यूपी में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस पर रोक:2 महीने में कमेटी फैसला लेगी, शिक्षक नेता बोले- आदेश वापस होने तक आंदोलन चलता रहेगा

यूपी में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस पर रोक:2 महीने में कमेटी फैसला लेगी, शिक्षक नेता बोले- आदेश वापस होने तक आंदोलन चलता रहेगा

योगी सरकार डिजिटल अटेंडेंस को लेकर बैकफुट पर आ गई है। डिजिटल अटेंडेंस पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। मुख्य सचिव मनोज सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है, जो 2 महीने में जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इसके बाद योगी सरकार इस पर फैसला लेगी। मुख्य सचिव ने आज शिक्षक संगठनों के साथ बैठक की। इसमें प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा शानमुगम, डीजी स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा और महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष सुलोचना मौर्या मौजूद रहीं। बैठक के बाद डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने का आदेश जारी हुआ। वहीं, शिक्षक नेताओं का आक्रोश अभी भी कम नहीं हुआ है। उनका कहना है कि ऑनलाइन हाजिरी का आदेश वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा। MLC और सदन में शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने दैनिक भास्कर से कहा- सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य तभी होगा, जब इसे पूरी तरह से वापस ले लेगी। ऑनलाइन हाजिरी को स्थगित करना समस्या का समाधान नहीं है। ऑनलाइन हाजिरी शिक्षकों के साथ अपमान है। लाठी के बल पर शिक्षा के मंदिर का संचालन नहीं हो सकता है। 8 जुलाई को जारी हुआ था आदेश, 6 लाख शिक्षक कर रहे थे विरोध प्रदर्शन
योगी सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में 8 जुलाई से शिक्षकों की बायोमेट्रिक हाजिरी का आदेश जारी किया। इसके बाद शिक्षक सड़क पर उतर गए। धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरकार ने आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया। तकनीकी दिक्कत आने पर कभी भी हाजिरी लगाने की छूट दी, लेकिन शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा। इसके बाद योगी सरकार ने यह फैसला लिया है। यूपी में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा मित्र से लेकर टीचर तक की संख्या 6 लाख 9 हजार 564 है। यह भी पढ़ें शिक्षक नेता बोले- जारी रहेगा आंदोलन, सरकार को ऑनलाइन अटेंडेंस का आदेश वापस लेना होगा क्यों बैकफुट पर आई सरकार
भाजपा के कई सांसदों और विधायकों ने डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने के लिए सरकार को पत्र लिखा था। कहा था- इससे माहौल खराब हो रहा है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और शिक्षकों के हित में फैसला लेना चाहिए। बरेली सांसद छत्रपाल गंगवार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। कहा- शिक्षकों की गरिमा और विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए डिजिटल अटेंडेंस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी सीएम को चिट्ठी लिखी। उन्होंने पूछा- आखिर दिन-ब-दिन सरकार की छवि क्यों खराब हो रही है? शिक्षक विरोध क्यों कर रहे थे? बायोमेट्रिक अटेंडेंस क्या है?
बायोमेट्रिक्स जैविक माप (बायोलॉजिकल मेजरमेंट) है। इससे किसी भी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। इसके लिए फिंगर प्रिंट, फेस रिकग्निशन, रेटिना स्कैन किया जाता है। शिक्षकों के मामले में फेस रिकग्निजेशन के जरिए हाजिरी लगाने का प्रावधान है। ये भी पढ़ें… यूपी में डिजिटल अटेंडेंस पर सरकार-शिक्षकों में टकराव क्यों? यूपी के प्राइमरी स्कूलों में 8 जुलाई से शिक्षकों की बायोमेट्रिक हाजिरी का आदेश जारी हुआ। शिक्षक इसके विरोध में उतर आए। धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद सरकार ने आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया। पढ़ें पूरी खबर योगी सरकार डिजिटल अटेंडेंस को लेकर बैकफुट पर आ गई है। डिजिटल अटेंडेंस पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। मुख्य सचिव मनोज सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है, जो 2 महीने में जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इसके बाद योगी सरकार इस पर फैसला लेगी। मुख्य सचिव ने आज शिक्षक संगठनों के साथ बैठक की। इसमें प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा शानमुगम, डीजी स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा और महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष सुलोचना मौर्या मौजूद रहीं। बैठक के बाद डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने का आदेश जारी हुआ। वहीं, शिक्षक नेताओं का आक्रोश अभी भी कम नहीं हुआ है। उनका कहना है कि ऑनलाइन हाजिरी का आदेश वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा। MLC और सदन में शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने दैनिक भास्कर से कहा- सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य तभी होगा, जब इसे पूरी तरह से वापस ले लेगी। ऑनलाइन हाजिरी को स्थगित करना समस्या का समाधान नहीं है। ऑनलाइन हाजिरी शिक्षकों के साथ अपमान है। लाठी के बल पर शिक्षा के मंदिर का संचालन नहीं हो सकता है। 8 जुलाई को जारी हुआ था आदेश, 6 लाख शिक्षक कर रहे थे विरोध प्रदर्शन
योगी सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में 8 जुलाई से शिक्षकों की बायोमेट्रिक हाजिरी का आदेश जारी किया। इसके बाद शिक्षक सड़क पर उतर गए। धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरकार ने आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया। तकनीकी दिक्कत आने पर कभी भी हाजिरी लगाने की छूट दी, लेकिन शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा। इसके बाद योगी सरकार ने यह फैसला लिया है। यूपी में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा मित्र से लेकर टीचर तक की संख्या 6 लाख 9 हजार 564 है। यह भी पढ़ें शिक्षक नेता बोले- जारी रहेगा आंदोलन, सरकार को ऑनलाइन अटेंडेंस का आदेश वापस लेना होगा क्यों बैकफुट पर आई सरकार
भाजपा के कई सांसदों और विधायकों ने डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने के लिए सरकार को पत्र लिखा था। कहा था- इससे माहौल खराब हो रहा है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और शिक्षकों के हित में फैसला लेना चाहिए। बरेली सांसद छत्रपाल गंगवार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। कहा- शिक्षकों की गरिमा और विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए डिजिटल अटेंडेंस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी सीएम को चिट्ठी लिखी। उन्होंने पूछा- आखिर दिन-ब-दिन सरकार की छवि क्यों खराब हो रही है? शिक्षक विरोध क्यों कर रहे थे? बायोमेट्रिक अटेंडेंस क्या है?
बायोमेट्रिक्स जैविक माप (बायोलॉजिकल मेजरमेंट) है। इससे किसी भी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। इसके लिए फिंगर प्रिंट, फेस रिकग्निशन, रेटिना स्कैन किया जाता है। शिक्षकों के मामले में फेस रिकग्निजेशन के जरिए हाजिरी लगाने का प्रावधान है। ये भी पढ़ें… यूपी में डिजिटल अटेंडेंस पर सरकार-शिक्षकों में टकराव क्यों? यूपी के प्राइमरी स्कूलों में 8 जुलाई से शिक्षकों की बायोमेट्रिक हाजिरी का आदेश जारी हुआ। शिक्षक इसके विरोध में उतर आए। धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद सरकार ने आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर