बारिश में अयोध्या क्यों हुई पानी-पानी?:सड़कें ऊंची हो गईं, सीवर-नाले अधूरे; नालियां चोक तो बारिश का पानी कॉलोनियों में घुसा

बारिश में अयोध्या क्यों हुई पानी-पानी?:सड़कें ऊंची हो गईं, सीवर-नाले अधूरे; नालियां चोक तो बारिश का पानी कॉलोनियों में घुसा

अयोध्या में रामलला मंदिर से 100 मीटर दूर जलवानपुरा मोहल्ला। यहां सड़कों पर 1 फीट से ज्यादा पानी भरा है। लोग पानी के बीचों-बीच होकर आ-जा रहे हैं। मोहल्ले में बने अंबेडकर पार्क में खड़ी एक कार 60 फीसदी से ज्यादा डूबी हुई है। हर तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। अयोध्या के कई मोहल्लों का कमोबेश ऐसा ही हाल है। पहली ही बारिश में अयोध्या के कई इलाके तालाब बन गए हैं। अब ये तस्वीर देखिए… दैनिक भास्कर टीम पड़ताल करने के लिए अयोध्या पहुंची। सबसे पहले जलवानपुरा इलाके का जायजा लिया और हम वहां के लोगों से मिले। लोगों ने क्या कुछ कहा? किसे जिम्मेदार मानते हैं? इससे पहले पढ़िए अयोध्या के तीन इलाकों की स्थिति… छोटी देवकाली: विकास के नाम पर सिर्फ सड़कें
ये क्षेत्र राम मंदिर से सिर्फ 2 किमी दूर है। यहां नगर निगम और अयोध्या विकास प्राधिकरण ने विकास के नाम पर सिर्फ सड़कें बना दी है, लेकिन पानी किधर से निकलेगा, इसकी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। देवकाली मोहल्ले की हालत काफी भयावह है। यहां पहली ही बारिश में सड़कों पर 2 फीट से ज्यादा पानी भर गया। लोगों के घरों में पानी पहुंच गया। कई घरों में बाहर रखे सामान पानी में डूब गए। लोगों की गाड़ियां पानी में डूबी रहीं। सरस्वती पुरम: नालियां चोक, घरों में घुसा पानी
राम मंदिर से करीब 5 किमी दूरी पर बसी इस कॉलोनी की बसावट काफी घनी है। पहली ही बारिश में इसकी स्थिति तालाब जैसी हो गई। कॉलोनी से पानी निकासी के लिए बनी पुरानी नालियां चोक हैं और उसकी साफ सफाई पर विभागों का ध्यान तक नहीं गया। नतीजतन जैसे ही बारिश तेज हुई, पूरा पानी कॉलोनी में जमा होने लगा। धीरे-धीरे पानी इकट्ठा होकर लोगों के घरों में भी घुस गया। आवागमन भी बंद हो गया, जिससे लोग सहम गए। इमामबाड़ा रोड: पानी भरा और सड़क धंस गई
ये इलाका राम मंदिर से तकरीबन 6 किमी की दूरी पर है। यहां बारिश होते ही जल जमाव होने लगा, क्योंकि पानी के निकासी की कोई व्यवस्था मौजूद नहीं थी। जो वैकल्पिक व्यवस्था लोगों ने कर रखी थी, जिम्मेदार विभागों ने उसकी साफ-सफाई भी नहीं करवाई। इसके चलते भारी मात्रा में पानी इकट्ठा हुआ और एक इंटरलॉकिंग सड़क 5 फीट से ज्यादा धंस गई। जिसके चलते इस मोहल्ले का आवागमन बाधित हो गया। यहां के ऐसे हालत के पीछे हमें तीन बड़ी कमियां मिलीं…. 1- सीवर लाइन डालने के काम की रफ्तार बेहद सुस्त होना
अयोध्या में सीवर डालने का काम 2021 में अहमदाबाद की कंपनी भुगन इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। इस कंपनी को कुल 150 किमी सीवर अयोध्या में डालना था। अयोध्या के कई मोहल्लों में अभी तक सीवर का काम नहीं हो पाया है। जगह-जगह गड्‌ढे खोद दिए गए हैं। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी तैयार नहीं हुआ है। हालांकि कंपनी का दावा है कि 90 फीसदी काम पूरा हो गया है। 2- बारिश के पानी की निकासी के लिए कोई भी व्यवस्था न होना
राम मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या में तमाम सड़कों और बिल्डिंग बनाने का काम शुरू हो गया। लेकिन, अयोध्या के पुराने मोहल्ले इस विकास से अछूते रह गए। अगल-बगल की सड़कें ऊंची हो गईं, जिससे उनका भी बारिश का पानी इन मोहल्लों मे भरने लगा। जबकि पानी निकासी के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई। जो छोटी नालियां हैं, वो चोक हैं। बारिश से पहले उनकी सफाई नहीं की गई। यही वजह रही कि पहली बारिश होते ही कई मोहल्ले तालाब की शक्ल में तब्दील हो गए। 3- बिरला धर्मशाला के पीछे स्थित क्षीरसागर पर आधे से ज्यादा कब्जा
राम मंदिर के ठीक सामने बिरला धर्मशाला है। इसी से लगा हुआ तकरीबन 7.5 बीघे में फैला हुआ एक तालाब है। इसे क्षीरसागर कहते हैं। राम मंदिर, हनुमान गढ़ी और उसके आसपास के तकरीबन 10 मोहल्लों के बरसात का पानी इसी तालाब में इकट्ठा हो जाता था। लेकिन, कुछ लोगों ने इस तालाब के बड़े हिस्से पर होटल, घर और दुकानें बना लिया है। लोगों की मानें तो अब ये तालाब 3.5 बीघा ही बचा है। तालाब का एरिया कम होने और इसकी गहराई न बढ़ाए जाने से पहली ही बारिश में ही ये भर गया और ओवरफ्लो हो गया। इससे सड़कें तालाब जैसी हो गईं और पानी लोगों के घरों मे भरने लगा। अयोध्या की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन?

1- अयोध्या नगर निगम 2- जल निगम 3-बिजली विभाग अब जानिए क्या कहते हैं अयोध्यावासी… दहशत में हैं जलवानपुरा के लोग, करंट फैलने का डर
अयोध्या राम मंदिर के सामने जलवानपुरा मुहल्ला है। यहां सड़क के किनारे बिजली विभाग ने लोगों को कनेक्शन देने के लिए मेन सप्लाई के बॉक्स लगा रखे हैं। इनकी ऊंचाई जमीन से सिर्फ 2.5 फीट ही है। पहली बारिश में जब यहां जलभराव हुआ, तो सड़क पर करीब दो फीट पानी जमा हो गया। लोग सहम गए कि अगर थोड़ी देर और बरसात हुई तो बिजली के कनेक्शन बॉक्स भी डूब जाएंगे, जिससे पूरे इलाके में करंट फैल सकता है। कई घरों में बिजली के करंट के हल्के झटके महसूस भी किए गए। इसी मोहल्ले की रहने वाली उत्तराखंड निवासी कमलेश मिश्रा से जब इस बारे में पूछा, तो उनका दर्द सामने आ गया। उन्होंने कहा- घर के ठीक सामने सिर्फ ढाई फीट ऊंचाई पर बिजली विभाग ने सड़क पर मेन सप्लाई बॉक्स लगा दिया है। मेरे घर में एक 10 साल का बच्चा है। हमेशा उसकी चिंता लगी रहती है कि अगर कभी खेलते समय वह वहां गया तो अनहोनी न हो जाए? पूरे मोहल्ले में 15 से ज्यादा बिजली सप्लाई के बॉक्स
हमने पूरे जलवानपुरा मोहल्ले में घूमकर लोगों से बातचीत की। पूरे मोहल्ले में बिजली विभाग के 15 से ज्यादा बॉक्स हैं और सब के सब खुले हुए हैं। जरा सी तेज बारिश से इन बॉक्स में पानी जाने लगता है और शॉर्ट सर्किट होने लगता है। ऐसे में आसपास के लोग दहशत से सिहर जाते हैं। बिजली विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर छुट्टी पर
हमने बिजली विभाग की इस लापरवाही का कारण जानने के लिए विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर प्रदीप कुमार वर्मा से बात करनी चाही। वहां पता चला कि वह छुट्टी पर हैं। उनकी जगह दूसरे एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आदित्य कुमार चार्ज पर हैं। आदित्य कुमार ने बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। जिस मोहल्ले की बात हो रही है, वहां दो फीट तक पानी भर ही नहीं सकता है। लेकिन, इसके बाद भी अगर वहां इस तरह का कोई खतरा है तो हम इसकी जांच करवाएंगे और समस्या को दूर कराने की कोशिश करेंगे। पानी में डूबी कार, लोग बोले यहां जिंदगी जीना मुश्किल है
जलवानपुरा में रहने वाले सुमित जायसवाल, श्रीश पांडे, ऊषा देवी, गिरधारी, मनोज त्रिपाठी से भी हमने बात की। सभी की बस एक आवाज थी कि विकास के नाम पर यहां कोई काम नहीं हुआ है। इस मोहल्ले में पानी पहले भी भरता था, लेकिन घरों मे घुस जाए और दो फीट तक सड़कें डूब जाएं, ऐसा कभी नहीं हुआ था। राम पथ को बनाकर ऊंचा कर दिया गया, जिसकी वजह से उसका पूरा पानी हमारे मोहल्ले मे आ जाता है। इसके अलावा राम मंदिर, हनुमानगढ़ी समेत कई मंदिरों और उसके आसपास के इलाके का पानी भी यहीं आता है। जबकि पानी के निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में हम लोग आखिरकार किससे अपना दर्द कहें। नालियां चोक, नगर निगम सिर्फ खानापूर्ति कर रहा
जलवानपुरा मोहल्ले के आलावा भी कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां की हालत काफी खराब है। इनमें सरस्वतीपुरम, कौशलपुरी, बड़ी देवकाली, इमामबाड़ा रोड समेत एक दर्जन से ज्यादा मोहल्ले शामिल हैं। यहां के हालत ये है कि नालियां चोक हो गई हैं, नाले की सफाई न होने से पानी ओवरफ्लो होकर ऊपर से बह रहा है। जल निगम के मेनहोल जगह-जगह से ओवरफ्लो हैं। सबसे ज्यादा खराब हॉल्ट तो अयोध्या स्टेशन रोड की है। राम मंदिर से अयोध्या स्टेशन जाने वाली सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल भरा है। नालियों का अपनी सड़क के ऊपर बह रहा है। वहां से रोजाना हजारों श्रद्धालु निकलते हैं, जिन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। एक ही बारिश में गिर गई रेलवे स्टेशन की बाउंड्रीवाल, हर तरफ गंदगी
अयोध्या में हुए विकास कार्यों की गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रेलवे स्टेशन के परिसर की दीवार पहली बारिश भी नहीं झेल सकी। तकरीबन 40 फीट लंबी दीवार ढह गई। अब जिम्मेदारों ने वहां टीन शेड की वैकल्पिक बाउंड्रीवाल खड़ी कर अपनी गलती को छिपाने की कोशिश कर रहा है। रेलवे स्टेशन के बार यात्री प्रतीक्षालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। ऐसा लगता है कि महीनों से वहां की सफाई नहीं हुई है। यात्री प्रतीक्षालय में लगी पानी की टंकियों में पानी की सप्लाई बंद है। तकरीबन 250 करोड़ की लागत से बने अयोध्या के रेलवे स्टेशन का उद्घाटन दिसंबर 2023 में पीएम मोदी ने किया था। एक्सपर्ट बोले- निर्माण होते जा रहे हैं, व्यवस्थाएं नहीं बढ़ रहीं
इस बारे में नगर विकास विभाग के पूर्व अवर अभियंता एसबी त्रिपाठी कहते हैं, शहरी इलाकों में तेजी से नए निर्माण होते जा रहे हैं। लेकिन इन नए बस रहे मोहल्लों में न तो सीवर की व्यवस्था है और न ही जलनिकासी के लिए नालों की। ऐसे में बरसात होने पर यहां समस्या होनी लाजिमी है। जहां ये सुविधाएं मौजूद हैं, उनकी प्रॉपर सफाई भी जरूरी है। जिम्मेदार विभागों को भी ये बात देखनी चाहिए कि किस जगह पर किस कैपेसिटी का सीवर या नाला चाहिए। ताकि ऐसी किसी भी स्थिति से बचा जा सके। वहीं, इस बारे में नगर निगम में पूर्व सफाई सुपरवाइजर रहे शिवकुमार का कहना है कि जिन इलाकों में जल जमाव की समस्या है, वहां ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। यदि वहां वाटर रिचार्जिंग के लिए कोई तालाब या गड्ढा है तो उसे बारिश के पहले गहरा करना चाहिए। इसके अलावा इस बात का रखना चाहिए कि ऐसी जगहों पर किसी दूसरे इलाके से पानी न जाए अन्यथा वाटर रिचार्जिंग सोर्स को ओवरफ्लो होने भी देर नहीं लगेगी। नाले और नालियों की निश्चित अंतराल पर सफाई भी आवश्यक है। अब पढ़िए डीएम क्या कहते हैं… ये खबर भी पढ़ें… अयोध्या का रामपथ पहली बारिश में क्यों धंसा:हड़बड़ी में 140 दिन पहले तैयार किया; अब तक 6 अफसर सस्पेंड; असली दोषी कौन? पूरी पड़ताल अयोध्या का रामपथ…वो सड़क जहां से होकर देश-दुनिया से आए श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए जाते हैं। पहली ही बारिश में यह सड़क कई जगह धंस गई। जगह-जगह हुए गड्ढे बता रहे हैं कि इसका निर्माण ठीक से नहीं हुआ है। पूरी खबर पढ़ें… अयोध्या में रामलला मंदिर से 100 मीटर दूर जलवानपुरा मोहल्ला। यहां सड़कों पर 1 फीट से ज्यादा पानी भरा है। लोग पानी के बीचों-बीच होकर आ-जा रहे हैं। मोहल्ले में बने अंबेडकर पार्क में खड़ी एक कार 60 फीसदी से ज्यादा डूबी हुई है। हर तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। अयोध्या के कई मोहल्लों का कमोबेश ऐसा ही हाल है। पहली ही बारिश में अयोध्या के कई इलाके तालाब बन गए हैं। अब ये तस्वीर देखिए… दैनिक भास्कर टीम पड़ताल करने के लिए अयोध्या पहुंची। सबसे पहले जलवानपुरा इलाके का जायजा लिया और हम वहां के लोगों से मिले। लोगों ने क्या कुछ कहा? किसे जिम्मेदार मानते हैं? इससे पहले पढ़िए अयोध्या के तीन इलाकों की स्थिति… छोटी देवकाली: विकास के नाम पर सिर्फ सड़कें
ये क्षेत्र राम मंदिर से सिर्फ 2 किमी दूर है। यहां नगर निगम और अयोध्या विकास प्राधिकरण ने विकास के नाम पर सिर्फ सड़कें बना दी है, लेकिन पानी किधर से निकलेगा, इसकी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। देवकाली मोहल्ले की हालत काफी भयावह है। यहां पहली ही बारिश में सड़कों पर 2 फीट से ज्यादा पानी भर गया। लोगों के घरों में पानी पहुंच गया। कई घरों में बाहर रखे सामान पानी में डूब गए। लोगों की गाड़ियां पानी में डूबी रहीं। सरस्वती पुरम: नालियां चोक, घरों में घुसा पानी
राम मंदिर से करीब 5 किमी दूरी पर बसी इस कॉलोनी की बसावट काफी घनी है। पहली ही बारिश में इसकी स्थिति तालाब जैसी हो गई। कॉलोनी से पानी निकासी के लिए बनी पुरानी नालियां चोक हैं और उसकी साफ सफाई पर विभागों का ध्यान तक नहीं गया। नतीजतन जैसे ही बारिश तेज हुई, पूरा पानी कॉलोनी में जमा होने लगा। धीरे-धीरे पानी इकट्ठा होकर लोगों के घरों में भी घुस गया। आवागमन भी बंद हो गया, जिससे लोग सहम गए। इमामबाड़ा रोड: पानी भरा और सड़क धंस गई
ये इलाका राम मंदिर से तकरीबन 6 किमी की दूरी पर है। यहां बारिश होते ही जल जमाव होने लगा, क्योंकि पानी के निकासी की कोई व्यवस्था मौजूद नहीं थी। जो वैकल्पिक व्यवस्था लोगों ने कर रखी थी, जिम्मेदार विभागों ने उसकी साफ-सफाई भी नहीं करवाई। इसके चलते भारी मात्रा में पानी इकट्ठा हुआ और एक इंटरलॉकिंग सड़क 5 फीट से ज्यादा धंस गई। जिसके चलते इस मोहल्ले का आवागमन बाधित हो गया। यहां के ऐसे हालत के पीछे हमें तीन बड़ी कमियां मिलीं…. 1- सीवर लाइन डालने के काम की रफ्तार बेहद सुस्त होना
अयोध्या में सीवर डालने का काम 2021 में अहमदाबाद की कंपनी भुगन इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। इस कंपनी को कुल 150 किमी सीवर अयोध्या में डालना था। अयोध्या के कई मोहल्लों में अभी तक सीवर का काम नहीं हो पाया है। जगह-जगह गड्‌ढे खोद दिए गए हैं। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी तैयार नहीं हुआ है। हालांकि कंपनी का दावा है कि 90 फीसदी काम पूरा हो गया है। 2- बारिश के पानी की निकासी के लिए कोई भी व्यवस्था न होना
राम मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या में तमाम सड़कों और बिल्डिंग बनाने का काम शुरू हो गया। लेकिन, अयोध्या के पुराने मोहल्ले इस विकास से अछूते रह गए। अगल-बगल की सड़कें ऊंची हो गईं, जिससे उनका भी बारिश का पानी इन मोहल्लों मे भरने लगा। जबकि पानी निकासी के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई। जो छोटी नालियां हैं, वो चोक हैं। बारिश से पहले उनकी सफाई नहीं की गई। यही वजह रही कि पहली बारिश होते ही कई मोहल्ले तालाब की शक्ल में तब्दील हो गए। 3- बिरला धर्मशाला के पीछे स्थित क्षीरसागर पर आधे से ज्यादा कब्जा
राम मंदिर के ठीक सामने बिरला धर्मशाला है। इसी से लगा हुआ तकरीबन 7.5 बीघे में फैला हुआ एक तालाब है। इसे क्षीरसागर कहते हैं। राम मंदिर, हनुमान गढ़ी और उसके आसपास के तकरीबन 10 मोहल्लों के बरसात का पानी इसी तालाब में इकट्ठा हो जाता था। लेकिन, कुछ लोगों ने इस तालाब के बड़े हिस्से पर होटल, घर और दुकानें बना लिया है। लोगों की मानें तो अब ये तालाब 3.5 बीघा ही बचा है। तालाब का एरिया कम होने और इसकी गहराई न बढ़ाए जाने से पहली ही बारिश में ही ये भर गया और ओवरफ्लो हो गया। इससे सड़कें तालाब जैसी हो गईं और पानी लोगों के घरों मे भरने लगा। अयोध्या की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन?

1- अयोध्या नगर निगम 2- जल निगम 3-बिजली विभाग अब जानिए क्या कहते हैं अयोध्यावासी… दहशत में हैं जलवानपुरा के लोग, करंट फैलने का डर
अयोध्या राम मंदिर के सामने जलवानपुरा मुहल्ला है। यहां सड़क के किनारे बिजली विभाग ने लोगों को कनेक्शन देने के लिए मेन सप्लाई के बॉक्स लगा रखे हैं। इनकी ऊंचाई जमीन से सिर्फ 2.5 फीट ही है। पहली बारिश में जब यहां जलभराव हुआ, तो सड़क पर करीब दो फीट पानी जमा हो गया। लोग सहम गए कि अगर थोड़ी देर और बरसात हुई तो बिजली के कनेक्शन बॉक्स भी डूब जाएंगे, जिससे पूरे इलाके में करंट फैल सकता है। कई घरों में बिजली के करंट के हल्के झटके महसूस भी किए गए। इसी मोहल्ले की रहने वाली उत्तराखंड निवासी कमलेश मिश्रा से जब इस बारे में पूछा, तो उनका दर्द सामने आ गया। उन्होंने कहा- घर के ठीक सामने सिर्फ ढाई फीट ऊंचाई पर बिजली विभाग ने सड़क पर मेन सप्लाई बॉक्स लगा दिया है। मेरे घर में एक 10 साल का बच्चा है। हमेशा उसकी चिंता लगी रहती है कि अगर कभी खेलते समय वह वहां गया तो अनहोनी न हो जाए? पूरे मोहल्ले में 15 से ज्यादा बिजली सप्लाई के बॉक्स
हमने पूरे जलवानपुरा मोहल्ले में घूमकर लोगों से बातचीत की। पूरे मोहल्ले में बिजली विभाग के 15 से ज्यादा बॉक्स हैं और सब के सब खुले हुए हैं। जरा सी तेज बारिश से इन बॉक्स में पानी जाने लगता है और शॉर्ट सर्किट होने लगता है। ऐसे में आसपास के लोग दहशत से सिहर जाते हैं। बिजली विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर छुट्टी पर
हमने बिजली विभाग की इस लापरवाही का कारण जानने के लिए विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर प्रदीप कुमार वर्मा से बात करनी चाही। वहां पता चला कि वह छुट्टी पर हैं। उनकी जगह दूसरे एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आदित्य कुमार चार्ज पर हैं। आदित्य कुमार ने बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। जिस मोहल्ले की बात हो रही है, वहां दो फीट तक पानी भर ही नहीं सकता है। लेकिन, इसके बाद भी अगर वहां इस तरह का कोई खतरा है तो हम इसकी जांच करवाएंगे और समस्या को दूर कराने की कोशिश करेंगे। पानी में डूबी कार, लोग बोले यहां जिंदगी जीना मुश्किल है
जलवानपुरा में रहने वाले सुमित जायसवाल, श्रीश पांडे, ऊषा देवी, गिरधारी, मनोज त्रिपाठी से भी हमने बात की। सभी की बस एक आवाज थी कि विकास के नाम पर यहां कोई काम नहीं हुआ है। इस मोहल्ले में पानी पहले भी भरता था, लेकिन घरों मे घुस जाए और दो फीट तक सड़कें डूब जाएं, ऐसा कभी नहीं हुआ था। राम पथ को बनाकर ऊंचा कर दिया गया, जिसकी वजह से उसका पूरा पानी हमारे मोहल्ले मे आ जाता है। इसके अलावा राम मंदिर, हनुमानगढ़ी समेत कई मंदिरों और उसके आसपास के इलाके का पानी भी यहीं आता है। जबकि पानी के निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में हम लोग आखिरकार किससे अपना दर्द कहें। नालियां चोक, नगर निगम सिर्फ खानापूर्ति कर रहा
जलवानपुरा मोहल्ले के आलावा भी कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां की हालत काफी खराब है। इनमें सरस्वतीपुरम, कौशलपुरी, बड़ी देवकाली, इमामबाड़ा रोड समेत एक दर्जन से ज्यादा मोहल्ले शामिल हैं। यहां के हालत ये है कि नालियां चोक हो गई हैं, नाले की सफाई न होने से पानी ओवरफ्लो होकर ऊपर से बह रहा है। जल निगम के मेनहोल जगह-जगह से ओवरफ्लो हैं। सबसे ज्यादा खराब हॉल्ट तो अयोध्या स्टेशन रोड की है। राम मंदिर से अयोध्या स्टेशन जाने वाली सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल भरा है। नालियों का अपनी सड़क के ऊपर बह रहा है। वहां से रोजाना हजारों श्रद्धालु निकलते हैं, जिन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। एक ही बारिश में गिर गई रेलवे स्टेशन की बाउंड्रीवाल, हर तरफ गंदगी
अयोध्या में हुए विकास कार्यों की गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रेलवे स्टेशन के परिसर की दीवार पहली बारिश भी नहीं झेल सकी। तकरीबन 40 फीट लंबी दीवार ढह गई। अब जिम्मेदारों ने वहां टीन शेड की वैकल्पिक बाउंड्रीवाल खड़ी कर अपनी गलती को छिपाने की कोशिश कर रहा है। रेलवे स्टेशन के बार यात्री प्रतीक्षालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। ऐसा लगता है कि महीनों से वहां की सफाई नहीं हुई है। यात्री प्रतीक्षालय में लगी पानी की टंकियों में पानी की सप्लाई बंद है। तकरीबन 250 करोड़ की लागत से बने अयोध्या के रेलवे स्टेशन का उद्घाटन दिसंबर 2023 में पीएम मोदी ने किया था। एक्सपर्ट बोले- निर्माण होते जा रहे हैं, व्यवस्थाएं नहीं बढ़ रहीं
इस बारे में नगर विकास विभाग के पूर्व अवर अभियंता एसबी त्रिपाठी कहते हैं, शहरी इलाकों में तेजी से नए निर्माण होते जा रहे हैं। लेकिन इन नए बस रहे मोहल्लों में न तो सीवर की व्यवस्था है और न ही जलनिकासी के लिए नालों की। ऐसे में बरसात होने पर यहां समस्या होनी लाजिमी है। जहां ये सुविधाएं मौजूद हैं, उनकी प्रॉपर सफाई भी जरूरी है। जिम्मेदार विभागों को भी ये बात देखनी चाहिए कि किस जगह पर किस कैपेसिटी का सीवर या नाला चाहिए। ताकि ऐसी किसी भी स्थिति से बचा जा सके। वहीं, इस बारे में नगर निगम में पूर्व सफाई सुपरवाइजर रहे शिवकुमार का कहना है कि जिन इलाकों में जल जमाव की समस्या है, वहां ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। यदि वहां वाटर रिचार्जिंग के लिए कोई तालाब या गड्ढा है तो उसे बारिश के पहले गहरा करना चाहिए। इसके अलावा इस बात का रखना चाहिए कि ऐसी जगहों पर किसी दूसरे इलाके से पानी न जाए अन्यथा वाटर रिचार्जिंग सोर्स को ओवरफ्लो होने भी देर नहीं लगेगी। नाले और नालियों की निश्चित अंतराल पर सफाई भी आवश्यक है। अब पढ़िए डीएम क्या कहते हैं… ये खबर भी पढ़ें… अयोध्या का रामपथ पहली बारिश में क्यों धंसा:हड़बड़ी में 140 दिन पहले तैयार किया; अब तक 6 अफसर सस्पेंड; असली दोषी कौन? पूरी पड़ताल अयोध्या का रामपथ…वो सड़क जहां से होकर देश-दुनिया से आए श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए जाते हैं। पहली ही बारिश में यह सड़क कई जगह धंस गई। जगह-जगह हुए गड्ढे बता रहे हैं कि इसका निर्माण ठीक से नहीं हुआ है। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर