केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हरियाणा दौरे के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही। प्रदेश में 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि उनकी नजर OBC वोट बैंक पर है। जातिगत आंकड़ों की बात करें तो OBC की आबादी सबसे ज्यादा करीब 30 प्रतिशत है। इसके बाद जाट समुदाय की आबादी करीब 22 प्रतिशत है। वहीं अनुसूचित जाति की आबादी करीब 21 प्रतिशत है। ऐसे में भाजपा ने हरियाणा में सबसे ज्यादा आबादी वाले चेहरे को प्रतिनिधित्व देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। हालांकि लोकसभा चुनाव में OBC फेक्टर हरियाणा में नहीं चला। तब नायब सैनी ही मुख्यमंत्री थे। भाजपा सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 5 सीटें जीतने में कामयाब रही। लोकसभा चुनाव में जाट वोट नहीं बंटा हरियाणा में जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को अंदेशा था कि प्रदेश में जाट वोट कांग्रेस, इनेलो और जजपा में डिवाइड हो जाएगा। जबकि OBC और अनुसूचित जाति का वोट बैंक भाजपा की तरफ आएगा। लेकिन चुनाव में जाट वोट एक तरफा कांग्रेस की ओर गया। इसके अलावा, अनुसूचित जाति के भी अच्छे वोट कांग्रेस को मिले। हरियाणा में गैर जाट की राजनीति करेगी भाजपा
प्रदेश में करीब 78 प्रतिशत गैर जाट वोटर हैं। अमित शाह ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को ही भाजपा का CM चेहरा घोषित कर यह संदेश दिया है कि हरियाणा में भाजपा गैर जाट की राजनीति को ही बढ़ाएगी। हरियाणा में चौधरी भजनलाल के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो कई दशकों से हरियाणा में जाट समुदाय से ही मुख्यमंत्री बनता आया है। हरियाणा में भाजपा की सरकार आने के बाद उन्होंने गैर जाट को ही मुख्यमंत्री बनाया। 2014 से मार्च 2024 तक करीब साढ़े 9 साल तक पंजाबी समुदाय से मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 12 मार्च 2024 को सैनी समाज से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने पहली बार पंजाबी समाज को दिया प्रतिनिधित्व
हरियाणा में ब्राह्मण, जाट, बिश्नोई, ओबीसी और वैश्य समाज से मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन भाजपा ने पहली बार 2014 में पंजाबी समुदाय से मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि पंजाबी आबादी हरियाणा में जाट, OBC और अनुसूचित जाति से कम है। मगर पंजाबी वोटरों का शहरी विधानसभा में अच्छा प्रभाव माना जाता है। इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटें जीती। भाजपा को इस प्रयोग का फायदा भी हरियाणा में मिला। हरियाणा में गैर जाट वोटर इससे जुड़ा। हरियाणा में भाजपा लगातार 2 बार सत्ता में है। 58 साल के इतिहास में केवल 241 दिन रहा OBC सीएम
हरियाणा का गठन 1966 को हुआ। पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पंडित भगवत दयाल शर्मा चुने गए। उनका कार्यकाल 142 दिन का रहा। इसके बाद 1967 में राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था। उनका कार्यकाल 241 दिन का रहा था। 1967 के बाद यह दूसरा मौका जब OBC समाज से हरियाणा में मुख्यमंत्री बना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हरियाणा दौरे के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही। प्रदेश में 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि उनकी नजर OBC वोट बैंक पर है। जातिगत आंकड़ों की बात करें तो OBC की आबादी सबसे ज्यादा करीब 30 प्रतिशत है। इसके बाद जाट समुदाय की आबादी करीब 22 प्रतिशत है। वहीं अनुसूचित जाति की आबादी करीब 21 प्रतिशत है। ऐसे में भाजपा ने हरियाणा में सबसे ज्यादा आबादी वाले चेहरे को प्रतिनिधित्व देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। हालांकि लोकसभा चुनाव में OBC फेक्टर हरियाणा में नहीं चला। तब नायब सैनी ही मुख्यमंत्री थे। भाजपा सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 5 सीटें जीतने में कामयाब रही। लोकसभा चुनाव में जाट वोट नहीं बंटा हरियाणा में जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को अंदेशा था कि प्रदेश में जाट वोट कांग्रेस, इनेलो और जजपा में डिवाइड हो जाएगा। जबकि OBC और अनुसूचित जाति का वोट बैंक भाजपा की तरफ आएगा। लेकिन चुनाव में जाट वोट एक तरफा कांग्रेस की ओर गया। इसके अलावा, अनुसूचित जाति के भी अच्छे वोट कांग्रेस को मिले। हरियाणा में गैर जाट की राजनीति करेगी भाजपा
प्रदेश में करीब 78 प्रतिशत गैर जाट वोटर हैं। अमित शाह ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को ही भाजपा का CM चेहरा घोषित कर यह संदेश दिया है कि हरियाणा में भाजपा गैर जाट की राजनीति को ही बढ़ाएगी। हरियाणा में चौधरी भजनलाल के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो कई दशकों से हरियाणा में जाट समुदाय से ही मुख्यमंत्री बनता आया है। हरियाणा में भाजपा की सरकार आने के बाद उन्होंने गैर जाट को ही मुख्यमंत्री बनाया। 2014 से मार्च 2024 तक करीब साढ़े 9 साल तक पंजाबी समुदाय से मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 12 मार्च 2024 को सैनी समाज से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने पहली बार पंजाबी समाज को दिया प्रतिनिधित्व
हरियाणा में ब्राह्मण, जाट, बिश्नोई, ओबीसी और वैश्य समाज से मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन भाजपा ने पहली बार 2014 में पंजाबी समुदाय से मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि पंजाबी आबादी हरियाणा में जाट, OBC और अनुसूचित जाति से कम है। मगर पंजाबी वोटरों का शहरी विधानसभा में अच्छा प्रभाव माना जाता है। इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटें जीती। भाजपा को इस प्रयोग का फायदा भी हरियाणा में मिला। हरियाणा में गैर जाट वोटर इससे जुड़ा। हरियाणा में भाजपा लगातार 2 बार सत्ता में है। 58 साल के इतिहास में केवल 241 दिन रहा OBC सीएम
हरियाणा का गठन 1966 को हुआ। पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पंडित भगवत दयाल शर्मा चुने गए। उनका कार्यकाल 142 दिन का रहा। इसके बाद 1967 में राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था। उनका कार्यकाल 241 दिन का रहा था। 1967 के बाद यह दूसरा मौका जब OBC समाज से हरियाणा में मुख्यमंत्री बना है। हरियाणा | दैनिक भास्कर