100 करोड़ से ज्यादा के आश्रम और जमीन, लग्जरी कारों का काफिला, आलीशान आश्रम और 80 सेवादार। यह शानो-शौकत है भोले बाबा की। उस पर बाबा का दावा यह कि वह एक पैसे भी दान नहीं लेता। दरअसल, भोले बाबा की असली कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। वही भोले बाबा उर्फ सूरज पाल, हाथरस में जिसके सत्संग के बाद मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई। सत्संग का आयोजन कराने वाले 22 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। मगर, FIR में बाबा का नाम तक नहीं है। घटना के बाद से वह गायब है। मैनपुरी में उसके आश्रम के बाहर 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने बाबा के साम्राज्य की पड़ताल की। चार आश्रमों में गई। उसके सिस्टम को समझा। सत्संग करवाने के नियम और कानून जाने। दान देने के तरीके को देखा। उन लोगों से मिले और बात की, जो बाबा के कार्यक्रम तय करते हैं। आइए सब कुछ सिलसिलेवार जानते हैं… पहले बाबा की लग्जरी लाइफ जानिए… सेवादारों की फौज: जब बाबा का काफिला निकलता है तो उसकी गाड़ी के साथ और पीछे सैकड़ों सेवादारों की फौज दौड़ती है। ये उसकी सुरक्षा में हमेशा तैनात रहते हैं। बाबा पुलिस प्रशासन पर भरोसा नहीं करता है। वो जहां जाता है, उसके निजी सेवादार और आर्मी साथ रहती है। बाबा की फौज में शामिल सेवादार गुलाबी रंग की वर्दी पहनते हैं। इस फौज में भर्ती के लिए आवेदन भी करना पड़ता है। 6 आलीशान कमरों में रहता है: बाबा मैनपुरी के आलीशान आश्रम में रहता है। यहां 6 बड़े कमरे उसके और उसकी पत्नी के लिए रिजर्व हैं। बिना अनुमति के यहां कोई नहीं जा सकता। 80 सेवादार तैनात रहते हैं। बाबा का यह आश्रम 15 से लेकर 21 बीघा में हैं। बाबा को नजदीक से जानने वालों ने बताया कि बाबा के पास 100 करोड़ से ज्यादा के आश्रम और जमीन है। सभी आश्रम ट्रस्ट के नाम पर हैं। बाबा का काफिला: सूरज पाल के काफिले में हर समय 25 से 30 लग्जरी कारें रहती हैं। बाबा खुद फॉच्युर्नर से चलता है। वह हाथरस में सत्संग करने भी 15 गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचा था। पहले उस आश्रम की कहानी, जहां बाबा रहता है… चार करोड़ का आश्रम, 80 सेवादार
भोले बाबा के नाम से चर्चित सूरज पाल का मेन ठिकाना मैनपुरी का बिछुआ आश्रम है। यूपी में कहीं भी कार्यक्रम हो बाबा यहीं से जाता और आता है। इस आश्रम में वह दो बार आ चुका है। अबकी बार 10 मई को वह ग्वालियर से यहां आया। उसे अगले 6 महीने तक यहीं रहना था। इस दौरान उसे हाथरस के अलावा आगरा में भी बड़े कार्यक्रम करना था। 21 बीघे में फैले इस आश्रम का मालिक सीधे तौर पर भोले बाबा यानी सूरज पाल नहीं है। यह राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर है। आश्रम के मुख्य गेट पर इसके निर्माण में दान देने वाले 200 लोगों की सूची है। इसमें सबसे अधिक ढाई लाख और सबसे कम 10 हजार का दान दिया गया। अगर हम जमीन को भी जोड़ लें तो इस आश्रम की कीमत करीब 4 करोड़ बैठती है। सूरज पाल से जुड़े भक्त बताते हैं कि आश्रम में करीब 80 लोग सेवादार के रूप में बिना पैसे के काम करते हैं। कुछ लोग गेट पर खड़े होते हैं तो कुछ साफ-सफाई व खाना बनाने का काम करते हैं। अब बाबा के दूसरे आश्रमों को जानिए कानपुर: 14 बीघा में आश्रम, गांव वालों में रहता है खौफ
कानपुर में बाबा का एक आश्रम 14 बीघे में फैला हुआ है। आश्रम के आस पास ऐसा खौफ है कि गांव के लोग वहां से निकल नहीं सकते। दैनिक भास्कर टीम कानपुर से लगभग 21 किमी दूर बिधनू इलाके के कसुई गांव पहुंची। आश्रम का भवन तीन बीघे में बना है। यहां पर हमें गेट पर कसूई गांव के गोरेलाल मिले। उन्होंने बताया- यहां पर करीब 10 सेवादार रहते हैं, जो आश्रम में रहकर पूजा-पाठ करते हैं। वहीं, कसुई गांव के विजय ने हमें बताया- आश्रम की देखरेख वह खुद करते हैं। कमेटी में वह संरक्षक के पद पर हैं। आश्रम के अध्यक्ष अनिल तोमर हैं। भवन के अंदर वीवीआईपी व्यवस्था है। गांव वालों की मानें तो पूर्व में कई थाना प्रभारी व पुलिस कर्मियों को आश्रम से ही टिफिन जाता था। ऐसा इसलिए कि अगर ग्रामीणों से कोई विवाद हो तो पुलिस आश्रम के लोगों का पक्ष लेती थी। गांव के रहने वाले अशोक ने बताया कि आश्रम के आगे से उनके खेत जाने के लिए रास्ता है। जब आश्रम बना तो उन्हें लगा कि अब खेत में आने-जाने के लिए रास्ता साफ सुथरा हो गया। उन्हें क्या पता था कि आश्रम के सेवादार उन्हें वहां से निकलने नहीं देंगे। जब वे लोग खेतों में जाने के लिए आश्रम के सामने से निकलते हैं। तो अध्यक्ष उन्हें रोकते हैं। कई बार तो मारपीट होने से मामला थाने तक पहुंच चुका है। इन मामलों में पुलिस हमेशा आश्रम का पक्ष लेती है। इस वजह से यहां रहने वाले ग्रामीणों में खौफ बना रहता है। सेवादार बोले- हमारी आस्था जुड़ी है
हम कसुई गांव से वापस लौट रहे थे। हमीरपुर जिले के छानी विवार गांव निवासी कुसुम अपनी बहू आरती के साथ आश्रम जा रही थी। उन्होंने बताया कि वह दो महीने में चार दिन आश्रम में आकर सेवा करती हैं। इटावा: 15 बीघा में आश्रम, नाराज बाबा नहीं आते
इटावा शहर से लगे सराय भूपत के कटे खेड़ा गांव में बाबा का आश्रम बना हुआ है। 15 बीघा भूमि पर यहां सत्संग स्थल का निर्माण गांव के लोगों ने करवाया था। इसमें कई कमरे, बड़ा हॉल और बाहर मंच बना हुआ है। उसके बाहर खाली जगह लोगों के बैठने के लिए बनी हुई है। मौके पर जाकर देखा गया तो सत्संग स्थल पर ताला लगा हुआ है। वहां कोई भी नहीं था। स्थानीय युवक ललित कुमार के मुताबिक, करीब ढाई साल पहले बने इस सत्संग स्थल पर छोटे-मोटे कार्यक्रम तो हुए हैं, लेकिन अभी तक यहां भोले बाबा नहीं पहुंचे हैं। बाबा किसी बात से नाराज हो गए थे, जिस वजह से यह आश्रम खाली पड़ा हुआ है। इसकी देखरेख गांव की कमेटी करती है। इस आश्रम के निर्माण के लिए गांव वालों से चंदा लिया गया था। नोएडा में आलीशान आश्रम, डेढ़ साल पहले आए थे
नोएडा के डूब क्षेत्र स्थित सेक्टर-87 इलाबांस गांव में बाबा का आलीशान आश्रम है। आश्रम में बड़े-बड़े गेट लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि काफी समय से बाबा यहां नहीं आए। साल 2022 में ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-16 बी रोज याकूबपुर में समागम किया गया था। मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम का आयोजन 1 नवंबर, 2022 को पहले मंगलवार को किया गया था, जिसका पोस्टर यहां लगा मिला। कासगंज: यह पहला आश्रम, जहां से बाबा का साम्राज्य शुरू हुआ
बाबा के पैतृक गांव बहादुर नगर पटियाली में उनका भव्य आश्रम है। यह बाबा का पहला आश्रम था। यहीं से बाबा के साम्राज्य की शुरुआत हुई। आश्रम हरि चेरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर है। कई बीघा जमीन पर बना है। बाबा के आश्रम में चौकसी के लिए चौकियां बनी हैं। पूरे आश्रम के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें हैं। बड़ा सा दरवाजा लगा है और लाल रंग की छत है। यह किले की तरह दिखता है। आश्रम के बाहर एक बड़ा बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है कि अंदर फोटो खींचना और वीडियो बनाना मना है। पूरे यूपी में 25 आश्रम, हर जगह ‘हम कमेटी’
मैनपुरी के बिछुआ और कासगंज के पटियाली सहित यूपी में सूरज पाल के पास करीब 25 आश्रम हैं। हर जिले में उसने एक ट्रस्ट बना रखा है, साथ ही एक कमेटी भी। उसे ‘हम कमेटी’ के नाम से जानते हैं। अगर किसी को सत्संग करवाना है तो वह सीधे बाबा से संपर्क नहीं कर सकता। उसे अपने जिले की कमेटी से संपर्क करना होगा। मैनपुरी में ‘हम कमेटी’ से जुड़े कलेक्टर सिंह बताते हैं कि सत्संग के लिए आम लोगों से चंदा नहीं लिया जाता। जो लोग कमेटी में होते हैं वही पूरा खर्च देखते हैं। कमेटी पहले सब कुछ देख लेती है और फिर बाबा के पास पर्ची लेकर जाती है। बाबा के हां कहने पर वहां तैयारी शुरू हो जाती है। हम जैसे उनके भक्त उस जगह पर जाकर साफ-सफाई करते हैं। पूरी व्यवस्था देखते हैं। बाबा किसी तरह का कोई दान नहीं लेते। बाबा के कई अफसर भी भक्त, लेकिन दान लिस्ट में नाम नहीं
भोले बाबा के भक्त न सिर्फ आम आदमी ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े अधिकारी भी हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां अक्सर बड़ी-बड़ी गाड़ियों के साथ लोग आते थे। वे सभी भोले बाबा के भक्त हैं, लेकिन सरकारी नौकरी होने के चलते नाम दान लिस्ट में नहीं लिखवाना चाहते। वो गुप्त दान करते हैं। वरना जितने लोगों का नाम लिखा है और दान मिला है, उससे इतना बड़ा आश्रम कैसे बनाया जा सकता है। मैनपुरी में बैंक मैनेजर पद से रिटायर हुए सुरेश चंद्र सूरज पाल के भक्त हैं। वो कहते हैं कि हम करीब 20 साल से बाबा से जुड़े हैं। हमारे जैसे तमाम लोग भी बाबा के साथ हैं। सभी कमेटी से जुड़े हैं। जब भी कोई जरूरत पड़ती है, कमेटी के सभी लोग मिलकर फैसला लेते हैं। 100 करोड़ से ज्यादा के आश्रम और जमीन, लग्जरी कारों का काफिला, आलीशान आश्रम और 80 सेवादार। यह शानो-शौकत है भोले बाबा की। उस पर बाबा का दावा यह कि वह एक पैसे भी दान नहीं लेता। दरअसल, भोले बाबा की असली कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। वही भोले बाबा उर्फ सूरज पाल, हाथरस में जिसके सत्संग के बाद मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई। सत्संग का आयोजन कराने वाले 22 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। मगर, FIR में बाबा का नाम तक नहीं है। घटना के बाद से वह गायब है। मैनपुरी में उसके आश्रम के बाहर 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने बाबा के साम्राज्य की पड़ताल की। चार आश्रमों में गई। उसके सिस्टम को समझा। सत्संग करवाने के नियम और कानून जाने। दान देने के तरीके को देखा। उन लोगों से मिले और बात की, जो बाबा के कार्यक्रम तय करते हैं। आइए सब कुछ सिलसिलेवार जानते हैं… पहले बाबा की लग्जरी लाइफ जानिए… सेवादारों की फौज: जब बाबा का काफिला निकलता है तो उसकी गाड़ी के साथ और पीछे सैकड़ों सेवादारों की फौज दौड़ती है। ये उसकी सुरक्षा में हमेशा तैनात रहते हैं। बाबा पुलिस प्रशासन पर भरोसा नहीं करता है। वो जहां जाता है, उसके निजी सेवादार और आर्मी साथ रहती है। बाबा की फौज में शामिल सेवादार गुलाबी रंग की वर्दी पहनते हैं। इस फौज में भर्ती के लिए आवेदन भी करना पड़ता है। 6 आलीशान कमरों में रहता है: बाबा मैनपुरी के आलीशान आश्रम में रहता है। यहां 6 बड़े कमरे उसके और उसकी पत्नी के लिए रिजर्व हैं। बिना अनुमति के यहां कोई नहीं जा सकता। 80 सेवादार तैनात रहते हैं। बाबा का यह आश्रम 15 से लेकर 21 बीघा में हैं। बाबा को नजदीक से जानने वालों ने बताया कि बाबा के पास 100 करोड़ से ज्यादा के आश्रम और जमीन है। सभी आश्रम ट्रस्ट के नाम पर हैं। बाबा का काफिला: सूरज पाल के काफिले में हर समय 25 से 30 लग्जरी कारें रहती हैं। बाबा खुद फॉच्युर्नर से चलता है। वह हाथरस में सत्संग करने भी 15 गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचा था। पहले उस आश्रम की कहानी, जहां बाबा रहता है… चार करोड़ का आश्रम, 80 सेवादार
भोले बाबा के नाम से चर्चित सूरज पाल का मेन ठिकाना मैनपुरी का बिछुआ आश्रम है। यूपी में कहीं भी कार्यक्रम हो बाबा यहीं से जाता और आता है। इस आश्रम में वह दो बार आ चुका है। अबकी बार 10 मई को वह ग्वालियर से यहां आया। उसे अगले 6 महीने तक यहीं रहना था। इस दौरान उसे हाथरस के अलावा आगरा में भी बड़े कार्यक्रम करना था। 21 बीघे में फैले इस आश्रम का मालिक सीधे तौर पर भोले बाबा यानी सूरज पाल नहीं है। यह राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर है। आश्रम के मुख्य गेट पर इसके निर्माण में दान देने वाले 200 लोगों की सूची है। इसमें सबसे अधिक ढाई लाख और सबसे कम 10 हजार का दान दिया गया। अगर हम जमीन को भी जोड़ लें तो इस आश्रम की कीमत करीब 4 करोड़ बैठती है। सूरज पाल से जुड़े भक्त बताते हैं कि आश्रम में करीब 80 लोग सेवादार के रूप में बिना पैसे के काम करते हैं। कुछ लोग गेट पर खड़े होते हैं तो कुछ साफ-सफाई व खाना बनाने का काम करते हैं। अब बाबा के दूसरे आश्रमों को जानिए कानपुर: 14 बीघा में आश्रम, गांव वालों में रहता है खौफ
कानपुर में बाबा का एक आश्रम 14 बीघे में फैला हुआ है। आश्रम के आस पास ऐसा खौफ है कि गांव के लोग वहां से निकल नहीं सकते। दैनिक भास्कर टीम कानपुर से लगभग 21 किमी दूर बिधनू इलाके के कसुई गांव पहुंची। आश्रम का भवन तीन बीघे में बना है। यहां पर हमें गेट पर कसूई गांव के गोरेलाल मिले। उन्होंने बताया- यहां पर करीब 10 सेवादार रहते हैं, जो आश्रम में रहकर पूजा-पाठ करते हैं। वहीं, कसुई गांव के विजय ने हमें बताया- आश्रम की देखरेख वह खुद करते हैं। कमेटी में वह संरक्षक के पद पर हैं। आश्रम के अध्यक्ष अनिल तोमर हैं। भवन के अंदर वीवीआईपी व्यवस्था है। गांव वालों की मानें तो पूर्व में कई थाना प्रभारी व पुलिस कर्मियों को आश्रम से ही टिफिन जाता था। ऐसा इसलिए कि अगर ग्रामीणों से कोई विवाद हो तो पुलिस आश्रम के लोगों का पक्ष लेती थी। गांव के रहने वाले अशोक ने बताया कि आश्रम के आगे से उनके खेत जाने के लिए रास्ता है। जब आश्रम बना तो उन्हें लगा कि अब खेत में आने-जाने के लिए रास्ता साफ सुथरा हो गया। उन्हें क्या पता था कि आश्रम के सेवादार उन्हें वहां से निकलने नहीं देंगे। जब वे लोग खेतों में जाने के लिए आश्रम के सामने से निकलते हैं। तो अध्यक्ष उन्हें रोकते हैं। कई बार तो मारपीट होने से मामला थाने तक पहुंच चुका है। इन मामलों में पुलिस हमेशा आश्रम का पक्ष लेती है। इस वजह से यहां रहने वाले ग्रामीणों में खौफ बना रहता है। सेवादार बोले- हमारी आस्था जुड़ी है
हम कसुई गांव से वापस लौट रहे थे। हमीरपुर जिले के छानी विवार गांव निवासी कुसुम अपनी बहू आरती के साथ आश्रम जा रही थी। उन्होंने बताया कि वह दो महीने में चार दिन आश्रम में आकर सेवा करती हैं। इटावा: 15 बीघा में आश्रम, नाराज बाबा नहीं आते
इटावा शहर से लगे सराय भूपत के कटे खेड़ा गांव में बाबा का आश्रम बना हुआ है। 15 बीघा भूमि पर यहां सत्संग स्थल का निर्माण गांव के लोगों ने करवाया था। इसमें कई कमरे, बड़ा हॉल और बाहर मंच बना हुआ है। उसके बाहर खाली जगह लोगों के बैठने के लिए बनी हुई है। मौके पर जाकर देखा गया तो सत्संग स्थल पर ताला लगा हुआ है। वहां कोई भी नहीं था। स्थानीय युवक ललित कुमार के मुताबिक, करीब ढाई साल पहले बने इस सत्संग स्थल पर छोटे-मोटे कार्यक्रम तो हुए हैं, लेकिन अभी तक यहां भोले बाबा नहीं पहुंचे हैं। बाबा किसी बात से नाराज हो गए थे, जिस वजह से यह आश्रम खाली पड़ा हुआ है। इसकी देखरेख गांव की कमेटी करती है। इस आश्रम के निर्माण के लिए गांव वालों से चंदा लिया गया था। नोएडा में आलीशान आश्रम, डेढ़ साल पहले आए थे
नोएडा के डूब क्षेत्र स्थित सेक्टर-87 इलाबांस गांव में बाबा का आलीशान आश्रम है। आश्रम में बड़े-बड़े गेट लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि काफी समय से बाबा यहां नहीं आए। साल 2022 में ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-16 बी रोज याकूबपुर में समागम किया गया था। मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम का आयोजन 1 नवंबर, 2022 को पहले मंगलवार को किया गया था, जिसका पोस्टर यहां लगा मिला। कासगंज: यह पहला आश्रम, जहां से बाबा का साम्राज्य शुरू हुआ
बाबा के पैतृक गांव बहादुर नगर पटियाली में उनका भव्य आश्रम है। यह बाबा का पहला आश्रम था। यहीं से बाबा के साम्राज्य की शुरुआत हुई। आश्रम हरि चेरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर है। कई बीघा जमीन पर बना है। बाबा के आश्रम में चौकसी के लिए चौकियां बनी हैं। पूरे आश्रम के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें हैं। बड़ा सा दरवाजा लगा है और लाल रंग की छत है। यह किले की तरह दिखता है। आश्रम के बाहर एक बड़ा बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है कि अंदर फोटो खींचना और वीडियो बनाना मना है। पूरे यूपी में 25 आश्रम, हर जगह ‘हम कमेटी’
मैनपुरी के बिछुआ और कासगंज के पटियाली सहित यूपी में सूरज पाल के पास करीब 25 आश्रम हैं। हर जिले में उसने एक ट्रस्ट बना रखा है, साथ ही एक कमेटी भी। उसे ‘हम कमेटी’ के नाम से जानते हैं। अगर किसी को सत्संग करवाना है तो वह सीधे बाबा से संपर्क नहीं कर सकता। उसे अपने जिले की कमेटी से संपर्क करना होगा। मैनपुरी में ‘हम कमेटी’ से जुड़े कलेक्टर सिंह बताते हैं कि सत्संग के लिए आम लोगों से चंदा नहीं लिया जाता। जो लोग कमेटी में होते हैं वही पूरा खर्च देखते हैं। कमेटी पहले सब कुछ देख लेती है और फिर बाबा के पास पर्ची लेकर जाती है। बाबा के हां कहने पर वहां तैयारी शुरू हो जाती है। हम जैसे उनके भक्त उस जगह पर जाकर साफ-सफाई करते हैं। पूरी व्यवस्था देखते हैं। बाबा किसी तरह का कोई दान नहीं लेते। बाबा के कई अफसर भी भक्त, लेकिन दान लिस्ट में नाम नहीं
भोले बाबा के भक्त न सिर्फ आम आदमी ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े अधिकारी भी हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां अक्सर बड़ी-बड़ी गाड़ियों के साथ लोग आते थे। वे सभी भोले बाबा के भक्त हैं, लेकिन सरकारी नौकरी होने के चलते नाम दान लिस्ट में नहीं लिखवाना चाहते। वो गुप्त दान करते हैं। वरना जितने लोगों का नाम लिखा है और दान मिला है, उससे इतना बड़ा आश्रम कैसे बनाया जा सकता है। मैनपुरी में बैंक मैनेजर पद से रिटायर हुए सुरेश चंद्र सूरज पाल के भक्त हैं। वो कहते हैं कि हम करीब 20 साल से बाबा से जुड़े हैं। हमारे जैसे तमाम लोग भी बाबा के साथ हैं। सभी कमेटी से जुड़े हैं। जब भी कोई जरूरत पड़ती है, कमेटी के सभी लोग मिलकर फैसला लेते हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर