लाहौल स्पीति जिले के डीसी राहुल कुमार की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की टीम ने घेपांग घाट ग्लेशियर झील लाहौल का मुआयना किया। डीसी राहुल कुमार ने बताया कि सैटेलाइट इमेजेज के आधार पर घेपांग घाट ग्लेशियर झील का ग्लोबल वार्मिंग से दायरा बढ़ने का दावा किया गया है। जिस कारण इस झील के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से आपदा की स्थिति उत्पन्न होने की भी आशंका जाहिर की गई है। डीसी लाहुल स्पीति राहुल कुमार ने बताया कि घेपांग लेक एक्सीपिडीशन में भू-गर्भ और ग्लेशियर पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों की टीम ने तीन दिवसीय दौरा किया। लिहाजा किसी आपदा से पहले आपदा रोकथाम को लेकर राज्य और केंद्र सरकार ने यह पहल की है और संभावित खतरे से प्रभावी तौर पर निपटने को कार्य योजना भी तैयार की जा रही है। टीम ने कई पहलुओं पर की स्टडी एक्सपीडिशन के दौरान टीम के द्वारा घेपांग झील से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर स्टडी की गई। जिसमें मुख्य रूप से झील की गहराई, बेरियर स्ट्रेंथ, मोरेन-डेम हाइट एंड बिडथ, झील में जल स्तर, क्षेत्र की जूलॉजिकल स्थिति, भू-स्खलन और एवलांच की संभावना जैसे करीब 20 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन जांच की गई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपेंगे रिपोर्ट डीसी राहुल कुमार ने बताया कि घेपांग झील की बारीकी से निरीक्षण के बाद इस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपी जाएगी। ताकि समय रहते किसी भी प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए धरातल पर ठोस कदम उठाया जा सके। 24 से 26 तक अध्ययन किया डीसी ने यह भी बताया कि विशेषज्ञों की टीम ने 24 से 26 जुलाई तक घेपांग लेक में जांच की। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने सभी हिमालयी राज्यों में स्थित संभावित जल ग्रहण क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने की पहल की है। लिहाजा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा इस झील के क्षेत्र में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने की संभावनाएं तलाशने की कवायद शुरू की गई है। प्राधिकरण ने 4 विषयों पर काम शुरू किया हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 4 बुनियादी विषयों पर काम करना शुरू किया है। जैसे लीड वाई (एलटीए) उपकरण की पहचान करना और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और हिमानी झील को प्राथमिकता देना, सभी उच्च जोखिम का आकलन करने के लिए क्षेत्र अभियान चलाना और हिमनदों की निगरानी में राज्यों को उनके समर्थन को सुव्यवस्थित करने में और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की भागीदारी सुनिश्चित करना है। बढ़ रहा है झील का आकार राहुल कुमार ने यह भी बताया कि घेपांग घाट झील जिला लाहौल एवं स्पीति में समुद्र तल से लगभग 4098 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और हिमालय की अन्य ग्लेशियर झीलों की तरह घेपांग घाट झील का भी क्षेत्रफल साल दर साल बढ़ता जा रहा है। लिहाज़ा जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा इस झील के सामने वाले क्षेत्र और मोराइन पर भी ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में 25 सदस्यों की रैकी दल को सहायक आयुक्त संकल्प गौतम और डीएफओ अनिकेत वानवे की टीम ने बैकअप दिया। इस अभियान में विभिन्न एजेंसियों के सदस्य भी शामिल रहे। लाहौल स्पीति जिले के डीसी राहुल कुमार की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की टीम ने घेपांग घाट ग्लेशियर झील लाहौल का मुआयना किया। डीसी राहुल कुमार ने बताया कि सैटेलाइट इमेजेज के आधार पर घेपांग घाट ग्लेशियर झील का ग्लोबल वार्मिंग से दायरा बढ़ने का दावा किया गया है। जिस कारण इस झील के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से आपदा की स्थिति उत्पन्न होने की भी आशंका जाहिर की गई है। डीसी लाहुल स्पीति राहुल कुमार ने बताया कि घेपांग लेक एक्सीपिडीशन में भू-गर्भ और ग्लेशियर पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों की टीम ने तीन दिवसीय दौरा किया। लिहाजा किसी आपदा से पहले आपदा रोकथाम को लेकर राज्य और केंद्र सरकार ने यह पहल की है और संभावित खतरे से प्रभावी तौर पर निपटने को कार्य योजना भी तैयार की जा रही है। टीम ने कई पहलुओं पर की स्टडी एक्सपीडिशन के दौरान टीम के द्वारा घेपांग झील से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर स्टडी की गई। जिसमें मुख्य रूप से झील की गहराई, बेरियर स्ट्रेंथ, मोरेन-डेम हाइट एंड बिडथ, झील में जल स्तर, क्षेत्र की जूलॉजिकल स्थिति, भू-स्खलन और एवलांच की संभावना जैसे करीब 20 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन जांच की गई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपेंगे रिपोर्ट डीसी राहुल कुमार ने बताया कि घेपांग झील की बारीकी से निरीक्षण के बाद इस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपी जाएगी। ताकि समय रहते किसी भी प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए धरातल पर ठोस कदम उठाया जा सके। 24 से 26 तक अध्ययन किया डीसी ने यह भी बताया कि विशेषज्ञों की टीम ने 24 से 26 जुलाई तक घेपांग लेक में जांच की। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने सभी हिमालयी राज्यों में स्थित संभावित जल ग्रहण क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने की पहल की है। लिहाजा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा इस झील के क्षेत्र में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने की संभावनाएं तलाशने की कवायद शुरू की गई है। प्राधिकरण ने 4 विषयों पर काम शुरू किया हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 4 बुनियादी विषयों पर काम करना शुरू किया है। जैसे लीड वाई (एलटीए) उपकरण की पहचान करना और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और हिमानी झील को प्राथमिकता देना, सभी उच्च जोखिम का आकलन करने के लिए क्षेत्र अभियान चलाना और हिमनदों की निगरानी में राज्यों को उनके समर्थन को सुव्यवस्थित करने में और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की भागीदारी सुनिश्चित करना है। बढ़ रहा है झील का आकार राहुल कुमार ने यह भी बताया कि घेपांग घाट झील जिला लाहौल एवं स्पीति में समुद्र तल से लगभग 4098 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और हिमालय की अन्य ग्लेशियर झीलों की तरह घेपांग घाट झील का भी क्षेत्रफल साल दर साल बढ़ता जा रहा है। लिहाज़ा जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा इस झील के सामने वाले क्षेत्र और मोराइन पर भी ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में 25 सदस्यों की रैकी दल को सहायक आयुक्त संकल्प गौतम और डीएफओ अनिकेत वानवे की टीम ने बैकअप दिया। इस अभियान में विभिन्न एजेंसियों के सदस्य भी शामिल रहे। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में दिखती है हिमाचली संस्कृति की झलक:तिब्बत-अफगानिस्तान से आते थे व्यापारी, बुशहर रियासत में तलवारों और घोड़ों का होता था आदान-प्रदान शिमला जिले की रामपुर रियासन में लवी मेला मध्य शताब्दी से चल रहा है। 1911 से कुछ वर्ष पूर्व रामपुर में तिब्बत और हिंदुस्तान के बीच व्यापार शुरू हुआ। उस समय राजा केहर सिंह ने तिब्बत सरकार के साथ व्यापार को लेकर संधि की थी। इस व्यापार मेले में कर मुक्त व्यापार होता था। लवी मेले में किन्नौर, लाहौस स्पीति, कुल्लू और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से व्यापारी पैदल पहुंचने थे। वर्षों पुराने रामपुर लवी मेला वर्ष 1985 में अंतर राष्ट्रीय स्तर का घोषित किया गया। मुख्यमंत्री वीरभद्र ने किया था मेले को अंतर्राष्ट्रीय घोषित
वर्ष 1983 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने 1985 में मेले को अंतर्राष्ट्रीय घोषित किया था।ये है लवी मेले का इतिहास लवी मेला लगभग पिछले 3 शताब्दियों से मनाया जा रहा है। किंतु इसे व्यापारिक मेले का आधिकारिक स्वरूप तब मिला, जब सन 1911 में बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह ने तिब्बत सरकार से व्यापारिक संधि की। इस उपलक्ष्य पर तिब्बत और बुशहर रियासत के व्यापारिक रिश्तों की स्मृति में घोड़े और तलवारें आदान प्रदान की जाती थी। पहले तिब्बत और अफगानिस्तान से भी व्यापारी यहां अपना सामान बेचने आते थे, किंतु तिब्बत चीन के अधीन होने के बाद यह सब बंद हो गया। लवी शब्द की उत्पत्ति
लवी शब्द की व्युत्पत्ति के संबंध में विद्वानों में एक मत नहीं है। कुछ इसे ऊन के उस पारंपरिक परिथन के नाम से उत्पन्न बताते है, जिसे लोईया कहा जाता है। कुछ विद्वान इसे लोई अर्थात ऊन से बने ओढ़ने वाले कपड़े से उत्पन्न मानते है। उपयुक्त दोनों मतों में ऊन से बने कपड़े सर्वमान्य है। लवी में ऊन से बनी पट्टियां, टोपी, शॉल, सूक्ष्म मोटा कम्बल, जुमा वस्त्र, कालीन और स्वेटर प्रमुख रूप से विक्रय के लिए आते हैं। इसमें पारंपरिक हस्तकला का गरिमा मय प्रदर्शन देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त सूखे मेवे, जिनमें अखरोट, खुमानी प्रमुख है, जो इस मेले की विशेषता है। लवी मेला हिमाचल का एकमात्र सबसे बड़ा व्यापारिक मेला
हिमाचल का एकमात्र सबसे बड़ा व्यापारिक मेला अपना असल पहचान खोता जा रहा है। इस मेले में तिब्बत, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से व्यापारी पहुंचते थे। साथ ही यहां पर घोड़ों, बकरियों और स्थानीय उत्पादों की खून खरीद फरोख्त होती थी, लेकिन अब मेले की पहचान आधुनिकता ने ले ली है। जबकि इसकी असल पहचान पर कोई काम नहीं कर रहा है। पूर्व में ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचकर लोग वर्ष भर का सामान लवी में खरीदते थे, लेकिन अब जगह जगह दुकानों की व्यवस्था होने से लवी मेले में होने वाले व्यापार पर भी असर देखने को मिल रहा है। बकरियों और स्थानीय उत्पादों की होती है खरीद-फरोख्त
मूल में व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। हर वर्ष बकरियों और स्थानीय उत्पादों की खूब खरीद फरोख्त होती थी, लेकिन अब समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है। मेले में व्यापार के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। हर वर्ष 11 से 14 नवंबर तक होने वाले इस अन्तर्राष्ट्रीय लवी मेले में स्टार कलाकारों के साथ प्रदेश भर के विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति भी देखने को मिलती है।
हिमाचल में आज थमेगा चुनाव प्रचार का शोर:6 बजे तक स्टार-प्रचारकों को छोड़ना होगा प्रदेश; ड्राइ-डे घोषित, कुछ पोलिंग पार्टियां आज रवाना होगी
हिमाचल में आज थमेगा चुनाव प्रचार का शोर:6 बजे तक स्टार-प्रचारकों को छोड़ना होगा प्रदेश; ड्राइ-डे घोषित, कुछ पोलिंग पार्टियां आज रवाना होगी हिमाचल में लोकसभा और विधानसभा उप चुनाव के प्रचार का शोर आज थम जाएगा। इलेक्शन कमीशन ने कांग्रेस, भाजपा सहित दूसरे सभी दलों के स्टार प्रचारकों को शाम छह बजे से पहले प्रदेश छोड़ने के आदेश दे दिए है। लिहाजा शाम छह बजे के बाद और अगले कल कोई भी प्रत्याशी झुंड व लाउड स्पीकर के साथ चुनाव प्रचार नहीं कर पाएगा। चुनावी शोर थमने के बाद प्रत्याशी वन टू वन जरूर प्रचार कर सकेंगे। मगर इस दौरान भीड़ इकट्टठी करने की इजाजत नहीं होगी। हिमाचल में आज शाम छह बजे से शराब के सभी ठेके और शराब परोसने वाले बीयर-बार, होटल व ढाबें भी बंद करने होंगे। इन आदेशों की अवहेलना करने वाले शराब विक्रेताओं के खिलाफ निर्वाचन विभाग ने सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। प्रदेश में एक जून तक ड्राइ डे रहेगा और मतगणना वाले दिन यानी चार जून को भी शराब के ठेके बंद रहेंगे। वोटिंग पूरी होने के बाद शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी जाएगी। आज रवाना होंगी कुछ पोलिंग पार्टियां वहीं दूर-दराज के दुर्गम क्षेत्रों के लिए कुछ पोलिंग पार्टियां आज रवाना की जाएगी, जबकि शेष पोलिंग पार्टी कल सुबह रवाना की जाएगी। सभी पोलिंग पार्टियों को कल शाम तक अपने-अपने पोलिंग बूथ मतदान के लिए पूरी तरह तैयार करेंगे, ताकि परसों सुबह समय पर वोटिंग शुरू की जा सके। धारा 144 लागू, 5 से ज्यादा लोग नहीं हो सकेंगे इकट्ठे चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न करने तथा शांति बनाए रखने के मकसद से प्रदेशभर में धारा 144 लागू कर दी गई है। यानी 5 से ज्यादा लोग इकट्ठे खड़े नहीं हो सकेंगे। इसकी इजाजत केवल मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में दी होगी, वह भी केवल वोटिंग के लिए लाइनों में खड़े लोगों और कानून एवं व्यवस्था में तैनात कर्मियों को होगी। चुनाव डयूटी में तैनात सुरक्षा कर्मियों को छोड़कर अन्य लोगों को मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में हथियार, बैनर, स्टीकर इत्यादि लेकर चलने पर प्रतिबंध रहेगा। चुनाव डयूटी में तैनात अधिकारियों और पुलिस कर्मियों के अलावा किसी भी व्यक्ति को मतदान केंद्र के 100 मीटर की परिधि में या मतदान केंद्र के भीतर फोन, वायरलेस फोन या कोई भी उपकरण जो ध्वनि को बढ़ा सकता है, उसे ले जाने या उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 41252 लोग वोट दे चुके मनीष गर्ग ने बताया कि चारों संसदीय क्षेत्रों में बीते मंगलवार तक 12डी प्रपत्रों के माध्यम से प्राप्त कुल 44562 आवेदनों में से 41252 डाक मतपत्र चुनाव विभाग को मिल चुके हैं, जबकि 6 विधानसभा क्षेत्रों के उप-चुनावों के लिए अब तक 12डी प्रपत्रों के माध्यम से कुल 3651 आवेदनों में से 3380 डाक मतपत्र विभाग को मिल चुके है। यानी इन लोगों ने अपना वोट दे दिया है। ताजा आंकड़ों में इनकी संख्या में कुछ इजाफा हो सकता है। 85 साल के 31122 ने डाक मतपत्र से वोट दिया संसदीय क्षेत्रों में अब तक 85 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के कुल 31122 मतदाताओं ने प्रपत्र 12डी के माध्यम से आवेदन किया था, जिनमें से 29619 मतदाताओं ने डाक मतपत्र के माध्यम से वोट किया है। इसी प्रकार दिव्यांग वोटरों से प्रपत्र 12डी के माध्यम से 11007 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें से 10526 ने डाक मतपत्र द्वारा अपना वोट डाला, जबकि मतदान दिवस के दिन 2433 अनिवार्य सेवाओं पर तैनात कर्मियों में से 1107 ने अपने गृह विधानसभा क्षेत्र में स्थापित पोस्टल वोटिंग सेंटर (पीवीसी) में अपना वोट डाला। विधानसभा उप चुनाव में 2747 मतदाता वोट डाल चुके छह विधानसभा क्षेत्रों में अब तक 85 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के कुल 2747 मतदाताओं ने प्रपत्र 12डी के माध्यम से आवेदन किया था, जिनमें से 2575 मतदाताओं ने डाक मतपत्र के माध्यम से वोट किया है। दिव्यांगजन मतदाताओं से प्रपत्र 12डी के माध्यम से 820 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें से 772 ने डाक मतपत्र द्वारा अपना वोट डाला, जबकि मतदान दिवस के दिन 84 अनिवार्य सेवाओं पर तैनात कर्मियों में से 33 ने ने अपने गृह विधानसभा क्षेत्र में स्थापित पीवीसी में अपना वोट डाला। एक जून को स्पेशल पेड होलीडे घोषित मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने निर्देश दिए कि वोटिंग वाले दिन स्पेशल पेड होलीडे घोषित की गई है। इस दिन कोई भी नियोक्ता अपने कर्मचारियों को छुट्टी देने से इनकार नहीं कर सकता। ऐसा करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एक जून पूरे प्रदेश में पेड-होलीडे होगा। यानी इस दिन सरकारी कर्मचारियों सहित दैनिक वेतनभोगी और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को भी छुट्टी के बावजूद तनख्वाह मिलेगी।
मेरठ STF ने हापुड़ में पकड़ी एक ट्रक शराब:हिमाचल प्रदेश से बिहार ले जा रहे थे, 30 लाख रुपए आंकी जा रही कीमत
मेरठ STF ने हापुड़ में पकड़ी एक ट्रक शराब:हिमाचल प्रदेश से बिहार ले जा रहे थे, 30 लाख रुपए आंकी जा रही कीमत मेरठ STF ने हापुड़ के पिलखुवा से एक ट्रक शराब पकड़ी है। बताया जा रहा है कि कांवड़ यात्रा के दौरान रूट बंद होने के कारण अभी से यह शराब स्टॉक के लिए लाई जा रही थी। सूचना पर STF टीम ने पहले ही पकड़ लिया। हिमाचल प्रदेश से ट्रक भरकर शराब लाई गई थी, जिसकी सप्लाई दिल्ली, एनसीआर, पश्चिमी यूपी सहित बिहार में होनी थी। 4 लोगों को अरेस्ट किया गया हापुड़ के पिलखुवा थाने में इसका मुकदमा दर्ज किया है, मौके से एसटीएफ ने 4 लोगों को अरेस्ट किया है। एसटीएफ मेरठ के एएसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया-एसटीएफ टीम को सूचना मिली थी कि अवैध तरीके से शराब की सप्लाई की जा रही है। ट्रक हापुड़ की तरफ से जा रहा है। सूचना पर टीम मौके पर गई। तो हापुड़ पिलखुवा में हिमांचल की तरफ से एक ट्रक आ रहा था। इसमें शराब की 500 पेटी थी। इसमें 24हजार क्वार्टर थे। जिनकी कीमत 30 लाख रुपए के करीब है। यह शराब हिमाचल प्रदेश से बिहार ले जाए जा रही थी। संभवत कावड़ यात्रा के दौरान यातायात बंद होने की वजह से शराब का स्टॉक किया जा रहा था। हिमाचल के व्यक्ति का नाम आ रहा सामने बाजार में एक क्वार्टर की कीमत 125 रुपए से 150 रुपए के बीच है। इसे 250 तक में बेचने की तैयारी थी। पिलखुवा थाने में मुकदमा लिखा गया है। अभी तक की पूछताछ में आरोपियों ने हिमांचल के सिरमौर निवासी व्यक्ति पंकज का नाम लिया है। आगे की पूछताछ, जांच की जा रही है। पकड़े गए आरोपी सतनाम और सुरजीत निवासी तरनतारन पंजाब हैं। अरविंद और जगत निवासी मुजफ्फपुर बिहार हैं।