लखनऊ और कानपुर के बीच बन रहा 63 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे अब अपने आखिरी चरण में है। यह एक्सप्रेस-वे न सिर्फ़ देश का सबसे छोटा, बल्कि सबसे महंगा एक्सप्रेस-वे भी माना जा रहा है। इस पर सरकार करीब 4700 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
इस प्रोजेक्ट को जून 2025 में शुरू करने की योजना थी, लेकिन बीच में एक बिजली के हाईटेंशन तार के चलते इसका काम करीब 6 महीने तक रुका रहा। अब उस तार की टेस्टिंग और तैयारी पूरी हो चुकी है और काम फिर से तेज़ी से चल रहा है। इंजीनियरों का कहना है कि अगले डेढ़ से दो महीने में बचा हुआ हिस्सा पूरा हो जाएगा, जिसके बाद एक्सप्रेस-वे शुरू करने की तैयारी की जा सकेगी।
लोगों को क्या फायदा मिलेगा?
इस समय लखनऊ से कानपुर जाने में 2 से 3 घंटे तक लग जाते हैं। कई बार जाम के कारण इससे भी ज्यादा समय लग जाता है।
एक्सप्रेस-वे के चालू होने के बाद यह समय 1 से डेढ़ घंटे तक कम हो जाएगा।
यानी लोग ज्यादा तेज़, सुरक्षित और आरामदायक सफर कर पाएंगे।
कहां से कहां तक बनेगा एक्सप्रेस-वे?
- इसकी शुरुआत लखनऊ एयरपोर्ट (अमौसी) के पास से होगी।
- यह लखनऊ के 11 गांवों से होकर गुजरेगा।
- इसके बाद यह उन्नाव ज़िले के 31 गांवों के बीच से निकलता हुआ
- उन्नाव के आज़ाद चौराहा के पास खत्म होगा।
- यहां से आगे कानपुर जाने के लिए गंगा पुल पार करना होगा।
जहां पहले से सड़क थी, वहां एक्सप्रेस-वे को ऊपर एलिवेटेड बनाया गया है।
बाकी 45 किलोमीटर हिस्सा ग्रीनफील्ड है, यानी वहां पहले कोई सड़क नहीं थी।
कितना काम हुआ और कितना बाकी?
- अब तक 90% काम पूरा हो चुका है।
- एक्सप्रेस-वे पर
- 3 बड़े पुल
- 28 छोटे पुल
- 38 अंडरपास
- 6 फ्लाईओवर बन चुके हैं।
सबसे बड़ा अड़चन स्कूटर इंडिया चौराहे के पास थी, जहां हाईटेंशन तार के लिए मोनोपोल (खास बिजली का खंभा) लगना था।
पहले लगाए गए मोनोपोल की टेस्टिंग फेल हो गई थी, इसलिए उसे दोबारा बनाना पड़ा।
इससे काम 6 महीने तक अटका रहा।
अब नया मोनोपोल तैयार है और साइट पर लाया जा रहा है।
इंजीनियर मोहन अवस्थी के अनुसार—
\\\\\\\”जैसे ही मोनोपोल लग जाएगा, उस हिस्से का काम तेजी से पूरा हो जाएगा। बाकी की संरचना पहले से तैयार है।\\\\\\\”
कुछ को राहत… कुछ को नुकसान
जहां आम लोगों को ट्रैवल टाइम कम होने से फायदा मिलेगा, वहीं सड़क किनारे दुकानों का व्यापार प्रभावित हुआ है।
बनी क्षेत्र के दुकानदार मोहम्मद अशफाक बताते हैं—
\\\\\\\”हमारी दुकान हाईवे किनारे थी, लेकिन एक्सप्रेस-वे के कारण दुकान टूट गई। अब ऊपर से ट्रैफिक जाएगा, नीचे बहुत कम वाहन चलेंगे। इससे व्यापार कम हो जाएगा।\\\\\\\”
वहीं एक यात्री सोनू प्रताप कहते हैं—
\\\\\\\”जहां भी एक्सप्रेस-वे इस्तेमाल किया है, सफर आसान हुआ है। ये भी बनेगा तो कानपुर-लखनऊ आना-जाना झट से हो जाएगा।\\\\\\\”
सबसे महंगा क्यों पड़ा यह एक्सप्रेस-वे?
- यह राजधानी लखनऊ से गुजरता है, इसलिए जमीन महंगी थी।
- मुआवजा ज़्यादा देना पड़ा।
- इसमें फ्लाईओवर, पुल और अंडरपास की संख्या भी अधिक है।
गंगा एक्सप्रेस-वे की प्रति किलोमीटर लागत करीब 63 करोड़ रुपए है, जबकि
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे की लागत 75 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर आ रही है।
इसीलिए इसे देश में प्रति किलोमीटर निर्माण लागत के हिसाब से सबसे महंगा एक्सप्रेस-वे बताया जा रहा है।
कब चालू होगा एक्सप्रेस-वे?
अगर बाकी का निर्माण तय समय पर पूरा हुआ—
तो इसे जनवरी 2026 के आसपास चालू किया जा सकता है।
हालांकि, सरकारी स्तर पर इसकी आधिकारिक तारीख अभी घोषित नहीं की गई है।
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे बनने से दो बड़े शहरों के बीच सफर आसान, तेज और आरामदायक होगा।
लोगों को जाम से राहत मिलेगी।
हालांकि, जिनकी दुकानें हाईवे किनारे थीं, उनके लिए यह बदलाव चुनौती लेकर आया है।
लेकिन भविष्य में यह एक्सप्रेस-वे यूपी की राजधानी और औद्योगिक शहर के बीच तेज़ कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।




