सरकारी केंद्रों पर गेहूं की खरीद समाप्त हो गई। साढ़े तीन महीने की मशक्कत के बाद सरकारी मशीनरी सिर्फ 7.25 फीसदी ही गेहूं खरीद का लक्ष्य हासिल कर सकी। जिले में 69 केंद्रों के जरिए 4134 मीट्रिक टन 874 किसानों से गेहूं खरीदा गया। वहीं किसानों ने इस बार सरकारी मशीनरी को गेंहू बेचा ही नहीं, सभी किसानों ने लोकल व्यापारियों को सीधे गेंहू बेच दिया। सबसे खराब स्थिति पीसीएफ की रही
गेहूं खरीद में सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश प्रादेशिक कोआपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) की रही। पीसीएफ के 29 केंद्रों पर सिर्फ 2.89 फीसदी यानी 708 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हुई। बीते वर्ष 57000 मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 398 मी.टन गेंहूं की खरीद हुई थी। 69 केंद्रों पर शुरू हुई थी खरीद
एक मार्च को जिले के 69 केंद्रों पर गेहूं की खरीद शुरू की गई थी। पांच एजेंसियों (खाद्य विभाग, भारतीय खाद्य निगम, पीसीएफ, पीसीयू, यूपीएसएस) को गेहूं का खरीद का जिम्मा दिया गया था। शासन ने जिले को 57,000 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य दिया था। 15 मई के बाद किसानों ने आना बंद किया
15 मई के बाद किसानों ने केंद्रों पर आना बंद कर दिया था। मोबाइल सेंटरों के जरिए किसानों के घरों से सरकारी मशीनरी ने गेहूं खरीदा था। तमाम कोशिश के बाद भी सरकारी मशीनरी बमुश्किल 4134 मीट्रिक टन गेहूं खरीद सकी। हालांकि पिछली वर्ष से इस बार ज्यादा खरीदारी हुई। इसमें अकेले खाद्य विभाग ने 18 सेंटरों के माध्यम से 2336 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा। एजेंसियों ने गेंहू खरीद के नाम पर औपचारिकता
बाकी एजेंसियों ने तो गेहूं खरीद के नाम पर सिर्फ अपनी औपचारिकता पूरी की। भारतीय खाद्य निगम ने पांच केंद्रों पर 345 मी.टन, पीसीएफ ने 29 केंद्रों पर 708 मी. टन, पीसीयू ने 12 केंद्रों पर 663 मी.टन, यूपीएसएफ ने 5 केंद्रों पर 80 मी.टन गेंहू खरीदा। जिम्मेदार का पक्ष भी पढ़िए…
जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी संजीव राय के मुताबिक शासन के निर्देशन पर गेंहूं की खरीद हुई है। 874 किसानों से 4134 मीट्रिक टन गेंहू खरीद हो सकी है। लगातार प्रयास के बाद भी किसान केंद्रों पर गेंहू बिक्री करने नहीं पहुंचे। सरकारी केंद्रों पर गेहूं की खरीद समाप्त हो गई। साढ़े तीन महीने की मशक्कत के बाद सरकारी मशीनरी सिर्फ 7.25 फीसदी ही गेहूं खरीद का लक्ष्य हासिल कर सकी। जिले में 69 केंद्रों के जरिए 4134 मीट्रिक टन 874 किसानों से गेहूं खरीदा गया। वहीं किसानों ने इस बार सरकारी मशीनरी को गेंहू बेचा ही नहीं, सभी किसानों ने लोकल व्यापारियों को सीधे गेंहू बेच दिया। सबसे खराब स्थिति पीसीएफ की रही
गेहूं खरीद में सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश प्रादेशिक कोआपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) की रही। पीसीएफ के 29 केंद्रों पर सिर्फ 2.89 फीसदी यानी 708 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हुई। बीते वर्ष 57000 मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 398 मी.टन गेंहूं की खरीद हुई थी। 69 केंद्रों पर शुरू हुई थी खरीद
एक मार्च को जिले के 69 केंद्रों पर गेहूं की खरीद शुरू की गई थी। पांच एजेंसियों (खाद्य विभाग, भारतीय खाद्य निगम, पीसीएफ, पीसीयू, यूपीएसएस) को गेहूं का खरीद का जिम्मा दिया गया था। शासन ने जिले को 57,000 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य दिया था। 15 मई के बाद किसानों ने आना बंद किया
15 मई के बाद किसानों ने केंद्रों पर आना बंद कर दिया था। मोबाइल सेंटरों के जरिए किसानों के घरों से सरकारी मशीनरी ने गेहूं खरीदा था। तमाम कोशिश के बाद भी सरकारी मशीनरी बमुश्किल 4134 मीट्रिक टन गेहूं खरीद सकी। हालांकि पिछली वर्ष से इस बार ज्यादा खरीदारी हुई। इसमें अकेले खाद्य विभाग ने 18 सेंटरों के माध्यम से 2336 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा। एजेंसियों ने गेंहू खरीद के नाम पर औपचारिकता
बाकी एजेंसियों ने तो गेहूं खरीद के नाम पर सिर्फ अपनी औपचारिकता पूरी की। भारतीय खाद्य निगम ने पांच केंद्रों पर 345 मी.टन, पीसीएफ ने 29 केंद्रों पर 708 मी. टन, पीसीयू ने 12 केंद्रों पर 663 मी.टन, यूपीएसएफ ने 5 केंद्रों पर 80 मी.टन गेंहू खरीदा। जिम्मेदार का पक्ष भी पढ़िए…
जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी संजीव राय के मुताबिक शासन के निर्देशन पर गेंहूं की खरीद हुई है। 874 किसानों से 4134 मीट्रिक टन गेंहू खरीद हो सकी है। लगातार प्रयास के बाद भी किसान केंद्रों पर गेंहू बिक्री करने नहीं पहुंचे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर