देश में तेलंगाना, झारखंड सहित नौ राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति की गई है। जिसमें उत्तर प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद संतोष कुमार गंगवार को झारखंड का राजपाल नियुक्त किया गया है। वही अब सबकी नजर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल पर है की कौन होगा ? बता दें की उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आंनदी बेन पटेल का कार्यकाल 29 जुलाई को खत्म हो रहा है।यूपी में अब तक किसी भी गवर्नर को दोबारा मौका नहीं मिला है। अगर आनंदीबेन पटेल को दोबारा मौका मिला तो यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में इतिहास होगा।माना यह जा रहा है कि अगले 3 महीने के लिए आनंदीबेन पटेल को सेवा विस्तार दिया जा सकता है। अब आपको बताते हैं बीजेपी के वरिष्ठ नेता संतोष गंगवार के बारे में… कौन हैं संतोष गंगवार ? संतोष गंगवार को नबरेली में विकास पुरुष कहते हैं । वे BJP से बरेली में 8 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।उन्होंने अपना पहला चुनाव वर्ष 1981 मे बरेली लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर लड़ा, जिसमे उनकी हार हुई। जिसके बाद 1984 के आम चुनावो मे भी उनको हार का सामना करना पड़ा। मगर उसके बाद उन्होंने जो रफ़्तार पकड़ी उससे कोई नहीं पकड़ पाया। वह उत्तर प्रदेश के बरेली से 1989 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। हालांकि 2009 के चुनाव में उन्हे कांग्रेस के प्रवीण सिंह आरोन ने 9 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था। मगर 2014 के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर जबरदस्त वापसी करते हुए जीत हासिल की । 2019 में भी वे जीत गए । मोदी सरकार में रह चुके हैं मंत्री संतोष गंगवार उत्तर प्रदेश में पार्टी इकाई के कार्य समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने 13वीं लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री के साथ-साथ संसदीय कार्य राज्य मंत्री का पदभार भी संभाला है। इसके अलावा वो विज्ञान एवं तकनीकी राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। मोदी सरकार में भी टेक्सटाइल और वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके है। संतोष गंगवार का जन्म संतोष गंगवार का जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली में 1 नवम्बर 1948 को हुआ था। उनकी उच्च शिक्षा आगरा विश्वविद्यालय और रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने अपनी बीएससी और LLB की डिग्री प्राप्त की। इस दौरान वह छात्र राजनीति से जुड़े रहे, इंदिरा गांधी की ओर से लगाई गई इमरजेंसी के दौरान तो उनको जेल तक जाना पड़ा था। देश में तेलंगाना, झारखंड सहित नौ राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति की गई है। जिसमें उत्तर प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद संतोष कुमार गंगवार को झारखंड का राजपाल नियुक्त किया गया है। वही अब सबकी नजर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल पर है की कौन होगा ? बता दें की उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आंनदी बेन पटेल का कार्यकाल 29 जुलाई को खत्म हो रहा है।यूपी में अब तक किसी भी गवर्नर को दोबारा मौका नहीं मिला है। अगर आनंदीबेन पटेल को दोबारा मौका मिला तो यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में इतिहास होगा।माना यह जा रहा है कि अगले 3 महीने के लिए आनंदीबेन पटेल को सेवा विस्तार दिया जा सकता है। अब आपको बताते हैं बीजेपी के वरिष्ठ नेता संतोष गंगवार के बारे में… कौन हैं संतोष गंगवार ? संतोष गंगवार को नबरेली में विकास पुरुष कहते हैं । वे BJP से बरेली में 8 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।उन्होंने अपना पहला चुनाव वर्ष 1981 मे बरेली लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर लड़ा, जिसमे उनकी हार हुई। जिसके बाद 1984 के आम चुनावो मे भी उनको हार का सामना करना पड़ा। मगर उसके बाद उन्होंने जो रफ़्तार पकड़ी उससे कोई नहीं पकड़ पाया। वह उत्तर प्रदेश के बरेली से 1989 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। हालांकि 2009 के चुनाव में उन्हे कांग्रेस के प्रवीण सिंह आरोन ने 9 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था। मगर 2014 के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर जबरदस्त वापसी करते हुए जीत हासिल की । 2019 में भी वे जीत गए । मोदी सरकार में रह चुके हैं मंत्री संतोष गंगवार उत्तर प्रदेश में पार्टी इकाई के कार्य समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने 13वीं लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री के साथ-साथ संसदीय कार्य राज्य मंत्री का पदभार भी संभाला है। इसके अलावा वो विज्ञान एवं तकनीकी राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। मोदी सरकार में भी टेक्सटाइल और वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके है। संतोष गंगवार का जन्म संतोष गंगवार का जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली में 1 नवम्बर 1948 को हुआ था। उनकी उच्च शिक्षा आगरा विश्वविद्यालय और रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने अपनी बीएससी और LLB की डिग्री प्राप्त की। इस दौरान वह छात्र राजनीति से जुड़े रहे, इंदिरा गांधी की ओर से लगाई गई इमरजेंसी के दौरान तो उनको जेल तक जाना पड़ा था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
हरियाणा के SDO की याचिका पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला:इमरजेंसी में जीवन बचाना प्राथमिकता, सरकारी कर्मचारियों के पक्ष में दिया अहम निर्णय
हरियाणा के SDO की याचिका पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला:इमरजेंसी में जीवन बचाना प्राथमिकता, सरकारी कर्मचारियों के पक्ष में दिया अहम निर्णय हरियाणा एंड पंजाब हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को राहत देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने यह साफ किया है कि इमरजेंसी में ट्रीटमेंट के लिए अस्पताल की सूची को प्राथमिकता देना अनुचित है। कोर्ट का कहना है कि ऐसे हालात में जीवन बचाने का फैसला सबसे पहले होना चाहिए, न कि हॉस्पिटल की लिस्ट की खोज। करनाल के आरके गर्ग की याचिका पर यह फैसला आया है। आरके गर्ग हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड से रिटायर्ड SDO हैं। आरके गर्ग को जुलाई 2023 में मध्य प्रदेश के उज्जैन में रहते समय कार्डियक इमरजेंसी फेस करनी पड़ी। उन्हें इंदौर के एक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया। उनकी बाईपास सर्जरी में 22 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च आया। हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड ने केवल 5.36 लाख रुपए की छोटी सी राशि की प्रतिपूर्ति दी। जिसे आरके गर्ग ने कोर्ट में चैलेंज कर दिया। बोर्ड की नीति पर कोर्ट की टिप्पणी हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड ने अपनी नीति का हवाला देते हुए कहा था कि इलाज एक गैर-अनुमोदित अस्पताल में हुआ था, इसलिए पूरी प्रतिपूर्ति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने इस तर्क को रिजेक्ट करते हुए कहा कि इमरजेंसी की सिचुएशन में अस्पताल का चयन करना कर्मचारी के लिए व्यावहारिक नहीं है। जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने अपने फैसले में यह भी कहा कि जीवन बचाने की स्थिति में अस्पताल की सूची पर ध्यान देना अमानवीय और अव्यावहारिक है। संविधान के अनुच्छेद 21 का दिया गया हवाला जस्टिस पुरी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि जीवन का अधिकार सभी को प्राप्त है। इसे सीमित करने वाली नीतियां संविधान के खिलाफ हैं। उन्होंने साफ किया कि आपातकालीन स्थितियों में प्राथमिकता जीवन बचाने की होनी चाहिए, न कि अस्पताल की स्वीकृत सूची की जांच करने की। इस फैसले के बाद सरकारी कर्मचारियों में संतोष का माहौल है, क्योंकि यह उनके हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है। ऐसे में कर्मचारी को भविष्य में इमरजेंसी के दौरान किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
‘वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव के लिए मुस्लिम भी हमारे साथ’, मध्य प्रदेश में BJP सांसद का दावा
‘वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव के लिए मुस्लिम भी हमारे साथ’, मध्य प्रदेश में BJP सांसद का दावा <p style=”text-align: justify;”><strong>Waqf Board Law:</strong> वक्फ बोर्ड के कानून में बदलाव को लेकर उज्जैन आलोट से सांसद अनिल फिरोजिया ने बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है, ‘वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव को लेकर मुस्लिम समाज के लोग भी बीजेपी के साथ हैं. उनकी जमीन पर भी वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने आने वाले समय में वक्फ बोर्ड के कानून में किए जाने वाले बदलाव को लेकर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि बदलाव आवश्यक हैं और समय की मांग भी. उन्होंने कहा कि बदलाव को लेकर मुस्लिम समाज के लोग भी सरकार के साथ हैं. इसका उन्होंने उदाहरण भी दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’नए कानून का स्वागत कर रहा मुस्लिम समाज'</strong><br />सांसद ने कहा, “कई मुस्लिम जनों की जमीनों पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है. वक्फ बोर्ड बेवजह कई लोगों को परेशान कर रहा है, इसलिए मुस्लिम समाज के लोग भी सरकार द्वारा लाए जाने वाले नए कानून का स्वागत कर रहे हैं.” अनिल फिरोजिया ने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> के कार्यकाल में तीन तलाक का कानून खत्म हुआ है, उस‌से सबसे ज्यादा फायदा मुस्लिम समाज की उन महिलाओं के हुआ है जिन्हें पारिवारिक मामूली विवाद के चलते भी तीन तलाक बोलकर घर से‌ बाहर दिया जाता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’भूमाफिया की तरह काम कर रहा है वक्फ बोर्ड'</strong><br />सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा कि वक्फ बोर्ड भू माफिया की तरह काम कर रहा है. केंद्र की मोदी सरकार वक्फ बोर्ड को लेकर नया कानून ला रही है, जिसे फिलहाल समिति के पास भेजा गया है. उन्होंने कहा कि कई गरीब मुसलमानों की जमीन को वक्फ बोर्ड ने अपने कब्जे में ले रखी है. देश में नियम सबके लिए बराबर होने चाहिए, इसलिए सरकार का नया कानून ऐसे मुस्लिम परिवारों के लिए भी खुशी लेकर आएगा जो वक्फ बोर्ड की तानाशाही से परेशान थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/dhirendra-krishna-shastri-of-bageshwar-dham-statement-on-waqf-board-called-it-land-jihad-ann-2784233″>पंडित धीरेंद्र शास्त्री बोले- ‘मैं किसी मजहब से नहीं, लैंड जिहाद के खिलाफ हूं, वक्फ बोर्ड पर शिकंजा जरूरी'</a></strong></p>
पानीपत में रेपिस्ट को 20 साल की जेल:13 साल की लड़की को शादी की नीयत से भगा ले गया था; कई बार किया दुष्कर्म
पानीपत में रेपिस्ट को 20 साल की जेल:13 साल की लड़की को शादी की नीयत से भगा ले गया था; कई बार किया दुष्कर्म पानीपत जिला की कोर्ट ने 13 साल की बच्ची से रेप करने के दोषी को 20 साल की सजा सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। दोषी, करीब ढाई साल पहले किला थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक कॉलोनी में किशोरी को शादी की नीयत से भगा ले गया था व उसके साथ रेप किया था। घर के बाहर खेल रही थी बच्ची
डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी कुलदीप ढुल ने बताया कि दोषी नीरज को अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई है। 10 जनवरी 2022 को किला थाना पुलिस को दी शिकायत में एक महिला ने बताया था कि वह थाना क्षेत्र की एक कॉलोनी की रहने वाली है। वह चार बच्चों की मां है। जिसमें उसकी दूसरे नंबर की बेटी है। जिसकी उम्र करीब 13 साल है। 7 जनवरी 2022 की सुबह करीब 11 बजे बेटी घर के बाहर खेल रही थी। इसके बाद वह वापस घर नहीं आई। काफी देर बाद उसकी अनेकों जगहों पर तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिली। आस-पड़ोस में भी उसके बारे में पूछा गया, लेकिन कुछ भेद नहीं लगा। उम्र का दस्तावेज नहीं मिला, इसलिए नहीं की शादी
पुलिस मामले में अपहरण कर केस दर्ज कर लिया था। इसके बाद उसकी तलाश शुरू की गई। तलाश के दौरान लड़की को पुलिस ने 21 जनवरी को बरामद किया। लड़की की CWC काउंसिलिंग करवाई गई। जिसमें लड़की ने बताया कि उसके साथ नीरज निवासी डाबर कॉलोनी ने कई बार रेप किया है। जिसके बाद पुलिस ने पहले से ही दर्ज मामले में 376 (2N), 342 IPC व 6 पॉक्सो एक्ट जोड़ी गई। 22 जनवरी को आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जिसने पुलिस को बताया था कि वह लड़की को शादी की नीयत से भगा कर ले गया था। लेकिन उसके पास उम्र संबंधित कोई दस्तावेज नहीं था, इसलिए उसने शादी नहीं की। वे दिन में इधर-उधर रहते थे, जबकि रात के समय वे एक खाली दुकान में सोते थे। वहीं पर उसने लड़की के साथ रेप किया था।