हरियाणा में BJP सरकार के अल्पमत होने को लेकर कांग्रेस अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से इस्तीफे की मांग करेगी। चंडीगढ़ में बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। सांसदों ने मीटिंग में सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त का अंदेशा जताया। रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने खुलकर कहा कि सरकार के पास विधानसभा में संख्या बल नहीं है। संख्या बल नहीं होने के चलते नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। इस मामले में राज्यपाल को संज्ञान लेना चाहिए, प्रदेश में विधायकों की खरीद फरोख्त हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की भी चर्चाएं हैं कि बीजेपी अल्पमत से बचने के लिए 1-2 विधायकों के इस्तीफे भी करवा सकती है। राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर चुनाव करवाने चाहिए। आखिर कांग्रेस क्यों कर रही है अल्पमत का दावा हरियाणा के CM नायब सैनी के करनाल विधानसभा का उप चुनाव जीतने के बाद भी BJP के पास सदन में बहुमत कम होने का कांग्रेस दावा कर रही है। हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत का साथ होने के बाद भी संयुक्त विपक्ष के सामने भाजपा बहुमत के आंकड़े से 1 नंबर दूर है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा दावा कर रहे हैं कि सरकार अल्पमत में है, इसलिए विधानसभा भंग होनी चाहिए। इधर, सदन में कांग्रेस-जजपा और INLD यदि साथ आ गए तो सैनी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला भी राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सरकार से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर चुके हैं। हरियाणा में ऐसे हालात बनने की ये हैं बड़ी वजहें.. भाजपा-जजपा गठबंधन टूटा, सीएम चेहरा बदला हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की अगुआई में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार चल रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर जजपा और भाजपा ने गठबंधन तोड़ दिया। इसके बाद जजपा 10 विधायकों के साथ सरकार से अलग हो गई। भाजपा के पास 41 विधायक थे, उन्होंने 5 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक को साथ लेकर सरकार बना ली। खट्टर को सीएम कुर्सी छोड़नी पड़ी। नायब सैनी सीएम बन गए। 3 निर्दलीय विधायकों ने साथ छोड़ा लोकसभा चुनाव के बीच भाजपा सरकार को झटका लगा। सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, सोमवीर सांगवान और धर्मवीर गोंदर ने कांग्रेस के साथ चले गए। उन्होंने सीएम नायब सैनी की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद भाजपा सरकार के पास भाजपा के 40, हलोपा का एक और 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन बचा। एक निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का मतदान के दिन निधन हो गया। हरियाणा विधानसभा में बदली स्थिति लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा के नंबरों में और बदलाव हो चुका है। 90 विधायकों वाली विधानसभा में अब 87 विधायक ही बचे हैं। सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन से और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह स्थिति बनी है। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है। भाजपा के पास 43, विपक्ष संयुक्त हुआ तो उनके 44 विधायक मौजूदा स्थिति की बात करें तो भाजपा के पास 41 विधायक हैं। इसके अलावा उन्हें हलोपा विधायक गोपाल कांडा और एक निर्दलीय नयनपाल रावत का समर्थन प्राप्त है। भाजपा के पास 43 विधायक हैं। वहीं विपक्ष में भाजपा से एक ज्यादा यानी 44 विधायक हैं। इनमें कांग्रेस के 29, जजपा के 10, निर्दलीय 4 और एक इनेलो विधायक शामिल हैं। अगर ये सब एक साथ आ जाते हैं तो फिर सरकार अल्पमत में आ सकती है। हरियाणा में BJP सरकार और एकजुट विपक्ष का गणित समझें… क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है? 1. फिलहाल ऐसा नहीं है। सीएम नायब सैनी की सरकार ने ढ़ाई महीने पहले ही 13 मार्च को बहुमत साबित किया। जिसके बाद 6 महीने तक फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इतना समय बीतने के बाद अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर ऐसी मांग की जरूरत नहीं रहेगी। 2. इसके साथ ही जजपा ने अपने 2 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के यहां याचिका दायर की हुई है। अगर JJP के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर सरकार के पक्ष में 43 और विपक्षी विधायकों की संख्या गिरकर 42 हो जाएगी, जिससे सरकार फिर बहुमत में ही रहेगी। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भाजपा से विधायक हैं। फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो BJP सरकार कैसे बचाएगी? BJP के सूत्रों के मुताबिक सरकार को किसी कीमत पर गिरने की स्थिति तक नहीं पहुंचने दिया जाएगा। अगर फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो जजपा के 2 विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग इस्तीफा दे सकते हैं। इन दोनों ने बागी होकर लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ दिया था। ऐसी सूरत में विपक्ष के एकजुट होने पर भी उनके पास भाजपा के 43 के मुकाबले 42 ही विधायक रह जाएंगे। हरियाणा में BJP सरकार के अल्पमत होने को लेकर कांग्रेस अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से इस्तीफे की मांग करेगी। चंडीगढ़ में बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। सांसदों ने मीटिंग में सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त का अंदेशा जताया। रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने खुलकर कहा कि सरकार के पास विधानसभा में संख्या बल नहीं है। संख्या बल नहीं होने के चलते नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। इस मामले में राज्यपाल को संज्ञान लेना चाहिए, प्रदेश में विधायकों की खरीद फरोख्त हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की भी चर्चाएं हैं कि बीजेपी अल्पमत से बचने के लिए 1-2 विधायकों के इस्तीफे भी करवा सकती है। राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर चुनाव करवाने चाहिए। आखिर कांग्रेस क्यों कर रही है अल्पमत का दावा हरियाणा के CM नायब सैनी के करनाल विधानसभा का उप चुनाव जीतने के बाद भी BJP के पास सदन में बहुमत कम होने का कांग्रेस दावा कर रही है। हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत का साथ होने के बाद भी संयुक्त विपक्ष के सामने भाजपा बहुमत के आंकड़े से 1 नंबर दूर है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा दावा कर रहे हैं कि सरकार अल्पमत में है, इसलिए विधानसभा भंग होनी चाहिए। इधर, सदन में कांग्रेस-जजपा और INLD यदि साथ आ गए तो सैनी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला भी राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सरकार से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर चुके हैं। हरियाणा में ऐसे हालात बनने की ये हैं बड़ी वजहें.. भाजपा-जजपा गठबंधन टूटा, सीएम चेहरा बदला हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की अगुआई में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार चल रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर जजपा और भाजपा ने गठबंधन तोड़ दिया। इसके बाद जजपा 10 विधायकों के साथ सरकार से अलग हो गई। भाजपा के पास 41 विधायक थे, उन्होंने 5 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक को साथ लेकर सरकार बना ली। खट्टर को सीएम कुर्सी छोड़नी पड़ी। नायब सैनी सीएम बन गए। 3 निर्दलीय विधायकों ने साथ छोड़ा लोकसभा चुनाव के बीच भाजपा सरकार को झटका लगा। सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, सोमवीर सांगवान और धर्मवीर गोंदर ने कांग्रेस के साथ चले गए। उन्होंने सीएम नायब सैनी की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद भाजपा सरकार के पास भाजपा के 40, हलोपा का एक और 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन बचा। एक निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का मतदान के दिन निधन हो गया। हरियाणा विधानसभा में बदली स्थिति लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा के नंबरों में और बदलाव हो चुका है। 90 विधायकों वाली विधानसभा में अब 87 विधायक ही बचे हैं। सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन से और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह स्थिति बनी है। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है। भाजपा के पास 43, विपक्ष संयुक्त हुआ तो उनके 44 विधायक मौजूदा स्थिति की बात करें तो भाजपा के पास 41 विधायक हैं। इसके अलावा उन्हें हलोपा विधायक गोपाल कांडा और एक निर्दलीय नयनपाल रावत का समर्थन प्राप्त है। भाजपा के पास 43 विधायक हैं। वहीं विपक्ष में भाजपा से एक ज्यादा यानी 44 विधायक हैं। इनमें कांग्रेस के 29, जजपा के 10, निर्दलीय 4 और एक इनेलो विधायक शामिल हैं। अगर ये सब एक साथ आ जाते हैं तो फिर सरकार अल्पमत में आ सकती है। हरियाणा में BJP सरकार और एकजुट विपक्ष का गणित समझें… क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है? 1. फिलहाल ऐसा नहीं है। सीएम नायब सैनी की सरकार ने ढ़ाई महीने पहले ही 13 मार्च को बहुमत साबित किया। जिसके बाद 6 महीने तक फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इतना समय बीतने के बाद अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर ऐसी मांग की जरूरत नहीं रहेगी। 2. इसके साथ ही जजपा ने अपने 2 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के यहां याचिका दायर की हुई है। अगर JJP के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर सरकार के पक्ष में 43 और विपक्षी विधायकों की संख्या गिरकर 42 हो जाएगी, जिससे सरकार फिर बहुमत में ही रहेगी। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भाजपा से विधायक हैं। फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो BJP सरकार कैसे बचाएगी? BJP के सूत्रों के मुताबिक सरकार को किसी कीमत पर गिरने की स्थिति तक नहीं पहुंचने दिया जाएगा। अगर फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो जजपा के 2 विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग इस्तीफा दे सकते हैं। इन दोनों ने बागी होकर लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ दिया था। ऐसी सूरत में विपक्ष के एकजुट होने पर भी उनके पास भाजपा के 43 के मुकाबले 42 ही विधायक रह जाएंगे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
हरियाणा में AAP की एंट्री से कांग्रेस चिंतित:इंडिया ब्लॉक से अलग होने के बाद खूब हुई रैलियां, वोटों का ध्रुवीकरण बिगाड़ सकता है खेल
हरियाणा में AAP की एंट्री से कांग्रेस चिंतित:इंडिया ब्लॉक से अलग होने के बाद खूब हुई रैलियां, वोटों का ध्रुवीकरण बिगाड़ सकता है खेल हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने इंडिया ब्लॉक से खुद को अलग कर लिया है। कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद आप ने प्रदेश की सभी 90 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। आप के सभी नेता पूरे प्रदेश में रैलियां कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री और सांसद संजय सिंह तक, सभी जनसभाएं कर केजरीवाल की गारंटियां गिना रहे हैं। ऐसे में आप के आने से किसे नुकसान होगा और किसे फायदा? यह सबसे बड़ा सवाल है। राजनेताओं की मानें तो भले ही कांग्रेस ने सभी 90 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया हो, लेकिन आप के आने से कांग्रेस को नुकसान होने की संभावना ज्यादा है। अगर चुनाव के दौरान वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो खेल भी बिगड़ सकता है। क्योंकि आप ने प्रदेश के कई जिलों में अपनी पकड़ पहले ही बना ली है। इनमें पंजाब की सीमा से सटे जिलों अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा और फतेहाबाद में आप ने अपना संगठन मजबूत करने की पूरी कोशिश की है। इसके अलावा शहरी क्षेत्र के कई अन्य इलाकों में भी आप का संगठन खड़ा हो चुका है। कांग्रेस के लिए चुनौती आप राजनीतिक जानकार बताते हैं कि आम आदमी पार्टी का हरियाणा में उभरना सीधे तौर पर कांग्रेस के वोट बैंक पर असर डालेगा। खासकर शहरी और युवा वोटर्स को आप अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है। शहरी युवा भ्रष्टाचार और सुशासन के मुद्दे पर आप की नीतियों की तरफ आकर्षित हो सकते हैं। जिससे भाजपा को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल सकता है। क्योंकि विपक्ष के वोट का बिखराव भाजपा की जीत की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। ये समीकरण दोनों पार्टियों के अलग राह चुनने के बाद बनते दिख रहे हैं। गठबंधन के बाद कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा इस बार लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इंडिया ब्लॉक के तहत मिलकर चुनाव लड़ा तो आप को 1 सीट मिली जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कुरुक्षेत्र से चुनाव हार गए, लेकिन कांग्रेस पांच लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही। 2019 में भाजपा का वोट शेयर 58.20% था। लोकसभा चुनाव के बाद अब यह घटकर 46.30% रह गया है। जबकि 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर 28.50% था, जो अब बढ़कर 43.80% हो गया है। आप ने पिछले लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार उसने सिर्फ एक सीट पर उम्मीदवार उतारा। इसके बावजूद उसका वोट शेयर 0.36% से बढ़कर 3.94% हो गया। यानी गठबंधन में आप का वोट शेयर बढ़ा है। चुनाव में अभी 3 महीने से ज्यादा का समय बाकी है। ऐसे में आप की कोशिश वोट शेयर बढ़ाने के साथ-साथ कुछ सीटें जीतने की भी है। अगर विधानसभा चुनाव में आप का वोट शेयर बढ़ता है तो इसका सीधा असर कांग्रेस पर पड़ेगा। वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस के लिए नुकसान, भाजपा को फायदे हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 44 सीटों पर सबसे ज्यादा वोट हासिल किए हैं। इस लिहाज से कांग्रेस भाजपा के काफी करीब है। कांग्रेस ने 42 सीटों पर बढ़त भी बना ली है। जबकि आप 4 सीटों पर आगे है। इनेलो और जेजेपी किसी भी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त नहीं बना पाई। राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वालों का मानना है कि अगर आप और कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ते तो भाजपा को नुकसान होता। लेकिन अब दोनों ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में भाजपा को बड़े नुकसान से राहत मिल सकती है। चूंकि हरियाणा में भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा के रणनीतिकारों को भी लगता है कि इस नुकसान की भरपाई विपक्षी दलों के बीच वोटों के बंटवारे से ही हो सकती है। क्योंकि हरियाणा की आबादी में सबसे अहम जाट और एससी वोटर पहले ही लोकसभा चुनाव में उनके लिए खतरे की घंटी बजा चुके हैं।
रेवाड़ी में राजस्थान का क्रिमिनल गिरफ्तार:देशी कट्टा लेकर आया था वारदात को अंजाम देने; पुलिस ने एक दिन के रिमांड पर लिया
रेवाड़ी में राजस्थान का क्रिमिनल गिरफ्तार:देशी कट्टा लेकर आया था वारदात को अंजाम देने; पुलिस ने एक दिन के रिमांड पर लिया हरियाणा के रेवाड़ी शहर में जगन गेट चौकी पुलिस ने राजस्थान के एक क्रिमिनल को देशी कट्टे के साथ गिरफ्तार किया है। बदमाश शहर में किसी वारदात को अंजाम देने के लिए पहुंचा था। उसके कब्जे से देशी कट्टे के अलावा जिंदा कारतूस भी बरामद किए हैं। पुलिस प्रवक्ता के अनुसार, पकड़े गए बदमाश की पहचान राजस्थान के जिला खैरथल के गांव भगाना निवासी दीपक उर्फ मुला उर्फ केडी के रूप में हुई है। उसे कोर्ट में पेश करने के बाद एक दिन के रिमांड पर भी लिया गया है। पुलिस को सूचना मिली थी कि दीपक उर्फ मुला उर्फ केडी दिल्ली रोड स्थित मार्स अस्पताल के पास किसी के इंतजार में खड़ा हुआ है। पुलिस को देख भागने की कोशिश सूचना पर तुरंत रेडिंग पार्टी तैयार कर मौके पर रेड की गई। पुलिस टीम जब मौके पर पहुंची तो आरोपी ने भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उसे दबोच लिया। पूछताछ की तो उसने अपना नाम दीपक उर्फ मुला उर्फ केडी बताया। पुलिस ने तलाशी ली तो उसके कब्जे से एक देशी कट्टा व एक जिंदा कारतूस मिला। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ थाना शहर में आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है।
चरखी दादरी में पुलिस अधीक्षक बोली- हथियार जमा कराए:चुनाव आयोग के निर्देश; लाइसेंस हथियार थाने में दो
चरखी दादरी में पुलिस अधीक्षक बोली- हथियार जमा कराए:चुनाव आयोग के निर्देश; लाइसेंस हथियार थाने में दो चरखी दादरी में पुलिस अधीक्षक पूजा वशिष्ठ ने चुनाव के मद्देनजर धारकों को निर्देश दिये है कि चुनाव को शांतिपूर्वक, निष्पक्ष और भय मुक्त वातावरण में संपन्न करवाने के लिए लाइसेंस धारक को अपना हथियार बिना किसी देरी के अपने नजदीकी थाना या गन हाउस में जमा कराएं। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार हरियाणा में विधानसभा चुनाव 1 अक्टूबर को होने हैं। इसी दौरान चुनाव आयोग की तरफ से आदर्श आचार संहिता लगाई गई है, जिसका पालन करते हुए पुलिस अधीक्षक पूजा वशिष्ठ ने चुनाव के मद्देनजर जिला चरखी दादरी के असला धारकों को निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक ने सभी थाना और चौकी प्रभारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि आपके क्षेत्र में जिन-जिन लोगों के पास लाइसेंस हथियार है, उन सभी के हथियारों को चुनाव से पहले संबंधित पुलिस थाने या गन हाउस में जमा करने होंगे। इसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति गन हाउस में भी अपने हथियार जमा करवा सकता है। हथियार जमा करवाने की रसीद को संबधित थाने में दिखाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान किसी के पास भी कोई हथियार नहीं होना चाहिए। जो लोग अपने लाइसेंस शस्त्र जमा नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।