वाराणसी के उद्योगपति दीनानाथ झुनझुनवाला के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई 24 घंटे से जारी है। ईडी शुक्रवार से वाराणसी के नाटी इमली में उनके घर पर मौजूद है। वाराणसी की आशापुर और हिरामन की ऑयल मिल में दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। साथ ही, दिल्ली, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कोलकाता, राजस्थान समेत देश में 7 ठिकानों पर पड़ताल जारी है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले 10 साल के लेन-देन के सभी लेजर और फाइलों को जब्त किया गया है। 24 घंटे में ईडी ने 400 कॉपी प्रिंट आउट लिए, जिसमें कंपनी के लेन-देन की जानकारी जुड़ी है। इसके अलावा दीनानाथ और सत्य नारायण झुनझुनवाला से कई राउंड पूछताछ भी कर रही है। उनके लैपटॉप भी जब्त कर लिए हैं और एकाउंटेंट-सीए को भी जांच में सहयोग के लिए कहा है। सूत्रों की माने तो अब तक ईडी के हाथ कई महत्वपूर्ण दस्तावेज लगे हैं। अभी तक किसी को भी अंदर-बाहर जाने की इजाजत नहीं है। पहले छापामारी की वजह… अब कार्रवाई समझिए… ED ने दो लैपटॉप और 100 से अधिक फाइलों को कब्जे में लिया
उद्यमी झुनझुनवाला के खिलाफ 2019 में सीबीआई ने करीब 1000 करोड़ के बैंक फ्रॉड का केस दर्ज किया था। इसमें पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का करीब 900 करोड़ हैं। उनकी कंपनी जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड सबसे बड़ी कर्जदार है। जेवीएल एग्रो ने देशभर में बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक की अलग-अलग बैंक शाखाओं से बड़ा लोन लिया था। आरोप है कि बैंकर्स से मिलीभगत कर लोन लिए और उसे लौटाया नहीं। खास बात यह है कि स्टॉक और बैलेंस शीट की गलत जानकारी देने के बावजूद बैंकों ने करोड़ों की क्रेडिट लिमिट दे दी थी। अब इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर ED की एंट्री हुई थी। इसकी जांच में वाराणसी में छापामारी हुई। सूत्रों के मुताबिक, ED ने दो लैपटॉप और 100 से अधिक फाइलों को कब्जे में लिया है। 7-8 वर्ष से बंद हैं सभी फैक्ट्रियां
जेवीएल ऑयल कंपनी के मालिक दीनानाथ झुनझुनवाला की फैक्ट्रियों पर पिछले 5 साल से ताला जड़ा है। वहीं कुछ कंपनी सात-आठ साल से पूरी तरह से बंद हैं। पूर्वांचल में अरबों का कारोबार करने वाली इन कंपनियों की साख को बट्टा लग चुका है। झुनझुनवाला ने बड़े उद्योगपति बनने के लिए बैंकों से बड़े लोन लिए, बड़े अमाउंट को कारोबार में लगाया, लेकिन बैंकों को लोन वापस नहीं लौटाया। सीबीआई ने देश के बैंक डिफाल्टर की सूची बनाई, जिसमें झुनझुनवाला भी बड़ा नाम थे। 2012-13 में सीबीआई वाराणसी पहुंची और जांच के बाद सभी बैंक खाते सीज कर दिए। इसके अलावा 2013 में आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। सीबीआई ने यह छापेमारी ने बैंकों से लगभग 7 हजार करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में दर्ज 35 मुकदमों को लेकर की थी। हालांकि इससे पहले भी केंद्रीय और प्रदेश की एजेंसियों ने कार्रवाई की, लेकिन जेवीएल ग्रुप पर यह बड़ी चोट थी। इसके बाद एक-एक करके सभी फैक्ट्रियों पर ताले लग गए। पहले फेरी लगाई फिर विदेशों तक पहुंचाया कारोबार
दीनानाथ झुनझुनवाला ने फेरी लगाकर कपड़े बेचते थे। फिर, बिस्किट फैक्ट्री खोली। 17 नवंबर 1989 को झुनझुनवाला ने वनस्पति लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई, जिसे जौनपुर के नाऊपुर में स्थापित किया। 1990 से कंपनी ने वनस्पति तेल बनाना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में कारोबार चल पड़ा। 25 टन प्रतिदिन के उत्पादन से शुरुआत करने वाली यह कंपनी बाद में करीब एक हजार टन प्रतिदिन उत्पादन करने लगी। 2008 में कंपनी ने अपना नाम जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड किया। जेवीएल एग्रो ने वनस्पति, रिफाइंड सोयाबीन और सरसों तेल बनाया। झूला ब्रांड काफी लोकप्रिय हुआ। झुनझुनवाला का कारोबार इंडोनेशिया, चेकोस्लोवाकिया, मलेशिया और श्रीलंका में भी है। बड़ा बेटा संभलता है व्यापार, दूसरे बेटे ने खुद को किया अलग
दीनानाथ झुनझुनवाला (90) बिहार में भागलपुर के रहने वाले हैं। पत्नी किशोरी देवी (87) से उनके तीन बेटे थे। उनके पूरे कारोबार को बड़े बेटे सत्यनारायण झुनझुनवाला संभालते हैं। बैंकों की छापेमारी और करोड़ों के लेनदेन के बीच दीनानाथ के दूसरे बेटे ने खुद को उनसे अलग कर रखा है। वह वाराणसी के सारनाथ में रहकर अलग कारोबार करते हैं और दस्तावेजों में पिता-भाई से संबंध तोड़ लिया है। झुनझुनवाला के तीसरे बेटे की कैंसर से मौत हो चुकी है, वहीं तीन बेटियों की वर्षों पहले शादी कर दी जो ससुराल में रहती हैं। वाराणसी के उद्योगपति दीनानाथ झुनझुनवाला के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई 24 घंटे से जारी है। ईडी शुक्रवार से वाराणसी के नाटी इमली में उनके घर पर मौजूद है। वाराणसी की आशापुर और हिरामन की ऑयल मिल में दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। साथ ही, दिल्ली, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कोलकाता, राजस्थान समेत देश में 7 ठिकानों पर पड़ताल जारी है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले 10 साल के लेन-देन के सभी लेजर और फाइलों को जब्त किया गया है। 24 घंटे में ईडी ने 400 कॉपी प्रिंट आउट लिए, जिसमें कंपनी के लेन-देन की जानकारी जुड़ी है। इसके अलावा दीनानाथ और सत्य नारायण झुनझुनवाला से कई राउंड पूछताछ भी कर रही है। उनके लैपटॉप भी जब्त कर लिए हैं और एकाउंटेंट-सीए को भी जांच में सहयोग के लिए कहा है। सूत्रों की माने तो अब तक ईडी के हाथ कई महत्वपूर्ण दस्तावेज लगे हैं। अभी तक किसी को भी अंदर-बाहर जाने की इजाजत नहीं है। पहले छापामारी की वजह… अब कार्रवाई समझिए… ED ने दो लैपटॉप और 100 से अधिक फाइलों को कब्जे में लिया
उद्यमी झुनझुनवाला के खिलाफ 2019 में सीबीआई ने करीब 1000 करोड़ के बैंक फ्रॉड का केस दर्ज किया था। इसमें पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का करीब 900 करोड़ हैं। उनकी कंपनी जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड सबसे बड़ी कर्जदार है। जेवीएल एग्रो ने देशभर में बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक की अलग-अलग बैंक शाखाओं से बड़ा लोन लिया था। आरोप है कि बैंकर्स से मिलीभगत कर लोन लिए और उसे लौटाया नहीं। खास बात यह है कि स्टॉक और बैलेंस शीट की गलत जानकारी देने के बावजूद बैंकों ने करोड़ों की क्रेडिट लिमिट दे दी थी। अब इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर ED की एंट्री हुई थी। इसकी जांच में वाराणसी में छापामारी हुई। सूत्रों के मुताबिक, ED ने दो लैपटॉप और 100 से अधिक फाइलों को कब्जे में लिया है। 7-8 वर्ष से बंद हैं सभी फैक्ट्रियां
जेवीएल ऑयल कंपनी के मालिक दीनानाथ झुनझुनवाला की फैक्ट्रियों पर पिछले 5 साल से ताला जड़ा है। वहीं कुछ कंपनी सात-आठ साल से पूरी तरह से बंद हैं। पूर्वांचल में अरबों का कारोबार करने वाली इन कंपनियों की साख को बट्टा लग चुका है। झुनझुनवाला ने बड़े उद्योगपति बनने के लिए बैंकों से बड़े लोन लिए, बड़े अमाउंट को कारोबार में लगाया, लेकिन बैंकों को लोन वापस नहीं लौटाया। सीबीआई ने देश के बैंक डिफाल्टर की सूची बनाई, जिसमें झुनझुनवाला भी बड़ा नाम थे। 2012-13 में सीबीआई वाराणसी पहुंची और जांच के बाद सभी बैंक खाते सीज कर दिए। इसके अलावा 2013 में आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। सीबीआई ने यह छापेमारी ने बैंकों से लगभग 7 हजार करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में दर्ज 35 मुकदमों को लेकर की थी। हालांकि इससे पहले भी केंद्रीय और प्रदेश की एजेंसियों ने कार्रवाई की, लेकिन जेवीएल ग्रुप पर यह बड़ी चोट थी। इसके बाद एक-एक करके सभी फैक्ट्रियों पर ताले लग गए। पहले फेरी लगाई फिर विदेशों तक पहुंचाया कारोबार
दीनानाथ झुनझुनवाला ने फेरी लगाकर कपड़े बेचते थे। फिर, बिस्किट फैक्ट्री खोली। 17 नवंबर 1989 को झुनझुनवाला ने वनस्पति लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई, जिसे जौनपुर के नाऊपुर में स्थापित किया। 1990 से कंपनी ने वनस्पति तेल बनाना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में कारोबार चल पड़ा। 25 टन प्रतिदिन के उत्पादन से शुरुआत करने वाली यह कंपनी बाद में करीब एक हजार टन प्रतिदिन उत्पादन करने लगी। 2008 में कंपनी ने अपना नाम जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड किया। जेवीएल एग्रो ने वनस्पति, रिफाइंड सोयाबीन और सरसों तेल बनाया। झूला ब्रांड काफी लोकप्रिय हुआ। झुनझुनवाला का कारोबार इंडोनेशिया, चेकोस्लोवाकिया, मलेशिया और श्रीलंका में भी है। बड़ा बेटा संभलता है व्यापार, दूसरे बेटे ने खुद को किया अलग
दीनानाथ झुनझुनवाला (90) बिहार में भागलपुर के रहने वाले हैं। पत्नी किशोरी देवी (87) से उनके तीन बेटे थे। उनके पूरे कारोबार को बड़े बेटे सत्यनारायण झुनझुनवाला संभालते हैं। बैंकों की छापेमारी और करोड़ों के लेनदेन के बीच दीनानाथ के दूसरे बेटे ने खुद को उनसे अलग कर रखा है। वह वाराणसी के सारनाथ में रहकर अलग कारोबार करते हैं और दस्तावेजों में पिता-भाई से संबंध तोड़ लिया है। झुनझुनवाला के तीसरे बेटे की कैंसर से मौत हो चुकी है, वहीं तीन बेटियों की वर्षों पहले शादी कर दी जो ससुराल में रहती हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर