हरियाणा में भीषण गर्मी का दौर जारी है। इसे देखते हुए मौसम विभाग ने आज 6 जिलों अंबाला, गुरुग्राम, नूंह, पलवल, फरीदाबाद, रोहतक में लू का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, बचे 16 जिलों को ऑरेंज अलर्ट पर हैं। गर्मी का आलम यह है कि सूबे के 12 जिलों में दिन का तापमान 45 डिग्री के पार चल रहा है। वहीं, रात का तापमान सामान्य के मुकाबले 9 डिग्री तक ज्यादा रहा। फतेहाबाद में यह सर्वाधिक 34.6 डिग्री और करनाल व यमुनानगर में सबसे कम 28.7 डिग्री दर्ज किया गया। राहत की बात यह है कि 18 की रात तक मौसम बदल जाएगा। 19 से 22 तक कुछ इलाकों में प्री – मानसून की बारिश या बूंदाबांदी हो सकती है। 30 से 40 किमी प्रतिघंटा की गति से हवा चल सकती है। उमस ने भी किया परेशान हरियाणा में भीषण गर्मी के साथ अब उमस भी लोगों को परेशान करने लगी है। रविवार को भी लू से आमजन बेहाल रहे। 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धूलभरी हवा चली। पिछले 24 घंटे में प्रदेशभर का औसत तापमान दिन का 0.5 और रात का 1.3 डिग्री बढ़ा है। दिन का तापमान सामान्य से 5.2 से 7.8 डिग्री तक ज्यादा रहा। सभी जिलों में यह 43 डिग्री से ऊपर दर्ज किया गया। नूंह में यह सर्वाधिक 46.6 डिग्री तक पहुंचा। गर्मी ने बिजली की डिमांड बढ़ाई गर्मी के कारण 7 दिन में बिजली की डिमांड 4.36 करोड़ यूनिट बढ़ी है। पिछले 24 घंटे में बिजली खपत 27.29 करोड़ यूनिट तक पहुंची, जो अब तक का रिकॉर्ड है। यह पिछले तुलना में 22.53 % ज्यादा साल की है। बिजली की डिमांड लगातार बढ़ने से शहरों में 2 से 4 घंटे तो गांवों में 4 से 8 घंटे तक के बिजली कट लग रहे हैं। जून में अब तक सामान्य से 88 % कम बारिश हुई है। 1 जून से 16 जून तक 2.3 मिमी बारिश हुई है, जबकि इस अवधि में 20 मिमी बारिश सामान्य मानी जाती है। हरियाणा में भीषण गर्मी का दौर जारी है। इसे देखते हुए मौसम विभाग ने आज 6 जिलों अंबाला, गुरुग्राम, नूंह, पलवल, फरीदाबाद, रोहतक में लू का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, बचे 16 जिलों को ऑरेंज अलर्ट पर हैं। गर्मी का आलम यह है कि सूबे के 12 जिलों में दिन का तापमान 45 डिग्री के पार चल रहा है। वहीं, रात का तापमान सामान्य के मुकाबले 9 डिग्री तक ज्यादा रहा। फतेहाबाद में यह सर्वाधिक 34.6 डिग्री और करनाल व यमुनानगर में सबसे कम 28.7 डिग्री दर्ज किया गया। राहत की बात यह है कि 18 की रात तक मौसम बदल जाएगा। 19 से 22 तक कुछ इलाकों में प्री – मानसून की बारिश या बूंदाबांदी हो सकती है। 30 से 40 किमी प्रतिघंटा की गति से हवा चल सकती है। उमस ने भी किया परेशान हरियाणा में भीषण गर्मी के साथ अब उमस भी लोगों को परेशान करने लगी है। रविवार को भी लू से आमजन बेहाल रहे। 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धूलभरी हवा चली। पिछले 24 घंटे में प्रदेशभर का औसत तापमान दिन का 0.5 और रात का 1.3 डिग्री बढ़ा है। दिन का तापमान सामान्य से 5.2 से 7.8 डिग्री तक ज्यादा रहा। सभी जिलों में यह 43 डिग्री से ऊपर दर्ज किया गया। नूंह में यह सर्वाधिक 46.6 डिग्री तक पहुंचा। गर्मी ने बिजली की डिमांड बढ़ाई गर्मी के कारण 7 दिन में बिजली की डिमांड 4.36 करोड़ यूनिट बढ़ी है। पिछले 24 घंटे में बिजली खपत 27.29 करोड़ यूनिट तक पहुंची, जो अब तक का रिकॉर्ड है। यह पिछले तुलना में 22.53 % ज्यादा साल की है। बिजली की डिमांड लगातार बढ़ने से शहरों में 2 से 4 घंटे तो गांवों में 4 से 8 घंटे तक के बिजली कट लग रहे हैं। जून में अब तक सामान्य से 88 % कम बारिश हुई है। 1 जून से 16 जून तक 2.3 मिमी बारिश हुई है, जबकि इस अवधि में 20 मिमी बारिश सामान्य मानी जाती है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
गोद लेकर मुकरे तो पिता को कोर्ट में घसीटा:इंदिरा के न चाहते हुए भी 2 बार CM बने भगवत दयाल; 13 दिन में गिरी सरकार
गोद लेकर मुकरे तो पिता को कोर्ट में घसीटा:इंदिरा के न चाहते हुए भी 2 बार CM बने भगवत दयाल; 13 दिन में गिरी सरकार 26 जनवरी 1918, संयुक्त पंजाब के जींद जिले के बैरो गांव में एक बच्चे का जन्म हुआ। सवा साल बाद उसकी मां नहीं रहीं। पिता हीरालाल शास्त्री ने कुछ साल बच्चे को संभाला, फिर रोहतक के मुरारीलाल को गोद दे दिया। गांव वालों की मौजूदगी में गोद देने कार्यक्रम भी हुआ। बच्चा 16 साल का हुआ, तो उसकी शादी करा दी गई। उसके बाद वो आजादी के आंदोलन में कूद गया, जेल भी गया। 14 साल बाद घर लौटा, तो गोद लेने वाले पिता मुरारीलाल के पास गया। उन्होंने उसे बेटा मानने से इनकार कर दिया। फिर वो हीरालाल के पास गया, उन्होंने कहा- ‘हम तो पहले ही तुम्हें गोद दे चुके हैं।’ दरअसल, जब लड़का जेल में था, तब ब्रितानिया हुकूमत की पुलिस हीरालाल और मुरारीलाल के घर पहुंची थी। दोनों डर गए थे कि उस लड़के की वजह से उन पर मुकदमा न हो जाए। इन सब के बीच लड़के को याद आया कि उसकी एक बहन है, जो गोद लेने वाले पिता की बेटी थी। गांव वालों से पता चला कि उसकी शादी दिल्ली में हुई है। वो बहन से मिलने दिल्ली पहुंचा। उसे आपबीती सुनाई। दोनों भाई-बहन मुरारीलाल के पास पहुंचे, लेकिन उन्होंने लड़के को बेटा मानने से फिर इनकार कर दिया। थक हारकर लड़के ने रोहतक कोर्ट में मुरारीलाल के खिलाफ केस कर दिया। गांव वाले उसके पक्ष में थे, लेकिन कोर्ट गोद लिए जाने का सबूत मांग रहा था। लड़के ने कोर्ट के सामने एक तस्वीर पेश की, जिसमें वो गोद लेने वाले पिता की गोद में बैठा था। फैसला लड़के के पक्ष में आया। मुरारीलाल रो पड़े। लड़के ने उन्हें प्रणाम किया, गले लगाया और कहा- ‘मुझे आपकी संपत्ति नहीं चाहिए, मैं बस ये चाहता था कि आपको अपनी गलती का एहसास हो।’ आगे चलकर यही लड़का हरियाणा का पहला मुख्यमंत्री बना, नाम- भगवत दयाल शर्मा। उनकी बेटी डॉ. भारती शर्मा ने अपनी किताब ‘स्मृतियों के आइने में पंडित भगवत दयाल शर्मा’ में इस किस्से का जिक्र किया है। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘मैं हरियाणा का सीएम’ के पहले एपिसोड में भगवत दयाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने की कहानी… डॉ. भारती शर्मा लिखती हैं- साल 1962, प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संयुक्त पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों से कहा- मैं दिल्ली को स्विट्जरलैंड बनाना चाहता हूं। वे अपनी बात पूरी करते, उससे पहले ही कैरों बोल पड़े- पंडित जी मुझसे पंजाब का टुकड़ा मत मांगो, क्योंकि स्विट्जरलैंड के चारों तरफ तो 40 मील तक फैक्ट्रियां हैं। नेहरू ने तब के श्रम मंत्री रहे खंडू भाई देसाई से कहा कि प्रताप बहुत मजबूत हो चुका है। मुझे इसका विकल्प दो। खंडू भाई ने कहा- एक पढ़ा-लिखा शख्स है, इंदिरा से मिलने रोज जाता है। पंजाब का ही रहने वाला है। आप उसे मौका दो, भगवत दयाल नाम है। कुछ दिनों बाद… भगवत दयाल, इंदिरा से मिलकर दिल्ली के तीन मूर्ति भवन से बाहर निकल रहे थे। अचानक पंडित नेहरू की कार आ गई। कार रोककर नेहरू ने भगवत दयाल से उनका नाम पूछा। फिर अंदर बुला लिया। तीन मूर्ति भवन में दोनों के बीच देर तक बातचीत हुई। इस दौरान भगवत दयाल ने पंडित नेहरू से कहा- ‘मुझे झज्जर से शेर सिंह के सामने चुनाव लड़ना है।’ शेर सिंह झज्जर के कद्दावर नेता थे। लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके थे। नेहरू ने कहा कि उनके सामने तो मैं भी चुनाव हार जाऊंगा। आखिरकार भगवत दयाल शर्मा को टिकट मिला और वे करीब 16 हजार वोट से जीते। शेर सिंह के समर्थक हंगामे पर उतारू थे। भगवत दयाल ने एक तरकीब निकाली। उन्होंने शेर सिंह से कहा कि बाहर जाकर कह दो कि शेर सिंह चुनाव जीत गया है। शेर सिंह ने वैसा ही किया। शेर सिंह के समर्थकों ने उन्हें कंधों पर उठा लिया। हालांकि, कुछ देर बाद समर्थक जान गए कि शेर सिंह हार गए हैं। समर्थकों ने शेर सिंह को नीचे उतार दिया। इंदिरा ने देवीलाल की मदद से अलग हरियाणा के लिए भगवत दयाल को मनाया
1960 के दशक की शुरुआत में ही पंजाब के बंटवारे की सुगबुगाहट होने लगी थी। भाषा के आधार पर नया राज्य हरियाणा बनना था, लेकिन भगवत दयाल शर्मा इसके विरोध में थे। उनके निजी सुरक्षा अधिकारी रहे दादा राम स्वरूप बताते हैं- ‘इंदिरा गांधी ने भगवत दयाल शर्मा को बुलाकर कहा कि वे अलग हरियाणा राज्य की मांग करें, लेकिन पंडित जी ने इनकार कर दिया। उनका मानना था कि पंजाब को बड़े स्तर पर आर्थिक मदद दी गई है। बंटवारे से पहले हरियाणा को भी आर्थिक तौर पर मजबूत किया जाना चाहिए।’ इसके बाद इंदिरा ने चौधरी देवीलाल से कहा कि वे भगवत दयाल शर्मा से बात करें। आखिरकार देवीलाल ने भगवत दयाल को मना लिया। डॉ. भारती शर्मा लिखती हैं- ‘पंडित जी हरियाणा निर्माण के नहीं, बल्कि पंजाब के बंटवारे के खिलाफ थे। तब वे पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष थे। वे कांग्रेस से बाहर आकर ही हरियाणा बनने का समर्थन कर सकते थे। साथ ही वे जातिवाद और भाषाई संकीर्णता के हामी नहीं थे। जब एक बार राष्ट्रीय नेतृत्व ने पंजाब विभाजन का मन बना लिया, तो इतिहास गवाह है कि उन्होंने हरियाणा के हितों के लिए कांग्रेस आलाकमान से टक्कर लेने में गुरेज नहीं किया।’ इंदिरा के न चाहने के बाद भी हरियाणा के पहले CM बने भगवत दयाल
1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा नया राज्य बना। उस दौरान संयुक्त पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भगवत दयाल शर्मा थे। राजनीतिक हलकों में चर्चा पहले से थी कि जो नए राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष होगा, उसे ही CM बनाया जाएगा। भगवत दयाल शर्मा, जाट नेताओं के विरोध के बावजूद अब्दुल गफ्फार खान को हराकर हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। इधर, दिल्ली में इंदिरा पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं। ये वो दौर था जब कांग्रेस में मोरारजी देसाई, गुलजारी लाल नंदा जैसे नेताओं का दबदबा था। गुलजारी लाल नंदा उस समय केंद्रीय गृहमंत्री थे और पंजाब के मामलों को देख रहे थे। भगवत दयाल के साथ ही पंजाब कैबिनेट में मंत्री रहे चौधरी रणबीर सिंह और राव बीरेंद्र सिंह भी CM की रेस में थे। वरिष्ठ पत्रकार सतीश त्यागी अपनी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में लिखते हैं- ‘इंदिरा गांधी जिस नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थीं, वे राव बीरेंद्र सिंह थे। इंदिरा ने भगवत दयाल को बुलाकर कहा था कि वे राव को CM बनाना चाहती हैं और बेहतर होगा कि शर्मा इसमें बाधा न बनें। इस पर भगवत दयाल ने कहा- राव विधायक भी नहीं हैं। उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया, तो गलत परंपरा शुरू हो जाएगी। ज्यादातर विधायक भी मेरे साथ हैं। इंदिरा ने भगवत दयाल का रुख भांपते हुए ज्यादा जोर नहीं दिया।’ दूसरी तरफ चौधरी रणबीर सिंह ने मुख्यमंत्री पद के लिए ज्यादा जोर-आजमाइश नहीं की। इसके अलावा हरियाणा को अलग राज्य बनाने और हिंदी आंदोलन के अगुवा रहे चौधरी देवीलाल और शेर सिंह 1962 से ही कांग्रेस से निष्कासित चल रहे थे। ऐसे में उनकी दावेदारी अपने आप खारिज हो गई। गुलजारी लाल नंदा, पंडित भगवत दयाल शर्मा को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। इंदिरा उनकी बात मानती थीं। उन्होंने पंडित भगवत दयाल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। इस तरह भगवत दयाल शर्मा 1 नवंबर 1966 को हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बने। CM बनने के बाद भगवत दयाल का पार्टी में दबदबा बढ़ने लगा। उन्होंने अपने करीबी रामकृष्ण गुप्ता को हरियाणा कांग्रेस का निर्विरोध अध्यक्ष बनवाया, ताकि राव बीरेंद्र सिंह और रणबीर सिंह का वर्चस्व न चले। 1967 में पहली बार हरियाणा विधानसभा के चुनाव की घोषणा हुई। वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार वैद्य बताते हैं- भगवत दयाल शर्मा कोताही नहीं बरतना चाहते थे। उन्होंने टिकट वितरण पर बारीकी से नजर रखी। उनकी कोशिश थी कि किसी भी ऐसे उम्मीदवार को टिकट न मिले, जो आगे चलकर उनके खिलाफ बगावत कर दे। मुख्यमंत्री भगवत दयाल कहते थे- ‘कुछ भी करो, लेकिन बंसीलाल को हराओ’
बंसीलाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे रिटायर्ड IAS अफसर एसके मिश्रा अपनी किताब ‘फ्लाइंग इन हाई विंड्स’ में लिखते हैं- ‘हरियाणा बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे थे। मुख्यमंत्री भगवत दयाल मुझे पसंद करते थे। उन्होंने कहा कि आप साफ-सुथरा चुनाव कराइए, लेकिन दो लोगों को किसी भी तरह हराना होगा। पहला देवीलाल और दूसरा बंसीलाल। मैंने कहा- किसी को हराना या जिताना मेरे हाथ में नहीं है। मैं इसमें आपकी मदद नहीं कर सकता।’ भगवत दयाल ने देवीलाल का टिकट कटवाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। उन्होंने मोरारजी देसाई की मदद से देवीलाल का टिकट कटवा दिया। मजबूरन देवीलाल ने बेटे प्रताप सिंह को ऐलनाबाद सीट से चुनाव लड़ाया। हालांकि, भगवत दयाल के न चाहने के बावजूद रणबीर सिंह और राव बीरेंद्र सिंह को टिकट मिल गया। चुनाव से पहले चौधरी देवीलाल और शेर सिंह भी वापस कांग्रेस में आ गए। भगवत दयाल ने नई सियासी चाल चली और जिन सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवार नहीं थे, वहां निर्दलीय उम्मीदवार उतार दिए। इसका सबसे बड़ा उदाहरण रोहतक की किलोई सीट पर देखने को मिला, जहां से महंत श्रेयानाथ निर्दलीय उतरे। इसी सीट से चौधरी रणबीर सिंह चुनाव लड़ रहे थे। नतीजे आए तो रणबीर सिंह 8673 वोटों से हार गए। ये रणबीर सिंह की पहली हार थी। कांग्रेस ने 81 सीटों में से 48 सीटें जीत लीं। जनसंघ को 12, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को 2, स्वतंत्र पार्टी को 3 और 16 सीटें निर्दलीय को मिलीं। अब भगवत दयाल के सामने सिर्फ राव बीरेंद्र सिंह ही चुनौती थे। राव पटौदी विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। इंदिरा गांधी इस बार भी उन्हें CM बनाना चाहती थीं, लेकिन मोरारजी देसाई और गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने फिर से भगवत दयाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनवा दिया। 10 मार्च 1967 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। पहली बार किसी राज्य में CM का प्रस्ताव गिरा
CM बनने के बाद भगवत दयाल ने विरोधियों को किनारे करते हुए अपने करीबी नेताओं को मंत्री बनाया। इससे उनके प्रति विधायकों की नाराजगी और बढ़ गई। अब बारी थी विधानसभा स्पीकर चुनने की। इधर टिकट कटने से नाराज देवीलाल तय कर चुके थे कि किसी भी तरह भगवत दयाल की सरकार गिरानी है। उन्हें पता था कि इस काम में राव बीरेंद्र सिंह उनके साझेदार बन सकते हैं, लेकिन दोनों में पहले से तकरार चल रही थी। देवीलाल ने दिल्ली के एक बिल्डर की मदद ली। बिल्डर ने राव बीरेंद्र सिंह को डिनर के लिए घर बुलाया। जब राव बीरेंद्र सिंह उसके घर पहुंचे, तो वहां देवीलाल पहले से मौजूद थे। देवीलाल को देखते ही राव लौटने लगे, लेकिन बिल्डर ने जैसे-तैसे उन्हें रोक लिया। इसके बाद हिम्मत जुटाकर बताया कि देवीलाल उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। राव ने जवाब दिया कि वे देवीलाल पर भरोसा नहीं कर सकते। उन्होंने पहले भी उनके साथ धोखा किया है। इसके बाद देवीलाल ने आगे बढ़कर राव बीरेंद्र सिंह को मनाया और स्पीकर का चुनाव लड़ने के लिए राजी कर लिया। 17 मार्च 1967, स्पीकर चुनने की तारीख तय हुई। CM भगवत दयाल शर्मा ने स्पीकर पद के लिए जींद के विधायक लाला दयाकिशन के नाम का प्रस्ताव रखा। उसी समय उन्हीं की पार्टी के एक विधायक ने राव बीरेंद्र सिंह का नाम भी प्रपोज कर दिया। मुख्यमंत्री दंग रह गए। वोटिंग हुई, राव बीरेंद्र सिंह जीत गए। आजाद भारत के इतिहास में ये पहला मौका था, जब किसी सदन में मुख्यमंत्री का प्रस्ताव खारिज हुआ। इससे हरियाणा में संवैधानिक संकट पैदा हो गया। कांग्रेस के बागी 12 विधायकों ने हरियाणा कांग्रेस नाम से नया ग्रुप बनाया। 16 निर्दलीय विधायकों ने मिलकर नवीन हरियाणा कांग्रेस बनाई। ये दोनों ग्रुप साथ मिल गए। भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने इनका समर्थन कर दिया। मजबूरन CM बनने के 13 दिन बाद ही भगवत दयाल को इस्तीफा देना पड़ गया। 24 मार्च 1967 को राव बीरेंद्र सिंह पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 9 महीने बाद ही राज्यपाल ने बार-बार विधायकों के दल बदलने की बात कहकर विधानसभा भंग कर दी। जिस आधार पर भगवत दयाल ने राव को CM बनने से रोका, उसी आधार पर खुद फंस गए
मई 1968 में हरियाणा में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। इस बार भी कांग्रेस ने 81 में से 48 सीटें जीतीं। राव बीरेंद्र सिंह विशाल हरियाणा पार्टी नाम से अलग पार्टी बना चुके थे। अब CM की रेस में भगवत दयाल शर्मा के साथ चौधरी देवीलाल, शेर सिंह, गुलजारी लाल नंदा और रामकृष्ण गुप्ता शामिल थे। इस बार भगवत दयाल विधायक नहीं थे, लेकिन विधायक दल के नेता के लिए उनका दावा सबसे मजबूत था। विधायकों पर उनकी मजबूत पकड़ थी। इंदिरा गांधी को छोड़कर केंद्र में कांग्रेस के कई दिग्गज उनके साथ थे। संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप के हवाले से सतीश त्यागी अपनी किताब ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ में लिखते हैं- ‘भगवत दयाल कांग्रेस हाईकमान को 37 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र सौंप चुके थे। उसमें आग्रह किया गया था कि शर्मा को विधायक दल का नेता बनाया जाए, लेकिन पार्टी के संसदीय बोर्ड ने फैसला लिया कि जो विधायक नहीं हैं, उन्हें विधायक दल के नेतृत्व से दूर रखा जाएगा। ऐसे में चौधरी देवीलाल, शेर सिंह, गुलजारी लाल नंदा के साथ भगवत दयाल शर्मा भी विधायक दल के नेता की दौड़ से बाहर हो गए। ये भी अजीब संयोग है कि 1966 में जब इंदिरा, राव बीरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थीं, तब भगवत दयाल ने ही विधायक नहीं होने की दलील देते हुए राव को CM नहीं बनने दिया था।
हरियाणा पुलिस का DSP गिरफ्तार:पंचकूला में तैनात, अग्रिम जमानत खारिज होने पर सरेंडर करने कोर्ट पहुंचा, हिसार SIT ने पकड़ा
हरियाणा पुलिस का DSP गिरफ्तार:पंचकूला में तैनात, अग्रिम जमानत खारिज होने पर सरेंडर करने कोर्ट पहुंचा, हिसार SIT ने पकड़ा हरियाणा पुलिस के DSP प्रदीप कुमार काे हिसार पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने गिरफ्तार कर लिया है। DSP पर हिसार के मिर्जापुर चौक के पास द विकास मार्ग वेलफेयर सोसाइटी के 2 प्लाटों पर कब्जा का केस चल रहा है। इसमें डीएसपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई। जिसके बाद DSP प्रदीप कुमार सरेंडर करने पंचकूला कोर्ट में पहुंच गया। जिसके बाद एसआईटी ने डीएसपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। अदालत ने डीएसपी को 4 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है। इस मामले में पुलिस डीएसपी के 3 साथियों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। पूछताछ में सामने आया था डीएसपी का नाम
एसआईटी ने इस मामले में रामअवतार, सुनील व सुरजीत को गिरफ्तार किया था। एसआईटी ने उनसे पूछताछ की तो डीएसपी प्रदीप यादव की भूमिका सामने आई। जिसके बाद से पुलिस डीएसपी की गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही थी। नाम सामने आने पर हुए अंडरग्राउंड
केस में नाम सामने आने के बाद डीएसपी प्रदीप यादव कुछ समय से अंडरग्राउंड हो गए थे। वहीं प्लाट पर कब्जे के मुख्य आरोपी ऋषिनगर के रहने वाले आरोपी राजकुमार उर्फ राजा गुर्जर की अग्रिम जमानत याचिका अदालत खारिज कर चुकी है। इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से भी जमानत याचिका को खारिज किया जा चुका है। अभी वह गिरफ्तारी से बाहर है। 19 जुलाई को दी थी शिकायत
एचटीएम थाना पुलिस ने इस संबंध में 19 जुलाई 2024 को सेक्टर 16-17 निवासी एक व्यक्ति की शिकायत पर धोखाधड़ी से प्लाट हड़पने का केस दर्ज किया था। पुलिस ने शिकायत के आधार पर राजकुमार उर्फ राजा, मुकेश, रामअवतार व सुरजीत के खिलाफ केस दर्ज किया था। जिसके बाद डीएसपी का नाम सामने आया तो एसआईटी ने डीएसपी के घर पर छापा मारा था। जिसमें कई दस्तावेज बरामद किए थे। एसआईटी रिमांड पर डीएसपी से करेगी पूछताछ
पुलिस एसआईटी डीएसपी प्रदीप कुमार को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। अब उम्मीद है कि कब्जाधारी गिरोह का नेटवर्क बेनकाब हो सकता है। इससे गिरोह से जुड़े अन्य पुलिस कर्मियों के नाम उजागर होने सहित अन्य सरकारी विभागों की मिलीभगत का खुलासा होगा। कब्जाधारी गिरोह ने सेक्टर 16-17 वासी सतबीर सिंह के उक्त सोसाइटी में 2 प्लॉट्स कब्जा रखे थे। सतबीर सिंह ने पुलिस को शिकायत दी थी।
हरियाणा में BJP के टिकट बंटवारे पर मंत्री के सवाल:वाल्मीकि बोले- अंबाला-सिरसा हमें देते तो जीत जाते, SC वोट बैंक घटना चिंताजनक
हरियाणा में BJP के टिकट बंटवारे पर मंत्री के सवाल:वाल्मीकि बोले- अंबाला-सिरसा हमें देते तो जीत जाते, SC वोट बैंक घटना चिंताजनक हरियाणा के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि शुक्रवार को रोहतक स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पहुंचे। जहां पर उन्होंने अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ की बैठक ली। वहीं भाजपा की हरियाणा में 5 सीटों पर हार को लेकर भी मंथन किया। जिसके बाद अनुसूचित जाति के वोट बैंक खिसकने पर चिंता जताई गई। मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों से बैठक करके उनकी मांगें सुनी। वहीं राजनीतिक हिस्सेदारी के सवाल पर कहा कि वे इसको संगठन के सामने उठाएंगे, ताकि जो इस लोकसभा चुनाव में कमी रही, वह आगे ना हो। उन्होंने कहा कि अगर उनके समाज को सिरसा व अंबाला सीट देते तो वे जीतकर भाजपा की झोली में डाल देते। अंबाला से भाजपा ने बंतो कटारिया और सिरसा से अशोक तंवर को टिकट दी थी। साथ ही भाजपा उम्मीदवारों के साथ भीतरीघात के सवाल पर कहा कि उम्मीदवारों की जो शिकायतें हैं, उन्होंने अपनी शिकायतें संगठन को दे दी है। संगठन अब आगे का फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद अनुसूचित जाति के लोगों के साथ बैठकर मंथन करने का फैसला लिया। वहीं अब 3 माह बाद विधानसभा चुनाव होना है। उसके लिए भी तैयारी करनी है। मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि ने कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि कांग्रेस ने झूठ बोलकर जनता को ठगने का काम किया है। कांग्रेस ने आरक्षण तोड़ने व खत्म करने की बात कहकर जनता को धोखे में रखा और हरियाणा में वोटों को हासिल किया। कांग्रेस ने सबसे बड़ा धोखा दिया है। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जो संविधान को बदल सके। राहुल गांधी पर निशाना
बिशम्बर वाल्मीकि ने राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने संविधान को अपनी जेब में रखकर भद्दा मजाक बनाया। राहुल गांधी ने जगह-जगह संविधान दिखाकर झूठ बोला। इसलिए उन्हें शर्म आनी चाहिए और एससी समाज से माफी मांगनी चाहिए।