पंजाब सरकार पर विधायक परगट सिंह का आरोप:बोले- मूंग दाल पर MSP देने का AAP सरकार का दावा झूठा, किसानों के साथ धोखा हुआ

पंजाब सरकार पर विधायक परगट सिंह का आरोप:बोले- मूंग दाल पर MSP देने का AAP सरकार का दावा झूठा, किसानों के साथ धोखा हुआ

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य में मूंग दाल की फसल पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने की घोषणा की थी। लेकिन सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया है। यह दावा भारतीय हॉकी टीम के पूर्व खिलाड़ी और जालंधर कैंट से विधायक और पूर्व मंत्री परगट सिंह ने किया है। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान मूंग दाल पर एमएसपी देने की बात कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने दावा किया है कि सरकार ने मूंग दाल पर एमएसपी देना बंद करने का फैसला किया है। परगट बोले- सरकार ने किसानों के साथ किया धोखा पोस्ट शेयर करते हुए परगट सिंह ने लिखा- आप सरकार लगातार अपनी घोषणाओं से भाग रही है। सरदार भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली भगवंत मान सरकार अब मूंग दाल की फसल पर एमएसपी देने से पीछे हट गई है। आगे परगट सिंह ने कहा- आम आदमी पार्टी ने चुटकी में एमएसपी देने से लेकर मूंग दाल पर एमएसपी देने जैसे झूठे वादे करके किसानों के साथ धोखा किया है। इसके साथ ही उन्होंने एक पंजाबी अखबार की कटिंग शेयर की है, जिसमें उक्त एमएसपी वापस लेने का दावा किया गया है। मानसा में सबसे ज्यादा बिजाई राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार मानसा जिला 25,000 एकड़ (10,000 हेक्टेयर) में मूंग की दाल की बुआई करके राज्यभर में अग्रणी रहा है, जो राज्य में इस फसल के अधीन बीजे गए कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत है। इसके बाद मोगा में 12,750 एकड़ (5100 हेक्टेयर) और लुधियाना में 10,750 एकड़ (4300 हेक्टेयर) क्षेत्रफल इस फसल की कृषि अधीन है। बठिंडा और श्री मुक्तसर साहिब जिलों में मूंग की दाल के अधीन क्षेत्रफल क्रमवार 9500 एकड़ (3800 हेक्टेयर) और 8750 एकड़ (3500 हेक्टेयर) है। दालों की खेती से बढ़ती उपजाऊ शक्ति खेतों में दालों की खेती का सिर्फ एक ही फायदा नहीं है, बल्कि इसके और भी फायदे हैं। दो फसलों के बीच दालों की खेती करने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। मिली जानकारी के अनुसार दाल की फसल की जड़ों में नाइट्रोजन फिक्सिंग नोड्यूल होते हैं, जो जमीन में नाइट्रोजन फिक्स करके जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाते हैं। अगली फसल के लिए यूरिया की खपत भी कम होगी। मूंग की फसल बीजने से एक अनुमान के अनुसार 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़ तक खाद की खपत में कमी हो सकती है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य में मूंग दाल की फसल पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने की घोषणा की थी। लेकिन सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया है। यह दावा भारतीय हॉकी टीम के पूर्व खिलाड़ी और जालंधर कैंट से विधायक और पूर्व मंत्री परगट सिंह ने किया है। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान मूंग दाल पर एमएसपी देने की बात कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने दावा किया है कि सरकार ने मूंग दाल पर एमएसपी देना बंद करने का फैसला किया है। परगट बोले- सरकार ने किसानों के साथ किया धोखा पोस्ट शेयर करते हुए परगट सिंह ने लिखा- आप सरकार लगातार अपनी घोषणाओं से भाग रही है। सरदार भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली भगवंत मान सरकार अब मूंग दाल की फसल पर एमएसपी देने से पीछे हट गई है। आगे परगट सिंह ने कहा- आम आदमी पार्टी ने चुटकी में एमएसपी देने से लेकर मूंग दाल पर एमएसपी देने जैसे झूठे वादे करके किसानों के साथ धोखा किया है। इसके साथ ही उन्होंने एक पंजाबी अखबार की कटिंग शेयर की है, जिसमें उक्त एमएसपी वापस लेने का दावा किया गया है। मानसा में सबसे ज्यादा बिजाई राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार मानसा जिला 25,000 एकड़ (10,000 हेक्टेयर) में मूंग की दाल की बुआई करके राज्यभर में अग्रणी रहा है, जो राज्य में इस फसल के अधीन बीजे गए कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत है। इसके बाद मोगा में 12,750 एकड़ (5100 हेक्टेयर) और लुधियाना में 10,750 एकड़ (4300 हेक्टेयर) क्षेत्रफल इस फसल की कृषि अधीन है। बठिंडा और श्री मुक्तसर साहिब जिलों में मूंग की दाल के अधीन क्षेत्रफल क्रमवार 9500 एकड़ (3800 हेक्टेयर) और 8750 एकड़ (3500 हेक्टेयर) है। दालों की खेती से बढ़ती उपजाऊ शक्ति खेतों में दालों की खेती का सिर्फ एक ही फायदा नहीं है, बल्कि इसके और भी फायदे हैं। दो फसलों के बीच दालों की खेती करने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। मिली जानकारी के अनुसार दाल की फसल की जड़ों में नाइट्रोजन फिक्सिंग नोड्यूल होते हैं, जो जमीन में नाइट्रोजन फिक्स करके जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाते हैं। अगली फसल के लिए यूरिया की खपत भी कम होगी। मूंग की फसल बीजने से एक अनुमान के अनुसार 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़ तक खाद की खपत में कमी हो सकती है।   पंजाब | दैनिक भास्कर