सहारनपुर में बाढ़ प्रभावित कॉलोनियों से ग्राउंड रिपोर्ट:लोग बोले-बरसात आते ही कांपने लगते हैं; बाढ़ से हुए नुकसान का एक रुपए भी मुआवजा नहीं मिला 9 जुलाई 2023, पहाड़ों पर हुई बारिश से बाढ़ आई। बाढ़ से कुल 118 गांव, शहर के 28 मोहल्ले जलभराव की चपेट में आए थे। बाढ़ से करीब 2.75 लोग प्रभावित हुए। 7015 किसानों की करीब 1681.44 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई थी। 17 लोगों और तीन पशुओं की मौत हुई। 870 परिवारों को बाढ़ शिविरों में रहना पड़ा। 1750 मकान क्षतिग्रस्त हुए। इससे बुरे हालात 17 जुलाई 2013 में हुए थे। ये हालात तब बनें, जब पहाड़ों पर मूसलाधार बारिश हुई। 10 सालों में दो बार भयावह बाढ़ आई, जिसमें जानमाल की हानि हुई। दैनिक भास्कर की टीम सहारनपुर की उस कॉलोनी में पहुंची। जहां पर बाढ़ आने से हालात बिगड़ गए थे। लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में रहना पड़ा था। लेकिन, इस प्राकृतिक आपदा में लोगों को नुकसान हुए। शासन से लेकर प्रशासन तक के लोग आश्वासन देने के लिए पहुंचे। लेकिन उनके नुकसान की भरपाई आज तक नहीं हो सकी। पढ़िए….दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट और प्रभावित लोगों से बातचीत 10 सालों में कितनी बदली प्रशासनिक व्यवस्थाएं
दरअसल, 2013 और 2023 में पहाड़ों पर हुई मूसलाधार बारिश से सहारनपुर में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई। लेकिन बाढ़ से 118 गांव और स्मार्ट सिटी के 28 मोहल्ले प्रभावित हुए। देवपुरम, कपिल विहार, साकेत कॉलोनी, चंद्र नगर, खानआलमपुर, शांतिनगर, नुमायश कैंप, राधा विहार जैसी कई कॉलोनियां बाढ़ में डूबी। सबसे ज्यादा हालात देवपुरम, कपिल विहार, साकेत कॉलोनी और चंद्र नगर के हुए। यहां के लोगों के घरों में पानी 15 दिनों तक रहा। राहत शिविरों में रहना पड़ा। कई लोगों की जान गई। घर का सारा सामान बाढ़ की चपेट में आ गया। लेकिन इन लोगों को आज तक कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिली है। बस, मिला तो आश्वासन। वहीं इन 10 सालों में बाढ़ को रोकने के लिए कोई भी उचित प्रबंध नहीं किए गए। न ही उन कॉलोनियों को खाली कराया गया। जो नदी के किनारों पर बसी थी। न ही लोगों को विस्थापित किया गया। जिन गरीब लोगों ने एक-एक पैसा जोड़कर अपना मकान बनाया। उन्होंने अपने घर नहीं छोड़े। छोड़े भी क्यों। जिंदगी की पूंजी जो लगी थी। पहाड़ों की बारिश से मैदानी इलाकों के लोग में डर दैनिक भास्कर की टीम देवपुरम कॉलोनी पहुंची। जहां से ढमोला नदी शहर में प्रवेश करती है। देवपुरम की रहने वाली सोनिया कहती हैं, ”जब से हरिद्वार की गंगा में पानी आने का पता लगा है, तब से यहां के लोग डरे हुए है। घर का सामान पिछले साल बेकार हो गया था। उसे आज तक भी हम खरीद नहीं पाए है। प्रशासन की ओर से बस थोड़ा आटा और मुरमुरों के थैले मिले थे। आर्थिक सहायता आज तक नहीं मिली है।” पहनने के कपड़े और खाने का राशन भी नहीं बचा था कमला देवी का कहना है,”2013 में भी बाढ़ आई थी। जिसमें सब सामान बर्बाद हो गया था। फिर 2023 में आई बाढ़ ने बचा हुआ सामान भी बर्बाद कर दिया था। पहनने के कपड़े और राशन भी बह गया था। बारिश होते ही यहां के लोगों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती है। घर का बचा हुआ सामान बांध रहे हैं। बाढ़ की स्थिति देखते हुए यहां से निकल जाएंगे।” 10 साल में प्रशासन ने ढमोला नदी की नहीं ली सुध सुभाष अग्रवाल कहते हैं, ”10 साल में दो बार बाढ़ आ चुकी है। लेकिन प्रशासन ने आज तक भी नदी के किनारे पेचिंग नहीं बनाई है। बड़ी मुश्किल से सड़क बनी है। बरसात का मौसम आते ही यहां के लोग कांपने लगते हैं। हमारे साथ क्या होगा? हम जाएंगे कहां?” किसी को नुकसान का नहीं मिला मुआवजा अर्जुन पंडित कहते हैं,”2008 से देवपुरम में मकान बनाकर लोग रहना शुरू हो गए थे। लेकिन आज तक भी निगम की ओर से कोई सफाई नहीं कराई गई। ढमोला नदी की सफाई के लिए अभियान चलाने की बात की जाती है, लेकिन यहां आज तक सफाई नहीं हुई है। वहीं पुल भी छोटा है। पहाड़ों पर बरसात होती है तो पानी छोड़ा जाता है, जिस कारण ये कॉलोनी डूब जाती है। सिंचाई विभाग और नगर निगम के अधिकारी तीन माह पूर्व आए थे। बस सर्वे तक ही सीमित है। 2023 में बाढ़ के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ आए थे। सबको मुआवजा देने की बात की गई थी। पटवारी और अधिकारी आए थे। नाम लिखे थे। लेकिन, आज तक भी एक रुपया किसी को नहीं मिला है।” अवैध कॉलोनी है तो रजिस्ट्री कैसे हुई? चौ.ब्रहम सिंह का कहना है,”2013 में पहली बार बाढ़ आई थी। जिसके बाद से जब भी बरसात के दिन आते हैं, लोगों की रूह कांपने लगती है। कॉलोनी के लोगों में भगदड़ मच जाती है। अपने-अपने घर छोड़कर किराए पर रहने को मजबूर हो जाते हैं। कई लोगों ने तो अपना सामान भी बांधना शुरू कर दिया है। एक सड़क कॉलोनी में बनाई गई है। जो ऊंची बना दी है, जिससे ढमोला नदी के किनारे रहने वाले लोग अबकी बार बाढ़ आई तो डूब जाएंगे। क्योंकि पानी पास नहीं होगा? जनप्रतिनिधि विधानसभा में पैसा पास होने की बात करते हैं, लेकिन आज तक एक पैसा यहां नहीं लगा। पैसा कहां गया, पता नहीं? कॉलोनी नाइजर ने कॉलोनी काटी है, अवैध कैसे? स्टाम्प शुल्क सरकार को दिया है। यदि अवैध कॉलोनी थी तो रजिस्ट्री विभाग ने कैसे रजिस्ट्री की। 2023 में जब बाढ़ आई थी यहां के लोगों को खाने के भी लाले पड़े।” 10 साल मकान बेचने का बोर्ड लगाया अशोक सैनी कहते हैं, ”ढमोला नदी के किनारे मकान है। दो बार बाढ़ का दंश झेला है। 2013 में ही मकान बिकाऊ का बोर्ड लगा दिया था। लेकिन आज तक ये मकान भी नहीं बिका। 2013 और 2023 की बाढ़ में सारा सामान बर्बाद हो गया था। पहनने के कपड़े भी नहीं बचे थी। सब बह गए थे। अपनी पत्नी की सलवार पहनकर बाजार गया था और कपड़े खरीदकर लाया था। बरसात आते ही सामान बांध लेता हूं। मुझे इस बार तो किराये का मकान भी नहीं मिल रहा हैं। बरसात आने पर रात को नींद भी नहीं आती है।” किराए पर नहीं देता कोई मकान सोनिया कहती है,”पहाड़ों पर बरसात होते ही मैदानी इलाकों में पानी छोड़ दिया जाता है। हमारी कॉलोनी ढमोला नदी के किनारे पर है। सबसे ज्यादा बाढ़ का पानी हमारी कॉलोनी में आता है। 6 से लेकर 10 फिट तक पानी घरों में भर जाता है। फिलहाल जो बारिश आ रही है, लगता है कि फिर बाढ़ आएगी। अब सामान बांध रखा है, सोच रहे हैं कि कही पर किराए पर मकान ले। लेकिन बरसात के दिनों में कोई भी किराए पर मकान भी नहीं देता हैं।” ये दर्द देवपुरम में रहने वाले लोगों का है। जिनको दो बार आई बाढ़ में हुए नुकसान का मुआवजा तक नहीं मिला है। बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए प्रशासन ने कोई भी काम ढमोला नदी पर नहीं कराया है। पेचिंग भी नहीं कराई है। बाढ़ के समय शासन-प्रशासन के लोग आते हैं और बस आश्वासन देकर चले जाते हैं। जिससे उन पर से विश्वास तक उठ गया है। 56 हजार क्यूसेक पानी ने नदियों की जलधारा को किया था तेज सहारनपुर बाढ़ के मुहाने तक कैसे पहुंचा। 8 जुलाई को पहाड़ी और मैदानी इलाकों में मूसलाधार बारिश हुई। हरियाणा और यूपी बॉर्डर का हथिनीकुंड बैराज का जलस्तर बढ़ा। 9 जुलाई की देर रात को हथिनीकुंड बैराज से शुरू में 56 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इस पानी से सहारनपुर की बरसाती नदियों के साथ-साथ ढमोला, पांवधोई और हिंडन नदी की जलधारा तेज हो गई। 9 जुलाई को 5 बार पानी नदियों में छोड़ा गया। 5 दिनों में करीब छह लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसके बाद पानी नदी के किनारों को लांघकर आस-पास के गांवों में आ गया। 10 से ज्यादा घर गिरे। 5 लोगों की मौत हुई। बाढ़ से जानमाल का नुकसान हुआ। 45 गांवों में घुसा था नदियों का पानी
सरकारी आंकड़े के अनुसार, ढमोला, पांवधोई नदी और हिंडन नदी के किनारे स्मार्ट सिटी की 28 कॉलोनियां बसी हुईं हैं। जिनमें बाढ़ का पानी आया है। प्रशासन ने 30 राहत शिविर बनाए थे। जिनमें से 7 संचालित हुए। बेहट तहसील में 15, सदर तहसील में 20, नकुड़ तहसील में 10 गांव में पानी आया। ग्रामीण और शहरी इलाकों में जलभराव के कारण बिजली संकट गहराया। वहीं पीने के पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची। यहां बनेंगे राहत शिविर
तहसील सदर में सियाराम इंटर कॉलेज गागलहेड़ी, किसान मजदूर इंटर कॉलेज शाहजहांपुर, राजकीय इंटर कॉलेज पंचकुंआ, जेवी जैन डिग्री कॉलेज, मोहयाल धर्मशाला, गॉड फिल्ड पब्लिक स्कूल देवपुरम, तहसील नकुड़ में डीसी जैन इंटर कॉलेज सरसावा, केएलजीएस इंटर कॉलेज नकुड़, एचआर इंटर कॉलेज गंगोह, तहसील बेहट में किसान शाकुंभरी इंटर कॉलेज फतेहपुर कलां, इंदिरा गांधी इंटर कॉलेज ताल्हापुर,जनता इंटर कॉलेज बेहट, पब्लिक इंटर कॉलेज साढौली कदीम, किसान खादर इंटर कॉलेज कंबोह माजरा और तहसील रामपुर मनिहारान में आदर्श इंटर कॉलेज बड़गांव, किसान इंटर कॉलेज देवबंद में राहत शिविर बनाए जाएंगे। यहां बनेगी राहत चौकी
तहसील सदर के गागलहेड़ी, झरौली, सौंधेबांस, टोडरपुर, तहसील नकुड़ के कुतुबपुर प्राइमरी विद्यालय, सरसावा, लखनौती सहकारी समिति, मकान हरनाम सिंह, प्राइमरी स्कूल रानीपुर बरसी, तहसील मुख्यालय, तिगरी रामगढ़ प्राइमरी विद्यालय और प्राइमरी स्कूल रसूलपुर में बाढ़ चौकी बनाईं हैं। तहसील देवबंद में शीतलाखेड़ा, तहसील रामपुर मनिहारान में महेशपुर, तहसील बेहट में बरथा कोरसी, नुनियारी, धौलरा, कस्बागढ़, शेरपुर पेलो, हैदरपुर उर्फ हिन्दुवाला, अलीपुरा नौगांव, जैतपुर खुर्द, कोठरी भागमल, कालूवाला जहानपुर दक्षिण, उर्फ सतपुरा और खैरी प्राइमरी स्कूल में बाढ़ चौकी स्थापित की गईं हैं।