कानपुर में गुरुवार को क्राइम ब्रांच ने क्रेडिट कार्ड के नाम पर ठगी करने वाले जीजा-साले को पकड़ा है। ये लोग ग्राहकों को अच्छे ऑफर का झांसा देकर OTP लेते थे। फिर खाते से रकम उड़ा देते थे। सिर्फ कानपुर या यूपी ही नहीं देश के कई राज्यों के लोगों को इस गैंग ने अपना शिकार बनाया। एक हजार से ज्यादा लोगों से 10 करोड़ से ज्यादा की ठगे। पुलिस ने जीजा साले और दो युवतियों को अरेस्ट कर लिया है। डॉग-कैट फूड शॉप के पीछे चल रहा था
DCP क्राइम आशीष श्रीवास्वत ने बताया कि 9 जुलाई 2024 को गाजियाबाद निवासी कोविद भारद्वाज ने साइबर थाने में 1.75 लाख की साइबर ठगी का मुकदमा कराया था। उन्होंने बताया कि उनके पास इंडसइंड बैंक का क्रेडिट कार्ड है। एक अनजान नंबर से कॉल आई और बताया कि आपके रिवार्ड प्वाइंट रिडीम हो जाएंगे। 10 हजार का गिफ्ट बाउचर मिल जाएगा। यह सुनते ही गोविद भारद्वाज खुशी से झूम उठे और बगैर कुछ सोचे-समझे OTP शेयर कर दिया। थोड़ी देर बाद उनके क्रेडिट कार्ड से 1.75 लाख रुपए कट गए। प्रतिबिंब पोर्टल से साइबर ठगों तक पहुंची पुलिस
डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतिबिम्ब एनआईसी का एक पोर्टल है। अब तक साइबर शातिरों के नंबर तो पुलिस को मिल जाते थे। लेकिन, इन नंबरों से साइबर शातिरों को पकड़ा जाना संभव नहीं था। प्रतिबिंब ने इसे अब संभव बना दिया है। सरकार के इस पोर्टल में देश के सारे बोगस नंबर और बोगस अकाउंट का डेटा बनाया गया है। देश में जितने नंबरों से साइबर फ्रॉड किया जा रहा है उन सभी नंबरों का डेटा और जिन खातों में रुपए ट्रांसफर होते हैं। पोर्टल में सेव डेटा की मदद से कॉल सेंटर का खुलासा किया है। 4 लोग चला रहे थे ठगी का कॉल सेंटर
क्राइम ब्रांच प्रतिबिंब पोर्टल पर काम कर रही थी कि इसी दौरान मथुरा के एक पीड़ित की बड़ी साइबर ठगी की जानकारी हुई। प्रतिबिंब से जब इसके नंबर क्राइम ब्रांच को मिले तो इस पर काम करना शुरू किया गया, हॉट स्पॉट उठाया गया को काकादेव के शारदा डॉग-कैट फीड्स की जानकारी क्राइम ब्रांच को गूगल मैप पर हो गई। डीसीपी ने बताया कि और जानकारी की गई तो पता चला कि ये गैंग क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने व रिवार्ड प्वाइंट्स रिडीम कराने के नाम पर क्रेडिट कार्ड होल्डर्स से ठगी करते है। पुलिस ने छापेमारी की तो नौबस्ता हंसपुरम निवासी अभिषेक प्रताप सिंह और अभिषेक का साला कल्याणपुर निवासी अरुण प्रताप सिंह पुलिस के हत्थे चढ़ गए। दुकान के अंदर जाकर देखा तो रावतपुर गांव निवासी विभा सिंह और नई बस्ती आदर्श नगर रावतपुर में रहने वाली शिवांशी कॉल सेंटर में लोगों को कॉल कर ठगी के जाल में फंसाती मिल गईं। पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया। वेंटर से डेटा खरीदकर करते थे ठगी
डीसीपी क्राइम ने बताया कि आरोपियों ने जस्ट डॉयल से 5 पैसे प्रति डेटा के हिसाब से डेटा खरीद लिया था। पकड़ी गई दोनों महिलाओं को रोज 100 से 200 कॉल करने का टारगेट था। इनको लिस्ट दी जाती थी। कॉल कर ये नंबरों के सामने उनका रिस्पॉन्स लिखती थीं। क्रेडिट कार्ड के रिवार्ड प्वाइंटस रिडीम करने के लिए 8 से 10 हजार रुपये के गिफ्ट वाउचर देने का लालच देकर पर्सनल डिटेल लेती थी। इसके बाद ओटीपी हासिल करके उनके क्रेडिट कार्ड से रकम उड़ा देते थे। तिहाड़ जेल से छूटने के बाद कानपुर में बनाया सेंटर
डीसीपी ने बताया कि गैंग का सरगना अरुण सिंह ने दिल्ली में रहकर दो साल कॉल सेंटर में काम किया। 2018 में साइबर फ्रॉड के मामले में तिहाड़ जेल गया। 2020 में कानपुर वापस आ गया। अरुण बीसीए किए है। दिल्ली में ठगी सीखने के बाद उसने कानपुर में आकर काम शुरू कर दिया। बाद में बेकार घूम रहे अपने साले को भी साइबर ठगी का मास्टर बना दिया। ये माल हुआ बरामद 11 मोबाइल, 21 सिमकार्ड, 1 पेन ड्राइव. एक लैपटॉप, 1 स्टॉम्प मोहर, 15 डेबिट, क्रेडिट कार्ड, जानकारियों से भरी पांच नोटबुक। कानपुर में गुरुवार को क्राइम ब्रांच ने क्रेडिट कार्ड के नाम पर ठगी करने वाले जीजा-साले को पकड़ा है। ये लोग ग्राहकों को अच्छे ऑफर का झांसा देकर OTP लेते थे। फिर खाते से रकम उड़ा देते थे। सिर्फ कानपुर या यूपी ही नहीं देश के कई राज्यों के लोगों को इस गैंग ने अपना शिकार बनाया। एक हजार से ज्यादा लोगों से 10 करोड़ से ज्यादा की ठगे। पुलिस ने जीजा साले और दो युवतियों को अरेस्ट कर लिया है। डॉग-कैट फूड शॉप के पीछे चल रहा था
DCP क्राइम आशीष श्रीवास्वत ने बताया कि 9 जुलाई 2024 को गाजियाबाद निवासी कोविद भारद्वाज ने साइबर थाने में 1.75 लाख की साइबर ठगी का मुकदमा कराया था। उन्होंने बताया कि उनके पास इंडसइंड बैंक का क्रेडिट कार्ड है। एक अनजान नंबर से कॉल आई और बताया कि आपके रिवार्ड प्वाइंट रिडीम हो जाएंगे। 10 हजार का गिफ्ट बाउचर मिल जाएगा। यह सुनते ही गोविद भारद्वाज खुशी से झूम उठे और बगैर कुछ सोचे-समझे OTP शेयर कर दिया। थोड़ी देर बाद उनके क्रेडिट कार्ड से 1.75 लाख रुपए कट गए। प्रतिबिंब पोर्टल से साइबर ठगों तक पहुंची पुलिस
डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतिबिम्ब एनआईसी का एक पोर्टल है। अब तक साइबर शातिरों के नंबर तो पुलिस को मिल जाते थे। लेकिन, इन नंबरों से साइबर शातिरों को पकड़ा जाना संभव नहीं था। प्रतिबिंब ने इसे अब संभव बना दिया है। सरकार के इस पोर्टल में देश के सारे बोगस नंबर और बोगस अकाउंट का डेटा बनाया गया है। देश में जितने नंबरों से साइबर फ्रॉड किया जा रहा है उन सभी नंबरों का डेटा और जिन खातों में रुपए ट्रांसफर होते हैं। पोर्टल में सेव डेटा की मदद से कॉल सेंटर का खुलासा किया है। 4 लोग चला रहे थे ठगी का कॉल सेंटर
क्राइम ब्रांच प्रतिबिंब पोर्टल पर काम कर रही थी कि इसी दौरान मथुरा के एक पीड़ित की बड़ी साइबर ठगी की जानकारी हुई। प्रतिबिंब से जब इसके नंबर क्राइम ब्रांच को मिले तो इस पर काम करना शुरू किया गया, हॉट स्पॉट उठाया गया को काकादेव के शारदा डॉग-कैट फीड्स की जानकारी क्राइम ब्रांच को गूगल मैप पर हो गई। डीसीपी ने बताया कि और जानकारी की गई तो पता चला कि ये गैंग क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने व रिवार्ड प्वाइंट्स रिडीम कराने के नाम पर क्रेडिट कार्ड होल्डर्स से ठगी करते है। पुलिस ने छापेमारी की तो नौबस्ता हंसपुरम निवासी अभिषेक प्रताप सिंह और अभिषेक का साला कल्याणपुर निवासी अरुण प्रताप सिंह पुलिस के हत्थे चढ़ गए। दुकान के अंदर जाकर देखा तो रावतपुर गांव निवासी विभा सिंह और नई बस्ती आदर्श नगर रावतपुर में रहने वाली शिवांशी कॉल सेंटर में लोगों को कॉल कर ठगी के जाल में फंसाती मिल गईं। पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया। वेंटर से डेटा खरीदकर करते थे ठगी
डीसीपी क्राइम ने बताया कि आरोपियों ने जस्ट डॉयल से 5 पैसे प्रति डेटा के हिसाब से डेटा खरीद लिया था। पकड़ी गई दोनों महिलाओं को रोज 100 से 200 कॉल करने का टारगेट था। इनको लिस्ट दी जाती थी। कॉल कर ये नंबरों के सामने उनका रिस्पॉन्स लिखती थीं। क्रेडिट कार्ड के रिवार्ड प्वाइंटस रिडीम करने के लिए 8 से 10 हजार रुपये के गिफ्ट वाउचर देने का लालच देकर पर्सनल डिटेल लेती थी। इसके बाद ओटीपी हासिल करके उनके क्रेडिट कार्ड से रकम उड़ा देते थे। तिहाड़ जेल से छूटने के बाद कानपुर में बनाया सेंटर
डीसीपी ने बताया कि गैंग का सरगना अरुण सिंह ने दिल्ली में रहकर दो साल कॉल सेंटर में काम किया। 2018 में साइबर फ्रॉड के मामले में तिहाड़ जेल गया। 2020 में कानपुर वापस आ गया। अरुण बीसीए किए है। दिल्ली में ठगी सीखने के बाद उसने कानपुर में आकर काम शुरू कर दिया। बाद में बेकार घूम रहे अपने साले को भी साइबर ठगी का मास्टर बना दिया। ये माल हुआ बरामद 11 मोबाइल, 21 सिमकार्ड, 1 पेन ड्राइव. एक लैपटॉप, 1 स्टॉम्प मोहर, 15 डेबिट, क्रेडिट कार्ड, जानकारियों से भरी पांच नोटबुक। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर