डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य विपक्ष की तरह अपनी ही सरकार से सवाल पूछने लगे हैं। सीएम योगी के विभाग को आदेश देने लगे हैं। मामला संविदा और आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्ती में आरक्षण का है। उन्होंने सरकारी विभागों में संविदा और आउटसोर्सिंग से हुई नियुक्तियों की रिपोर्ट मांगी है। पूछा- इसमें रिजर्वेशन के नियम का कितना पालन किया गया? केशव ने संविदा भर्ती में रिजर्वेशन के 2008 के शासनादेश का पालन करने के भी निर्देश दिए। इसको लेकर केशव ने 15 जुलाई को नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग (डीओएपी) के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा- विधान परिषद के प्रश्नों की ब्रीफिंग के दौरान कार्मिक विभाग के अधिकारियों से आउटसोर्सिंग और संविदा पर कार्यरत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी। लेकिन यह जानकारी कार्मिक विभाग के पास नहीं थी। 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण का मसला भी उठाया
केशव मौर्य ने सीएम योगी को पत्र लिखकर 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की विसंगति के बाद चयनित 6800 आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का मुद्दा भी उठाया। केशव ने राष्ट्रीय ओबीसी आयोग के आदेश के तहत 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा- 2018 में उत्तीर्ण अंक में ओबीसी के अभ्यर्थियों को 5% छूट देते हुए संशोधित परिणाम जारी करने का भी मुद्दा उठाया है। उनका मानना है कि आरक्षण का यह मुद्दा काफी दिनों से निस्तारित नहीं होने से ओबीसी के अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे हैं। जानिए आउटसोर्स और संविदा भर्तियों के बारे में
सरकार डायरेक्ट स्थायी नियुक्ति न करके, संविदा और आउटसोर्स से भर्तियां कर रही है। यह एक तरह से कॉन्ट्रैक्ट होता है। संविदा में सरकार और कर्मचारी के बीच कॉन्ट्रैक्ट होता है, जबकि आउटसोर्सिंग में कंपनी या थर्ड पार्टी और सरकार में कॉन्ट्रैक्ट होता है। कंपनी या थर्ड पार्टी सरकारी विभागों में कर्मचारी उपलब्ध कराती है। इससे सरकार को काफी फायदा होता है। ऐसे कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी की तरह मूल वेतन नहीं मिलता। सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिलती। साथ ही सरकार जब चाहे कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर सकती है। सरकार ऐसी भर्तियों को बढ़ावा दे रही है, ताकि उस पर आर्थिक बोझ न बढ़े। इसका अंदाजा हाल ही में नियुक्त कर्मचारियों की संख्या से लगाया जा सकता है। यूपी में 2017 में भाजपा की सरकार बनी थी। तब से 2023 तक संविदा से 56 हजार 491 और आउटसोर्सिंग 2 लाख 75 हजार 497 भर्तियां सरकारी विभागों में की गई हैं। इसके अलावा विभिन्न निकायों में 1 लाख 7 हजार 936 कर्मचारी आउटसोर्सिंग से रखे गए हैं। मामला उठाने की वजह क्या है… केशव प्रसाद जिस नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग से सूचना मांग रहे हैं, वो सीएम योगी के पास है। जानकार मानते हैं कि सीएम की मंजूरी के बिना ना तो कोई शासनादेश लागू हो सकता है, ना ही कोई सूचना जारी हो सकती है। अब केशव इसी आधार पर योगी को घेर रहे हैं। पत्र लिखकर उन्होंने एक तरह से विपक्ष को बड़ा मुद्दा दे दिया। यह पहला मामला नहीं है। पत्र लिखने के एक दिन पहले 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में उन्होंने कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है। अगले ही दिन सोशल मीडिया X पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा है! इसके अलावा केशव कैबिनेट की बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। विधानमंडल के मानसून सत्र में उठेगा मुद्दा
विधानमंडल की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति की संयुक्त समिति ने सरकार को संविदा और आउटसोर्स भर्ती में आरक्षण व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विधानमंडल के आगामी सत्र में यह मुद्दा दोनों सदनों में उठेगा। अब आगे क्या? 1- सरकार में टकराव बढ़ेगा: केशव मौर्य के इस कदम से टकराव और बढ़ेगा। इसके दो कारण हैं। पहला- आरक्षण पर पहले से ही योगी सरकार घिर चुकी है। लोकसभा चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ा। सहयोगी पार्टियां भी यही बात कही रही हैं। दूसरा- जिस विभाग को केशव मौर्य ने निर्देश दिया है, वह योगी का है। पहले से ही दोनों में टकराव है। अब ये और बढ़ेगा। 2- विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल जाएगा: सपा और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को उठाया था। 7 दिन पहले कांग्रेस ने कहा था कि शैक्षिक एवं चिकित्सा संस्थानों में नियमित भर्ती के साथ ही संविदा एवं आउटसोर्सिंग की भर्तियों में आरक्षण का पालन कराने के लिए आंदोलन करेगी। यह आंदोलन अगस्त से शुरू होगा। जिला मुख्यालय के साथ जहां पर संबंधित संस्थान होगा, उसके आसपास प्रदर्शन कर राज्यपाल और राष्ट्रपति को पत्र भेजा जाएगा। इसकी जिम्मेदारी पिछड़ा वर्ग विभाग को सौंपी गई है। केशव प्रसाद के इस पत्र के बाद अब विपक्ष को मौका मिल जाएगा कि सरकार ओबीसी, एससी और एसटी की अनदेखी कर रही है। एक साल पहले भी केशव ने लिखा था पत्र, नहीं मिली थी जानकारी
केशव प्रसाद ने 16 अगस्त, 2023 को भी नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर संविदा और आउटसोर्सिंग नियुक्ति में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं होने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने विभाग को मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए थे। लेकिन विभाग ने अब तक उनको रिपोर्ट नहीं दी है। भास्कर ने सबसे पहले किया था खुलासा
दैनिक भास्कर ने 26 जून को यूपी में संविदा नौकरियों में आरक्षण का सुझाव शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। खबर में भाजपा एससी मोर्चा की ओर से चुनाव में पार्टी को एससी का वोट नहीं मिलने की वजह बताई गई थी। इसमें मोर्चा की ओर से संविदा नौकरी में आरक्षण देने की मांग को प्रमुखता से उठाया था। भास्कर में खबर प्रकाशित होने के बाद ही विधानमंडल की संयुक्त समिति ने भी सरकार को पत्र लिखकर संविदा और आउटसोर्स भर्ती में आरक्षण का लाभ देने के निर्देश दिए थे। 15 जुलाई को केशव मौर्य ने भी सरकार को पत्र लिखा। 14 जुलाई से मुखर हुए थे केशव, दिल्ली भी गए
14 जुलाई को लखनऊ में हुई भाजपा कार्य समिति की बैठक में केशव ने तेवर दिखाए थे। उन्होंने कार्य समिति की बैठक के बाद देर रात ‘X’ पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। केशव के इस बयान को योगी को संदेश देने से भी जोड़ कर देखा गया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि लोकसभा चुनाव में सीट कम आने के बाद सीएम योगी और केशव में दूरियां बढ़ गई हैं। इसीलिए वह किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे। नड्डा से मिले केशव, बगावती तेवर बरकरार
केशव मौर्य ने नाराजगी की खबरों के बीच ही 16 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। आलाकमान ने नसीहत दी कि सरकार-संगठन में तालमेल बनाकर रखें, बयानबाजी से भी बचें। इसके बावजूद उनके बगावती तेवर बरकरार हैं। नड्डा से मिलने के 15 घंटे बाद मौर्य ने फिर से X पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा होता है। आखिर क्यों नाराज हैं केशव? ये खबरें भी पढ़ें… यूपी सरकार में खींचतान के बीच अखिलेश का ऑफर:कहा-100 लाओ, सरकार बनाओ; केशव की मोदी-शाह से नहीं हुई मुलाकात यूपी सरकार में खींचतान के बीच डिप्टी सीएम केशव मौर्य बुधवार देर रात दिल्ली से लौट आए हैं। 2 दिन में केशव मौर्य ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से दो बार मुलाकात की, लेकिन उनकी पीएम मोदी और शाह से मुलाकात नहीं हो पाई। इधर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केशव मौर्य के लखनऊ लौटने के बाद X पर दो पोस्ट किए। बुधवार रात लिखा- लौट के बुद्धू घर को आए। गुरुवार सुबह लिखा- मानसून ऑफर: 100 लाओ, सरकार बनाओ। पूरी खबर पढ़ें… डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य विपक्ष की तरह अपनी ही सरकार से सवाल पूछने लगे हैं। सीएम योगी के विभाग को आदेश देने लगे हैं। मामला संविदा और आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्ती में आरक्षण का है। उन्होंने सरकारी विभागों में संविदा और आउटसोर्सिंग से हुई नियुक्तियों की रिपोर्ट मांगी है। पूछा- इसमें रिजर्वेशन के नियम का कितना पालन किया गया? केशव ने संविदा भर्ती में रिजर्वेशन के 2008 के शासनादेश का पालन करने के भी निर्देश दिए। इसको लेकर केशव ने 15 जुलाई को नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग (डीओएपी) के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा- विधान परिषद के प्रश्नों की ब्रीफिंग के दौरान कार्मिक विभाग के अधिकारियों से आउटसोर्सिंग और संविदा पर कार्यरत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी। लेकिन यह जानकारी कार्मिक विभाग के पास नहीं थी। 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण का मसला भी उठाया
केशव मौर्य ने सीएम योगी को पत्र लिखकर 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की विसंगति के बाद चयनित 6800 आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का मुद्दा भी उठाया। केशव ने राष्ट्रीय ओबीसी आयोग के आदेश के तहत 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा- 2018 में उत्तीर्ण अंक में ओबीसी के अभ्यर्थियों को 5% छूट देते हुए संशोधित परिणाम जारी करने का भी मुद्दा उठाया है। उनका मानना है कि आरक्षण का यह मुद्दा काफी दिनों से निस्तारित नहीं होने से ओबीसी के अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे हैं। जानिए आउटसोर्स और संविदा भर्तियों के बारे में
सरकार डायरेक्ट स्थायी नियुक्ति न करके, संविदा और आउटसोर्स से भर्तियां कर रही है। यह एक तरह से कॉन्ट्रैक्ट होता है। संविदा में सरकार और कर्मचारी के बीच कॉन्ट्रैक्ट होता है, जबकि आउटसोर्सिंग में कंपनी या थर्ड पार्टी और सरकार में कॉन्ट्रैक्ट होता है। कंपनी या थर्ड पार्टी सरकारी विभागों में कर्मचारी उपलब्ध कराती है। इससे सरकार को काफी फायदा होता है। ऐसे कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी की तरह मूल वेतन नहीं मिलता। सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिलती। साथ ही सरकार जब चाहे कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर सकती है। सरकार ऐसी भर्तियों को बढ़ावा दे रही है, ताकि उस पर आर्थिक बोझ न बढ़े। इसका अंदाजा हाल ही में नियुक्त कर्मचारियों की संख्या से लगाया जा सकता है। यूपी में 2017 में भाजपा की सरकार बनी थी। तब से 2023 तक संविदा से 56 हजार 491 और आउटसोर्सिंग 2 लाख 75 हजार 497 भर्तियां सरकारी विभागों में की गई हैं। इसके अलावा विभिन्न निकायों में 1 लाख 7 हजार 936 कर्मचारी आउटसोर्सिंग से रखे गए हैं। मामला उठाने की वजह क्या है… केशव प्रसाद जिस नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग से सूचना मांग रहे हैं, वो सीएम योगी के पास है। जानकार मानते हैं कि सीएम की मंजूरी के बिना ना तो कोई शासनादेश लागू हो सकता है, ना ही कोई सूचना जारी हो सकती है। अब केशव इसी आधार पर योगी को घेर रहे हैं। पत्र लिखकर उन्होंने एक तरह से विपक्ष को बड़ा मुद्दा दे दिया। यह पहला मामला नहीं है। पत्र लिखने के एक दिन पहले 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में उन्होंने कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है। अगले ही दिन सोशल मीडिया X पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा है! इसके अलावा केशव कैबिनेट की बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। विधानमंडल के मानसून सत्र में उठेगा मुद्दा
विधानमंडल की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति की संयुक्त समिति ने सरकार को संविदा और आउटसोर्स भर्ती में आरक्षण व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विधानमंडल के आगामी सत्र में यह मुद्दा दोनों सदनों में उठेगा। अब आगे क्या? 1- सरकार में टकराव बढ़ेगा: केशव मौर्य के इस कदम से टकराव और बढ़ेगा। इसके दो कारण हैं। पहला- आरक्षण पर पहले से ही योगी सरकार घिर चुकी है। लोकसभा चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ा। सहयोगी पार्टियां भी यही बात कही रही हैं। दूसरा- जिस विभाग को केशव मौर्य ने निर्देश दिया है, वह योगी का है। पहले से ही दोनों में टकराव है। अब ये और बढ़ेगा। 2- विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल जाएगा: सपा और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को उठाया था। 7 दिन पहले कांग्रेस ने कहा था कि शैक्षिक एवं चिकित्सा संस्थानों में नियमित भर्ती के साथ ही संविदा एवं आउटसोर्सिंग की भर्तियों में आरक्षण का पालन कराने के लिए आंदोलन करेगी। यह आंदोलन अगस्त से शुरू होगा। जिला मुख्यालय के साथ जहां पर संबंधित संस्थान होगा, उसके आसपास प्रदर्शन कर राज्यपाल और राष्ट्रपति को पत्र भेजा जाएगा। इसकी जिम्मेदारी पिछड़ा वर्ग विभाग को सौंपी गई है। केशव प्रसाद के इस पत्र के बाद अब विपक्ष को मौका मिल जाएगा कि सरकार ओबीसी, एससी और एसटी की अनदेखी कर रही है। एक साल पहले भी केशव ने लिखा था पत्र, नहीं मिली थी जानकारी
केशव प्रसाद ने 16 अगस्त, 2023 को भी नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर संविदा और आउटसोर्सिंग नियुक्ति में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं होने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने विभाग को मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए थे। लेकिन विभाग ने अब तक उनको रिपोर्ट नहीं दी है। भास्कर ने सबसे पहले किया था खुलासा
दैनिक भास्कर ने 26 जून को यूपी में संविदा नौकरियों में आरक्षण का सुझाव शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। खबर में भाजपा एससी मोर्चा की ओर से चुनाव में पार्टी को एससी का वोट नहीं मिलने की वजह बताई गई थी। इसमें मोर्चा की ओर से संविदा नौकरी में आरक्षण देने की मांग को प्रमुखता से उठाया था। भास्कर में खबर प्रकाशित होने के बाद ही विधानमंडल की संयुक्त समिति ने भी सरकार को पत्र लिखकर संविदा और आउटसोर्स भर्ती में आरक्षण का लाभ देने के निर्देश दिए थे। 15 जुलाई को केशव मौर्य ने भी सरकार को पत्र लिखा। 14 जुलाई से मुखर हुए थे केशव, दिल्ली भी गए
14 जुलाई को लखनऊ में हुई भाजपा कार्य समिति की बैठक में केशव ने तेवर दिखाए थे। उन्होंने कार्य समिति की बैठक के बाद देर रात ‘X’ पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। केशव के इस बयान को योगी को संदेश देने से भी जोड़ कर देखा गया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि लोकसभा चुनाव में सीट कम आने के बाद सीएम योगी और केशव में दूरियां बढ़ गई हैं। इसीलिए वह किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे। नड्डा से मिले केशव, बगावती तेवर बरकरार
केशव मौर्य ने नाराजगी की खबरों के बीच ही 16 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। आलाकमान ने नसीहत दी कि सरकार-संगठन में तालमेल बनाकर रखें, बयानबाजी से भी बचें। इसके बावजूद उनके बगावती तेवर बरकरार हैं। नड्डा से मिलने के 15 घंटे बाद मौर्य ने फिर से X पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा होता है। आखिर क्यों नाराज हैं केशव? ये खबरें भी पढ़ें… यूपी सरकार में खींचतान के बीच अखिलेश का ऑफर:कहा-100 लाओ, सरकार बनाओ; केशव की मोदी-शाह से नहीं हुई मुलाकात यूपी सरकार में खींचतान के बीच डिप्टी सीएम केशव मौर्य बुधवार देर रात दिल्ली से लौट आए हैं। 2 दिन में केशव मौर्य ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से दो बार मुलाकात की, लेकिन उनकी पीएम मोदी और शाह से मुलाकात नहीं हो पाई। इधर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केशव मौर्य के लखनऊ लौटने के बाद X पर दो पोस्ट किए। बुधवार रात लिखा- लौट के बुद्धू घर को आए। गुरुवार सुबह लिखा- मानसून ऑफर: 100 लाओ, सरकार बनाओ। पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर