुलतार गुलेरिया ने सवाल उठाया कि, जब काम अधूरा था तो मरम्मत का भुगतान किस आधार पर किया गया? यह सार्वजनिक धन की सीधी बर्बादी है। नगर निगम ने मेंटिनेंस कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया : पारस वहीं ठेकेदार कंपनी के मैनेजर पारस का कहना है कि हमने इंस्टालेशन पूरा कर दिया था, लेकिन पिछले दो साल से नगर निगम ने मेंटिनेंस कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया। अब कंपनी रिपेयर नहीं करेगी।”स्थानीय लोगों में इस पूरे मामले को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि जहां लाइटें लगी ही नहीं हैं, वहां मरम्मत पर लाखों खर्च करना स्पष्ट वित्तीय अनियमितता है। आरटीआई कार्यकर्ता कुलतार गुलेरिया ने सवाल उठाया- जब काम अधूरा था तो मरम्मत का भुगतान किस आधार पर हुआ? यह सार्वजनिक धन की सीधी बर्बादी है।
