अबोहर में करंट लेगने से एक महिला की मौत हो गई है। हादसा उस समय हुआ जब महिला अपने घर में पंखा लगा रही थी। इसी दौरान तार में अचानक करंट आ गया। सूचना मिलते ही कलरखेड़ा चौकी पुलिस मौके पहुंची और शव को कब्जे में ले कर मोर्चरी में रखवा दिया है। पन्नीवाला गांव निवासी आंचल पत्नी राकेश कमार की एक साल पहले शादी हुई थी। वह तीन बहने व एक भाई में सबसे छोटी थी। तार में अचानक आया करंट परिजनों को रात में सूचना मिली की आंचल घर में ही पंखा लगा रही थी। इसी दौरान अचानक तार में करेंट आने से घायल हो गई। इलाज के लिए अस्पताल लाए, तो डाक्टरों ने उसे मृत बता दिया। अबोहर में करंट लेगने से एक महिला की मौत हो गई है। हादसा उस समय हुआ जब महिला अपने घर में पंखा लगा रही थी। इसी दौरान तार में अचानक करंट आ गया। सूचना मिलते ही कलरखेड़ा चौकी पुलिस मौके पहुंची और शव को कब्जे में ले कर मोर्चरी में रखवा दिया है। पन्नीवाला गांव निवासी आंचल पत्नी राकेश कमार की एक साल पहले शादी हुई थी। वह तीन बहने व एक भाई में सबसे छोटी थी। तार में अचानक आया करंट परिजनों को रात में सूचना मिली की आंचल घर में ही पंखा लगा रही थी। इसी दौरान अचानक तार में करेंट आने से घायल हो गई। इलाज के लिए अस्पताल लाए, तो डाक्टरों ने उसे मृत बता दिया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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जालंधर की एके मैन्युफेक्चरिंग कंपनी के केस में आया फैसला:फर्म के पक्ष में आईटी ट्रिब्यूनल का फैसला टीसीएस जमा न कराने को प्रॉफिट मानना गलत
जालंधर की एके मैन्युफेक्चरिंग कंपनी के केस में आया फैसला:फर्म के पक्ष में आईटी ट्रिब्यूनल का फैसला टीसीएस जमा न कराने को प्रॉफिट मानना गलत जालंधर| सिटी की एके मेन्युफैक्चरिंग कंपनी के केस (आईटीए नंबर 319) में अमृतसर के इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। इस फर्म ने इनकम टैक्स रिटर्न भरते हुए 4,83,000 का टीसीएस जमा नहीं कराया था। उनकी रिटर्न की एसेसमेंट करने के बाद इनकम टैक्स अफसरों ने ये रकम जमा न कराने पर इसे फर्म की आमदनी में दर्ज कर दिया। ऐसा इनकम टैक्स के सेक्शन 43 बी के तहत किया गया। इस सेक्शन के घेरे में आने वाली फर्में अगर किसी का पैसा नहीं चुकाती हैं तो इसे उनकी कमाई में शामिल माना जाता है। जालंधर की फर्म की तरफ से एडवोकेट अमित बजाज 6 मई को इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल में पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि टीसीएस को फर्म की कमाई नहीं माना जा सकता है। वजह – ये टैक्स की रकम है जो लोगों ने फर्म के साथ लेनदेन के दौरान बिल के साथ जमा कराया, फर्म तो केवल इस पैसे की कस्टोडियन है, ये पैसा सरकार का है। फर्म ने केवल ग्राहक से लेकर सरकार को देना है। ऐसे में इसे फर्म की कमाई नहीं माना जा सकता। ट्रिब्यूनल का फैसला 4 जून को आया है। इसके अनुसार टैक्स की रकम को प्रॉफिट नहीं माना गया। सेक्शन 43 बी के अनुसार 4,83,000 रुपए को कमाई नहीं माना जा सकता है।
मेकअप के लिए त्वचा को ऐसे करें तैयार
मेकअप के लिए त्वचा को ऐसे करें तैयार लुधियाना। वेडिंग सीजन शुरू हो रहा है और इस समय खूबसूरत दिखने की चाहत हर किसी को होती है। परफेक्ट लुक पाने के लिए मेकअप तो जरूरी है, लेकिन इसके लिए सबसे पहले त्वचा का साफ, स्वस्थ और चमकदार होना जरूरी है। मेकअप तभी लंबे समय तक टिकता है, जब आपकी स्किन हाइड्रेटेड और अच्छे से तैयार हो। ब्यूटी एक्सपर्ट नेहा सोनी से जानते हैं कुछ आसान टिप्स, जिनसे आप अपनी त्वचा को मेकअप के लिए तैयार कर सकती हैं। नियमित रूप से सफाई करें : दिन में कम से कम दो बार चेहरे को अच्छी क्वालिटी के क्लींजर से धोएं। इससे आपकी त्वचा की गंदगी हटेगी और रोमछिद्र साफ होंगे। खासतौर पर शादी वाले दिन से पहले रात में चेहरे की अच्छी सफाई करना न भूलें। स्क्रबिंग और एक्सफोलिएशन : हफ्ते में एक बार हल्की स्क्रबिंग करें। इससे मृत त्वचा हटेगी और नई त्वचा उभरकर सामने आएगी। ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा स्क्रबिंग न करें, क्योंकि इससे त्वचा में जलन हो सकती है। मॉइस्चराइजेशन पर दें ध्यान : मेकअप से पहले त्वचा का हाइड्रेट होना बेहद जरूरी है। अच्छे मॉइस्चराइजर का उपयोग करें, खासकर रात में सोने से पहले। हाइड्रेटेड त्वचा पर मेकअप का बेस आसानी से बैठता है। सीरम का उपयोग करें : त्वचा को गहराई से नमी देने के लिए सीरम का इस्तेमाल करें। विटामिन सी और हाइल्यूरोनिक एसिड वाले सीरम्स त्वचा को चमकदार बनाने में मदद करते हैं। इन्हें रोजाना सुबह और रात में लगाया जा सकता है। सनस्क्रीन का उपयोग : चाहे घर में रहें या बाहर जाएं, सनस्क्रीन लगाना न भूलें। यह त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है, जिससे त्वचा की रंगत भी सही बनी रहती है। अच्छी नींद और हाइड्रेशन : शादी के दौरान भागदौड़ में नींद और पानी पीना न भूलें। पर्याप्त पानी पीने से त्वचा अंदर से स्वस्थ रहती है और ग्लो नजर आता है। प्राइमर : प्राइमर स्किन की सतह को स्मूद करता है और मेकअप को लंबे समय तक सेट रहने में मदद करता है। प्राइमर को हल्के हाथों से चेहरे पर लगाएं, खासकर टी-जोन एरिया पर। इन स्टेप्स को फॉलो करने से आपकी स्किन मेकअप के लिए तैयार हो जाएगी, और मेकअप ज्यादा समय तक फ्रेश और स्मूद दिखेगा।
कनाडा-भारत विवाद से इमिग्रेशन बिजनेस में 70% गिरावट:एक्सपर्ट बोले- वीजा में कमी नहीं, आवेदक कम हुए; ऑस्ट्रेलिया बना विकल्प
कनाडा-भारत विवाद से इमिग्रेशन बिजनेस में 70% गिरावट:एक्सपर्ट बोले- वीजा में कमी नहीं, आवेदक कम हुए; ऑस्ट्रेलिया बना विकल्प भारत और कनाडा के रिश्तों में आई खटास के कारण कई भारतीय इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि कूटनीतिक विवाद का इमिग्रेशन, वर्क और स्टूडेंट वीजा पर क्या असर होगा। क्या भविष्य में कनाडा के भारत से रिश्ते सुधरेंगे? क्या कनाडा फिर से उसी शिद्दत से वीजा देगा, जैसे पहले देता था या फिर कनाडा जाकर पढ़ाई करना भारतीय बच्चों के लिए सपना ही बना रहेगा? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने देश के कई प्रमुख वीजा विशेषज्ञों से बात की और सभी तथ्यों को समझा। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा कूटनीतिक विवाद का सीधा असर वीजा नीतियों पर पड़ने की संभावना थी। लेकिन ऐसा नहीं है कि कनाडा वीजा नहीं दे रहा, कनाडा वीजा दे रहा है। लेकिन कनाडा जाने वाले बच्चे और उनके अभिभावक इस समय अपने बच्चों को कनाडा नहीं भेज रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण इस समय कनाडा और भारत के बीच चल रहा विवाद है। कनाडा में स्टडी वीजा अनुपात में 70 प्रतिशत की गिरावट
पिछले साल कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया है और लगातार कर रहा है। जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मतभेद पैदा हो गए। इसका सबसे बड़ा असर इमिग्रेशन इंडस्ट्री पर पड़ा है। कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट आई है। कनाडा जाने वाले लोगों में सबसे ज्यादा पंजाबी हैं। जिसके बाद हरियाणवी और गुजराती भी इस लिस्ट में सबसे ऊपर हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच विवाद के चलते कनाडा जाकर अपना भविष्य बनाने की चाहत रखने वाले छात्र कनाडा के बजाय कोई दूसरा विकल्प तलाशने लगे हैं। कनाडा के विकल्प के तौर पर कौन से देश छात्रों की पहली पसंद हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार कनाडा के वीज़ा में गिरावट सिर्फ़ दोनों देशों के बीच की कड़वाहट की वजह से है। साथ ही, दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि कनाडा ने अपने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एडमिशन के लिए जीआईसी अकाउंट की राशि को दोगुना कर दिया है। ऐसे में भारतीय छात्र फिलहाल कनाडा के बजाय दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञों की इस पर बिल्कुल अलग राय है।
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी तरह के वीज़ा के मामले में कोई भी देश कनाडा जैसा काम नहीं कर सकता। क्योंकि कनाडा में पीआर जल्दी मिल जाता है और ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूज़ीलैंड, इंग्लैंड जैसे देशों में पीआर नहीं मिलता।
इसलिए कनाडा बच्चों की पहली पसंद है। लेकिन फिर अगर बच्चा कनाडा के अलावा कोई दूसरा विकल्प तलाशता है तो छात्रों की पहली पसंद ऑस्ट्रेलिया ही होती है। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई सरकार के वीज़ा नियम भारतीयों के लिए बहुत सख्त हैं। जिनका प्रोफ़ाइल साफ़ नहीं है, उनकी पसंद यूके, न्यूज़ीलैंड और अमेरिका है। आइलेट्स देने वाले बच्चों की संख्या में 50% से अधिक की गिरावट
विदेश में उच्च शिक्षा के लिए आइलेट्स (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) टेस्ट को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सालाना कुल 48 परीक्षा तिथियां तय होती हैं। एक बार पेपर देने के लिए एक टेस्ट का खर्च करीब 17 हजार रुपये आता है। जिसे आईडीपी द्वारा आयोजित किया जाता है। हर साल लाखों बच्चे यह पेपर देते थे।
उक्त टेस्ट पास करने के बाद ही बच्चे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूके, न्यूजीलैंड और अन्य देशों में जाकर पढ़ाई कर सकते थे। पिछले साल की तुलना में इस साल आइलेट्स देने वाले बच्चों की संख्या में 50% से अधिक की गिरावट आई है। पहले एक लाख बच्चे आइलेट्स पेपर देते थे और अब सिर्फ 45 से 48 हजार ही दे रहे हैं।
आइए जानते हैं कि इमिग्रेशन एक्सपर्ट की क्या राय है…. 1. दैनिक भास्कर ने कनाडा वीजा एक्सपर्ट के तौर पर सुमीत जैन से बातचीत की। सुमीत जैन पंजाब में कनाडा स्टूडेंट वीजा को लेकर बड़े स्तर पर काम करते हैं। कनाडा में इनका कई यूनिवर्सिटी के साथ टाई-अप है। पंजाब में वह जैन ओवरसीज के नाम से बड़ी इमिग्रेशन कंपनी चलाते हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में जैन ओवरसीज के डायरेक्टर सुमीत जैन ने कहा- कनाडा वीजा में गिरावट की सबसे बड़ी वजह वहां की सरकार द्वारा वीजा प्रोसेस में लगातार लाए जा रहे परिवर्तन है, इससे बच्चों का रुझान कम हो गया। भारत कनाडा विवाद की वजह से भी कुछ हद तक प्रभाव पड़ा है। जैन आगे बोले- इस वक्त इमिग्रेशन इंडस्ट्री के लिए काफी चुनौती पूर्ण समय है। इस वक्त बच्चों का रुझान 70 से 75 प्रतिशत तक डाउन जा चुका है। जैन ने आगे कहा- कनाडा में अलगे साल चुनाव होने वाले हैं, चुनाव के बाद कनाडा जाने वाले बच्चों की तादाद एक दम से बढ़ेगी। वहां के कॉलेज, यूनिवर्सिटियों द्वारा भी कनाडा के प्रधानमंत्री को लेटर लिखकर प्रधानमंत्री से सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों में संशोधन की मांग की है। जैन बोले- अब जो भी होगा पॉजिटिव ही होगा, नेगटिव जितना होना था, हो चुका है। 2. दैनिक भास्कर ने पंजाब की प्रमुख ट्रैवल एजेंसी त्रिवेदी ओवरसीज के डायरेक्टर सुकांत त्रिवेदी से कनाडा वीजा को लेकर अहम चर्चा की। सुकांत को इमिग्रेशन इंडस्ट्री में करीब 25 साल से ज्यादा का अनुभव है। अपने पूरे जीवन में वह लाखों बच्चों को कनाडा भेज चुके हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में इमिग्रेशन एक्सपर्ट सुकांत त्रिवेदी ने कहा- इस वक्त कनाडा की ओर छात्रों का रुझान बहुत कम है। ऐसा ट्रेंड पिछले करीब एक साल से देखने को मिल रहा है। इसके पीछा सिर्फ भारत कनाडा विवाद नहीं है, बल्कि कई कारण हैं। जिनमें सबसे प्रमुख कनाडा में काम की कमी, रहने के लिए महंगी जगह, अलगाववादियों को बढ़ावा दिया जाना और अन्य हैं। जिससे हालात ज्यादा खराब हुए। इसी से डरते हुए बच्चों और उनके परिवारों ने कनाडा से मुख मोड़ लिया है। आठ महीने पहले कनाडा सरकार ने जब बच्चों की जीआईसी दोगुनी कर दी, उससे भी काफी प्रभाव पड़ा है। पहले बच्चे का खर्च सिर्फ 14 से 15 लाख आता था, मगर अब यही खर्च बढ़कर 25 साल के करीब पहुंच गया है। आगे त्रिवेदी ने कहा- वीजा में कनाडा द्वारा कोई कमी नहीं दिखाई गई है। बच्चों के रुझान में कमी है। ये इन सभी के कारण हैं। 3. इंटरनेशनल एजुकेशन सर्विसेज एक मैनेजिंग डायरेक्टर हरसौरभ सिंह बजाज पंजाब की एक प्रमुख ट्रैवल एजेंसी चलाते हैं। जोकि ट्रैवल एजेंसी के साथ-साथ बच्चों को आइलेट्स सहित अन्य कोर्स भी करवाते हैं, जिन्हें करने के बाद बच्चा विदेश जाने के लिए योग्य होता है। दैनिक भास्कर से बातचीत में इंटरनेशनल एजुकेशन सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर हरसौरभ सिंह बजाज ने कहा- कनाडा ने अब से पहले उन बच्चों को भी वीजा दिया, जोकि कभी उसके योग्य भी नहीं थे। पिछले साल से लेकर अब तक उक्त वीजा प्रोसेस की वजह से एक बुरा प्रभाव पड़ा। बजाज ने आगे कहा- पिछले साल के मुकाबले इस साल सिर्फ 30 प्रतिशत बच्चे कनाडा जाना चाह रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण कनाडा में पढ़ाई और रहने का खर्च बहुत बढ़ गया है। जीआईसी डबल होने के कारण ऐसा हुआ।