यूपी में 3.50 लाख रुपए किलो वाला आम:CCTV से रखवाली, गुजरात के कारोबारी चाहते हैं खरीदना; 4 साल पहले 18 लाख में बिका था

यूपी में 3.50 लाख रुपए किलो वाला आम:CCTV से रखवाली, गुजरात के कारोबारी चाहते हैं खरीदना; 4 साल पहले 18 लाख में बिका था

सहारनपुर के बलियाखेड़ी में किसान संदीप चौधरी ‘मियाजाकी’ आम की खेती कर चर्चा में हैं। इस आम की एक किलो की कीमत 2.70 लाख से 3.50 लाख रुपए है। इसकी नस्ल जापान के मियाजाकी यूनिवर्सिटी में विकसित हुई। आम का जापानी नाम है ‘ताइयो नो टमैगो’, जिसका मतलब है ‘सूर्य का अंडा’। संदीप चौधरी ने ‘मियाजाकी’ के दो पेड़ लगा रखे हैं। इन पर सिर्फ तीन आम लगे हैं। जिन्हें वो बेचना नहीं, बल्कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सीएम को खिलाना चाहते हैं। यह खाने में बेहद मीठा होता है। एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटिन और फोलिक एसिड से भरपूर है। इसे खाने से कैंसर की बीमारी में काफी राहत मिलती है। ढाई से तीन फीट है पेड़ की ऊंचाई
किसान संदीप चौधरी ने 9 महीने पहले आम का पेड़ कोलकाता से ऑर्डर कर मंगाया था। एक पेड़ की कीमत 7500 रुपए है। उन्होंने दो पेड़ अपने ऑर्गेनिक बगीचे में लगाए। पेड़ की ऊंचाई केवल ढाई से तीन फीट होती है। अप्रैल में इस पेड़ पर आम का बौर आने लगा। एक आम का वजन 300 से 350 ग्राम तक होगा। अगस्त में ये आम पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। आम का वीडियो संदीप ने सोशल मीडिया पर डाला। इसके बाद वो चर्चा में आए। 3 आम खरीदने के लिए कई लोग तैयार
वैसे तो इस आम को आम इंसान नहीं खरीद सकता। इसे खरीदने के लिए करोड़पति और अरबपति ही आगे आ रहे हैं। संदीप कहते हैं कि उनके पास आम खरीदने के लिए फोन कॉल भी आ रही हैं। सूरत के एक कपड़ा व्यापारी प्रवीण गुप्ता लगातार फोन कर इस आम को खरीदने की इच्छा जता रहे हैं। आम को खुद ही तोड़ने की बात भी कह रहे हैं। लेकिन संदीप इस कीमती आम को बेचना नहीं चाहते हैं। वो पेड़ के पहले फल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को खिलाना चाहते हैं। आम की सीसीटीवी से हो रही निगरानी
संदीप चौधरी ने इन पेड़ों की निगरानी के लिए पीटीजेड सीसीटीवी लगाया हुआ है। यह 360 डिग्री पर घूमता है। अगर कोई बगीचे में आता है, तो कैमरा आवाज करने लगता है। इसका अलर्ट संदीप के मोबाइल पर चला जाता है। ये कैमरा सेंसर युक्त है, जो सोलर एनर्जी से चलता है। खेत में आने वाले व्यक्ति का फोटो ऑटोमैटिक सेव कर लेता है। 45 डिग्री टेम्प्रेचर में विकसित होता है पौधा
संदीप बताते हैं कि यह पौधा 45 डिग्री टैम्परेचर पर विकसित होता है। तभी इस पर फल आते हैं। इस बार गर्मी भीषण पड़ी है। इसके चलते यह पौधा विकसित हो पाया है। पेड़ पर एक साल में एक बार ही फल आता है। मियाजाकी आम में न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत ज्यादा होती है। इस आम का छिलका भी आसानी से खाया जा सकता है। इसमें 15% शुगर होता है। आम की फसल अप्रैल से अगस्त तक उगाई जाती है। पकने के शुरुआती दौर में इसका रंग बैंगनी होता है। वहीं, पूरी तरह पकने के बाद यह गहरे लाल रंग का हो जाता है। भारत के किसानों की सुधरेगी आर्थिक स्थिति
संदीप कहते हैं कि देश के किसान को खेती की पुरानी पद्धति छोड़नी होगी। इससे उनका उज्जवल भविष्य हो सकता हैं। समय-समय पर नई तकनीकी का प्रयोग करना चाहिए। देश का किसान भी करोड़पति बन सकता है। विदेशों में ऐसा ही होता है। हमारे देश का किसान भी सूट-बूट पहन सकता है। खेती से काफी पैसे कमा सकता है। सड़क से संसद तक किसान अपनी मांगों के लिए जूझता है। अगर वो अपनी खेती को लेकर बदलाव करे तो उसे बड़ा फायदा मिलेगा। 2019 में 36 लाख रुपए के बिके थे 2 आम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2019 में इस किस्म के दो आम जापान में नीलामी के दौरान 5 मिलियन येन की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग कीमत पर बेचे गए थे, जो करीब 45,000 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। अगर इंडियन करेंसी में हिसाब लगाएं तो दो आमों की कीमत करीब 36 लाख रुपए है। इसलिए भी इसे दुनिया का सबसे महंगा आम माना जाता है। कोर यूनिवर्सिटी में डिप्टी रजिस्ट्रार हैं संदीप चौधरी
संदीप चौधरी ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी रीटा चौधरी के कहने पर जैविक खेती शुरू की थी। उनकी पत्नी गांव थरौली की प्रधान हैं। संदीप चौधरी पेशे से एक बिजनेसमैन हैं। कोर यूनिवर्सिटी में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत हैं। वे अपने पिता कंवरपाल सिंह के साथ जैविक खेती करते हैं। उनके पास खेती के लिए करीब 20 बीघा जमीन है। 10 बीघा खेत में उन्होंने अमरूद और ड्रैगन फल लगाए हैं। संदीप ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। ये भी पढ़ें ‘यूपी का मैंगोलैंड’…जहां 700 वैरायटी के आम: 1824 में कोई बाग नहीं था, आज वर्ल्ड फेमस है मलिहाबादी दशहरी न चाशनी में डूबा रसगुल्ला न रस-मलाई न बादाम, स्वाद में सबसे उम्दा अवध का मलिहाबादी आम
महज 13 किमी में फैले मलिहाबाद को यूपी का मैंगोलैंड कहा जाता है। इस जगह को ये दर्जा यूं ही नहीं मिला। ये घर है आम की 700 किस्मों का। 100 से ज्यादा बगीचों और 2 हजार से ज्यादा उन लोगों का, जिनकी पीढ़ियां 100 सालों से आम उगा रही हैं। मलिहाबादी आम इतना कीमती है कि सरकार ने इस पर जियो टैगिंग की है। ताकि इसके स्वाद और पहचान की कोई कॉपी न कर पाए। लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर हरदोई हाईवे पर ये बगीचा है। यूपी के मैंगोलैंड’ की सैर ये खबर पढ़कर कर लीजिए। पढ़ें पूरी खबर… सहारनपुर के बलियाखेड़ी में किसान संदीप चौधरी ‘मियाजाकी’ आम की खेती कर चर्चा में हैं। इस आम की एक किलो की कीमत 2.70 लाख से 3.50 लाख रुपए है। इसकी नस्ल जापान के मियाजाकी यूनिवर्सिटी में विकसित हुई। आम का जापानी नाम है ‘ताइयो नो टमैगो’, जिसका मतलब है ‘सूर्य का अंडा’। संदीप चौधरी ने ‘मियाजाकी’ के दो पेड़ लगा रखे हैं। इन पर सिर्फ तीन आम लगे हैं। जिन्हें वो बेचना नहीं, बल्कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सीएम को खिलाना चाहते हैं। यह खाने में बेहद मीठा होता है। एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटिन और फोलिक एसिड से भरपूर है। इसे खाने से कैंसर की बीमारी में काफी राहत मिलती है। ढाई से तीन फीट है पेड़ की ऊंचाई
किसान संदीप चौधरी ने 9 महीने पहले आम का पेड़ कोलकाता से ऑर्डर कर मंगाया था। एक पेड़ की कीमत 7500 रुपए है। उन्होंने दो पेड़ अपने ऑर्गेनिक बगीचे में लगाए। पेड़ की ऊंचाई केवल ढाई से तीन फीट होती है। अप्रैल में इस पेड़ पर आम का बौर आने लगा। एक आम का वजन 300 से 350 ग्राम तक होगा। अगस्त में ये आम पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। आम का वीडियो संदीप ने सोशल मीडिया पर डाला। इसके बाद वो चर्चा में आए। 3 आम खरीदने के लिए कई लोग तैयार
वैसे तो इस आम को आम इंसान नहीं खरीद सकता। इसे खरीदने के लिए करोड़पति और अरबपति ही आगे आ रहे हैं। संदीप कहते हैं कि उनके पास आम खरीदने के लिए फोन कॉल भी आ रही हैं। सूरत के एक कपड़ा व्यापारी प्रवीण गुप्ता लगातार फोन कर इस आम को खरीदने की इच्छा जता रहे हैं। आम को खुद ही तोड़ने की बात भी कह रहे हैं। लेकिन संदीप इस कीमती आम को बेचना नहीं चाहते हैं। वो पेड़ के पहले फल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को खिलाना चाहते हैं। आम की सीसीटीवी से हो रही निगरानी
संदीप चौधरी ने इन पेड़ों की निगरानी के लिए पीटीजेड सीसीटीवी लगाया हुआ है। यह 360 डिग्री पर घूमता है। अगर कोई बगीचे में आता है, तो कैमरा आवाज करने लगता है। इसका अलर्ट संदीप के मोबाइल पर चला जाता है। ये कैमरा सेंसर युक्त है, जो सोलर एनर्जी से चलता है। खेत में आने वाले व्यक्ति का फोटो ऑटोमैटिक सेव कर लेता है। 45 डिग्री टेम्प्रेचर में विकसित होता है पौधा
संदीप बताते हैं कि यह पौधा 45 डिग्री टैम्परेचर पर विकसित होता है। तभी इस पर फल आते हैं। इस बार गर्मी भीषण पड़ी है। इसके चलते यह पौधा विकसित हो पाया है। पेड़ पर एक साल में एक बार ही फल आता है। मियाजाकी आम में न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत ज्यादा होती है। इस आम का छिलका भी आसानी से खाया जा सकता है। इसमें 15% शुगर होता है। आम की फसल अप्रैल से अगस्त तक उगाई जाती है। पकने के शुरुआती दौर में इसका रंग बैंगनी होता है। वहीं, पूरी तरह पकने के बाद यह गहरे लाल रंग का हो जाता है। भारत के किसानों की सुधरेगी आर्थिक स्थिति
संदीप कहते हैं कि देश के किसान को खेती की पुरानी पद्धति छोड़नी होगी। इससे उनका उज्जवल भविष्य हो सकता हैं। समय-समय पर नई तकनीकी का प्रयोग करना चाहिए। देश का किसान भी करोड़पति बन सकता है। विदेशों में ऐसा ही होता है। हमारे देश का किसान भी सूट-बूट पहन सकता है। खेती से काफी पैसे कमा सकता है। सड़क से संसद तक किसान अपनी मांगों के लिए जूझता है। अगर वो अपनी खेती को लेकर बदलाव करे तो उसे बड़ा फायदा मिलेगा। 2019 में 36 लाख रुपए के बिके थे 2 आम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2019 में इस किस्म के दो आम जापान में नीलामी के दौरान 5 मिलियन येन की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग कीमत पर बेचे गए थे, जो करीब 45,000 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। अगर इंडियन करेंसी में हिसाब लगाएं तो दो आमों की कीमत करीब 36 लाख रुपए है। इसलिए भी इसे दुनिया का सबसे महंगा आम माना जाता है। कोर यूनिवर्सिटी में डिप्टी रजिस्ट्रार हैं संदीप चौधरी
संदीप चौधरी ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी रीटा चौधरी के कहने पर जैविक खेती शुरू की थी। उनकी पत्नी गांव थरौली की प्रधान हैं। संदीप चौधरी पेशे से एक बिजनेसमैन हैं। कोर यूनिवर्सिटी में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत हैं। वे अपने पिता कंवरपाल सिंह के साथ जैविक खेती करते हैं। उनके पास खेती के लिए करीब 20 बीघा जमीन है। 10 बीघा खेत में उन्होंने अमरूद और ड्रैगन फल लगाए हैं। संदीप ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। ये भी पढ़ें ‘यूपी का मैंगोलैंड’…जहां 700 वैरायटी के आम: 1824 में कोई बाग नहीं था, आज वर्ल्ड फेमस है मलिहाबादी दशहरी न चाशनी में डूबा रसगुल्ला न रस-मलाई न बादाम, स्वाद में सबसे उम्दा अवध का मलिहाबादी आम
महज 13 किमी में फैले मलिहाबाद को यूपी का मैंगोलैंड कहा जाता है। इस जगह को ये दर्जा यूं ही नहीं मिला। ये घर है आम की 700 किस्मों का। 100 से ज्यादा बगीचों और 2 हजार से ज्यादा उन लोगों का, जिनकी पीढ़ियां 100 सालों से आम उगा रही हैं। मलिहाबादी आम इतना कीमती है कि सरकार ने इस पर जियो टैगिंग की है। ताकि इसके स्वाद और पहचान की कोई कॉपी न कर पाए। लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर हरदोई हाईवे पर ये बगीचा है। यूपी के मैंगोलैंड’ की सैर ये खबर पढ़कर कर लीजिए। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर