वाराणसी में अपने फिल्म के शूटिंग के लिए पहुंचे अभिनेता राजकुमार राव ने पत्नी अभिनेत्री पत्रलेखा के साथ में बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया। मंदिर की भव्यता को देखकर दोनों मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने भगवान विश्वनाथ मंदिर में विधिवत दर्शन पूजन किया। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने राजकुमार के साथ सेल्फी भी ली। राजकुमार और पत्रलेखा ने भी लोगों के साथ हर-हर महादेव का जयघोष लगाया। फिल्म की शूटिंग के लिए लोकेशन पहुंचे थे काशी सेलिब्रिटी को दर्शन कराने वाले पुजारी सचिन पाण्डेय ने कहा कि गर्भगृह में दोनों पति-पत्नी को दर्शन कराया गया। उन्होंने पूरी विश्वनाथ धाम का भ्रमण किया। उन्होंने मंदिर की भव्यता और दिव्यता को देखकर काफी खुशी जताई। वहीं मंदिर के अर्चकों ने उन्हें अंगवस्त्र और बाबा को चढ़ा हुआ माला फूल प्रसाद स्वरूप भेंट किया। मंदिर प्रांगण में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ राजकुमार के हाथ में कलावा बांधा। पुजारी सचिन ने बताया वाराणसी में अभिनेता राजकुमार के एक फिल्म की शूटिंग होने वाली है। उसी का लोकेशन देखने के लिए वह वाराणसी पहुंचे हुए हैं। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद अभिनेता राजकुमार ने कहा कि काशी में आने के बाद मन को बहुत शांति मिलती है। उन्होंने कहा कि पिछली बार हम अपने फिल्म के प्रमोशन के लिए काशी पहुंचे थे, तो मां गंगा की आरती देखी थी। आज अपने एक फिल्म की शुरुआत के पहले हमने बाबा के धाम में दर्शन किया, मन काफी प्रसन्न हैं। हमने अपने पत्नी के साथ बाबा का दर्शन किया हैं। वाराणसी में अपने फिल्म के शूटिंग के लिए पहुंचे अभिनेता राजकुमार राव ने पत्नी अभिनेत्री पत्रलेखा के साथ में बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया। मंदिर की भव्यता को देखकर दोनों मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने भगवान विश्वनाथ मंदिर में विधिवत दर्शन पूजन किया। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने राजकुमार के साथ सेल्फी भी ली। राजकुमार और पत्रलेखा ने भी लोगों के साथ हर-हर महादेव का जयघोष लगाया। फिल्म की शूटिंग के लिए लोकेशन पहुंचे थे काशी सेलिब्रिटी को दर्शन कराने वाले पुजारी सचिन पाण्डेय ने कहा कि गर्भगृह में दोनों पति-पत्नी को दर्शन कराया गया। उन्होंने पूरी विश्वनाथ धाम का भ्रमण किया। उन्होंने मंदिर की भव्यता और दिव्यता को देखकर काफी खुशी जताई। वहीं मंदिर के अर्चकों ने उन्हें अंगवस्त्र और बाबा को चढ़ा हुआ माला फूल प्रसाद स्वरूप भेंट किया। मंदिर प्रांगण में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ राजकुमार के हाथ में कलावा बांधा। पुजारी सचिन ने बताया वाराणसी में अभिनेता राजकुमार के एक फिल्म की शूटिंग होने वाली है। उसी का लोकेशन देखने के लिए वह वाराणसी पहुंचे हुए हैं। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद अभिनेता राजकुमार ने कहा कि काशी में आने के बाद मन को बहुत शांति मिलती है। उन्होंने कहा कि पिछली बार हम अपने फिल्म के प्रमोशन के लिए काशी पहुंचे थे, तो मां गंगा की आरती देखी थी। आज अपने एक फिल्म की शुरुआत के पहले हमने बाबा के धाम में दर्शन किया, मन काफी प्रसन्न हैं। हमने अपने पत्नी के साथ बाबा का दर्शन किया हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Kerala Lottery 01.06.2024 Karunya KR-656 Result LIVE: Results announced at 3pm Kerala Lottery 01.06.2024 Karunya KR-656 Result Today at statelottery.kerala.gov.in Live Updates: The first prize for Karunya KR-656 has a reward of Rs 80 lakh. The second prize for the lottery is Rs 5 lakh. The third prize carries a reward of Rs 1 lakh. A panel of judges watches the entire lottery draw process to ensure fairness and transparency.
हरियाणा चुनाव में बेटे की हार से पिता का निधन:मतगणना के बाद बिगड़ी थी तबीयत; बेटा बोला- जीत जाता तो शायद पापा ठीक हो जाते
हरियाणा चुनाव में बेटे की हार से पिता का निधन:मतगणना के बाद बिगड़ी थी तबीयत; बेटा बोला- जीत जाता तो शायद पापा ठीक हो जाते हरियाणा बसपा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पानीपत राजपूत सभा के अध्यक्ष नरेंद्र राणा का शनिवार को निधन हो गया। उनके बेटे गोपाल राणा ने बसपा-इनेलो की टिकट पर असंध विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। जिसमें वह हार गए थे। इसके बाद नरेंद्र राणा को चंडीगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान वह अपने बेटे गोपाल राणा के समर्थन में वोट की अपील करते नजर आए थे। उनकी हालत में थोड़ा सुधार हुआ था, लेकिन चुनाव के बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। बता दें कि नरेंद्र राणा कई महीनों से बीमार थे। चुनाव हारने के बाद गोपाल राणा ने सोशल मीडिया पर लिखा- अगर मैं चुनाव जीत जाता तो शायद आज मेरे पिता ठीक होते। उनका अंतिम संस्कार आज सुबह 9 बजे उनके पैतृक गांव ददलाना में किया जाएगा। उनके निधन पर राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ उनके चाहने वालों ने गहरा दुख जताया है। कांग्रेस नेता नैनपाल राणा ने परिवार को सांत्वना दी
नरेंद्र राणा के सबसे करीबी रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता नैनपाल राणा ने उनके निधन पर कहा कि नरेंद्र राणा के निधन से मुझे गहरा दुख पहुंचा है। नरेंद्र राणा बहुत मेहनती थे और समाज सेवा में हमेशा आगे रहते थे। नरेंद्र 2005 में ददलाना गांव के सरपंच बने थे। उनके कार्यकाल में गांव में स्टेडियम, सीएचसी, पशु अस्पताल, बिजली घर, वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सड़कें, गलियां और नालियां बनवाई गईं। वे 2009 में कांग्रेस में सक्रिय कार्यकर्ता थे। वे रिफाइनरी में ठेकेदार थे। उन्होंने रिफाइनरी में हजारों युवाओं को रोजगार भी दिलाया। 2019 में बसपा टिकट से लड़ा था चुनाव
नरेंद्र राणा कांग्रेस के बाद वह कुछ दिन हजका में रहे और 2019 में बसपा में शामिल होकर असंध से टिकट पर चुनाव लड़ा और 1703 वोटों से हार गए। वह हमेशा सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। नरेंद्र राणा मायावती के करीबी रहे हैं। उनके दो बेटे एडवोकेट गोपाल और इंजीनियर नीरज हैं। नरेंद्र की एक बेटी भी है, सभी बच्चों की शादी हो चुकी है। नरेंद्र पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। नरेंद्र राणा ने सभी 36 बिरादरियों को साथ लेकर काम किया। उन्होंने नेता के तौर पर नहीं बल्कि भाई और बेटे के तौर पर काम किया। गोपाल राणा ने 2 दिन पहले किया था पोस्ट
नरेंद्र राणा के बेटे गोपाल राणा ने 8 अक्टूबर को असंध विधानसभा चुनाव हारने के दो दिन बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने लिखा था कि आज चुनाव गोपाल राणा नहीं बल्कि बेटा हारा है। मैं अपने पिता के सपने के लिए लड़ रहा था। जनता ने आशीर्वाद दिया लेकिन मैं सरकारी सिस्टम से हार गया। गोपाल ने लिखा- जैसे ही पापा को हार की खबर मिली, उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। मैं सोच रहा था कि क्या पता मेरी जीत से पापा ठीक हो जाते, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, मैं सिस्टम का शिकार हो गया, मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि भविष्य में किसी के साथ अन्याय न हो। टिकट न मिलने के कारण ब्रेन हेमरेज हुआ
पलवल के पूर्व विधायक सुभाष चौधरी को टिकट न मिलने के कारण ब्रेन हेमरेज हो गया था। जिसके कारण 73 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। चुनाव से पहले एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा। अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। इसी बीच कांग्रेस ने करण दलाल को टिकट दे दिया। जिसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। सुभाष चौधरी की पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है। उनका एक बेटा अमरजीत और एक बेटी सविता है। दोनों की शादी हो चुकी है। बेटी पहले प्रिंसिपल थी, लेकिन शादी के बाद उसने नौकरी छोड़ दी। पलवल जिले की राजनीति में सुभाष चौधरी एक जाना-माना चेहरा थे। वह कई बार पार्षद रहे और नगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे। 1996 में उन्होंने पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह दूसरे नंबर पर रहे।
हरियाणा में इनेलो से छिन सकता है सिंबल:वोट शेयर समेत 5 में से एक भी नियम पूरा नहीं, जेजेपी की रहेगी नजर
हरियाणा में इनेलो से छिन सकता है सिंबल:वोट शेयर समेत 5 में से एक भी नियम पूरा नहीं, जेजेपी की रहेगी नजर हरियाणा में पूर्व उपमुख्यमंत्री ताऊ देवीलाल की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) का सिंबल किसी भी समय छीन सकता है। 2029 में इनेलो अपने सिंबल चश्मे पर चुनाव नहीं लड़ पाएगा। लगातार 2 विधानसभा चुनाव में इनेलो के प्रदर्शन को देखते हुए चुनाव आयोग इनेलो का स्थायी सिंबल छीन सकता है। इनेलो को भले ही इस चुनाव में 2 सीटों पर जीत मिली हो, लेकिन पार्टी चुनाव आयोग के सिंबल बचाने के 5 नियमों में से किसी को पूरा नहीं कर पाई। इस बार भी पार्टी को 6 फीसदी से कम वोट मिले। वहीं 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में 2.44% ही वोट हासिल किए थे। इस बारे में जब इनेलो महासचिव अभय चौटाला से बात की तो उन्होंने इसे बकवास बताया। वहीं जननायक जनता पार्टी (JJP) ने 2029 के चुनाव में 5 नियम पूरे नहीं किए तो उनके चुनाव चिह्न चाबी पर संकट पैदा हो सकता है। JJP भी यह प्रयास करेगी कि वह इनेलो के सिंबल को हासिल कर पाए। दुष्यंत चौटाला ने लोकसभा चुनाव के बाद इस ओर इशारा भी किया था। शर्तों को पूरा नहीं कर सकी पार्टी
हरियाणा विधानसभा के स्पेशल सचिव रहे रामनारायण यादव ने बताया कि इनेलो के पास यह अंतिम मौका था। पार्टी चुनाव चिह्न बचाने के लिए चुनाव आयोग के एक्ट 1968 की धारा 6 ए और सी के तहत दी गई शर्तों को पूरा नहीं कर सकी। जजपा के पास एक और मौका
रामनारायण यादव ने बताया कि इनेलो के सिंबल पर जहां खतरा है वहीं JJP के पास अभी 2029 चुनाव तक मौका है। अगर अगले चुनाव में जजपा 5 में से एक भी नियम पूरा नहीं करती है तो उनका भी सिंबल (चाबी का निशान) जा सकता है। जजपा के पास आगामी दो चुनाव हैं। 2029 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में वह अपने सिंबल को बचा सकती है। INSO पर दावा ठोक चुकी जजपा
2019 में विधानसभा चुनाव से पहले डॉ. अजय सिंह चौटाला ने इनेलो से अलग होकर जजपा पार्टी बना ली थी। इनेलो ने इसके बाद स्टूडेंट विंग इंडियन नेशनल स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (INSO) को भंग करने का ऐलान किया था। जेल से बाहर आने के बाद डॉ. अजय सिंह चौटाला ने कहा था कि मैं INSO का संस्थापक हूं, इसे कोई भंग नहीं कर सकता। इसके बाद जजपा ने INSO पर दावा ठोक दिया था। इनेलो के आगे अस्तित्व बचाने की लड़ाई
कभी हरियाणा की राजनीति की दशा-दिशा तय करने वाली इनेलो के लिए अब अस्तित्व बचाने की चुनौती है। इनेलो के लिए चश्मा चुनाव चिन्ह बचाना ही मुश्किल हो रहा है। जिसके लिए उन्हें इस बार 6% मत हासिल करना इसलिए जरूरी था, लेकिन 4.14 फीसदी वोट ही मिले। ऐसे में सिंबल छिन गया तो इनेलो के लिए मुश्किल हो सकती है। कैसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
इसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग के नियम 1968 का पालन किया जाता है। जिसके मुताबिक किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए 4 या उससे ज्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है। इसके साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम 6 प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं। चुनाव आयोग राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त पार्टियों को ही बैठक में निमंत्रण देता है। इसके अलावा भी तमाम तरह की सुविधाएं पार्टी को मिलती है। परिवार में आपसी कलह से टूटी थी इनेलो
2018 में परिवार में आपसी कलह के चलते इनेलो में बड़ी टूट हुई थी। अभय चौटाला के भाई अजय चौटाला ने अपने बेटों दुष्यंत और दिग्विजय के अलावा कई अन्य नेताओं के साथ पार्टी को अलविदा कह दिया। इसके बाद हरियाणा में जन नायक जनता पार्टी यानी जजपा का गठन हुआ। अब स्थिति ये है कि हरियाणा में न इनेलो का व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है और न ही जजपा का। जजपा और इनेलो में फूट का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा और कांग्रेस को हुआ है। पूर्व डिप्टी PM देवीलाल ने बनाई थी INLD
पूर्व डिप्टी PM ताऊ देवीलाल ने 1987 में इंडियन नेशनल लोकदल के नाम से क्षेत्रीय दल बनाया था, जिसके अध्यक्ष अब उनके बेटे व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला हैं। वर्तमान में हरियाणा में इनेलो और जजपा ही दो क्षेत्रीय दल हैं।