लखनऊ की वो गली…जहां मिलती हैं कई किस्म की रोटियां:194 साल पहले ममदू साहब ने बनाई शीरमाल, 700 रुपए तक होती है कीमत

लखनऊ की वो गली…जहां मिलती हैं कई किस्म की रोटियां:194 साल पहले ममदू साहब ने बनाई शीरमाल, 700 रुपए तक होती है कीमत

घर में दावत हो या मेहमान आएं, रोटी तो सभी खाते हैं। लेकिन, जब बात लखनऊ की हो तो यहां रोटी के साथ शीरमाल भी खाई जाती है। शहर के अकबरी गेट में चावल वाली गली है। इस गली में 25 से ज्यादा ऐसी दुकानें हैं, जहां पर सिर्फ रोटियां बनाई जाती हैं। यहां कई वैराइटी की रोटियां बनाई जाती हैं। एक तरफ रुमाली रोटी तो कई तरह की तंदूरी रोटी और ड्राइ फ्रूट रोटियां भी बनाई जाती हैं। इन रोटियों की 8 रुपए से लेकर 700 रुपए तक की कीमत होती है। आज ‘जायका’ में जानते हैं यहां की रोटियों की वैराइटी के बारे में…. 1830 में पहली बार बनी शीरमाल
ममदू जानशीन अली हुसैनी शीरमाल शॉप हैं। इसके ऑनर और ममदू साहब के वंशज मोहम्मद उमर ने शीरमाल की शुरुआती कहानी बताई। उन्होंने कहा- 1830 के समय बादशाह नसीरुद्दीन हैदर का शासनकाल था। ममदू साहब की निहारी पाटा नाला लखनऊ में बिकती थी। एक बार बादशाह ने बुलाया और कहा कि इस निहारी के साथ कोई चीज ऐसी निकालें, जिससे यह खाई जा सके। उस वक्त उन्होंने ईरान से तंदूर मंगवाया था। इससे जो पहली रोटी बनी, वह बाकरखानी कहलाई। इसके बाद कई अन्य रोटियां बनीं। एक रोटी का शेप कुछ ठीक नहीं था, जिसे पहले चीरमाल नाम दिया गया। इस तरह से यह बाद में शीरमाल हो गई। इसमें किसी भी तरह का कोई कलर नहीं डाला जाता था। 2011 में बनाई जैनबियान जाफरानी शीरमाल
उमर कहते हैं- साल 2011 में मैंने एक नई शीरमाल बनाई, नाम दिया जैनबिया जाफरानी शीरमाल। यह मैदे के साथ जाफरान मिलाकर बनाई जाती है। इसकी कीमत करीब 100 रुपए से अधिक होती है। इसे बनाने के लिए मैदे में घी को मिलाकर गूंथा जाता है। फिर उसमें जाफरान डाला जाता है। इसके बाद इसमें जाफरानी कलर भी डालते हैं। इसे गर्म सर्व किया जाता है। इसे ज्यादातर लोग कबाब निहारी और कई अन्य डिशेज के साथ खाते हैं। सीजन फ्रूट की शीरमाल भी
उमर कहते हैं कि हमारे यहां फ्रूट शीरमाल भी बनाई जाती है। 1 शीरमाल की कीमत 700 रुपए तक होती है। कीमत इसलिए अधिक होती है, क्योंकि इसे बनाना बहुत मुश्किल होता है। इसे मैदा, घी और कई अन्य ड्राई-फ्रूट डालकर तैयार किया जाता है। फिर इसे तंदूर में रोका जाता है, जिससे कि अच्छे से सेंकी जा सके। तंदूर में अगर यह नहीं रुकेगी, तो नीचे गिर जाती है। यह इतनी सॉफ्ट होती है कि पकड़ते ही टूट जाती है। अलग-अलग तरह की रोटियां एक ही गली में
यहां मौजूद एक अन्य दुकानदार उमर कहते हैं- लंबे समय से यहां पर रोटियों की दुकानें हैं। यहां से रोटी घरों में दावतों के लिए मजलिसों के लिए जाती हैं। यहां से रोटियां हजारों की तादाद में जाती हैं। इनमें रुमाली रोटी, शीरमाल, धनिया रोटी, तंदूरी रोटी, कई तरह के कुलचे और ड्राई-फ्रूट रोटी शहर के अलग-अलग इलाकों में जाती है। क्या बोले कस्टमर घर में दावत हो या मेहमान आएं, रोटी तो सभी खाते हैं। लेकिन, जब बात लखनऊ की हो तो यहां रोटी के साथ शीरमाल भी खाई जाती है। शहर के अकबरी गेट में चावल वाली गली है। इस गली में 25 से ज्यादा ऐसी दुकानें हैं, जहां पर सिर्फ रोटियां बनाई जाती हैं। यहां कई वैराइटी की रोटियां बनाई जाती हैं। एक तरफ रुमाली रोटी तो कई तरह की तंदूरी रोटी और ड्राइ फ्रूट रोटियां भी बनाई जाती हैं। इन रोटियों की 8 रुपए से लेकर 700 रुपए तक की कीमत होती है। आज ‘जायका’ में जानते हैं यहां की रोटियों की वैराइटी के बारे में…. 1830 में पहली बार बनी शीरमाल
ममदू जानशीन अली हुसैनी शीरमाल शॉप हैं। इसके ऑनर और ममदू साहब के वंशज मोहम्मद उमर ने शीरमाल की शुरुआती कहानी बताई। उन्होंने कहा- 1830 के समय बादशाह नसीरुद्दीन हैदर का शासनकाल था। ममदू साहब की निहारी पाटा नाला लखनऊ में बिकती थी। एक बार बादशाह ने बुलाया और कहा कि इस निहारी के साथ कोई चीज ऐसी निकालें, जिससे यह खाई जा सके। उस वक्त उन्होंने ईरान से तंदूर मंगवाया था। इससे जो पहली रोटी बनी, वह बाकरखानी कहलाई। इसके बाद कई अन्य रोटियां बनीं। एक रोटी का शेप कुछ ठीक नहीं था, जिसे पहले चीरमाल नाम दिया गया। इस तरह से यह बाद में शीरमाल हो गई। इसमें किसी भी तरह का कोई कलर नहीं डाला जाता था। 2011 में बनाई जैनबियान जाफरानी शीरमाल
उमर कहते हैं- साल 2011 में मैंने एक नई शीरमाल बनाई, नाम दिया जैनबिया जाफरानी शीरमाल। यह मैदे के साथ जाफरान मिलाकर बनाई जाती है। इसकी कीमत करीब 100 रुपए से अधिक होती है। इसे बनाने के लिए मैदे में घी को मिलाकर गूंथा जाता है। फिर उसमें जाफरान डाला जाता है। इसके बाद इसमें जाफरानी कलर भी डालते हैं। इसे गर्म सर्व किया जाता है। इसे ज्यादातर लोग कबाब निहारी और कई अन्य डिशेज के साथ खाते हैं। सीजन फ्रूट की शीरमाल भी
उमर कहते हैं कि हमारे यहां फ्रूट शीरमाल भी बनाई जाती है। 1 शीरमाल की कीमत 700 रुपए तक होती है। कीमत इसलिए अधिक होती है, क्योंकि इसे बनाना बहुत मुश्किल होता है। इसे मैदा, घी और कई अन्य ड्राई-फ्रूट डालकर तैयार किया जाता है। फिर इसे तंदूर में रोका जाता है, जिससे कि अच्छे से सेंकी जा सके। तंदूर में अगर यह नहीं रुकेगी, तो नीचे गिर जाती है। यह इतनी सॉफ्ट होती है कि पकड़ते ही टूट जाती है। अलग-अलग तरह की रोटियां एक ही गली में
यहां मौजूद एक अन्य दुकानदार उमर कहते हैं- लंबे समय से यहां पर रोटियों की दुकानें हैं। यहां से रोटी घरों में दावतों के लिए मजलिसों के लिए जाती हैं। यहां से रोटियां हजारों की तादाद में जाती हैं। इनमें रुमाली रोटी, शीरमाल, धनिया रोटी, तंदूरी रोटी, कई तरह के कुलचे और ड्राई-फ्रूट रोटी शहर के अलग-अलग इलाकों में जाती है। क्या बोले कस्टमर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर