हरियाणा में सिरसा के डेरा जगमाल वाली के गद्दीनशीन संत वकील साहब के निधन के बाद उठा विवाद थमा नहीं है। वकील साहब को श्रद्धांजलि देने के लिए फतेहाबाद के डेरे में सत्संग का आयोजन किया गया था। मगर, ऐन मौके पर पुलिस ने सत्संग रोकने को कह दिया। इससे संगत भड़क गई। उन्होंने आरोप लगाया कि परमिशन के बावजूद उन्हें यहां सत्संग नहीं करने दिया जा रहा। उनका कहना था कि यह सब मौजूदा गद्दीनशीन वीरेंद्र सिंह के इशारों पर हो रहा है। मामला शनिवार शाम का है, जब डेरे के अंदर लंगर चल रहा था। उसके बाद श्रद्धांजलि सभा होने ही वाली थी। तब तक बाहर पुलिस की टीमें तैनात हो चुकी थी। प्रशासनिक टीमें कागजात की छानबीन में जुट गईं। हालांकि पुलिस के रोकने के बाद रात को संगत द्वारा डेरे से साइड में जाकर सत्संग का कार्यक्रम किया गया। श्रद्धालुओं ने बताया कि वे अपने दिवंगत संत को श्रद्धांजलि देने के लिए सत्संग कर रहे थे। इसके लिए 18 सितंबर को संगत द्वारा जिला प्रशासन से परमिशन ली गई थी। डबवाली, सिरसा, ऐलनाबाद सहित दूर-दराज से लोग सभा के लिए फतेहाबाद के डेरा में पहुंच गए थे और लंगर भी बना लिया गया था। इतने में पुलिस मौके पर पहुंची और बताया गया कि यहां अब सत्संग नहीं किया जा सकता। चूंकि लंगर बन गया है तो लंगर ग्रहण करके डेरा खाली कर दो। इस पर श्रद्धालुओं रोष पनप गया। उन्होंने कहा कि डेरे पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। श्रद्धालु बोले- प्रॉपर्टी संगत की है
चंडीगढ़ से आए गुरदास सिंह ने बताया कि जगमालवाली डेरा की नींव रखने वाले पहले गुरू मैनेजर साहिब उनके परनाना थे। देश में 10 से 12 डेरे संगत ने जमीन दान देकर बनवाए। यह ट्रस्ट 1980 में दिल्ली में रजिस्टर हुआ और उनके दादा ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे हैं, इसलिए यह प्रॉपर्टी साध संगत की है। अज्ञात शक्ति के कहने पर सत्संग रोका गया
दिल्ली से आए संजय गुर्जर व प्रीतम सिंह आदि ने कहा कि वीरेंद्र सिंह के कहने पर यह सब कुछ हो रहा है और प्रशासन व सरकार उनसे दब रहा है। वीरेंद्र बड़े हैं या लाखों संगत। उन्होंने कहा कि आज यहां संगत सिर्फ सत्संग कर रही थी और प्रशासन द्वारा अज्ञात शक्ति के कहने पर यह रोक दिया गया। हर महीने सत्संग होता था तो आज क्यों नहीं
उन्होंने कहा कि यह शक्ति वीरेंद्र सिंह है। उन्होंने कहा कि डेरे की गद्दी व डेरे पर वीरेंद्र सिंह कब्जा करना चाह रहे हैं। वे कहते हैं कि डेरे उनके हैं तो संगत कहां जाए। उन्होंने कहा कि हर माह पहले 21 तारीख को यहां सत्संग होता रहा है तो आज ही क्यों रोका जा रहा है। 5 राज्यों से लोग आए, सब परेशान हुए
उन्होंने कहा कि वीरेंद्र सिंह व उनके साथियों का संगत द्वारा बहिष्कार किया हुआ है और उसी कारण अब सत्संग करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब कोर्ट में भी अपील की गई है। आज की सत्संग में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यूपी, दिल्ली से लोग आए हैं, जो अब बुरी तरह परेशान हो चुके हैं। पुलिस बोली- ज्यादा कुछ नहीं बता सकते
उधर मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी पर प्रह्लाद सिंह ने बताया कि अभी तक कागजों की छानबीन जारी है और मामले की पड़ताल की जा रही है इससे ज्यादा में कुछ नहीं बता सकते। डेरे से जुडे कागजातों की जांच हो रही है। दूसरी तरफ श्रद्धालुओं में पुलिस के हस्तक्षेप से रोष है। डेरा जगमाल वाली का विवाद क्या है… 1. 1 अगस्त को हुआ डेरा मुखी का निधन, 2 पक्षों में गोलियां चलीं
सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब की एक अगस्त को मौत हो गई थी। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। यहां गोलियां भी चलीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई। परिवार के लोगों ने 2 अगस्त (शुक्रवार) को मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रमुख को समाधि दी गई। इस दौरान परिवार के लोग और डेरे से जुड़े लोग मौजूद रहे। 2. महात्मा ने खुद को डेरामुखी घोषित किया
समाधी वाले दिन ही सूफी गायक और महात्मा बीरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का नया प्रमुख घोषित किया। सूफी गायकी में बीरेंद्र सिंह के साथी और डेरे के अनुयायी शमशेर लहरी ने दावा किया कि महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले ही अपनी वसीयत महात्मा बीरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव में लिख दी थी। इसमें बीरेंद्र सिंह को संगत की सेवा करने का हुकुम दिया गया था। वसीयत लिखे जाने के बाद उसे महाराज जी की मौजूदगी में वकील की ओर से बाकायदा पढ़ा गया था और उसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई थी। 3. दूसरे पक्ष ने डेरामुखी मानने से इनकार किया
उधर महाराज बहादुर चंद वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और कुछ लोगों ने बीरेंद्र सिंह को नया डेरा प्रमुख मानने से इनकार कर दिया है। अमर सिंह ने कहा कि बीरेंद्र सिंह, बलकौर सिंह, शमशेर लहरी और नंदलाल ग्रोवर ही 1 अगस्त को डेरे की गद्दी हथियाने के चक्कर में महाराज जी का जल्दबाजी में संस्कार करना चाहते थे। महाराज जी की मौत संदिग्ध है और इसकी CBI जांच होनी चाहिए। 4. साठ साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
सिरसा के जगमालवाली स्थित मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में देकर डेरा बनाने का अनुरोध किया। इसके बाद संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले यह छोटा सा आश्रम था लेकिन उसके बाद तकरीबन 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना हुआ। हरियाणा में सिरसा के डेरा जगमाल वाली के गद्दीनशीन संत वकील साहब के निधन के बाद उठा विवाद थमा नहीं है। वकील साहब को श्रद्धांजलि देने के लिए फतेहाबाद के डेरे में सत्संग का आयोजन किया गया था। मगर, ऐन मौके पर पुलिस ने सत्संग रोकने को कह दिया। इससे संगत भड़क गई। उन्होंने आरोप लगाया कि परमिशन के बावजूद उन्हें यहां सत्संग नहीं करने दिया जा रहा। उनका कहना था कि यह सब मौजूदा गद्दीनशीन वीरेंद्र सिंह के इशारों पर हो रहा है। मामला शनिवार शाम का है, जब डेरे के अंदर लंगर चल रहा था। उसके बाद श्रद्धांजलि सभा होने ही वाली थी। तब तक बाहर पुलिस की टीमें तैनात हो चुकी थी। प्रशासनिक टीमें कागजात की छानबीन में जुट गईं। हालांकि पुलिस के रोकने के बाद रात को संगत द्वारा डेरे से साइड में जाकर सत्संग का कार्यक्रम किया गया। श्रद्धालुओं ने बताया कि वे अपने दिवंगत संत को श्रद्धांजलि देने के लिए सत्संग कर रहे थे। इसके लिए 18 सितंबर को संगत द्वारा जिला प्रशासन से परमिशन ली गई थी। डबवाली, सिरसा, ऐलनाबाद सहित दूर-दराज से लोग सभा के लिए फतेहाबाद के डेरा में पहुंच गए थे और लंगर भी बना लिया गया था। इतने में पुलिस मौके पर पहुंची और बताया गया कि यहां अब सत्संग नहीं किया जा सकता। चूंकि लंगर बन गया है तो लंगर ग्रहण करके डेरा खाली कर दो। इस पर श्रद्धालुओं रोष पनप गया। उन्होंने कहा कि डेरे पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। श्रद्धालु बोले- प्रॉपर्टी संगत की है
चंडीगढ़ से आए गुरदास सिंह ने बताया कि जगमालवाली डेरा की नींव रखने वाले पहले गुरू मैनेजर साहिब उनके परनाना थे। देश में 10 से 12 डेरे संगत ने जमीन दान देकर बनवाए। यह ट्रस्ट 1980 में दिल्ली में रजिस्टर हुआ और उनके दादा ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे हैं, इसलिए यह प्रॉपर्टी साध संगत की है। अज्ञात शक्ति के कहने पर सत्संग रोका गया
दिल्ली से आए संजय गुर्जर व प्रीतम सिंह आदि ने कहा कि वीरेंद्र सिंह के कहने पर यह सब कुछ हो रहा है और प्रशासन व सरकार उनसे दब रहा है। वीरेंद्र बड़े हैं या लाखों संगत। उन्होंने कहा कि आज यहां संगत सिर्फ सत्संग कर रही थी और प्रशासन द्वारा अज्ञात शक्ति के कहने पर यह रोक दिया गया। हर महीने सत्संग होता था तो आज क्यों नहीं
उन्होंने कहा कि यह शक्ति वीरेंद्र सिंह है। उन्होंने कहा कि डेरे की गद्दी व डेरे पर वीरेंद्र सिंह कब्जा करना चाह रहे हैं। वे कहते हैं कि डेरे उनके हैं तो संगत कहां जाए। उन्होंने कहा कि हर माह पहले 21 तारीख को यहां सत्संग होता रहा है तो आज ही क्यों रोका जा रहा है। 5 राज्यों से लोग आए, सब परेशान हुए
उन्होंने कहा कि वीरेंद्र सिंह व उनके साथियों का संगत द्वारा बहिष्कार किया हुआ है और उसी कारण अब सत्संग करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब कोर्ट में भी अपील की गई है। आज की सत्संग में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यूपी, दिल्ली से लोग आए हैं, जो अब बुरी तरह परेशान हो चुके हैं। पुलिस बोली- ज्यादा कुछ नहीं बता सकते
उधर मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी पर प्रह्लाद सिंह ने बताया कि अभी तक कागजों की छानबीन जारी है और मामले की पड़ताल की जा रही है इससे ज्यादा में कुछ नहीं बता सकते। डेरे से जुडे कागजातों की जांच हो रही है। दूसरी तरफ श्रद्धालुओं में पुलिस के हस्तक्षेप से रोष है। डेरा जगमाल वाली का विवाद क्या है… 1. 1 अगस्त को हुआ डेरा मुखी का निधन, 2 पक्षों में गोलियां चलीं
सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब की एक अगस्त को मौत हो गई थी। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। यहां गोलियां भी चलीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई। परिवार के लोगों ने 2 अगस्त (शुक्रवार) को मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रमुख को समाधि दी गई। इस दौरान परिवार के लोग और डेरे से जुड़े लोग मौजूद रहे। 2. महात्मा ने खुद को डेरामुखी घोषित किया
समाधी वाले दिन ही सूफी गायक और महात्मा बीरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का नया प्रमुख घोषित किया। सूफी गायकी में बीरेंद्र सिंह के साथी और डेरे के अनुयायी शमशेर लहरी ने दावा किया कि महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले ही अपनी वसीयत महात्मा बीरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव में लिख दी थी। इसमें बीरेंद्र सिंह को संगत की सेवा करने का हुकुम दिया गया था। वसीयत लिखे जाने के बाद उसे महाराज जी की मौजूदगी में वकील की ओर से बाकायदा पढ़ा गया था और उसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई थी। 3. दूसरे पक्ष ने डेरामुखी मानने से इनकार किया
उधर महाराज बहादुर चंद वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और कुछ लोगों ने बीरेंद्र सिंह को नया डेरा प्रमुख मानने से इनकार कर दिया है। अमर सिंह ने कहा कि बीरेंद्र सिंह, बलकौर सिंह, शमशेर लहरी और नंदलाल ग्रोवर ही 1 अगस्त को डेरे की गद्दी हथियाने के चक्कर में महाराज जी का जल्दबाजी में संस्कार करना चाहते थे। महाराज जी की मौत संदिग्ध है और इसकी CBI जांच होनी चाहिए। 4. साठ साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
सिरसा के जगमालवाली स्थित मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में देकर डेरा बनाने का अनुरोध किया। इसके बाद संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले यह छोटा सा आश्रम था लेकिन उसके बाद तकरीबन 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना हुआ। हरियाणा | दैनिक भास्कर