यूपी में 20 दिन पहले मानसून पर लगा ब्रेक:घट गए बारिश के 10 दिन; इस महीने जोरदार बरसात की उम्मीद कम, गर्मी भी बढ़ेगी

यूपी में 20 दिन पहले मानसून पर लगा ब्रेक:घट गए बारिश के 10 दिन; इस महीने जोरदार बरसात की उम्मीद कम, गर्मी भी बढ़ेगी

यूपी में मानसून पर 20 दिन पहले ब्रेक लग गया है। इससे मानसूनी बारिश के 10 दिन कम हो गए हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, मानसून पर ब्रेक 5-10 अगस्त के बीच लगता था। इस बार 10-15 जुलाई के बीच लगा है। इस बदलाव से यूपी समेत उत्तर भारत में बादल तो खूब बनेंगे। मगर, बारिश सामान्य से कम होने वाली है। बीते 7 दिन में औसतन 3.80% ही बारिश हुई है। अनुमान है कि जुलाई के बचे हुए 12 दिन में अब बारिश कम होगी। दरअसल, यूपी में बाढ़ और सूखा दोनों कंडीशन दिखी हैं। जुलाई में यूपी के 39 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई। वहीं, नेपाल और पहाड़ों पर हुई बारिश का पानी स्पीड से निचले इलाकों में आया। जिससे 17 जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। नेपाल बॉर्डर से सटे जिलों के साथ शाहजहांपुर, हरदोई में खूब बारिश
यूपी में 1 जून से 16 जुलाई तक 243.2 मिमी बारिश हुई। ये पिछले 30 साल में इस दरम्यान हुई बारिश के औसत से 6% ज्यादा है। मगर, इस बार बारिश का पैटर्न बदला है। नेपाल बॉर्डर से सटे जिलों के साथ शाहजहांपुर, हरदोई में मूसलाधार बारिश हुई। इन जिलों में बाढ़ जैसी तस्वीरें सामने आईं। इन जिलों ने बारिश का कुल औसत बढ़ा दिया। बाकी जिले सूखे रह गए। अब मानसून ब्रेक ने पूरे यूपी में बारिश पर लगाम लगा दी है। मानसून ब्रेक कब तक रहेगा, इस का यूपी पर क्या असर है? इसको समझने के लिए दैनिक भास्कर ने BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रो. ज्ञान प्रकाश सिंह से बातचीत की… सवाल : इस बार के मानसून ब्रेक में क्या खास है?
प्रोफेसर : आमतौर पर मानसून ब्रेक अगस्त के पहले सप्ताह से शुरू होता है। 2 या 3 सप्ताह तक बना रहता है। लेकिन, इस साल में यह ब्रेक जुलाई में आया है। ये ब्रेक भले ही 7 से 10 दिन में खत्म हो जाए। मगर, अगस्त महीने में 20 दिन तक मानसून ब्रेक चलता है। इसलिए इस बार 2 मानसून ब्रेक हो सकते हैं। अगस्त वाला ब्रेक सामान्य है, जबकि जुलाई वाला मानसून ब्रेक 3-4 साल में एक बार आता है। सवाल : मानसून ब्रेक का यूपी पर क्या और कितना असर होगा?
प्रोफेसर : यूपी में बाढ़ और सूखे दोनों का प्रभाव देखने को मिल सकता है। पहाड़ों पर हुई बारिश का खामियाजा हजारों साल से मैदानी इलाकों को ही भुगतना पड़ा है। क्योंकि बाढ़ के पानी का इस्तेमाल सिंचाई में नहीं हो सकता। ये पानी नदियों से सीधे समुद्र में मिल जाता है। जबकि, बारिश का पानी सीधे किसानों के खेतों को मिलता है। धान की रोपाई के लिए इस टाइम बारिश काफी जरूरी थी। सवाल : यूपी में बारिश कम क्यों हो रही?
प्रोफेसर : ओडिशा और आंध्र प्रदेश के पास एक लो प्रेशर एरिया बना हुआ है। मानसून की हवा तेजी से इसी ओर खींची जा रही है। जो मानसून की ट्रफ लाइन बिहार और यूपी पर बनी थी, वो महाराष्ट्र, ओडिशा और आंध्र प्रदेश की ओर शिफ्ट हो गई। इन दिनों दक्षिण भारत में औसत से 13% ज्यादा बारिश हो रही है। बाकी पूरे भारत में बारिश 4-6% कम या बिल्कुल नहीं हो रही। सवाल : बारिश होने के बावजूद गर्मी फिर से क्यों बढ़ गई है?
प्रोफेसर : यूपी के शहर अभी भी हीट आइलैंड बने हुए हैं। बारिश होने से वायुमंडल में जमी CO2 की परत काफी हद तक साफ हो गई है। अब जो धूप आ रही है, वो काफी क्लियर और तेज आ रही। इसका रेडिएशन इतना तेज है कि धरती को गर्म कर दे रहा है। तेजी से तापमान बढ़ने लगा है। देर रात तक जमीन को ठंडा होने में वक्त लग रहा है। ऐसे में रात का भी तापमान औसत से 4 डिग्री तक ऊपर चढ़ चुका है। मानसून की ट्रफ लाइन को समझिए…
मानसून सीजन में लो प्रेशर वाले इलाके को ट्रफ लाइन कहते हैं। इस ट्रफ लाइन के 1 डिग्री उत्तर और 1 डिग्री दक्षिण वाले हिस्से में ही बारिश होती है। इसमें उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा हाेता है। ट्रफ लाइन ने किया बदला रास्ता
जुलाई में भारत में ट्रफ लाइन यूपी-बिहार से होकर गुजरती है। लेकिन, अब ये दक्षिण भारत में है। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर बना ही नहीं। जबकि, उड़ीसा से लेकर आंध्र प्रदेश तक लो प्रेशर डेवलप हो गया। मानसून ब्रेक के दौरान देखा गया है कि ट्रफ लाइन हिमालय की ओर चली जाती है। दक्षिण भारत में बन रहा साइक्लोनिक लो प्रेशर अगर 8-10 दिनों में मजबूत हुआ, तो फिर यूपी में अगस्त में आने वाले मानसून ब्रेक का संकट टल सकता है। हालांकि, इसकी उम्मीद काफी कम है। 5 दिन के बाद इसकी स्थिति और क्लियर होगी। मानसून हाईलाइट यूपी में मानसून पर 20 दिन पहले ब्रेक लग गया है। इससे मानसूनी बारिश के 10 दिन कम हो गए हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, मानसून पर ब्रेक 5-10 अगस्त के बीच लगता था। इस बार 10-15 जुलाई के बीच लगा है। इस बदलाव से यूपी समेत उत्तर भारत में बादल तो खूब बनेंगे। मगर, बारिश सामान्य से कम होने वाली है। बीते 7 दिन में औसतन 3.80% ही बारिश हुई है। अनुमान है कि जुलाई के बचे हुए 12 दिन में अब बारिश कम होगी। दरअसल, यूपी में बाढ़ और सूखा दोनों कंडीशन दिखी हैं। जुलाई में यूपी के 39 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई। वहीं, नेपाल और पहाड़ों पर हुई बारिश का पानी स्पीड से निचले इलाकों में आया। जिससे 17 जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। नेपाल बॉर्डर से सटे जिलों के साथ शाहजहांपुर, हरदोई में खूब बारिश
यूपी में 1 जून से 16 जुलाई तक 243.2 मिमी बारिश हुई। ये पिछले 30 साल में इस दरम्यान हुई बारिश के औसत से 6% ज्यादा है। मगर, इस बार बारिश का पैटर्न बदला है। नेपाल बॉर्डर से सटे जिलों के साथ शाहजहांपुर, हरदोई में मूसलाधार बारिश हुई। इन जिलों में बाढ़ जैसी तस्वीरें सामने आईं। इन जिलों ने बारिश का कुल औसत बढ़ा दिया। बाकी जिले सूखे रह गए। अब मानसून ब्रेक ने पूरे यूपी में बारिश पर लगाम लगा दी है। मानसून ब्रेक कब तक रहेगा, इस का यूपी पर क्या असर है? इसको समझने के लिए दैनिक भास्कर ने BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रो. ज्ञान प्रकाश सिंह से बातचीत की… सवाल : इस बार के मानसून ब्रेक में क्या खास है?
प्रोफेसर : आमतौर पर मानसून ब्रेक अगस्त के पहले सप्ताह से शुरू होता है। 2 या 3 सप्ताह तक बना रहता है। लेकिन, इस साल में यह ब्रेक जुलाई में आया है। ये ब्रेक भले ही 7 से 10 दिन में खत्म हो जाए। मगर, अगस्त महीने में 20 दिन तक मानसून ब्रेक चलता है। इसलिए इस बार 2 मानसून ब्रेक हो सकते हैं। अगस्त वाला ब्रेक सामान्य है, जबकि जुलाई वाला मानसून ब्रेक 3-4 साल में एक बार आता है। सवाल : मानसून ब्रेक का यूपी पर क्या और कितना असर होगा?
प्रोफेसर : यूपी में बाढ़ और सूखे दोनों का प्रभाव देखने को मिल सकता है। पहाड़ों पर हुई बारिश का खामियाजा हजारों साल से मैदानी इलाकों को ही भुगतना पड़ा है। क्योंकि बाढ़ के पानी का इस्तेमाल सिंचाई में नहीं हो सकता। ये पानी नदियों से सीधे समुद्र में मिल जाता है। जबकि, बारिश का पानी सीधे किसानों के खेतों को मिलता है। धान की रोपाई के लिए इस टाइम बारिश काफी जरूरी थी। सवाल : यूपी में बारिश कम क्यों हो रही?
प्रोफेसर : ओडिशा और आंध्र प्रदेश के पास एक लो प्रेशर एरिया बना हुआ है। मानसून की हवा तेजी से इसी ओर खींची जा रही है। जो मानसून की ट्रफ लाइन बिहार और यूपी पर बनी थी, वो महाराष्ट्र, ओडिशा और आंध्र प्रदेश की ओर शिफ्ट हो गई। इन दिनों दक्षिण भारत में औसत से 13% ज्यादा बारिश हो रही है। बाकी पूरे भारत में बारिश 4-6% कम या बिल्कुल नहीं हो रही। सवाल : बारिश होने के बावजूद गर्मी फिर से क्यों बढ़ गई है?
प्रोफेसर : यूपी के शहर अभी भी हीट आइलैंड बने हुए हैं। बारिश होने से वायुमंडल में जमी CO2 की परत काफी हद तक साफ हो गई है। अब जो धूप आ रही है, वो काफी क्लियर और तेज आ रही। इसका रेडिएशन इतना तेज है कि धरती को गर्म कर दे रहा है। तेजी से तापमान बढ़ने लगा है। देर रात तक जमीन को ठंडा होने में वक्त लग रहा है। ऐसे में रात का भी तापमान औसत से 4 डिग्री तक ऊपर चढ़ चुका है। मानसून की ट्रफ लाइन को समझिए…
मानसून सीजन में लो प्रेशर वाले इलाके को ट्रफ लाइन कहते हैं। इस ट्रफ लाइन के 1 डिग्री उत्तर और 1 डिग्री दक्षिण वाले हिस्से में ही बारिश होती है। इसमें उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा हाेता है। ट्रफ लाइन ने किया बदला रास्ता
जुलाई में भारत में ट्रफ लाइन यूपी-बिहार से होकर गुजरती है। लेकिन, अब ये दक्षिण भारत में है। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर बना ही नहीं। जबकि, उड़ीसा से लेकर आंध्र प्रदेश तक लो प्रेशर डेवलप हो गया। मानसून ब्रेक के दौरान देखा गया है कि ट्रफ लाइन हिमालय की ओर चली जाती है। दक्षिण भारत में बन रहा साइक्लोनिक लो प्रेशर अगर 8-10 दिनों में मजबूत हुआ, तो फिर यूपी में अगस्त में आने वाले मानसून ब्रेक का संकट टल सकता है। हालांकि, इसकी उम्मीद काफी कम है। 5 दिन के बाद इसकी स्थिति और क्लियर होगी। मानसून हाईलाइट   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर