किसानों की आज शंभू बॉर्डर पर महापंचायत:कल केंद्र सरकार से चंडीगढ़ में मीटिंग; सिरसा बोले मुझे कुछ हो जाए तो मोर्चे पर रखे देह फसलों की एमएसपी की लीगल गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन 2.0 को एक साल हो गया है। केंद्र सरकार से कल (14 फरवरी) चंडीगढ़ में होने वाली मीटिंग से पहले आज शंभू मोर्चे पर किसान तीसरी बड़ी महापंचायत कर अपना शक्ति प्रदर्शन करेंगे। दूसरी तरफ हार्ट अटैक आने के बाद किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा पटियाला स्थित राजिंदरा अस्पताल में भर्ती है। उनसे देर रात किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की है। किसान नेता ऐलान ने किया है कि अगर उनकी मौत हो जाए, तो तब तक उनका संस्कार न किया जाए, जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं करती हैं। जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 80वें दिन में दाखिल हो गया है। डल्लेवाल का कहना है उनकी इच्छा है कि वह केंद्र सरकार से होने वाली मीटिंग में खुद मौजूद रहे। साथ् ही किसानों के पक्ष को मजबूती से सरकार के सामने रखे । सिरसा ने अस्पताल से दिया यह संदेश अस्पताल में भर्ती बलदेव सिंह सिरसा ने 33 सेकेंड का संदेश जनता के नाम दिया है। उन्होंने कहा कि वह ठीक होते हैं तो मोर्चे पर जाएंगे। अगर कुछ हो जाता है तो उनका शरीर मोर्चे की अमानत है। शरीर वहीं पर रखा जाए। उतना समय मेरा संस्कार नहीं करना है, जितना समय हमारी मांगे नहीं मानी जाती हैं। सरकार के साथ कोई फैसला नहीं होता। जब तक किसानों और मजदूरों को, इंसाफ नहीं मिलता है उतना समय मेरा मृतक देह मोर्चे पर ही रहना चाहिए। केंद्र सरकार से अब तक चार चरण की हुई बातचीत किसानों के साथ केंद्र ने पिछले साल पहली मीटिंग आठ फरवरी को चंडीगढ़ के सेक्टर-26 में की थी। मीटिंग में तीन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय शामिल हुए थे। सीएम भगवंत मान भी मौजूद थे। दूसरी मीटिंग 12 फरवरी को हुई थी। इसमें भी केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा समेत तीनों मंत्री मौजूद थे। जबकि तीसरी मीटिंग 15 फरवरी व चौथी मीटिंग 18 फरवरी को हुई थी। चौथी मीटिंग में तीन केंद्रीय मंत्री मौजूद थे। इस दौरान पहले पंजाब सीएम भगवंत मान और फिर केंद्र सरकार के मंत्रियों ने मीडिया से बातचीत की थी। इसके बाद किसान और केंद्र सरकार मीटिंग की टेबल पर नहीं आए हैं। हालांकि 21 फरवरी काे दिल्ली कूच के समय खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस के साथ किसानों की झड़प हुई थी। इस दौरान गोली लगने से युवा किसान नेता शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी। यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहा है। परिवार सीबीआई जांच की मांग कर रहा है। डल्लेवाल ने प्रॉपर्टी परिवार के नाम कर शुरू किया अनशन जब लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में दोबारा भाजपा सरकार आ गई और सरकार ने किसानों की मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया, तो उसके बाद किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आमरण अनशन शुरू करने का फैसला लिया। अनशन पर बैठने से पहले उन्होंने अपनी संपत्ति में से बेटे जगजीत सिंह को 4.5 एकड़ जमीन, बहू हरप्रीत कौर के नाम दो एकड़ और अपने पोते जिगरजोत सिंह के नाम 10.5 एकड़ जमीन कर दी थी। 26 नवंबर को जैसे ही उन्होंने अनशन शुरू करने का फैसला लिया तो पंजाब पुलिस ने उन्हें जबरदस्ती उठाकर लुधियाना स्थित डीएमसी अस्पताल में भर्ती करवा दिया। लेकिन किसानों के दबाव के बाद एक तारीख को उन्हें वापस मोर्चे पर भेज दिया। उनका लगातार अनशन जारी है। बीच में कई मौके आए, उनकी तबीयत बिगड़ी भी लेकिन वह अस्पताल नहीं गए हैं। वहीं, किसानो ने दिसंबर में दिल्ली कूच की कोशिश की। लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए। इस शर्त पर राजी हुए मेडिकल सुविधा लेने के लिए जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था तो केंद्र सरकार पर सवाल उठ रहे थे। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था। ऐसे में 18 जनवरी को केंद्र सरकार ने दोबारा मीटिंग के लिए हामी भरी । कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव प्रिय रंजन खंडूरी ने खनौरी पहुंचकर डल्लेवाल से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दोबारा बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने डल्लेवाल को मीटिंग का लैटर सौंपकर मेडिकल सुविधा लेने के लिए राजी किया। साथ ही कहा कि मीटिंग दिल्ली चुनाव के बाद चौदह फरवरी को चंडीगढ़ के सेक्टर-26 में शाम को साढ़े पांच बजे होगी। इसके बाद डल्लेवाल ने मेडिकल सहायता ली। सुप्रीम कोर्ट में हो चुकी है दस सुनवाई जब हरियाणा पुलिस ने किसानों को आगे नहीं बढ़ने दिया तो वह शंभू और खनौरी मोर्चे पर बैठ गए थे। किसानों की दलील थी कि वह शांतमय तरीके से आगे जा रहे हैं, लेकिन हरियाणा पुलिस उन्हें आगे नहीं बढ़ने दे रही है। फिर शंभू बॉर्डर खुलवाने के लिए अंबाला के व्यापारियों की एक याचिका हाईकोर्ट पहुंची। इसमें हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश हुए। लेकिन हरियाणा सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हरियाणा सरकार ने दलील दी थी कि किसानों ने अपने ट्रैक्टर मॉडिफाई किए हुए हैं। अगर किसान आगे आते हैं तो राज्य का माहौल खराब होगा। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई पावर कमेटी गठित की। इस मामले में अब तक करीब 10 बार सुनवाई हो चुकी हैं। हाईपावर कमेटी डल्लेवाल से मुलाकात कर चुकी है।