हिमाचल में कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई है। सुक्खू सरकार अपना ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। ऐसे में अब कैबिनेट में खाली पड़े एक पद के लिए लॉबिंग तेज हो गई है। सुंदर सिंह ठाकुर, कुलदीप पठानिया, संजय रत्न और आशीष बुटेल में से किसी एक का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। इस पर अंतिम फैसला राहुल गांधी लेंगे। नए मंत्री की ताजपोशी क्षेत्रीय व जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। इस बीच एक-दो मंत्रियों को भी मंत्रिमंडल से ड्रॉप करने की चर्चाएं है, क्योंकि अकेले शिमला संसदीय क्षेत्र से 11 में से 5 मंत्री सुक्खू कैबिनेट में है। इस वजह से कांगड़ा और मंडी पर्लियामेंट को पूरा हक नहीं मिल पाया। हालांकि मंडी संसदीय क्षेत्र से जगत सिंह नेगी मंत्री है। मगर वह ट्राइबल कोटे से मिनिस्टर हैं। इस लिहाज से सुक्खू सरकार में मंडी पर्लियामेंट से कोई भी मंत्री नहीं है। इस वजह से मंडी लोकसभा में पड़ने वाले कुल्लू से विधायक सुंदर सिंह ठाकुर के मंत्री बनने की संभावना सबसे ज्यादा है। मंत्री ड्रॉप हुआ तो इनमें से किसी एक की खुलेगी किस्मत वहीं विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, संजय रत्न और आशीष बुटेल का नाम भी चर्चा में आया है। इन तीनों में से कोई एक मंत्री तभी बनेगा यदि मंत्रिमंडल से किसी को ड्रॉप किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि धनीराम शांडिल को कैबिनेट से ड्रॉप किया जा सकता हैं और उनके बेटे की सरकार के किसी बोर्ड-निगम में ताजपोशी की जा सकती है। कुलदीप पठानिया को मिल सकता है सरकार बचाने का इनाम अगर शांडिल को ड्रॉप किया गया तो कुलदीप पठानिया के मंत्री बनने की संभावनाएं काफी ज्यादा है, क्योंकि राज्यसभा चुनाव के दौरान सियासी उथल पुथल के बीच पठानिया ने सूझबूझ वाले फैसले देकर सुक्खू सरकार से संकट टाला था। कुलदीप पठानिया चंबा के भटियात से पांचवीं बार विधायक बने हैं। पठानिया मंत्री बने तो संजय रत्न बनाए जा सकते हैं स्पीकर सूत्रों की माने तो कुलदीप पठानिया यदि मंत्री बने तो संजय रत्न को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। पठानिया मंत्री नहीं बने तो आशीष बुटेल को भी मंत्री पद मिल सकता है। इससे सत्ता की चाबी तय करने वाले एवं 15 सीटों वाले कांगड़ा जिला को तीसरा मंत्री मिल जाएगा। पूर्व में अब तक की ज्यादातर सरकारों में कांगड़ा से तीन मंत्री बनाए जाते रहे है। अवस्थी की ताजपोशी में क्षेत्रीय समीकरण आ रहे आड़े चर्चा में सीएम सुक्खू के सबसे करीबी संजय अवस्थी का नाम भी है। मगर अवस्थी की ताजपोशी में क्षेत्रीय समीकरण आड़े आ सकते हैं, क्योंकि शिमला संसदीय क्षेत्र से पहले ही 5 मंत्री है। पोर्टफोलियो में भी बदलाव होगा कैबिनेट से यदि किसी को ड्रॉप किया गया तो पोर्टफोलियो में भी बड़े स्तर पर बदलाव तय माना जा रहा है। अच्छी परफॉर्मेंस नहीं करने वाले मंत्रियों से कुछ विभाग वापस लेकर दूसरे व नए मंत्रियों को दिए जा सकते हैं। राहुल गांधी ने संज्ञान हिमाचल कांग्रेस में इन दिनों अंदरखाते घमासान छिड़ा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चयन और कैबिनेट विस्तार है। कांग्रेस की गुटबाजी और मंत्रियों के बीते दिनों सोशल मीडिया पोस्ट की लड़ाई पर राहुल गांधी ने संज्ञान लिया है। इस गुटबाजी को देखते हुए राहुल ने बीते 8 मई को भी हिमाचल सीएम समेत सभी मंत्री, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व में अध्यक्ष रहे सभी नेताओं को दिल्ली तलब कर दिया था। मगर भारत-पाक के बीच तनाव की वजह से मीटिंग को पोस्टपोन किया गया था। अब राहुल गांधी इसी सप्ताह दिल्ली में हिमाचल कांग्रेस नेताओं के साथ यह मीटिंग कर सकते हैं। इसमें कैबिनेट विस्तार को लेकर भी राहुल गांधी ही अंतिम फैसला कर सकते हैं। हिमाचल में कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई है। सुक्खू सरकार अपना ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। ऐसे में अब कैबिनेट में खाली पड़े एक पद के लिए लॉबिंग तेज हो गई है। सुंदर सिंह ठाकुर, कुलदीप पठानिया, संजय रत्न और आशीष बुटेल में से किसी एक का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। इस पर अंतिम फैसला राहुल गांधी लेंगे। नए मंत्री की ताजपोशी क्षेत्रीय व जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। इस बीच एक-दो मंत्रियों को भी मंत्रिमंडल से ड्रॉप करने की चर्चाएं है, क्योंकि अकेले शिमला संसदीय क्षेत्र से 11 में से 5 मंत्री सुक्खू कैबिनेट में है। इस वजह से कांगड़ा और मंडी पर्लियामेंट को पूरा हक नहीं मिल पाया। हालांकि मंडी संसदीय क्षेत्र से जगत सिंह नेगी मंत्री है। मगर वह ट्राइबल कोटे से मिनिस्टर हैं। इस लिहाज से सुक्खू सरकार में मंडी पर्लियामेंट से कोई भी मंत्री नहीं है। इस वजह से मंडी लोकसभा में पड़ने वाले कुल्लू से विधायक सुंदर सिंह ठाकुर के मंत्री बनने की संभावना सबसे ज्यादा है। मंत्री ड्रॉप हुआ तो इनमें से किसी एक की खुलेगी किस्मत वहीं विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, संजय रत्न और आशीष बुटेल का नाम भी चर्चा में आया है। इन तीनों में से कोई एक मंत्री तभी बनेगा यदि मंत्रिमंडल से किसी को ड्रॉप किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि धनीराम शांडिल को कैबिनेट से ड्रॉप किया जा सकता हैं और उनके बेटे की सरकार के किसी बोर्ड-निगम में ताजपोशी की जा सकती है। कुलदीप पठानिया को मिल सकता है सरकार बचाने का इनाम अगर शांडिल को ड्रॉप किया गया तो कुलदीप पठानिया के मंत्री बनने की संभावनाएं काफी ज्यादा है, क्योंकि राज्यसभा चुनाव के दौरान सियासी उथल पुथल के बीच पठानिया ने सूझबूझ वाले फैसले देकर सुक्खू सरकार से संकट टाला था। कुलदीप पठानिया चंबा के भटियात से पांचवीं बार विधायक बने हैं। पठानिया मंत्री बने तो संजय रत्न बनाए जा सकते हैं स्पीकर सूत्रों की माने तो कुलदीप पठानिया यदि मंत्री बने तो संजय रत्न को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। पठानिया मंत्री नहीं बने तो आशीष बुटेल को भी मंत्री पद मिल सकता है। इससे सत्ता की चाबी तय करने वाले एवं 15 सीटों वाले कांगड़ा जिला को तीसरा मंत्री मिल जाएगा। पूर्व में अब तक की ज्यादातर सरकारों में कांगड़ा से तीन मंत्री बनाए जाते रहे है। अवस्थी की ताजपोशी में क्षेत्रीय समीकरण आ रहे आड़े चर्चा में सीएम सुक्खू के सबसे करीबी संजय अवस्थी का नाम भी है। मगर अवस्थी की ताजपोशी में क्षेत्रीय समीकरण आड़े आ सकते हैं, क्योंकि शिमला संसदीय क्षेत्र से पहले ही 5 मंत्री है। पोर्टफोलियो में भी बदलाव होगा कैबिनेट से यदि किसी को ड्रॉप किया गया तो पोर्टफोलियो में भी बड़े स्तर पर बदलाव तय माना जा रहा है। अच्छी परफॉर्मेंस नहीं करने वाले मंत्रियों से कुछ विभाग वापस लेकर दूसरे व नए मंत्रियों को दिए जा सकते हैं। राहुल गांधी ने संज्ञान हिमाचल कांग्रेस में इन दिनों अंदरखाते घमासान छिड़ा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चयन और कैबिनेट विस्तार है। कांग्रेस की गुटबाजी और मंत्रियों के बीते दिनों सोशल मीडिया पोस्ट की लड़ाई पर राहुल गांधी ने संज्ञान लिया है। इस गुटबाजी को देखते हुए राहुल ने बीते 8 मई को भी हिमाचल सीएम समेत सभी मंत्री, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व में अध्यक्ष रहे सभी नेताओं को दिल्ली तलब कर दिया था। मगर भारत-पाक के बीच तनाव की वजह से मीटिंग को पोस्टपोन किया गया था। अब राहुल गांधी इसी सप्ताह दिल्ली में हिमाचल कांग्रेस नेताओं के साथ यह मीटिंग कर सकते हैं। इसमें कैबिनेट विस्तार को लेकर भी राहुल गांधी ही अंतिम फैसला कर सकते हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
