बदायूं के शहीद जवान मोहित राठौड़ का शव उनके घर पहुंचा। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शुक्रवार रात आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से मोहित शहीद हो गए थे। 20 दिन पहले कश्मीर में पोस्टिंग हुई थी। गर्भवती पत्नी और बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी शव देखकर बार-बार बेहोश हो जा रही है। सवानगर गांव से 6 किलोमीटर पहले इस्लामनगर से शुरू हुई शवयात्रा में 50 हजार लोग शामिल हुए। लोगों ने जब तक सूरज चांद रहेगा मोहित तेरा नाम रहेगा, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। शव सवानगर गांव पहुंचा तो बेटे को ताबूत में देखकर पिता फफक कर रो पड़े। परिवार और रिश्तेदार उनको ढांढस बंधाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। डीएम निधि श्रीवास्तव व एसएसपी डॉ. ब्रजेश सिंह समेत कई अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना और पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। बिल्सी तहसील क्षेत्र के थाना इस्लामनगर इलाके के सवानगर गांव निवासी किसान नत्थू सिंह के इकलौते बेटे मोहित साल 2017 में आर्मी में भर्ती हुए थे। मोहित राठौर तीन बहनों के अकेले भाई थे। डेढ़ वर्ष पहले उनकी शादी हुई थी। उनके कोई बच्चा नहीं है। पत्नी गर्भवती है। मोहित की मां कलावती का 12 वर्ष पहले देहांत हो गया था। परिवारवालों के मुताबिक उन्हें मोहित के किसी दोस्त ने फोन कर घटना की सूचना दी। बाद में सेना की तरफ से उनके शहीद होने की खबर मिली। जवान के बहनोई उपेंद्र सिंह ने बताया- शुक्रवार रात करीब दो बजे अचानक आतंकवादियों ने मोहित की टुकड़ी पर हमला कर दिया। पहले एक आतंकवादी उनके कैंप में अफसर की गर्दन काटने के लिए घुसा था, लेकिन कुत्ते के भौंकने से पीछे लौट गया। कुछ देर बाद दूसरे ने ग्रेनेड फेंका, जिससे सभी जवान अलर्ट हो गए। मोहित को सात गोलियां लगी
मोहित अपना असलहा लेकर निकल रहे थे। तभी गोली लगने से वह जमीन पर गिर गए। सुबह छह बजे तक मुठभेड़ चलती रही। बाद में पता चला कि मोहित को सात गोलियां लगी थीं। दोपहर के समय जम्मू में उनका पोस्टमॉर्टम कराया गया। उसके बाद शनिवार शाम को उनका पार्थिव शरीर बरेली लाया गया। रविवार सुबह बरेली से सेना की यूनिट उन्हें गांव अपने साथ लेकर पहुंचीं। सलामी देने के बाद उन्हें गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। 20 दिन पहले ही कश्मीर में हुई पोस्टिंग
उपेंद्र सिंह ने बताया- हम दोनों लोग राजस्थान में तैनात थे। इसी साल जनवरी में मोहित जम्मू कश्मीर के जिला कुपवाड़ा जिले में 57 आरआर यूनिट में शामिल हो गए। उनकी 25 जुलाई को मोहित से बात हुई थी। तब उन्होंने बताया कि उनकी रात के समय फायरिंग अच्छी है, जिससे उन्हें घातक प्लाटून में शामिल कर लिया गया है। अब उन्हें 100 दिनों की नहीं बल्कि 120 दिन का अवकाश मिलेगा। उन्होंने कहा था कि वह नवंबर में गांव आएंगे। बुढ़ापे का सहारा छिना
पिता नत्थू सिंह का मोहित आखिरी सहारा थे। क्योंकि नत्थू सिंह की पत्नी कलावती की कई साल पहले मौत हो चुकी है। अब बेटे का भी साथ छूट गया। मोहित की दो बहनों की शादी हो चुकी है। पिता ने बताया- फौज में नौकरी मिल जाने के बाद वह आश्वस्त करके गया था कि पापा, बहन की शादी की चिंता मत करना। शादी की पूरी जिम्मेदारी हम उठाएंगे, वापस लौटकर रिश्ता पक्का कर देंगे। बेटे की बात याद करके पूरा परिवार फफक कर रो रहा है। दिवाली पर आने का किया था वादा
परिजनों के मुताबिक, मोहित ने दिवाली पर आने का वादा किया था। फरवरी में वह वापस ड्यूटी पर गए थे। परिवार को दिवाली का पर्व मोहित के साथ मनाने का इंतजार था। यह भी कहा था कि छुट्टी मिलने की पूरी उम्मीद है, लेकिन इससे पहले ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। फौजियों का गांव है सवानगर
मोहित के चचेरे भाई फौजी दीपक रजौरी में तैनात हैं। परिवार के संतोष कुमार, ऋषिपाल और हरकेश भी सेना में हैं। गांव के 12 अन्य लोग फौज में सैनिक हैं। दो युवा अग्निवीर हैं, सात लोग पुलिस में, दो पीएसी में और दो युवतियां पुलिस में हैं। एसएचओ इस्लामनगर हरेंद्र सिंह ने बताया कि शहीद मोहिता का शव रविवार सुबह गांव पहुंचा। दोपहर को सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। ये भी पढ़ें… आतंकियों से मुठभेड़ में यूपी का जवान शहीद:हाथरस में पिता ने कहा-हमें गर्व है ; 4 साल पहले हुई थी शादी यूपी के हाथरस का जवान जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गया। सुभाष चंद्र 7-जाट रेजिमेंट में तैनात थे। सोमवार देर रात करीब ढाई बजे राजौरी में आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी। मंगलवार को प्रशासन की एक टीम सहपऊ कोतवाली क्षेत्र के गांव नगला मनी पहुंची और परिवार को शहादत की सूचना दी। पढ़ें पूरी खबर… बदायूं के शहीद जवान मोहित राठौड़ का शव उनके घर पहुंचा। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शुक्रवार रात आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से मोहित शहीद हो गए थे। 20 दिन पहले कश्मीर में पोस्टिंग हुई थी। गर्भवती पत्नी और बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी शव देखकर बार-बार बेहोश हो जा रही है। सवानगर गांव से 6 किलोमीटर पहले इस्लामनगर से शुरू हुई शवयात्रा में 50 हजार लोग शामिल हुए। लोगों ने जब तक सूरज चांद रहेगा मोहित तेरा नाम रहेगा, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। शव सवानगर गांव पहुंचा तो बेटे को ताबूत में देखकर पिता फफक कर रो पड़े। परिवार और रिश्तेदार उनको ढांढस बंधाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। डीएम निधि श्रीवास्तव व एसएसपी डॉ. ब्रजेश सिंह समेत कई अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना और पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। बिल्सी तहसील क्षेत्र के थाना इस्लामनगर इलाके के सवानगर गांव निवासी किसान नत्थू सिंह के इकलौते बेटे मोहित साल 2017 में आर्मी में भर्ती हुए थे। मोहित राठौर तीन बहनों के अकेले भाई थे। डेढ़ वर्ष पहले उनकी शादी हुई थी। उनके कोई बच्चा नहीं है। पत्नी गर्भवती है। मोहित की मां कलावती का 12 वर्ष पहले देहांत हो गया था। परिवारवालों के मुताबिक उन्हें मोहित के किसी दोस्त ने फोन कर घटना की सूचना दी। बाद में सेना की तरफ से उनके शहीद होने की खबर मिली। जवान के बहनोई उपेंद्र सिंह ने बताया- शुक्रवार रात करीब दो बजे अचानक आतंकवादियों ने मोहित की टुकड़ी पर हमला कर दिया। पहले एक आतंकवादी उनके कैंप में अफसर की गर्दन काटने के लिए घुसा था, लेकिन कुत्ते के भौंकने से पीछे लौट गया। कुछ देर बाद दूसरे ने ग्रेनेड फेंका, जिससे सभी जवान अलर्ट हो गए। मोहित को सात गोलियां लगी
मोहित अपना असलहा लेकर निकल रहे थे। तभी गोली लगने से वह जमीन पर गिर गए। सुबह छह बजे तक मुठभेड़ चलती रही। बाद में पता चला कि मोहित को सात गोलियां लगी थीं। दोपहर के समय जम्मू में उनका पोस्टमॉर्टम कराया गया। उसके बाद शनिवार शाम को उनका पार्थिव शरीर बरेली लाया गया। रविवार सुबह बरेली से सेना की यूनिट उन्हें गांव अपने साथ लेकर पहुंचीं। सलामी देने के बाद उन्हें गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। 20 दिन पहले ही कश्मीर में हुई पोस्टिंग
उपेंद्र सिंह ने बताया- हम दोनों लोग राजस्थान में तैनात थे। इसी साल जनवरी में मोहित जम्मू कश्मीर के जिला कुपवाड़ा जिले में 57 आरआर यूनिट में शामिल हो गए। उनकी 25 जुलाई को मोहित से बात हुई थी। तब उन्होंने बताया कि उनकी रात के समय फायरिंग अच्छी है, जिससे उन्हें घातक प्लाटून में शामिल कर लिया गया है। अब उन्हें 100 दिनों की नहीं बल्कि 120 दिन का अवकाश मिलेगा। उन्होंने कहा था कि वह नवंबर में गांव आएंगे। बुढ़ापे का सहारा छिना
पिता नत्थू सिंह का मोहित आखिरी सहारा थे। क्योंकि नत्थू सिंह की पत्नी कलावती की कई साल पहले मौत हो चुकी है। अब बेटे का भी साथ छूट गया। मोहित की दो बहनों की शादी हो चुकी है। पिता ने बताया- फौज में नौकरी मिल जाने के बाद वह आश्वस्त करके गया था कि पापा, बहन की शादी की चिंता मत करना। शादी की पूरी जिम्मेदारी हम उठाएंगे, वापस लौटकर रिश्ता पक्का कर देंगे। बेटे की बात याद करके पूरा परिवार फफक कर रो रहा है। दिवाली पर आने का किया था वादा
परिजनों के मुताबिक, मोहित ने दिवाली पर आने का वादा किया था। फरवरी में वह वापस ड्यूटी पर गए थे। परिवार को दिवाली का पर्व मोहित के साथ मनाने का इंतजार था। यह भी कहा था कि छुट्टी मिलने की पूरी उम्मीद है, लेकिन इससे पहले ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। फौजियों का गांव है सवानगर
मोहित के चचेरे भाई फौजी दीपक रजौरी में तैनात हैं। परिवार के संतोष कुमार, ऋषिपाल और हरकेश भी सेना में हैं। गांव के 12 अन्य लोग फौज में सैनिक हैं। दो युवा अग्निवीर हैं, सात लोग पुलिस में, दो पीएसी में और दो युवतियां पुलिस में हैं। एसएचओ इस्लामनगर हरेंद्र सिंह ने बताया कि शहीद मोहिता का शव रविवार सुबह गांव पहुंचा। दोपहर को सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। ये भी पढ़ें… आतंकियों से मुठभेड़ में यूपी का जवान शहीद:हाथरस में पिता ने कहा-हमें गर्व है ; 4 साल पहले हुई थी शादी यूपी के हाथरस का जवान जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गया। सुभाष चंद्र 7-जाट रेजिमेंट में तैनात थे। सोमवार देर रात करीब ढाई बजे राजौरी में आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी। मंगलवार को प्रशासन की एक टीम सहपऊ कोतवाली क्षेत्र के गांव नगला मनी पहुंची और परिवार को शहादत की सूचना दी। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर