डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) का दीक्षांत समारोह 13 अगस्त को मनाया जाएगा। AKTU के दीक्षांत में छात्रों को इस बार 7 केटेगरी स्टूडेंट स्टार्टअप अवार्ड देगा। मंच से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल छात्रों को सम्मानित करेंगी। पिछले साल पहली बार शुरू किया गया ये अवॉर्ड 3 श्रेणियों में दिया गया था। स्टार्टअप अवॉर्ड पाने के लिए छात्रों को 5 अगस्त तक आवेदन करना होगा। AKTU के कुलपति प्रो.जेपी पांडेय ने बताया कि 7 विभिन्न केटेगरी में अवॉर्ड दिया जाएगा। इनमें एक अवॉर्ड ‘वूमेन लेड स्टार्टअप, दूसरा ‘बेस्ट सोशल इम्पैक्ट स्टार्टअप और तीसरा ‘बेस्ट टेक इनोवेशन स्टार्टअप, चौथा ‘ऐक्सेसिबिलिटी अवॉर्ड, पांचवां ‘एग्रीकल्चर स्टार्टअप, छठा ‘सस्टेनेबिलिटी चैंपियन और सातवां ‘हेल्थ इनोवेशन स्टार्टअप अवॉर्ड है। इन क्षेत्रों में मिलेगा अवॉर्ड बेस्ट वुमन लेड स्टार्टअप अवॉर्ड के लिए स्टार्टअप कंपनी में एक महिला डायरेक्टर का 25% हिस्सेदारी के साथ होना जरूरी है। वहीं, बेस्ट सोशल इम्पैक्ट अवॉर्ड का चयन स्वास्थ्य, भारतीय भाषा, शिक्षा, जीवनशैली जैसे सामाजिक क्षेत्रों में कार्य करने वाले स्टार्टअप कंपनी को दिया जाएगा। बेस्ट टेक इनोवेशन स्टार्टअप अवॉर्ड इनोवेटिव पेटेंट तकनीकी विकसित कर वस्तुओं और सेवाओं के क्षेत्र और डिजिटल मंच पर कार्य करने वाली स्टार्टअप कंपनी को मिलेगा। इसी तरह दिव्यांगों की सुविधा प्रदान करने वाले स्टार्टअप को ऐक्सेसिबिलिटी अवॉर्ड दिया जाएगा। कृषि के क्षेत्र में नवाचार सहित अन्य नए स्टार्टअप को एग्रीकल्चर अवॉर्ड मिलेगा। जलवायु परिव अगला कूड़ा प्रबंधन, नवीकरणीय एनर्जी से जुड़े स्टार्टअप को सस्टेनेबिति लेख चैंपियन अवॉर्ड दिया जाएगा। स्वास्थ्य से जुड़े स्टार्टअप को हेल्थ इनोवेशन स्टार्टअप अवॉर्ड दिया जाएगा। यह अवॉर्ड विश्वविद्यालय के किसी छात्र या छात्रा की स्टार्टअप कंपनी को ही दिया जाएगा। डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) का दीक्षांत समारोह 13 अगस्त को मनाया जाएगा। AKTU के दीक्षांत में छात्रों को इस बार 7 केटेगरी स्टूडेंट स्टार्टअप अवार्ड देगा। मंच से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल छात्रों को सम्मानित करेंगी। पिछले साल पहली बार शुरू किया गया ये अवॉर्ड 3 श्रेणियों में दिया गया था। स्टार्टअप अवॉर्ड पाने के लिए छात्रों को 5 अगस्त तक आवेदन करना होगा। AKTU के कुलपति प्रो.जेपी पांडेय ने बताया कि 7 विभिन्न केटेगरी में अवॉर्ड दिया जाएगा। इनमें एक अवॉर्ड ‘वूमेन लेड स्टार्टअप, दूसरा ‘बेस्ट सोशल इम्पैक्ट स्टार्टअप और तीसरा ‘बेस्ट टेक इनोवेशन स्टार्टअप, चौथा ‘ऐक्सेसिबिलिटी अवॉर्ड, पांचवां ‘एग्रीकल्चर स्टार्टअप, छठा ‘सस्टेनेबिलिटी चैंपियन और सातवां ‘हेल्थ इनोवेशन स्टार्टअप अवॉर्ड है। इन क्षेत्रों में मिलेगा अवॉर्ड बेस्ट वुमन लेड स्टार्टअप अवॉर्ड के लिए स्टार्टअप कंपनी में एक महिला डायरेक्टर का 25% हिस्सेदारी के साथ होना जरूरी है। वहीं, बेस्ट सोशल इम्पैक्ट अवॉर्ड का चयन स्वास्थ्य, भारतीय भाषा, शिक्षा, जीवनशैली जैसे सामाजिक क्षेत्रों में कार्य करने वाले स्टार्टअप कंपनी को दिया जाएगा। बेस्ट टेक इनोवेशन स्टार्टअप अवॉर्ड इनोवेटिव पेटेंट तकनीकी विकसित कर वस्तुओं और सेवाओं के क्षेत्र और डिजिटल मंच पर कार्य करने वाली स्टार्टअप कंपनी को मिलेगा। इसी तरह दिव्यांगों की सुविधा प्रदान करने वाले स्टार्टअप को ऐक्सेसिबिलिटी अवॉर्ड दिया जाएगा। कृषि के क्षेत्र में नवाचार सहित अन्य नए स्टार्टअप को एग्रीकल्चर अवॉर्ड मिलेगा। जलवायु परिव अगला कूड़ा प्रबंधन, नवीकरणीय एनर्जी से जुड़े स्टार्टअप को सस्टेनेबिति लेख चैंपियन अवॉर्ड दिया जाएगा। स्वास्थ्य से जुड़े स्टार्टअप को हेल्थ इनोवेशन स्टार्टअप अवॉर्ड दिया जाएगा। यह अवॉर्ड विश्वविद्यालय के किसी छात्र या छात्रा की स्टार्टअप कंपनी को ही दिया जाएगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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रायसेन में किले का प्राचीन रेन वाटर हार्वेस्टिंग आज भी बुझा रहा पर्यटकों की प्यास, जानें किले का इतिहास
रायसेन में किले का प्राचीन रेन वाटर हार्वेस्टिंग आज भी बुझा रहा पर्यटकों की प्यास, जानें किले का इतिहास <p style=”text-align: justify;”><strong>Raisen News:</strong> इन दिनों देश में जहां गर्मियों के समय आज भी कई शहर सूखे की मार झेल पानी को तरस रहे है, वहीं मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बना हुआ 1100 साल प्राचीन ऐतिहासिक 21वी सदी के किले में उस समय के रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की वजह से भीषण गर्मी में भी 700 फिट की ऊंचाई पर बने किले पर पानी उपलब्ध रहता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बारिश के पानी को सहेजने के लिये आज भी इस किले पर चार बड़े और लगभग 84 छोटे टाके कुंड मौजूद है, जिनमे साल भार बारिश के पानी को सहेज कर रखा जाता है. तो चलिए जानते है इस किले के प्राचीन रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बारे में.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर रायसेन शहर के मध्य 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर यह रायसेन का किला आज भी मौजूद है. इस किले पर जाने के लिये तीन मुख्य रास्ते बने हुऐ है, जिनपर बने विशाल प्रवेश द्वार आपका स्वागत करते है, किले के चारो और लगभग 4-5 फिट चौड़ी दीवारे बनी हुई है जो उस समय किले की सुरक्षा को ध्यान मे रखा कर बनाई गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>10 से 11 शताब्दी के दौरान बनवाया गया था रायसेन किला</strong><br />किला लगभग एक किलोमीटर के क्षेत्र मे फेला हुआ है, किले के अंदर दो से तीन मंजिला कई इमारते है जिनकी छतो से गिरने वाला बारिश का पानी छोटी छोटी नालियों के माध्यम से किले के अंदर बनी हुई, बाबड़ी और तालाबों मे संरक्षित होता है जिसका उपयोग साल भार किया जाता है. रायसेन किले को 10 से 11 शताब्दी के दौरान तत्कालीन रायसेन के राजा द्वारा बनवाया गया था उसे समय इसके दुर्ग मे लगभग 15 से 20 हज़ार सैनिक राजा और उसकी प्रजा रहा करती थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>700 फीट की ऊंचाई पर होने के बाद भी जरूरत नहीं थी उतरने की</strong><br />किले के निर्माण के समय पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए यहां पर चार बड़े तालाब बनाए गए थे, लगभग 84 छोटे टैंक कुंड बनाए गए थे इन कुंडों को छोटी-छोटी नालियों के माध्यम से किले की कंदराओं और ईमारतों से गिरने वाले पानी की नालियों से जोड़ा गया था, जिसमें बारिश का साफ शुद्ध पानी साफ होते हुए जल कुंड में सहेजा जाता था, इस पानी का उपयोग वर्ष भर राजा और उसकी प्रजा किया करती थी. 700 फीट की ऊंचाई पर होने के बाद भी पानी के लिए राजा को मैदानी क्षेत्रों में उतरने की जरूरत नहीं थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आज रायसेन शहर की आबादी लगभग 80 से 90 हज़ार से ऊपर होने को है, शासन द्वारा लोगों के लिए पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना एक चुनौती साबित हो रहा है, पर वहीं आज भी इस 1100 साल पुराने किले पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम चालू है जो वर्तमान जल प्रबंधन को चुनौती दे रहा है. रायसेन दुर्ग पर आने वाले ज्यादातर पर्यटक इन्हीं जल कुंड से अपनी प्यास बुझाते हैं. वहीं कुछ वर्ष पहले तक रायसेन किले की तलहटी पर बनाए गए उस समय के टांके का पानी रायसेन शहर में पहुंचाया जाता थे .</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>32 करोड़ रुपये खर्च के बाद भी नहीं कर पाता जरूरत को पूरा</strong><br />आज रायसेन शहर मे लगभग 32 करोड़ रुपये खर्च कर हलाली डैम से पानी लाया जाता है जो शहर वासियों की जरूरत को पूरा नहीं कर पाता. वहीं देखरेख के अभाव में ये प्राचीन जल स्रोत नष्ट होने की कगार पर है. 1100 साल पहले बनाई गई इस जल प्रबंधन की व्यवस्था से आज के युवाओं और प्रशासन को सीख लेनी चाहिए, जिससे कि शहर और देश के अन्य इलाकों में पेयजल जैसी समस्या का समाधान करते हुए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>युग युगीन रायसेन पुस्तक के लेखक राजीव लोचन चौबे बताते हैं कि रायसेन दुर्ग पर छठवीं सातवीं शताब्दी की मूर्तियां मिली है जो बताती हैं कि उसे समय भी यह दुर्ग विद्यमान था, तीन दिन का हमने यहां पर सर्वे किया था जिसमें देश भर के पुरातत्व विख्यात आए हुए थे, वहां जो पुरातत्व साक्ष्य मिले उसे यह तय हुआ कि यह कम से कम गुप्ता कल से पुराना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पहले यहां पर आदिमानव रहा करते थे, यहां रॉक शेल्टर भी हैं जिन्हें बाद में कट करके बाउंड्री वॉल बनाई गई उसे समय सबसे बड़ी समस्या यह आई थी कि जब दुश्मन किले पर हमला करते थे तो चारों तरफ वह घेरा डालते थे ताकि लोग बाहर ना जा पाए. अंदर जल और अन्न की व्यवस्था खत्म होने पर लोगों को बाहर आना पड़ता था पर रायसेन किले की स्थिति यह रही कि इनको जल और अन्न के संकट की वजह से अभी किला खाली नहीं करना पड़ा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जमीन पर नहीं कर पा रहे हैं जल संरक्षण</strong><br />उस समय जो इन्होंने जल संरचनाएं बनाई थी उसकी वजह से इन्हें कभी पानी की कमी नहीं हुई, बड़े-बड़े तालाब थे जो किले के निर्माण के दौरान बनाए गए, हर महल के नीचे एक बड़ा वाटर टैंक हुआ करता था जिसमें बरसात का पानी छत के रास्ते से नीचे आया करता था और वर्ष भर वह पीने के उपयोग में आता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा वहां 84 टैंक थे और 6 बड़े तालाब थे, वहीं आज के समय को लेकर बात की जाए तो यह बड़ी विडंबना है कि हमने पहाड़ के ऊपर जल संरक्षण किया, पर अभी जमीन पर नहीं कर पा रहे हैं. पानी का दोहन जरूरत से ज्यादा बड़ा है, सिंचाई पहले सीमित हुआ करती थी अब बहुत बढ़ गई है, उत्खनन भी बहुत बढ़ गया है, अब कुएं बावड़ियों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया, वह बस देखने के लिए रह गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इतिहासकार राजीव लोचन चौबे ने कहीं ये बातें</strong><br />रायसेन जिले के ऐतिहासिक धरोहर के बारे में जब जिला कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पेयजल ग्राउंडवाटर इस समय की बड़ी आवश्यकता है और उसे संजो कर रखना उतना ही महत्वपूर्ण है, जहां तक रायसेन किले की बात है जैसा कि हम जानते हैं जो किले बनाते थे तो उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता था. खाने और पानी के मामले में भी किले को आत्मनिर्भर बनाया जाता था उस समय जो भी इंजीनियरिंग उपयोग की गई थी, उस समय ध्यान रखा गया था कि पानी की पर्याप्त व्यवस्था रहे, पर अभी भी वहां की जो रेन वाटर प्रणाली है उसमें आज भी वर्षा के पानी को संजोकर रखा जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि अगर हम किले को देखने जाएं तो उसके ऐतिहासिक महत्व के साथ ही जो रेन वाटर सिस्टम है उसे भी लोग देखना पसंद करते हैं, वर्तमान में जो हमारे नए निर्माण हो रहे हैं उसमें बिल्डिंग परमिशन के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए भी नियम बनाए गए हैं, जिससे कि लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग करें, जितना ज्यादा हो सके वर्षा का पानी भूमिगत हो जाए जिससे भूमिगत जल स्रोतों का जलस्तर बढ़ सके जो अंततः नागरिकों के ही काम आता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में काफी ज्यादा तापमान है, पूरे प्रदेश के साथ ही रायसेन में भी 44 डिग्री टेंपरेचर है, पानी की समस्या होने लगी है प्रशासन और जनप्रतिनिधि भी लगे हुए हैं ताकि लोगों को समस्या नहीं आए, फिर भी देखने में आ रहा है कि ग्राउंड वाटर का जो लेवल है वह काफी नीचे चला गया है, लोग पानी का उपयोग ज्यादा कर रहे हैं, लोगों की जिम्मेदारी है कि जो रेन वाटर है उसे रेन वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से जमीन के नीचे पहुंचाया जाए इसमें शासन के भी निर्देश हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”अब भगवान महाकाल की भस्म आरती में आसानी से मिलेगा प्रवेश, जानिए बुकिंग की पूरी प्रक्रिया” href=”https://www.abplive.com/photo-gallery/states/madhya-pradesh-ujjain-mahakaleshwar-temple-f-lord-mahakal-bhasma-aarti-booking-complete-process-in-mp-ann-2704245″ target=”_self”>अब भगवान महाकाल की भस्म आरती में आसानी से मिलेगा प्रवेश, जानिए बुकिंग की पूरी प्रक्रिया</a></strong></p>
अर्चना मकवाना ने नई तस्वीरें की शेयर:पोस्ट में लिखा- वाहेगुरु, आप सत्य जानते हैं, न्याय करें; पुलिस के नोटिस का कल देना है जवाब
अर्चना मकवाना ने नई तस्वीरें की शेयर:पोस्ट में लिखा- वाहेगुरु, आप सत्य जानते हैं, न्याय करें; पुलिस के नोटिस का कल देना है जवाब गोल्डन टेंपल में योग करने वाली अर्चना मकवाना ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर एक बार फिर तस्वीरों को शेयर किया है। लेकिन इस पोस्ट में मकवाना ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर कोई सवाल नहीं उठाया है। तस्वीरों में अर्चना गोल्डन टेंपल के सामने पिंक सूट पहने यादगार तस्वीर लेती, बाल्टी में पानी भर सेवा करते, कड़ाह प्रसाद और थाली मे परोसे गए लंगर को दिखा रही हैं। मकवाना इस बार कोई सवाल ना उठा कर, शब्दों में खुद को बेकसूर बताया है। अर्चना मकवाना ने अपनी पोस्ट में लिखा- 20 जून 2024 को स्वर्ण मंदिर अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त किया। इस पवित्र आशीर्वाद के लिए वाहेगुरुजी को धन्यवाद, सदैव आभारी। कुछ तस्वीरें साझा नहीं करनी थी, लेकिन क्योंकि मेरी मंशा पर सवाल उठाया जा रहा है तो मैंने अपना बचाव करने के लिए इसे साझा किया है। वाहेगुरुजी आप सच्चाई जानते हैं, कृपया न्याय करें। अर्चना ने इन तस्वीरों में बताया कि यह तस्वीर 20 जून 2024 की है, जब वह गोल्डन टेंपल में नतमस्तक हुई थी। उसने सेवा की, गुरु घर के प्रसाद की तस्वीर भी शेयर की। जिसमें लिखा है कि 20 जून को सुबह 8.19 बजे मैंने प्रसाद लिया। दूसरी तस्वीर गुरु घर के कड़ाह प्रसाद की है। ये 21 जून की फोटो है। इसके अलावा उन्होंने अकाल तख्त साहिब की भी कई तस्वीरें शेयर की हैं। मकवाना को कल होना है अमृतसर पुलिस के समक्ष पेश अरचना मकवाना ने ये पोस्ट पंजाब पुलिस के नोटिस के जवाब का समय खत्म होने से एक दिन पहले जारी की है। गौरतलब है कि पंजाब पुलिस ने अर्चना को थाना ई डिवीजन में SGPC की तरफ से की गई शिकायत का जवाब देने के लिए 30 जून को बुलाया है। पुलिस के नोटिस की मियाद रविवार खत्म हो रही है। SGPC की शिकायत का जवाब देगी अर्चना अर्चना मकवाना ने दो दिन पहले ही SGPC को शिकायत वापस लेने की बात कही थी। अर्चना ने अपनी वीडियो में कहा था- 21 जून को जब मैं शीर्षास्न कर रही थी, गोल्डन टेंपल में, वहां हजारों सिख मौजूद थे। जिसने फोटो खींचा वे भी सरदार जी थे। वो तो मेरे से पहले भी फोटो खींच रहे थे। वहां जो सेवादार खड़े थे, उन्होंने भी नहीं रोका। सेवादार भी पक्षपाती ही हैं, वे किसी को रोकते हैं, किसी को नहीं रोकते। इसलिए मैंने भी कहा एक फोटो खींच लेती हूं, मुझे गलत नहीं लग रहा। जब मैं फोटो कर रही थी, तब लाइव जितने भी सिख खड़े थे, उनके आस्था को तो दुख नहीं पहुंचा। तो मुझे नहीं लगा मैंने कुछ गलत किया। लेकिन 7 समंदर पार किसी को लगा कि मैंने गलत किया। नेगेटिव तरीके से मेरा फोटो वायरल कर दिया। उस पर SGPC ऑफिस ने मेरे पर बेसलैस FIR दर्ज करवा दी। जिसके बाद ये और बुरा होगा, अन्यथा मेरा इरादा बुरा नहीं था। अब सीसीटीवी कैमरे का सारा वीडियो वायरल कर दो। वहां कहीं नियम नहीं लिखे हैं। सिख, जो वहां रोज जाते हैं, उन्हें नियम नहीं पता, तो जो लड़की पहली बार गुजरात से आई है, उसे कैसे पता होगा। वहां किसी ने मुझे रोका नहीं। रोका होता तो डिलीट कर देती फोटो। मेरे खिलाफ ये फालतू की FIR करने की जरूरत क्या थी। इतना सारा मैंटल टॉर्चर मेरे को हुआ, उसका क्या। अभी भी टाइम है, FIR वापस ले लीजिए, अन्यथा मैं और मेरी लीगल टीम फाइट करने के लिए तैयार है। जानें, क्या है मामला दरअसल, अर्चना मकवाना ने योग दिवस के दिन गोल्डन टेंपल की परिक्रमा में योग करते हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। अर्चना मकवाना ने सोशल मीडिया पर 2 तस्वीरें पोस्ट कीं। इनमें वह ध्यान और शीर्षासन करते नजर आ रही हैं। यह योगासन उन्होंने गोल्डन टेंपल की परिक्रमा में किए। जिसके बार ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं और SGPC की तरफ से उसके खिलाफ FIR दर्ज करवा दी गई। FIR में गोल्डन टेंपल के जनरल मैनेजर भगवंत सिंह ने लिखवाया है कि 22 जून 2024 को हम अपनी ड्यूटी पर मौजूद थे कि यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर एक वीडियो वायरल की गई है। इसमें अर्चना मकवाना श्री दरबार साहिब की परिक्रमा में शहीद बाबा दीप सिंह जी के स्थान के पास जगह पर ऐतराज योग्य फोटो खींची और जानबूझ कर वायरल कर रही है। इससे सिख भावनाओं को ठेस पहुंची है। 5 सेकेंड में ही किए योगासन गोल्डन टेंपल के जनरल मैनेजर भगवंत सिंह ने बताया कि CCTV कैमरों की जांच से पता चला कि युवती ने योग करने की हरकत केवल 5 सेकेंड में ही पूरी कर डाली। इस दौरान 3 सुरक्षाकर्मी वहां ड्यूटी पर थे। शुरुआती जांच के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि एक कर्मचारी को 5 हजार रुपए जुर्माना कर गुरुद्वारा गढ़ी साहिब गुरदास नंगल में ट्रांसफर कर दिया गया है।
मेरठ के स्पोर्ट्स स्टेडियम का होगा कायाकल्प, खिलाड़ियों के लिए होंगी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं
मेरठ के स्पोर्ट्स स्टेडियम का होगा कायाकल्प, खिलाड़ियों के लिए होंगी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं <p style=”text-align: justify;”><strong>Meerut Sports Stadium:</strong> मेरठ के कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम की सूरत बदलने वाली है. जिसके तहत इसे वर्ल्ड क्लास बनाया जाएगा. इसकी पुरानी और जर्जर बिल्डिंग को भी नया लुक देने की तैयारी है. जिसके साथ खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी और दर्शकों के लिए भी पहले से ज्यादा आरामदायक जगह बनेगी. इस कड़ी में मेरठ मंडल की कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे ने मेरठ विकास प्राधिकरण इस स्टेडियम का निरीक्षण किया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस स्टेडियम का कायाकल्प मेरठ विकास प्राधिकरण के खजाने से किया जाएगा. जिससे इस क्षेत्र के खिलाड़ियों को बहुत फायदा होगा. इस स्टेडियम में सैकड़ों खिलाड़ी पसीना बहाते हैं. इनमें कई ऐसे नाम भी शामिल हैं जिन्होंने देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मेरठ के स्टेडियम का होगा कायाकल्प</strong><br />इस स्टेडियम में खिलाड़ियों की सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ हॉस्टल की स्थिति सुधारने पर भी फ़ोकस किया जाएगा. शनिवार को कमिश्नर मेरठ मंडल कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे, मेरठ विकास प्राधिकरण के वीसी अभिषेक पांडेय और सीडीओ नुपुर गोयल ने कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम का निरीक्षण किया और वहां एक-एक पहलू को गंभीरता से देखा. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम को 20 करोड़ की लागत से वर्ल्ड क्लास बनाया जाएगा. जिसमें सिंथेटिक ट्रैक से लेकर स्टेडियम के विकास और खिलाड़ियों की सुविधाएं बढ़ाने पर जोर रहेगा. स्टेडियम में जब भी कोई बड़ा इवेंट आता है तो गैलरी में लोगों को कई दिक्कतें उठानी पड़ती ख़ासतौर से गर्मी और बारिश के मौसम में. ऐसे में गैलरी पर शेड डाला जाएगा. फुटबॉल के लिए एस्टोटर्फ भी बनेगा, जिससे खिलाड़ी आसानी से प्रेक्टिस कर पाएंगे. स्मार्ट योगा सेंटर बनाने का भी प्लान है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जल्द शुरू होगा काम</strong><br />खेलों के साथ स्टेडियम में हॉस्टल्स की हालत किसी से छिपी नहीं है, इन्हें भी दुरूस्त करने की तैयारी है. इस हॉस्टल को दो मंजिल से पांच मंजिला किया जाएगा. आर्चरी के लिए बड़े हॉल की व्यवस्था होगी और जिम का भी कायाकल्प किया जाएगा. इस मौके पर कमिश्नर ने कहा कि हमारा मकसद खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं बढ़ाना है. मेरठ में टेलैंट की कोई कमी नहीं है. यहां दूर दराज से खिलाड़ी मेडल का सपना लेकर आते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मेरठ विकास प्राधिकरण के वीसी अभिषेक पांडेय ने कहा कि स्पोर्ट्स सुविधाओं को पहले से ज्यादा अपग्रेड किया जाएगा. इसके लिए 20 करोड़ की लागत आएगी. स्टेडियम में फुटबॉल का एस्टोटर्फ, दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं भी दी जाएंगी. उम्मीद है कि इसी साल इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/cm-yogi-adityanath-attack-akhilesh-yadav-in-karhal-mention-mulayam-singh-yadav-2820023″>’मुलायम सिंह यादव को भी कष्ट हो रहा होगा उनका सपूत…’, सीएम योगी का अखिलेश यादव पर निशाना</a></strong></p>