नेपाल इन दिनों भारी राजनीतिक और सामाजिक संकट के दौर से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में हालात बेकाबू हो चुके हैं। जो आंदोलन कुछ महीने पहले सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ था, वह अब हिंसक बगावत में बदल गया है। इस पूरे घटनाक्रम में 24 लोगों की मौत, सैकड़ों लोग घायल और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफ़ा हो गया है। सेना ने देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली है और पूरे नेपाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई?
कुछ महीने पहले फेसबुक पेजेज़ जैसे Next Generation Nepal पर देश में फैले भ्रष्टाचार और सरकार की नाकामी के खिलाफ पोस्ट वायरल होने लगीं।
- खासतौर पर युवा पीढ़ी (Gen Z) ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।
- Gen Z यानी वे लोग जो 1996 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं और आज नेपाल की आबादी का बड़ा हिस्सा हैं।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब सरकार ने अचानक Facebook, Instagram, WhatsApp जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया।
- यह फैसला खासतौर पर उन परिवारों के लिए बेहद तकलीफ़देह था, जिनके सदस्य विदेशों में काम करते हैं और सोशल मीडिया के जरिए ही संपर्क में रहते हैं।
- इस फैसले के बाद गुस्सा फूट पड़ा और आंदोलन Gen Z Protest के नाम से पूरे नेपाल में फैल गया।
काठमांडू में हिंसा और तबाही
9 सितंबर को काठमांडू में हालात अचानक बिगड़ गए।
- 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई जब पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग की।
- गुस्साई भीड़ ने संसद, सुप्रीम कोर्ट, एंटी-करप्शन ऑफिस (CIAA) समेत कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी।
- पूर्व प्रधानमंत्रियों और मंत्रियों के घरों पर हमले हुए।
- 3 पुलिसकर्मियों को भीड़ ने बेरहमी से मार डाला, जबकि उन्होंने सरेंडर कर दिया था।
- कपिलवस्तु जिले की जेल पर हमला कर 459 कैदियों को छुड़ा लिया गया।
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि सैन्य हेलीकॉप्टरों को मंत्रियों और नेताओं को बचाने के लिए भेजना पड़ा।
प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा और राजनीतिक हलचल
रात होते-होते राजनीतिक घटनाक्रम ने नया मोड़ ले लिया।
- प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफ़ा दे दिया और काठमांडू छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए।
- राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल छुप गए और सेना की सुरक्षा में हैं।
- सैन्य नेतृत्व ने देश की कमान संभालते हुए कर्फ्यू का ऐलान कर दिया।
- नेपाल की सीमाओं को भारत समेत सभी पड़ोसी देशों के साथ सील कर दिया गया।
भारत ने भी अपनी ओर से सुरक्षा बढ़ा दी है और सीमा क्षेत्रों में सेना तैनात कर दी गई है।
मौतें और तबाही का आंकड़ा
- अब तक 24 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें 22 काठमांडू और 2 इतहरी में मारे गए।
- सरकारी इमारतें, बैंक, होटल और गाड़ियों में आग लगा दी गई।
- सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और फाइलें जलकर खाक हो गईं।
- पूर्व पीएम झलनाथ खनाल की पत्नी की मौत हो गई, जब उनके घर में आग लगाई गई।
- विदेश मंत्री अर्जुना राणा देउबा और पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा भी हमले में घायल हो गए।
भारत का अलर्ट और ट्रैवल एडवाइजरी
नेपाल में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है।
- भारतीय नागरिकों को फिलहाल नेपाल यात्रा न करने की सलाह दी गई है।
- जो लोग नेपाल में हैं, उन्हें घरों से बाहर न निकलने और सुरक्षित स्थान पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
- इंडो-नेपाल बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
भारत सरकार ने मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं:
- +977 9808602881 (WhatsApp)
- +977 9810326134 (WhatsApp)
फ्लाइट्स और ट्रांसपोर्ट पर असर
नेपाल में हालात बिगड़ने के चलते
- काठमांडू एयरपोर्ट बंद कर दिया गया।
- Air India और IndiGo ने अपनी फ्लाइट्स कैंसिल कर दीं।
- सड़क मार्ग से यात्रा भी लगभग ठप हो गई है।
सेना का संदेश और कार्रवाई
नेपाल की सेना ने टीवी पर बयान जारी करते हुए कहा:
“हमारी प्राथमिकता देश में शांति और सुरक्षा बहाल करना है। हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। हम संवाद से ही समाधान चाहते हैं।”
- सेना ने अब तक 26 लोगों को गिरफ्तार किया है जो लूटपाट और आगजनी में शामिल थे।
- कई इलाकों में सेना का फ्लैग मार्च जारी है।
कौन संभालेगा नेपाल की कमान?
प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े के बाद राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई है।
- बालेन शाह, काठमांडू के मेयर और युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय चेहरा।
- रवि लामिछाने, जिन्हें हाल ही में प्रदर्शनकारियों ने जेल से छुड़ाया।
बालेन शाह ने आंदोलनकारियों से अपील की:
“नेपाल का भविष्य आपके हाथों में है। कृपया घर लौटें और हिंसा रोकें।”
आगे क्या?
नेपाल का यह आंदोलन सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी का विद्रोह है।
- वर्षों से चले आ रहे भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ यह सबसे बड़ा जनआंदोलन बन चुका है।
- सोशल मीडिया बैन ने आग में घी डालने का काम किया।
अभी के हालात में काठमांडू कर्फ्यू के साए में है, सेना की गाड़ियां सड़कों पर गश्त कर रही हैं और नेपाल के लोग नए नेतृत्व का इंतज़ार कर रहे हैं।
