फतेहाबाद जिले के जाखल निवासी एक शिक्षक की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। मृतक पंजाब से देर रात वापस जाखल आ रहा था। तभी रास्ते में अज्ञात वाहन ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी। इस मामले को लेकर पंजाब पुलिस कार्रवाई में जुटी है। अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर जानकारी के अनुसार वार्ड 9 निवासी पवन कुमार उर्फ लटूरी मास्टर 30 वर्षों से पंजाब के गांव कालिया जिला संगरूर में स्कूल चला रहा था। उसके साथ-साथ खेती-बाड़ी भी करता था। देर रात पंजाब की तरफ से जाखल घर आते समय चुलड़ कलां रेलवे ओवरब्रिज के पास उसकी सड़क हादसे में जान चली गई। भाई की शिकायत पर केस दर्ज उसके परिवार में दो बच्चे व उसकी पत्नी है। एक लड़का 23 वर्षीय व लड़की 18 वर्ष की है। मृतक के घर पर उसके अलावा कोई भी कमाने वाला नहीं है। पुलिस के अनुसार पवन कुमार उर्फ लटूरी मास्टर के चचेरे भाई जितेंद्र की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। फतेहाबाद जिले के जाखल निवासी एक शिक्षक की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। मृतक पंजाब से देर रात वापस जाखल आ रहा था। तभी रास्ते में अज्ञात वाहन ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी। इस मामले को लेकर पंजाब पुलिस कार्रवाई में जुटी है। अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर जानकारी के अनुसार वार्ड 9 निवासी पवन कुमार उर्फ लटूरी मास्टर 30 वर्षों से पंजाब के गांव कालिया जिला संगरूर में स्कूल चला रहा था। उसके साथ-साथ खेती-बाड़ी भी करता था। देर रात पंजाब की तरफ से जाखल घर आते समय चुलड़ कलां रेलवे ओवरब्रिज के पास उसकी सड़क हादसे में जान चली गई। भाई की शिकायत पर केस दर्ज उसके परिवार में दो बच्चे व उसकी पत्नी है। एक लड़का 23 वर्षीय व लड़की 18 वर्ष की है। मृतक के घर पर उसके अलावा कोई भी कमाने वाला नहीं है। पुलिस के अनुसार पवन कुमार उर्फ लटूरी मास्टर के चचेरे भाई जितेंद्र की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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ऐलनाबाद में इनेलो का उम्मीदवार घोषित:कांग्रेस के16 दावेदारों ने टिकट के लिए किया आवेदन; बीजेपी से दो नेताओं के नाम हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद अब ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी सरगर्मियां पूरी तरह से तेज हो गई है। विभिन्न पार्टियों की टिकट के लिए अपनी अपनी दावेदारी पेश करने वाले नेताओं ने भी अपने समर्थकों के साथ संपर्क साधने तेज कर दिए हैं। अभी तक इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी की तरफ से मौजूदा विधायक अभय सिंह चौटाला ने ऐलनाबाद सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। हरियाणा की सभी विधानसभा सीटों पर इस बार अलग-अलग पार्टियों में अपनी दावेदारी पेश करने वाले उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा होने के कारण जहां पार्टियों को अपने उम्मीदवार का चुनाव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वही प्रत्येक विधानसभा सीट पर दावेदारी पेश करने वाले नेताओं को अपने विरोधी उम्मीदवार के साथ चुनाव लड़ने से पहले अपनी ही पार्टी के नेताओं पर जीत दर्ज करते हुए टिकट हासिल करनी भी एक बड़ी चुनौती है। ऐलनाबाद में कांग्रेस के 16 दावेदार ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां कांग्रेस पार्टी से 16 लोगों ने टिकट के लिए नामांकन किया है। लेकिन पूर्व विधायक भरत सिंह बैनीवाल, पवन बैनीवाल व हरियाणा महिला कांग्रेस की महासचिव संतोष बैनीवाल, युवा नेता संदीप बैनीवाल कुम्हारिया, हरपाल कासनियाँ, मनोज जांदू मुख्य दावेदारों में शामिल है। कांग्रेस के यह सभी नेता पिछले लोकसभा चुनाव में कुमारी सैलजा के चुनाव अभियान में विशेष भूमिका निभाते हुए सभी मैचों पर इकट्ठे नजर आए थे। लेकिन अब विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस हाईकमान के पास अपनी अलग-अलग दावेदारी पेश कर रहे हैं। नेताओं ने गांवों में जनसंपर्क अभियान किया शुरू पार्टी हाईकमान द्वारा टिकट किसको दी जाती है यह अभी कहना मुश्किल है। भरत सिंह बैनीवाल व संतोष बैनीवाल द्वारा गांवों में अपना जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। इन्होंने अपने कार्यालय भी खोल दिए है। वहीं पवन बैनीवाल अभी तक विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आए हैं। भाजपा की तरफ से इस बार मीनू बैनीवाल व अमीर चंद मेहता प्रमुख दावेदारों की लिस्ट में शामिल है। मीनू बैनीवाल पिछले लंबे समय से ऐलनाबाद क्षेत्र में सामाजिक गतिविधियों में अपनी भूमिका निभाते हुए नज़र आ रहे हैं। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता अमीर चंद मेहता की भी पार्टी हाईकमान पर पकड़ पूरी तरह से मजबूत है।
हरियाणा में ‘रामपुरा हाउस’ का दबदबा संकट में:राव इंद्रजीत ने सिक्सर लगाया लेकिन लड़खड़ाते हुए जीते, पैतृक सीट पर भी लीड नहीं दिला सके
हरियाणा में ‘रामपुरा हाउस’ का दबदबा संकट में:राव इंद्रजीत ने सिक्सर लगाया लेकिन लड़खड़ाते हुए जीते, पैतृक सीट पर भी लीड नहीं दिला सके हरियाणा की अहीरवाल बैल्ट यानी दक्षिणी हरियाणा में दशकों तक सियासी दबदबा रखने वाले रामपुरा हाउस के वजूद पर इस बार संकट नजर आया। यहां से रामपुरा हाउस की सियासत आगे बढ़ा रहे भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत ने भले ही लगातार छठी बार जीत का सिक्सर लगा दिया हो लेकिन हार-जीत का मार्जिन पिछली जीत के मुकाबले काफी कम रहा। मतगणना के दौरान शुरूआत में तो ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस के राज बब्बर से उनकी हार हो सकती है लेकिन अंतिम वक्त में वह 75079 वोटों से जीत गए। हालत यह हो गई कि राव इंद्रजीत सिंह के खुद के पैतृक हल्के रेवाड़ी, बावल और पटौदी ने उन्हें कड़े मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया। इन तीनों ही सीट पर राव की उम्मीद के अनुरूप उन्हें लीड नहीं मिली और कांग्रेस के प्रत्याशी राज बब्बर को तीनों ही विधानसभा में 60 हजार से ज्यादा वोट मिले। जीत के बाद खुद राव ने माना कि अगर उन्हें गुरुग्राम, बादशाहपुर सीट से बढ़त नहीं मिलती तो इस बार जीत मुश्किल थी। खुद लड़खड़ाते जीते, पैतृक सीट से BJP हारी
खुद के इलाके में घिरने के बाद लड़खड़ाते हुए राव इंद्रजीत को आखिर में जीत मिल ही गई, लेकिन उनकी एक और पैतृक सीट कोसली विधानसभा ने भी सभी को चौंका दिया। पिछली बार इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी डा. अरविंद शर्मा को 75 हजार वोटों की लीड मिली थी। जिसकी वजह से कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा चुनाव हार गए थे, लेकिन इस बार कोसली से भले ही दीपेंद्र 2 वोट से जीते, लेकिन ये परिणाम अपने आप में चौंकाने वाला है। कोसली रामपुरा हाउस का गढ़ रहा है। रोहतक से हारे अरविंद शर्मा की मदद नहीं कर पाए
यहां से बीजेपी को लीड दिलाने की जिम्मेवारी राव इंद्रजीत सिंह के कंधे पर थी। राव इंद्रजीत सिंह खुद भी आखिरी वक्त पर कोसली में प्रचार करने के लिए पहुंचे, लेकिन यहां भी बीजेपी प्रत्याशी की हार ने राव इंद्रजीत सिंह की साख पर सवाल खड़े कर दिए। हालांकि राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले में अपनी छाप बरकरार रखने में जरूर कामयाब रहे। भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी चौधरी धर्मबीर सिंह की जीत में महेंद्रगढ़ जिले का अहम रोल रहा है। गुरुग्राम सीट पर लगातार चौथी जीत
बता दें कि गुरुग्राम सीट 2008 में अस्तित्व में आई। कांग्रेस की टिकट पर राव इंद्रजीत सिंह ने पहला चुनाव 2009 में इस सीट से लड़ा और बीएसपी के जाकिर हुसैन को 84,864 वोटों से हराया था। 2013 में मोदी लहर को देख राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। साल 2014 में हुए चुनाव में रिकॉर्ड 2,74,722 वोटों से जीते थे। इसमें राव इंद्रजीत सिंह को 644780 और इनेलो नेता जाकिर हुसैन को 370058 वोट मिले थे। 2019 में हुए चुनाव में बीजेपी ने दूसरी बार राव इंद्रजीत को गुरुग्राम सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। उनका मुकाबला कांग्रेस नेता और 6 बार विधायक रहे कैप्टन अजय सिंह यादव से हुआ। इसमें राव इंद्रजीत सिंह को 881546 वोट मिले और कैप्टन अजय सिंह यादव को 495290 वोट मिले थे। इस सीट राव इंद्रजीत ने अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ा और 386256 वोटों से जीते थे। लेकिन इस बार राव इंद्रजीत सिंह पहली बार कड़े मुकाबले में फंसते हुए दिखाई दिए। राव इंद्रजीत सिंह को कुल 8 लाख 8 हजार 336 वोट मिले और उन्होंने राज बब्बर को 75079 वोट से हरा दिया। राव इंद्रजीत सिंह की ये सबसे छोटी जीत है। विरोधी रहे एक्टिव, बादशाहपुर ने बचाई लाज
दरअसल, गुरुग्राम सीट पर बीजेपी के भीतर सबसे ज्यादा गुटबाजी भी रही। अहीरवाल की राजनीति को अपने हिसाब से चलाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के विरोधियों की फेहरिस्त अपनी ही पार्टी में काफी लंबी हैं। इसी गुटबाजी की वजह से इस बार चुनाव प्रचार में राव इंद्रजीत सिंह पूरी तरह अलग-थलग भी पड़ते हुए दिखाई दिए। उनके लिए ना कोई बड़ा नेता प्रचार करने आया और ना ही इलाके के दूसरे बड़े स्थानीय नेताओं ने प्रचार किया। पूर्व सांसद सुधा यादव, निवर्तमान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास जैसे सीनियर नेताओं ने दूरी बनाए रखी। जिसकी वजह से राव इंद्रजीत सिंह को बीजेपी के मजबूत कहे जाने वाले रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीट पर राव इंद्रजीत सिंह कांटे के मुकाबले में फंसे रहे। हालांकि उन्हें गुरुग्राम और बादशाहपुर विधानसभा में करीब 1-1 लाख वोट की लीड मिली, जिसकी वजह वो चुनाव जीत गए। बता दें कि बादशाहपुर वहीं हल्का है, जहां से 2019 में राव इंद्रजीत सिंह ने पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह की टिकट कटवा दी थी। इस सीट पर सबसे ज्यादा भीतरघात की होने की चर्चा थी, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद ऐसा दिखाई नहीं दिया। कभी 14 विधानसभा सीटों पर रहा दबदबा दक्षिणी हरियाणा में विधानसभा की 14 सीटें है। इनमें गुरुग्राम, रेवाड़ी, नूंह और महेंद्रगढ़ जिले की अलग-अलग विधानसभा सीटें शामिल है। दशकों तक इन सीटों पर रामपुरा हाउस का दबदबा बना रहा, लेकिन पिछले कुछ सालों में इन सीटों पर रामपुरा हाउस की पकड़ कमजोर होती चली गई। पिछले विधानसभा चुनाव में भी इसकी बानगी देखने को मिली थी। राव इंद्रजीत सिंह के खुद के गृह जिले रेवाड़ी की विधानसभा सीट पर उनके समर्थक सुनील मुसेपुर को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इस बार खुद राव इंद्रजीत सिंह के सामने खड़ी हुई चुनौती ने इसे और गहरा कर दिया है।
हरियाणा में BJP के बाद कांग्रेस में बगावत:पूर्व मंत्री ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया; टिकट न मिलने से नाराज हुए
हरियाणा में BJP के बाद कांग्रेस में बगावत:पूर्व मंत्री ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया; टिकट न मिलने से नाराज हुए हरियाणा के करनाल में भाजपा के बाद कांग्रेस नेताओं ने भी बगावत शुरू कर दी है। नीलोखेड़ी (रिजर्व) सीट से टिकट न मिलने पर पूर्व मंत्री राजकुमार वाल्मीकि ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वह धर्मपाल गोंदर को कांग्रेस उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज हैं। राजकुमार वाल्मीकि ने कहा, ‘इस बार पूरी उम्मीद थी कि उन्हें टिकट मिलेगी, लेकिन पार्टी ने धर्मपाल गोंदर को प्राथमिकता दी। इसलिए वे अब आजाद मैदान में उतरने का फैसला कर चुके हैं।’ राजकुमार वाल्मीकि का राजनीतिक सफर राजकुमार वाल्मीकि 1991 में करनाल जिले के जुंडला हलके से कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। इसके बाद उन्हें मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1998 और 2014 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। 2019 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दी तो वह इनेलो में शामिल हो गए। 2023 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब करनाल पहुंची तो वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद से वह नीलोखेड़ी से टिकट मांग रहे थे। हम इस खबर को लगातार अपडेट कर रहे हैं…