पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में एजुकेशन डिपार्टमेंट का सीनियर असिस्टेंट रात के समय पुलिस की वर्दी पहन कर लोगों से लूटपाट करता था। 24 जून को हुई लूट की घटना के बाद सीआईए स्टाफ पटियाला की टीम ने तीन मेंबरी गैंग को काबू किया है। एसएसपी वरुण शर्मा ने बताया कि गैंग का मास्टरमाइंड सीनियर असिस्टेंट जतिंदर पाल सिंह उर्फ खोखर उर्फ सनी दीपनगर पटियाला है, जिसके साथ ऑटो चालक का काम करने वाला वरिंदरपाल सिंह उर्फ बिंदु और प्रभजोत सिंह उर्फ जोत दशमेश नगर पटियाला को पकड़ा गया है। इस वारदात के बाद पकड़ा गया गैंग एसपी ने बताया कि बाबू सिंह कॉलोनी के रहने वाले सुनील कुमार के साथ 24 जून को खंडावाला चौक से बारादरी जाते समय लूट की वारदात हुई थी। मास्टरमाइंड आरोपी पुलिस की वर्दी पहनने के बाद कार की पिछली सीट पर बैठ जाता था। इन लोगों ने सुनील कुमार को बाग के नजदीक सफेद रंग की स्विफ्ट कार में आकर लूट की थी। घटना के बाद सब इंस्पेक्टर साहिब सिंह हजारा और उनकी टीम ने एसपी की सुपरविजन में इंस्पेक्टर शमिंदर सिंह की देखरेख में रेड करने के बाद इस गैंग को पकड़ा है। इस गैंग से सिपाही रैंक एक वर्दी स्नैचिंग किए हुए 20 मोबाइल फोन और कुछ कैश रिकवर किया है। इन इलाकों में की गई है वारदातें गैंग से पूछताछ में पता चला कि इन लोगों ने पटियाला शहर के पासी रोड एनवायरमेंट पार्क 21 नंबर ओवर ब्रिज के नीचे फैक्ट्री एरिया सरहिंद रोड बड़ी और छोटी बारादरी में दो दर्जन से अधिक वारदातें की है। पहले भी दर्ज है मामले लूटपाट करने वाले गैंग का मेंबर जितेंद्र पाल सिंह पंजाबी यूनिवर्सिटी के अंदर एजुकेशन डिपार्टमेंट में सीनियर असिस्टेंट का काम करता था जिसके खिलाफ साल 2020 में अर्बन स्टेट में नशा तस्करी का मामला दर्ज हुआ था। 32 साल का यह आरोपी बीए पास है। दूसरा आरोपी वरिंदरपाल सिंह 10वीं पास 31 साल का है जो ऑटो चालक का काम करता है। वहीं तीसरा आरोपी दसवीं पास 36 साल का है जो लेबर का काम करता था। जल्दी अमीर बनने के चक्कर में इन लोगों ने गैंग बनाया था और पुलिस की वर्दी जितेंद्र पाल सिंह पहनता था। पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में एजुकेशन डिपार्टमेंट का सीनियर असिस्टेंट रात के समय पुलिस की वर्दी पहन कर लोगों से लूटपाट करता था। 24 जून को हुई लूट की घटना के बाद सीआईए स्टाफ पटियाला की टीम ने तीन मेंबरी गैंग को काबू किया है। एसएसपी वरुण शर्मा ने बताया कि गैंग का मास्टरमाइंड सीनियर असिस्टेंट जतिंदर पाल सिंह उर्फ खोखर उर्फ सनी दीपनगर पटियाला है, जिसके साथ ऑटो चालक का काम करने वाला वरिंदरपाल सिंह उर्फ बिंदु और प्रभजोत सिंह उर्फ जोत दशमेश नगर पटियाला को पकड़ा गया है। इस वारदात के बाद पकड़ा गया गैंग एसपी ने बताया कि बाबू सिंह कॉलोनी के रहने वाले सुनील कुमार के साथ 24 जून को खंडावाला चौक से बारादरी जाते समय लूट की वारदात हुई थी। मास्टरमाइंड आरोपी पुलिस की वर्दी पहनने के बाद कार की पिछली सीट पर बैठ जाता था। इन लोगों ने सुनील कुमार को बाग के नजदीक सफेद रंग की स्विफ्ट कार में आकर लूट की थी। घटना के बाद सब इंस्पेक्टर साहिब सिंह हजारा और उनकी टीम ने एसपी की सुपरविजन में इंस्पेक्टर शमिंदर सिंह की देखरेख में रेड करने के बाद इस गैंग को पकड़ा है। इस गैंग से सिपाही रैंक एक वर्दी स्नैचिंग किए हुए 20 मोबाइल फोन और कुछ कैश रिकवर किया है। इन इलाकों में की गई है वारदातें गैंग से पूछताछ में पता चला कि इन लोगों ने पटियाला शहर के पासी रोड एनवायरमेंट पार्क 21 नंबर ओवर ब्रिज के नीचे फैक्ट्री एरिया सरहिंद रोड बड़ी और छोटी बारादरी में दो दर्जन से अधिक वारदातें की है। पहले भी दर्ज है मामले लूटपाट करने वाले गैंग का मेंबर जितेंद्र पाल सिंह पंजाबी यूनिवर्सिटी के अंदर एजुकेशन डिपार्टमेंट में सीनियर असिस्टेंट का काम करता था जिसके खिलाफ साल 2020 में अर्बन स्टेट में नशा तस्करी का मामला दर्ज हुआ था। 32 साल का यह आरोपी बीए पास है। दूसरा आरोपी वरिंदरपाल सिंह 10वीं पास 31 साल का है जो ऑटो चालक का काम करता है। वहीं तीसरा आरोपी दसवीं पास 36 साल का है जो लेबर का काम करता था। जल्दी अमीर बनने के चक्कर में इन लोगों ने गैंग बनाया था और पुलिस की वर्दी जितेंद्र पाल सिंह पहनता था। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
200 से ज्यादा बच्चों ने सीखे पढ़ाई के आसान तरीके, डांस और फन गेम्स में भी लिया हिस्सा
200 से ज्यादा बच्चों ने सीखे पढ़ाई के आसान तरीके, डांस और फन गेम्स में भी लिया हिस्सा भास्कर न्यूज | जालंधर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान नूरमहल आश्रम में 13-16 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए समर वर्कशॉप आयोजित की गई। इसमें 200 से अधिक बच्चों ने भाग लिया। कैंप में बच्चों को डांस, फन गेम्स समेत तमाम गतिविधियां कराईं गईं। इसके साथ ही उनको सरल माध्यम से पढ़ाई करने के कई तरीके भी बताए गए। वर्कशॉप के पहले दिन साध्वी राजविंदर भारती ने बताया कि अधिकतर विद्यार्थी पढ़ाई को मुश्किल मानते हैं। उन्हें पढ़ाई करना बोरिंग लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण है उन्हें सही ढंग से पढ़ाई करने के तरीके का पता न होना। वो पढ़ाई में विषयों को रट्टा लगाते हैं उन्हें समझकर नहीं पढ़ते। उन्होंने कहा कि अगर पढ़ाई विजुलाइजेशन, क्रिएटिविटी और प्रैक्टिकल के जरिए कराई जाए तो इससे बच्चों को अधिक आसानी होगी। वहीं साध्वी मनेन्द्रा भारती ने बच्चों को व्यक्तित्व शाला के प्रति प्रशिक्षित करते हुए जीवन के श्रेष्ठ मंत्र बताए। उन्होंने उन्होंने एक्टिविटी के माध्यम से बच्चों को उचित और अनुचित की पहचान करवाते हुए अश्लीलता, बुराई, झूठ, मोबाइल के गलत उपयोग इत्यादि से दूर रहकर श्रेष्ठ आचरण जीने का मंत्र सिखाया। साध्वी ने कहा कि अपनी गलतियों को हमेशा स्वीकार करते हुए, जहां से भी आपको कुछ अच्छा सीखने को मिले उसके लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। बच्चों को हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि सबसे पहले आपका परिवार ही आता है जहां आपकी कमजोरी ताकत में परिवर्तित हो सकती है। क्योंकि आज के आधुनिक युग मे बच्चे मोबाइल पर गेम्स खेल कर, वीडियो देखकर अपने घंटों बर्बाद कर देते हैं। इसके कारण बच्चे बहुत चिड़चड़े होते जा रहे हैं। उन्होंने बताया की ऐसी बुरी आदतों का क्षणिक आनंद आप के पूरे जीवन को बर्बाद कर सकती है। इसलिए इस उम्र में कुछ अच्छा ग्रहण करने में थोड़ी मेहनत जरूर लगेगी किन्तु आपका पूरा जीवन आनंद भरपूर हो जाएगा।
पंजाब में SAD बागी गुट ने लॉबिंग की शुरू:नाराज सीनियर अकाली लीडर्स से गुपचुप मुलाकात जारी; सुखबीर बादल होंगे अकाल तख्त साहिब पर पेश
पंजाब में SAD बागी गुट ने लॉबिंग की शुरू:नाराज सीनियर अकाली लीडर्स से गुपचुप मुलाकात जारी; सुखबीर बादल होंगे अकाल तख्त साहिब पर पेश शिरोमणि अकाली दल में फूट के बाद श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से जारी हुकमों ने अध्यक्ष सुखबीर बादल की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। सुखबीर बादल ने ऐलान कर दिया है कि वे श्री अकाल तख्त साहिब पर जरूर पेश होंगे। वहीं दूसरी तरफ, विरोधी गुट अपने आप को मजबूत करने के लिए नाराज, सस्पेंड, एसजीपीसी व पूर्व जत्थेदारों से लॉबिंग में जुट गया है। सुखबीर बादल ने अपने सोशल मीडिया पर जानकारी दी है कि वे श्री अकाल तख्त साहिब पर विनम्रता के साथ पेश होंगे। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा- एक धर्मनिष्ठ और विनम्र सिख के रूप में, मैं श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज और मिरी पीरी के सर्वोच्च मंदिर, श्री अकाल तख्त साहिब के प्रति समर्पित हूं। श्री अकाल तख्त साहिब के आदेश के अनुसार, दास अपार श्रद्धा और विनम्रता के साथ सर्वोच्च तीर्थ पर मत्था टेकेंगे। बादल ने खुद दी प्रतिक्रिया बागी गुट की तरफ से शुरू की गई कोशिशों के बाद ये पहला मौका है जब अध्यक्ष सुखबीर बादल ने खुद कोई प्रतिक्रिया दी है। बागी गुट के विरोध और श्री अकाल तख्त साहिब पर माफीनामा सौंपने के बाद भी सुखबीर बादल ने अपनी तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया था। बागी गुट नाराज अकाली नेताओं से कर रहा मुलाकात प्रेम सिंह चंदूमाजरा की अध्यक्षता में अकाली दल बचाओ लहर के तहत सभी बागी लीडर लगातार नाराज नेताओं से मिल रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, अकाली दल के बागी गुट ने उन नेताओं से भी मुलाकात की है, जिन्हें बीते दिनों किसी ना किसी कारणवश सुखबीर बादल ने सस्पेंड किया था। इनमें उनके अपने जीजा आदेश प्रताप सिंह कैरों, रविकरण सिंह काहलों और मलूका परिवार भी शामिल है। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वहीं, बागी गुट पहले ही कह चुका है कि वे हर नाराज अकाली लीडर से संपर्क करेंगे। इसके अलावा अकाली दल लगातार एसजीपीसी सदस्यों और पूर्व जत्थेदारों से मुलाकात कर रहा है। एक इंटरव्यू में पूर्व जत्थेदार रणजीत सिंह ने कहा कि उनसे भी संपर्क साधा गया था। लेकिन उन्होंने इससे मना कर दिया। उनका कहना था कि वे धर्म की सेवा में लगे हैं, राजसी सेवा वह नहीं करेंगे। जालंधर चुनावों के दौरान शुरू हुई थी बगावत अकाली दल के बीच बगावत जालंधर चुनावों के दौरान ही शुरू हो गई थी। सीनियर अकाली नेता चंदूमाजरा, ढींढसा परिवार, बीबी जगीर कौर व कई सीनियर अकाली नेताओं ने सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और अकाली दल को बादल परिवार से मुक्त करवाने की मांग उठने लगी। अकाली दल के नेताओं ने 2022 में सामने आई झूंदा रिपोर्ट को अमल में लाने की मांग की। जिसमें प्रधान को उतारने के लिए सीधे तौर पर नहीं लिखा गया था, लेकिन कहा गया था कि दो टर्म के बाद प्रधान रिपीट नहीं होना चाहिए। बागी श्री अकाल तख्त साहिब का रुख बागी गुट ने इस बगावत को अकाली दल बचाओ लहर नाम दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बागी गुट ने अपना विरोध तो जता दिया था, लेकिन दूसरी तरफ उन्होंने 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब का रुख कर सभी का ध्यान पुराने मुद्दे राम रहीम की माफी, बेअदबी की घटनाओं आदि की तरफ केंद्रित कर दिया। बागी गुट ने सीधे तौर पर सुखबीर बादल के खिलाफ शिकायत नहीं दी, उन्होंने इसे माफीनामा नाम दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि वे पार्टी की तरफ से हुई गलतियों का विरोध नहीं कर पाए, इसके लिए वे माफी मांगते हैं। चार आरोप, जो माफीनामा में सुखबीर के खिलाफ लिखे गए 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया था। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे। बागी गुट झूंदा कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की कर रहा मांग बागी गुट लगातार झूंदा कमेटी, जिसे 2022 में भी लागू करने की मांग उठी थी, पर विचार करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि इसमें पार्टी प्रधान बदलने का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन ये लिखा गया है कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होगा। झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। सुखबीर बादल का शक्ति प्रदर्शन पूरे घटनाक्रम में सुखबीर बादल ने एक भी शब्द अपनी सफाई व विरोधी गुट के लिए नहीं कहा। लेकिन अकाल तख्त साहिब से सम्मन पर उन्होंने पहली बार कुछ कहा है। वहीं, दूसरी तरफ सुखबीर बादल लगातार बिना कुछ कहे अपना शक्ति प्रदर्शन करते रहे। बागी गुट एक तरफ विरोध तेज कर रहा था, वहीं सुखबीर बादल लगातार बैठकें बुलाकर समर्थन अपने पक्ष में कर रहे थे।
रूस-यूक्रेन युद्ध में मरे तेजपाल का शव नहीं पहुंचा भारत:डेढ़ महीने से भटक रही पत्नी ने उठाए इंडियन एंबेसी पर सवाल; दावा-DNA टेस्ट तक नहीं कराया
रूस-यूक्रेन युद्ध में मरे तेजपाल का शव नहीं पहुंचा भारत:डेढ़ महीने से भटक रही पत्नी ने उठाए इंडियन एंबेसी पर सवाल; दावा-DNA टेस्ट तक नहीं कराया पंजाब के अमृतसर में रहने वाले तेजपाल सिंह ने आर्मी जॉइन करने का सपना पूरा करने के लिए जनवरी 2024 में रूस का रुख किया था। उस समय रूस को यूक्रेन के खिलाफ लड़ाकों की आवश्यकता थी। वहां मार्च में तेजपाल की युद्ध में मौत हुई और 9 जून को परिवार को इसकी जानकारी मिली, लेकिन अब तक परिवार को उसका शरीर नहीं मिला है। तेजपाल की विधवा परमिंदर कौर का कहना है कि रूस सरकार उसके पति को शहीद का दर्जा दे चुकी है, लेकिन यहां भारत में एक-एक काम करवाने के लिए उन्हें चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। परमिंदर कौर के मुताबिक, ‘रूसी अधिकारियों ने कहा है कि चूंकि तेजपाल सिंह के शव की पहचान नहीं हो पाई है, इसलिए DNA टेस्ट कराने की जरूरत है। रूस ने करीबी रिश्तेदारों का DNA टेस्ट करवाने को कहा है। विशेषकर मां का, ताकि रिपोर्ट रूसी पक्ष के साथ साझा की जा सके।’ कोई सहयोग नहीं कर रहा
6 साल के लड़के और 3 साल की लड़की की मां परमिंदर कौर ने बताया कि रूस की राजधानी मॉस्को में भारतीय दूतावास में कोई भी अधिकारी सहयोग नहीं कर रहा, और न ही अमृतसर में कोई बता रहा है कि DNA कैसे करवाया जाए। मेडिकल कॉलेज से भेजा थाने
परमिंदर कौर का कहना है कि वह रूस से आए भारतीय दूतावास की ईमेल का प्रिंट लेकर मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आते गुरु नानक देव अस्पताल पहुंच गईं, लेकिन वहां से उन्हें सदर पुलिस थाने भेज दिया गया। सदर पुलिस थाने से उन्हें यह कह कर वापस भेजा गया कि आप सभी गलत काम कर रहे हो। इस मेल पर रूस या भारतीय सरकार की कोई स्टैंप नहीं है। चाचा की शहादत का किस्सा सुन जॉइन करना चाहता था आर्मी
तेजपाल की मां सर्बजीत कौर का कहना है कि 1992 में उनके देवर श्रीनगर में शहीद हो गए थे। एक साल बाद तेजपाल हो गया। तेजपाल उनके शहादत के किस्से सुनता था। तभी से उसके सिर पर आर्मी जॉइन करने का भूत सवार था। स्कूल में NCC भी जॉइन की। हथियार चलाने की ट्रेनिंग उसने NCC में ही ले ली थी। तेजपाल ने 6-7 बार आर्मी जॉइन करने की कोशिश की। फिटनेस व लिखित परीक्षा भी पास की, लेकिन हर बार लिस्ट में नाम आने से चूक गया। अंत में उसके दोस्तों ने रूसी आर्मी में हो रही भर्ती के बारे में बताया तो वह जनवरी में यहां से रूस के लिए रवाना हो गया। 4 महीने बाद परिवार को तेजपाल की मौत की सूचना मिली
परमिंदर कौर ने बताया कि तेजपाल को रूसी सेना ने सुरक्षा सहायक के रूप में नियुक्त किया था। जॉइनिंग से पहले कांट्रैक्ट भी साइन हुआ। उसके कुछ पेज उनके पास हैं, लेकिन वे रशियन भाषा में हैं। परमिंदर कौर ने बताया कि 3 मार्च को अंतिम बार तेजपाल से बात हुई थीं, लेकिन परिवार को 9 जून को उनकी मौत के बारे में पता चला। 4 भारतीयों की हो चुकी मौत
यूक्रेन-रशिया युद्ध में अब तक 4 भारतीय मारे जा चुके हैं। जबकि, दो अन्य लापता बताए जा रहे हैं। मृतकों में से केवल 2 के शव भारत वापस लाए जा सके हैं। इनमें गुजरात में सूरत के हेमिल मंगुकिया (23) और तेलंगाना में हैदराबाद के मोहम्मद असफान (31) के शव शामिल हैं। बीते माह मंत्री- DC आए, उसके बाद नहीं ली सुध
परिवार ने बताया कि 9 जून को जब देहांत की सूचना अमृतसर पहुंची तो मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और DC अमृतसर घनश्याम थोरी परिवार उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके बाद से उनकी फाइल DC ऑफिस में पड़ी है। परिजनों का कहना है कि उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बारे में जब मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद मैसेज भी भेजा गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है।