बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी अपकमिंग फिल्म ‘रौतू का राज़’ के प्रमोशन के लिए बुधवार को लखनऊ पहुंचे थे। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने लखनऊ में बिताए अपने पुराने दिनों को याद किया। कहा- थिएटर के दिनों में हजरतगंज उनका अड्डा हुआ करता था। यहां की अपनी पसंदीदा चाय की दुकान और पुरानी साइकिल की सवारी का भी जिक्र किया। नवाजुद्दीन ने भारतेन्दु नाट्य अकादमी (बीएनए) से पढ़ाई की है। पढ़ाई के दिनों की यादें शेयर करने के साथ फिल्म में अपने रोल को लेकर भी बात की। उन्होंने बताया- ओटीटी के आने से वास्तविकता दिखाना ज्यादा सरल हो गया है। बड़े पर्दे पर इसकी गुजांइश थोड़ी कम होती है। नवाज इस फिल्म में एक पुलिस वाले की भूमिका में हैं। पेश है पूरी बातचीत… सवाल – लखनऊ में कौन सी फिल्म के प्रमोशन के लिए आए हैं, उसके बारे में थोड़ा बताएं।
जवाब – ‘रौतू का राज़’ फिल्म का नाम है। यह एक जगह का नाम है। फिल्म भी रौतू में ही शूट भी की गई है। यह एक मर्डर मिस्ट्री फिल्म है। 28 जून को फिल्म रिलीज हो रही है। इसमें जहां मर्डर होता है वहां कभी कोई क्राइम हुआ ही नहीं है। अब फिल्म में ऐसे कातिल को पकड़ा जाता है। उसका पूरा प्रॉसेस क्या है। यह देखने लायक है। सवाल – 70 के दशक में फिल्म में पुलिस वाला हीरो होता था। क्या इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है?
जवाब – उस समय और अब का दौर बदला है। अब ज्यादा रियल फिल्म हैं। अब आप ऐसी फिल्म नहीं देखेंगे जिसमें पुलिस स्टेशन पर जाते ही कोई जूते टेबल पर रख दे। कितना भी बड़ा कोई क्यों न हो ऐसा नहीं कर सकता था। आज की फिल्में हकीकत से थोड़ा करीब हैं। उस दौर में ऐसा नहीं था। सच्चाई तो यही है कि आप किसी पुलिस स्टेशन में जाते हैं तो हालत तो खराब ही हो जाती है। सवाल – ओटीटी पर जितना हम रियल दिखा लेते हैं उतना बड़े पर्दे पर नहीं दिखा पाते हैं?
जवाब – बिल्कुल सही बात है। क्योंकि ओटीटी रियल चीज दिखाने की अनुमति देता है। बहुत सी फिल्म है, जिसमें रियल दिखाने की कोशिश होती है। हमारी फिल्म भी देखेंगे तो आप यही पाएंगे। सवाल – आपने लखनऊ में एक्टिंग की शुरुआत की। पिछली बार आप लखनऊ आए थे तो बीएनन गए थे?
जवाब – बीएनए से बहुत लगाव है लेकिन इस बार नहीं जा पा रहा हूं। आज के दिन निकलना है ऐसे में जाना संभव नहीं है। लेकिन कोशिश होगी कि अगली बार जरूर जाएं। सवाल – लखनऊ में जब आप रहते थे तो आपका अड्डा क्या होता था। चाय की चुस्की दोस्तों के साथ कहां होती थी?
जवाब – लखनऊ में हमारा अड्डा हजरतगंज होता था। वहां फिल्म देखने के बाद हम अड्डे बाजी करते थे। गोमती नगर तब उतना डेवलप नहीं था। यहां बालू ज्यादा हुआ करता था। गंज से हम साइकिल से गोमती बैराज होते हुए बीएनए आते थे। उस समय पहले बीएनन निशातगंज में था। ऐसे में छन्नी लाल चौराहे से लेकर आस-पास के इलाकों में बैठकी होती थी। सवाल – आप किसके साथ काम करना चाहते हैं। हर एक्टर की तमन्ना होती है किसी के साथ काम करने की?
जवाब – वह मेरे एक थिएटर के दिनों के साथी हैं। लखनऊ में उन्होंने काफी लंबा वक्त बिताया था। विजय शुक्ला उनका नाम है। उनके साथ काम करना चाहूंगा। सवाल – नए कलाकार या जो फिल्मों में आना चाहते हैं उनके लिए क्या कहना चाहेंगे?
जवाब – उनके लिए कहना चाहूंगा कि एक्टर वाली फिल्म थियेटर में जरूर देंखे। उससे एक्टिंग की बारिकियां पता चलती हैं। बड़े पर्दे पर एक्सप्रेशन पता चलता है। सवाल – अनुराग कश्यप लखनऊ में अपनी फिल्म शूट कर रहे हैं, उनसे मिलेंगे क्या?
जवाब – इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। आप लोग अनुराग का ध्यान रखिएगा। वह अपनी सेहत को लेकर लापरवाह है। उन्होंने एक्टिंग को बहुत करीब से देखा है। ऐसे में उनके साथ बोलना भी नहीं पड़ता है। बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी अपकमिंग फिल्म ‘रौतू का राज़’ के प्रमोशन के लिए बुधवार को लखनऊ पहुंचे थे। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने लखनऊ में बिताए अपने पुराने दिनों को याद किया। कहा- थिएटर के दिनों में हजरतगंज उनका अड्डा हुआ करता था। यहां की अपनी पसंदीदा चाय की दुकान और पुरानी साइकिल की सवारी का भी जिक्र किया। नवाजुद्दीन ने भारतेन्दु नाट्य अकादमी (बीएनए) से पढ़ाई की है। पढ़ाई के दिनों की यादें शेयर करने के साथ फिल्म में अपने रोल को लेकर भी बात की। उन्होंने बताया- ओटीटी के आने से वास्तविकता दिखाना ज्यादा सरल हो गया है। बड़े पर्दे पर इसकी गुजांइश थोड़ी कम होती है। नवाज इस फिल्म में एक पुलिस वाले की भूमिका में हैं। पेश है पूरी बातचीत… सवाल – लखनऊ में कौन सी फिल्म के प्रमोशन के लिए आए हैं, उसके बारे में थोड़ा बताएं।
जवाब – ‘रौतू का राज़’ फिल्म का नाम है। यह एक जगह का नाम है। फिल्म भी रौतू में ही शूट भी की गई है। यह एक मर्डर मिस्ट्री फिल्म है। 28 जून को फिल्म रिलीज हो रही है। इसमें जहां मर्डर होता है वहां कभी कोई क्राइम हुआ ही नहीं है। अब फिल्म में ऐसे कातिल को पकड़ा जाता है। उसका पूरा प्रॉसेस क्या है। यह देखने लायक है। सवाल – 70 के दशक में फिल्म में पुलिस वाला हीरो होता था। क्या इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है?
जवाब – उस समय और अब का दौर बदला है। अब ज्यादा रियल फिल्म हैं। अब आप ऐसी फिल्म नहीं देखेंगे जिसमें पुलिस स्टेशन पर जाते ही कोई जूते टेबल पर रख दे। कितना भी बड़ा कोई क्यों न हो ऐसा नहीं कर सकता था। आज की फिल्में हकीकत से थोड़ा करीब हैं। उस दौर में ऐसा नहीं था। सच्चाई तो यही है कि आप किसी पुलिस स्टेशन में जाते हैं तो हालत तो खराब ही हो जाती है। सवाल – ओटीटी पर जितना हम रियल दिखा लेते हैं उतना बड़े पर्दे पर नहीं दिखा पाते हैं?
जवाब – बिल्कुल सही बात है। क्योंकि ओटीटी रियल चीज दिखाने की अनुमति देता है। बहुत सी फिल्म है, जिसमें रियल दिखाने की कोशिश होती है। हमारी फिल्म भी देखेंगे तो आप यही पाएंगे। सवाल – आपने लखनऊ में एक्टिंग की शुरुआत की। पिछली बार आप लखनऊ आए थे तो बीएनन गए थे?
जवाब – बीएनए से बहुत लगाव है लेकिन इस बार नहीं जा पा रहा हूं। आज के दिन निकलना है ऐसे में जाना संभव नहीं है। लेकिन कोशिश होगी कि अगली बार जरूर जाएं। सवाल – लखनऊ में जब आप रहते थे तो आपका अड्डा क्या होता था। चाय की चुस्की दोस्तों के साथ कहां होती थी?
जवाब – लखनऊ में हमारा अड्डा हजरतगंज होता था। वहां फिल्म देखने के बाद हम अड्डे बाजी करते थे। गोमती नगर तब उतना डेवलप नहीं था। यहां बालू ज्यादा हुआ करता था। गंज से हम साइकिल से गोमती बैराज होते हुए बीएनए आते थे। उस समय पहले बीएनन निशातगंज में था। ऐसे में छन्नी लाल चौराहे से लेकर आस-पास के इलाकों में बैठकी होती थी। सवाल – आप किसके साथ काम करना चाहते हैं। हर एक्टर की तमन्ना होती है किसी के साथ काम करने की?
जवाब – वह मेरे एक थिएटर के दिनों के साथी हैं। लखनऊ में उन्होंने काफी लंबा वक्त बिताया था। विजय शुक्ला उनका नाम है। उनके साथ काम करना चाहूंगा। सवाल – नए कलाकार या जो फिल्मों में आना चाहते हैं उनके लिए क्या कहना चाहेंगे?
जवाब – उनके लिए कहना चाहूंगा कि एक्टर वाली फिल्म थियेटर में जरूर देंखे। उससे एक्टिंग की बारिकियां पता चलती हैं। बड़े पर्दे पर एक्सप्रेशन पता चलता है। सवाल – अनुराग कश्यप लखनऊ में अपनी फिल्म शूट कर रहे हैं, उनसे मिलेंगे क्या?
जवाब – इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। आप लोग अनुराग का ध्यान रखिएगा। वह अपनी सेहत को लेकर लापरवाह है। उन्होंने एक्टिंग को बहुत करीब से देखा है। ऐसे में उनके साथ बोलना भी नहीं पड़ता है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर