हिमाचल हाईकोर्ट में मंगलवार को अचानक पुलिस कार्रवाई से हड़कंप मच गया। हाईकोर्ट का पूरा स्टाफ और एडवोकेट अपने चैंबरों से बाहर आ गए। कुछ लोग इसे धमकी से जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि यह बारिश से पहले की मॉक ड्रिल है। मगर मामला कोर्ट से जुड़ा होने के कारण पुलिस या राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। इस बारे में जब डीसी शिमला अनुपम कश्यप से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से कोई मॉक ड्रिल की योजना नहीं थी। वहीं, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक डीसी राणा ने भी एसडीएमए की ओर से मॉक ड्रिल की बात से इनकार किया। सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर वहीं पुलिस हाईकोर्ट में खोजी कुत्तों के साथ मौजूद है। कोर्ट के भीतर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी जा रही। इससे अफरा-तफरा का माहौल बना हुआ है। पुलिस और सभी सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई है। संभव है कि यह सिर्फ मॉक ड्रिल हो, लेकिन यह आधिकारिक पुष्टि के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। कुछ देर में इसका खुलासा बता दें कि जम्मू कश्मीर में तीन आतंकी वारदातों के बाद जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश में बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम देने की बात कही गई है। अंबाला रेलवे स्टेशन को मिले खत के मुताबिक पंजाब का गोल्डन टेंपल, वैष्णो देवी मंदिर, अमरनाथ सहित हिमाचल के मंदिरों को भी उड़ाने की धमकी का जिक्र है। इसलिए पुलिस इसे हल्के में नहीं ले रही। हालांकि यह धमकी के कारण हुआ या मॉक ड्रिल थी, कुछ देर में इसका खुलासा हो पाएगा। हिमाचल हाईकोर्ट में मंगलवार को अचानक पुलिस कार्रवाई से हड़कंप मच गया। हाईकोर्ट का पूरा स्टाफ और एडवोकेट अपने चैंबरों से बाहर आ गए। कुछ लोग इसे धमकी से जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि यह बारिश से पहले की मॉक ड्रिल है। मगर मामला कोर्ट से जुड़ा होने के कारण पुलिस या राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। इस बारे में जब डीसी शिमला अनुपम कश्यप से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से कोई मॉक ड्रिल की योजना नहीं थी। वहीं, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक डीसी राणा ने भी एसडीएमए की ओर से मॉक ड्रिल की बात से इनकार किया। सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर वहीं पुलिस हाईकोर्ट में खोजी कुत्तों के साथ मौजूद है। कोर्ट के भीतर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी जा रही। इससे अफरा-तफरा का माहौल बना हुआ है। पुलिस और सभी सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई है। संभव है कि यह सिर्फ मॉक ड्रिल हो, लेकिन यह आधिकारिक पुष्टि के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। कुछ देर में इसका खुलासा बता दें कि जम्मू कश्मीर में तीन आतंकी वारदातों के बाद जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश में बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम देने की बात कही गई है। अंबाला रेलवे स्टेशन को मिले खत के मुताबिक पंजाब का गोल्डन टेंपल, वैष्णो देवी मंदिर, अमरनाथ सहित हिमाचल के मंदिरों को भी उड़ाने की धमकी का जिक्र है। इसलिए पुलिस इसे हल्के में नहीं ले रही। हालांकि यह धमकी के कारण हुआ या मॉक ड्रिल थी, कुछ देर में इसका खुलासा हो पाएगा। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में बर्फ नहीं गिरने से टूरिस्ट मायूस:कल से बदलेगा मौसम, 4 दिन बारिश-बर्फबारी; शीतलहर चलने से शिमला से ठंडे मैदानी इलाके
हिमाचल में बर्फ नहीं गिरने से टूरिस्ट मायूस:कल से बदलेगा मौसम, 4 दिन बारिश-बर्फबारी; शीतलहर चलने से शिमला से ठंडे मैदानी इलाके हिमाचल में बर्फबारी नहीं होने से टूरिस्ट और प्रदेश के पर्यटन कारोबारी मायूस हैं। जनवरी महीने में अब तक सामान्य से 79 प्रतिशत कम बारिश-बर्फबारी हुई है। इस वजह से पहाड़ों पर टूरिस्ट नहीं पहुंच पा रहे हैं। मौसम विभाग की माने तो कल से वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) एक्टिव हो रहा है। कल और परसों इसका असर अधिक ऊंचे क्षेत्रों में नजर आएगा। मध्यम ऊंचाई व निचले इलाकों में वाले दो दिन मौसम साफ रहेगा। 31 जनवरी और 1 फरवरी को प्रदेश के ज्यादातर भागों में बारिश-बर्फबारी के आसार है। फिलहाल बारिश-बर्फबारी नहीं होने से सूखे जैसे हालात पनप रहे हैं। एक से 27 जनवरी के बीच प्रदेश में मात्र 14.7 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि इस अवधि में 70.8 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है। टूरिस्ट को नहीं मिल रही बर्फ हिमाचल की आर्थिकी सेब, कृषि और टूरिज्म पर निर्भर करती है। इन तीनों सेक्टर पर बर्फबारी के बगैर संकट आ गया है। सूखे से सेब के बगीचे बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। बर्फ नहीं गिरने से टूरिस्ट मायूस है और बहुत कम ही प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर पहुंच रहा है। सूखे से किसानों की फसलों को भी नुकसान हो रहा है। कुफरी के पर्यटन कारोबारी रोशन वर्मा ने बताया कि तीन-चार सालों से बर्फ नहीं गिर रही है। पर्यटन कारोबार पर इसकी मार पड़ रही है। शीतलहर से शिमला से ठंडे हुए मैदानी इलाके बारिश-बर्फबारी नहीं होने से तापमान में उछाल आ रहा है। आलम यह है कि शिमला का न्यूनतम तापमान सामान्य से 6 डिग्री ज्यादा के साथ 9.6 डिग्री सेल्सियस हो गया है। शिमला की तुलना में मैदानी इलाकों में शीतलहर चल रही है। इससे ऊना का पारा 0.6 डिग्री, हमीरपुर का 1.3 डिग्री, मंडी का 2.3 डिग्री और बिलासपुर का पारा 2.0 डिग्री तक गिर गया है।
हिमाचल के वीरों ने दिखाया था ‘पहाड़’ जैसा शौर्य:कारगिल युद्ध में 52 ने दी थी शहादत; आज पूरा देश कर रहा नमन; जगह-जगह कार्यक्रम
हिमाचल के वीरों ने दिखाया था ‘पहाड़’ जैसा शौर्य:कारगिल युद्ध में 52 ने दी थी शहादत; आज पूरा देश कर रहा नमन; जगह-जगह कार्यक्रम देश के साथ हिमाचल प्रदेश में भी कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। इस लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के 527 वीर सपूतों में 52 देवभूमि हिमाचल प्रदेश के थे। इसी वजह से हिमाचल को देवभूमि के साथ साथ वीरभूमि कहा जाता है। 25 मई से 26 जुलाई 1999 के बीच पाकिस्तान के साथ चली जंग में बलिदान देने वाले इन वीरभूमि के इन सपूतों को आज प्रदेश में याद किया जा रहा है और श्रद्धांजलि दी जा रही है। कारगिल युद्ध में सेना के सर्वोच्च सम्मान 2 परमवीर चक्र समेत अनेकों चक्र हिमाचल के वीरों के कंधे पर सुसज्जित हैं। कैप्टन विक्रम बतरा को (मरणोपरांत) और राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस युद्ध में शहादत पाने वालों में कांगड़ा जिले के 15 जवान, मंडी के 10, हमीरपुर के 8, बिलासपुर 7, शिमला 4, ऊना, सोलन व सिरमौर के 2-2 तथा चंबा व कुल्लू जिले से 1-1 जवान शामिल थे। बतरा ने 5140 चोटी से कहा, यह दिल मांगे मोर इस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा की गर्जन से दहशत में आ जाती थी। पहली जून 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प व रॉकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग की सबसे महत्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदीरी कैप्टन विक्रम बतरा को सौंपी गई। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम बतरा अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 की सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर 5140 चोटी को अपने कब्जे में ले लिया। विक्रम बतरा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय उद्घोष यह दिल मांगे मोर कहा तो सेना ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया। देवभूमि के इस सपूत को 15 दिन बंधी बनाकर दी अमानवीय यातनाएं कारगिल युद्ध में पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी सैनिकों ने 15 दिनों तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उन्हें कई अमानवीय यातनाएं दी गईं और वह अपनी पहली सैलरी लेने से पहले शहीद हो गए थे। शहादत के वक्त उनकी उम्र मात्र 22 साल थी। आज पूरा देश उन्हें इस शहादत के लिए याद कर रहा है। वीर सपूतों की कहानी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (युद्ध सेवा मेडल) सेवानिवृत कारगिल हीरो ने बताया कि उनके पास 18 ग्रेनेडियर की कमान थी। हमारी युद्ध यूनिट ने तोलोलिंग की पहाड़ी और करगिल की पहाड़ी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराई थी। 18 ग्रेनेडियर की इस यूनिट को 52 वीरता पुरस्कार मिले थे, जो अब तक का मिलिट्री इतिहास है। जब तोलोलिंग पर दुश्मन के साथ संघर्ष चल रहा था तो हमारे उपकमान अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल आर विश्वनाथन मेरी ही गोद में वीरगति को प्राप्त हुए। उस दृश्य को याद करता हूं तो सिहर उठता हूं। करगिल का युद्ध इतना कठिन था कि वहां छिपने के लिए खाली व सूखी पहाड़ियों के अलावा तिनका तक भी नहीं था। तोलोलिंग की लड़ाई हमने 22 दिन तक लड़ी। उसके बाद यूनिट ने द्रास सेक्टर की सबसे मुश्किल और मशहूर चोटी टाइगर हिल्स फतह की। करगिल की लड़ाई में मेरी यूनिट 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता पुरस्कार दिए गए। उन्होंने बताया कि आज भी उस घटनाक्रम को याद करता हूं तो रोमांच व साहस से भर जाता हूं। कारगिल युद्ध में शहादत पाने वाले 52 जवान… पहाड़ सा शौर्य, फिर भी अपनी रेजिमेंट नहीं हिमाचल का यह दुर्भाग्य है कि सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता राज्य को आजादी के 77 साल बाद भी सेना की रेजिमेंट नहीं मिल पाई। कांगड़ा के मेजर सोमनाथ शर्मा ने पहला परमवीर चक्र मेडल हासिल कर हिमाचल के साहस की पहचान को शिखर पर पहुंचाया था। मेजर सोमनाथ के अलावा पालमपुर के कैप्टन विक्रम बतरा, धर्मशाला के लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा और बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार ने परमवीर चक्र हासिल कर अदम्य साहस की परंपरा को आगे बढ़ाया। इसी तरह 1200 से ज्यादा गैलेंटरी अवार्ड और तमाम अवार्ड हिमाचल के रणबांकुरों के नाम हैं। फिर भी राज्य की अपनी रेंजिमेंट की कमी आज भी खल रही है।
हिमाचल CM के बयान से भाजपा में खलबली:बोले-इनके 9 विधायकों की जा सकती है सदस्यता; विधानसभा में मार्शल से दुर्व्यवहार, कागजात फाड़ने का मामला
हिमाचल CM के बयान से भाजपा में खलबली:बोले-इनके 9 विधायकों की जा सकती है सदस्यता; विधानसभा में मार्शल से दुर्व्यवहार, कागजात फाड़ने का मामला हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के एक बयान ने प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा, भारतीय जनता पार्टी के 9 विधायकों की सदस्यता जा सकती है। इनकी सीटों पर उपचुनाव हो सकता है। ऐसा हुआ तो कांग्रेस के विधायकों की संख्या 50 के करीब पहुंच सकती है। प्रदेश में सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा में CM के इस बयान ने खलबली मचा दी है। दरअसल, बीते 28 फरवरी को BJP के 9 विधायकों ने विधानसभा सदन के बीचो-बीच बैठने वाले विधानसभा रिपोर्टर से कागज छीन कर सदन में फाड़े और स्पीकर चेयर की और फेंके। स्पीकर ने जब मार्शल के माध्यम से इन्हें सदन से बाहर करने के आदेश दिए, तो मार्शल के साथ भी विधायकों की बहसबाजी की और बीजेपी विधायक सदन से बाहर नहीं गए। यह आरोप कांग्रेस ने बीजेपी विधायकों पर लगाया है। इस सारे प्रकरण के वीडियो भी मौजूद होने का विधानसभा सचिवालय प्रशासन दावा कर रहा है। इन्हीं के आधार पर स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने बीजेपी के इन विधायकों को बजट सत्र की कार्यवाही के लिए निष्कासित किया था। कांग्रेस विधायक सोलंकी ने की शिकायत इस बीच कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी ने बीजेपी के इन विधायकों के खिलाफ स्पीकर के पास एक याचिका दायर की और सदन की मर्यादाओं को तार-तार करने का आरोप लगाते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके बाद विधानसभा सचिवालय प्रशासन ने भी 9 विधायकों को संविधान के अनुच्छेद-194 के तहत नोटिस जारी किए। अब इस मामले में स्पीकर का फैसला आना बाकी है। सीएम बोले- अपने विधायकों की चिंता करें जयराम इस पर सीएम सुक्खू ने कहा, जयराम ठाकुर सरकार बनाने के सपने लेना छोड़ दें। कांग्रेस के पास 38 विधायक हैं। हाईकोर्ट में चल रहे CPS केस को लेकर जयराम ठाकुर लोगों को बहका रहे हैं। उन्होंने कहा कि जयराम को CPS की नहीं, बल्कि अपने 9 विधायकों की चिंता करनी चाहिए, जिन्होंने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कागजात फाड़कर आसन का अपमान किया और गुंडागर्दी का नंगा नाच सदन के भीतर खेला। इनके खिलाफ स्पीकर के पास याचिका लंबित है। इसलिए जयराम को उनकी चिंता करनी चाहिए। CM के बयान से गरमाई हिमाचल की सियासत मुख्यमंत्री के इस बयान ने प्रदेश की सियासत को एक बार फिर गरमा दिया है। उन्होंने संकेत दिया कि आने वाले दिनों में बीजेपी के नौ विधायकों पर विधानसभा स्पीकर कार्रवाई कर सकते हैं। अभी विधानसभा में दलीय स्थिति वर्तमान में बीजेपी के पास 27 विधायक और कांग्रेस के पास 38 एमएलए है, जबकि तीन पर उप चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में यदि बीजेपी के 9 विधायकों की सदस्यता जाती है तो नौ सीटों पर उप चुनाव तय है। CPS को लेकर नेता प्रतिपक्ष बार बार बोल रहे हमला वहीं जयराम ठाकुर भी बार बार छह CPS की सदस्यता जाने की बात कह रहे है। बीजेपी के 11 विधायकों ने सुक्खू सरकार द्वारा लगाए गए छह CPS को हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व रखा है। ऐसे में यदि हाईकोर्ट इनकी सदस्यता को रद्द करता है तो इनकी सीटों पर भी उप चुनाव हो सकता है।