चंडीगढ़ के पीजीआई का टेलीमेडिसिन विभाग दूर बैठे मरीजों के लिए राहत का जरिया बनता जा रहा है। ओपीडी में रोजाना करीब 8 से 10 हजार मरीज आते हैं, जिनमें दूर दराज राज्यों के मरीज भी होते हैं टेलीमेडिसन विभाग अकेले हरियाणा से सिर्फ मई महीने में 7663 मरीजों को इलाज दे चुका है। अप्रैल में यह आंकड़ा 7100 था। आंकड़ों के अनुसार हर महीने टेलीमेडिसिन विभाग 7 हजार से ऊपर मरीजों का इलाज कर रहा है, जिन्हें अब पीजीआई आने की जरूरत नहीं पड़ रही। गायनी विभाग से जुड़ी बीमारियों का इलाज गायनी विभाग से जुड़ी बीमारियों का इलाज भी महिलाओं को मिल रहा है। अकेले मई महीने में गायनी विभाग ने 1675 महिलाओं को इलाज दिया है। विभाग के हेड प्रो. बिमान सैकिया कहते हैं कि टेलीमेडिसन मेडिकल क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रहा है। अब मरीजों को घरों के आसपास ही पीजीआई के डॉक्टरों से इलाज मिल रहा है। मरीजों को यहां आने की जरूरत नहीं पड़ रही है। ऐसे में डॉक्टरों और मरीजों दोनों का वक्त बच रहा है हर राज्य पर फोकस टेलीमेडिसिन से जिन मरीज को आराम नहीं मिलता है और डॉक्टर को लगता है कि फिजिकल चेकअप की जरूरत है तब ही पीजीआई बुलाया जाता है, दूसरे मरीजों को नहीं। इससे न सिर्फ मरीजों का वक्त बच रहा है बल्कि आर्थिक बोझ भी कम होता है। चार साल से पीजीआई सिर्फ हरियाणा राज्य पर फोकस कर रहा है। पंजाब, हिमाचल और हरियाणा ऐसे तीन राज्य हैं, जहां से पीजीआई में मरीजों का काफी लोड रहता है। ऐसे में मामूली ही सही, लेकिन बढ़ता दबाव कम हो रहा है। टेलीमेडिसिन विभाग सुविधाएं बढ़ाना चाहता है, ताकि दूसरे राज्यों पर भी फोकस किया जा सके। ऐसा होता है तो पीजीआई में बढ़ती मरीजों को संख्या से कुछ राहत मिल सके। इंटरनल मेडिसिन में सबसे ज्यादा मरीज इंटरनल मेडिसिन विभाग में सबसे ज्यादा मरीज देखे जाते हैं। पिछले महीने 2719 मरीजों ने इंटरनल मेडिसिन में इलाज करवाया। इसके बाद स्किन विभाग ने 1802 मरीजों का इलाज किया। नेत्र विभाग से 1026 और पीडियाट्रिक्स विभाग में 441 बच्चों का इलाज टेली कंसल्टेशन से हुआ। चंडीगढ़ के पीजीआई का टेलीमेडिसिन विभाग दूर बैठे मरीजों के लिए राहत का जरिया बनता जा रहा है। ओपीडी में रोजाना करीब 8 से 10 हजार मरीज आते हैं, जिनमें दूर दराज राज्यों के मरीज भी होते हैं टेलीमेडिसन विभाग अकेले हरियाणा से सिर्फ मई महीने में 7663 मरीजों को इलाज दे चुका है। अप्रैल में यह आंकड़ा 7100 था। आंकड़ों के अनुसार हर महीने टेलीमेडिसिन विभाग 7 हजार से ऊपर मरीजों का इलाज कर रहा है, जिन्हें अब पीजीआई आने की जरूरत नहीं पड़ रही। गायनी विभाग से जुड़ी बीमारियों का इलाज गायनी विभाग से जुड़ी बीमारियों का इलाज भी महिलाओं को मिल रहा है। अकेले मई महीने में गायनी विभाग ने 1675 महिलाओं को इलाज दिया है। विभाग के हेड प्रो. बिमान सैकिया कहते हैं कि टेलीमेडिसन मेडिकल क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रहा है। अब मरीजों को घरों के आसपास ही पीजीआई के डॉक्टरों से इलाज मिल रहा है। मरीजों को यहां आने की जरूरत नहीं पड़ रही है। ऐसे में डॉक्टरों और मरीजों दोनों का वक्त बच रहा है हर राज्य पर फोकस टेलीमेडिसिन से जिन मरीज को आराम नहीं मिलता है और डॉक्टर को लगता है कि फिजिकल चेकअप की जरूरत है तब ही पीजीआई बुलाया जाता है, दूसरे मरीजों को नहीं। इससे न सिर्फ मरीजों का वक्त बच रहा है बल्कि आर्थिक बोझ भी कम होता है। चार साल से पीजीआई सिर्फ हरियाणा राज्य पर फोकस कर रहा है। पंजाब, हिमाचल और हरियाणा ऐसे तीन राज्य हैं, जहां से पीजीआई में मरीजों का काफी लोड रहता है। ऐसे में मामूली ही सही, लेकिन बढ़ता दबाव कम हो रहा है। टेलीमेडिसिन विभाग सुविधाएं बढ़ाना चाहता है, ताकि दूसरे राज्यों पर भी फोकस किया जा सके। ऐसा होता है तो पीजीआई में बढ़ती मरीजों को संख्या से कुछ राहत मिल सके। इंटरनल मेडिसिन में सबसे ज्यादा मरीज इंटरनल मेडिसिन विभाग में सबसे ज्यादा मरीज देखे जाते हैं। पिछले महीने 2719 मरीजों ने इंटरनल मेडिसिन में इलाज करवाया। इसके बाद स्किन विभाग ने 1802 मरीजों का इलाज किया। नेत्र विभाग से 1026 और पीडियाट्रिक्स विभाग में 441 बच्चों का इलाज टेली कंसल्टेशन से हुआ। पंजाब | दैनिक भास्कर
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