गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। 29 अप्रैल, 2023 को गाजीपुर MP-MLA कोर्ट ने अफजाल को 4 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने कहा – सरकार का पक्ष रखते हुए वकील अपराध साबित नहीं कर पाए। विधायक कृष्णानंद राय मर्डर केस के आधार पर मुहम्मदाबाद थाने में गैंगस्टर एक्ट का केस दर्ज किया गया। दिल्ली ट्रायल कोर्ट ने इसमें अफजाल को पहले ही बरी कर दिया था। मूल केस में बरी अफजाल को उसी केस पर आधारित नए केस में भी बरी होने का अधिकार है। कोर्ट ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के फरहाना केस के विधि सिद्धांत को आधार माना। कोर्ट ने यह भी कहा- अंसारी पहले से जमानत पर हैं, ऐसे में उन्हें समर्पण करने की जरूरत नहीं। पहले 5 पॉइंट, जिनके आधार पर अफजाल को सजा मिली… अफजाल के वकील का तर्क बोले- विवेचक ने खुद माना, 4 साल में उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं
अफजाल अंसारी की ओर से वकील गोपाल चतुर्वेदी और डीएस मिश्रा ने कहा – पुलिस ने जो गैंग का चार्ट बनाया है, उसमें कई सदस्य दिख रहे हैं। लेकिन गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई सिर्फ 3 लोगों पर की गई। ट्रायल कोर्ट में विवेचक के बयान से यह साफ है कि ऐसा राजनीतिक कारणों से किया गया। इसके अलावा जिस मूल मुकदमे के आधार पर अफजाल को गैंगस्टर एक्ट में सजा सुनाई गई, उस मामले में उन्हें बरी किया जा चुका है। गैंगस्टर एक्ट के इस मुकदमे के बाद उनके खिलाफ 2 ही मामले दर्ज हुए। वह भी 2009 और 2014 के चुनाव को लेकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम से जुड़े हैं। खुद विवेचक ने ट्रायल कोर्ट में बयान में कहा कि 4 साल तक वह मुहम्मदाबाद थाने के इंचार्ज रहे। अफजाल के खिलाफ मुकदमा तो क्या किसी ने छोटी-मोटी शिकायत भी नहीं की। ऐसे में अफजाल की सजा बढ़ाने का कोई सवाल ही नहीं होता। राजनीतिक कारण से दर्ज हुए मुकदमों में कानून के मुताबिक गैंगस्टर एक्ट लागू ही नहीं होता। इसलिए अफजाल को सुनाई गई सजा निरस्त की जानी चाहिए। सरकारी वकील के जवाब बोले- 70 साल की उम्र देखकर सजा कम देना गलत
इससे पहले राज्य सरकार की अपील पर अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव और अपर शासकीय अधिवक्ता जेके उपाध्याय ने अपनी बहस में कहा- ट्रायल कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में अफजाल अंसारी को कम सजा सुनाई है। ट्रायल कोर्ट ने ऐसा करने के पीछे अफजाल अंसारी की 70 साल की आयु और उनके 2 बार सांसद एवं कई बार विधायक चुने जाने के मद्देनजर किया है। जबकि कानून के मुताबिक ट्रायल कोर्ट को अभियुक्त की आयु उस समय की देखनी चाहिए थी, जब अपराध हुआ था। साथ ही ट्रायल कोर्ट ने अफजाल के सांसद एवं विधायक चुनने को भी कम सजा का आधार बनाया है। लेकिन यह भी उचित नहीं किया गया। क्योंकि जिन पर देश का भविष्य बनाने का दायित्व है, वह ही अगर अपराध करें तो उन्हें अधिकतम दंड दिया जाना चाहिए था। पीयूष राय के अधिवक्ता सुदिष्ट कुमार ने सरकार की ओर से प्रस्तुत तर्कों पर पूरी तरह सहमति जताई थी। अब 5 पॉइंट, जिनका अफजाल को फायदा मिला… अफजाल ने कहा – मेरे माथे पर साजिश का काला टीका लगाने की कोशिश हुई
कोर्ट का फैसला आने के बाद अफजाल अंसारी ने कहा- इन लोगों को गाजीपुर की जनता माफ नहीं करेगी। इस फैसले के बाद गरीबों की बस्ती में जाकर देखिए, सब कितने खुश हैं। वो डरे हुए थे। कल मेरा एक ऑडियो वायरल किया गया। किसी ने ये नहीं कहा कि सावन के सोमवार पर महादेव के मंदिर में जल चढ़ाने वालों ने मेरे लिए दुआ की। मैं आज गाजीपुर की जनता को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्हें 8 महीने से टॉर्चर किया जा रहा था कि अफजाल का साथ छोड़ दो। मेरे माथे पर साजिश का काला टीका लगाने का प्रयास हुआ, वो मिट गया है। मुझे इस पर गर्व है। कल से मैं संसद की कार्रवाई में शामिल हो जाऊंगा। अफजाल पर चले केस को सिलसिलेवार समझिए… 2005 में कृष्णानंद हत्या केस में गैंगस्टर लगा
2005 में तत्कालीन BJP विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद अफजाल पर गैंगस्टर एक्ट लगा था। गाजीपुर की MP-MLA कोर्ट ने गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी को 29 अप्रैल, 2023 को सजा सुनाई गई थी। 4 साल की जेल और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इस मामले में उनके छोटे भाई मुख्तार अंसारी को भी 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसी वजह से अफजाल को जेल जाना पड़ा और उनकी संसद सदस्यता निरस्त हो गई। इसके बाद अफजाल ने हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी। हाईकोर्ट से मिली थी जमानत
24 जुलाई, 2023 को हाईकोर्ट ने अफजाल को जमानत दे दी थी। लेकिन मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अफजाल को जेल से रिहा कर दिया गया। मगर उनकी संसद सदस्यता बहाल नहीं हुई। इसके अलावा, वह भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए, क्योंकि उन्हें दी गई सजा 2 साल से ज्यादा थी। सुप्रीम कोर्ट से बहाल हुई थी सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उनकी सजा पर रोक लगा दी, जिस वजह से उनकी सदस्यता बहाल हो गई और वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भी पात्र हो गए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को सुनवाई में तेजी लाने और 30 जून तक मामले का फैसला करने का निर्देश दिया था। इसके बाद अफजाल अंसारी ने 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा और गाजीपुर सीट से सांसद बन गए। सपा सांसद अफजाल अंसारी की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 4 जुलाई, 2024 को फैसला सुरक्षित रखा था। 29 जुलाई को हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद MP-MLA कोर्ट गाजीपुर का फैसला पलट दिया। अफजाल अंसारी 2024 में चुनाव जीते और सांसद बने 7 पॉइंट में अफजाल का पॉलिटिकल करियर समझें गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। 29 अप्रैल, 2023 को गाजीपुर MP-MLA कोर्ट ने अफजाल को 4 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने कहा – सरकार का पक्ष रखते हुए वकील अपराध साबित नहीं कर पाए। विधायक कृष्णानंद राय मर्डर केस के आधार पर मुहम्मदाबाद थाने में गैंगस्टर एक्ट का केस दर्ज किया गया। दिल्ली ट्रायल कोर्ट ने इसमें अफजाल को पहले ही बरी कर दिया था। मूल केस में बरी अफजाल को उसी केस पर आधारित नए केस में भी बरी होने का अधिकार है। कोर्ट ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के फरहाना केस के विधि सिद्धांत को आधार माना। कोर्ट ने यह भी कहा- अंसारी पहले से जमानत पर हैं, ऐसे में उन्हें समर्पण करने की जरूरत नहीं। पहले 5 पॉइंट, जिनके आधार पर अफजाल को सजा मिली… अफजाल के वकील का तर्क बोले- विवेचक ने खुद माना, 4 साल में उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं
अफजाल अंसारी की ओर से वकील गोपाल चतुर्वेदी और डीएस मिश्रा ने कहा – पुलिस ने जो गैंग का चार्ट बनाया है, उसमें कई सदस्य दिख रहे हैं। लेकिन गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई सिर्फ 3 लोगों पर की गई। ट्रायल कोर्ट में विवेचक के बयान से यह साफ है कि ऐसा राजनीतिक कारणों से किया गया। इसके अलावा जिस मूल मुकदमे के आधार पर अफजाल को गैंगस्टर एक्ट में सजा सुनाई गई, उस मामले में उन्हें बरी किया जा चुका है। गैंगस्टर एक्ट के इस मुकदमे के बाद उनके खिलाफ 2 ही मामले दर्ज हुए। वह भी 2009 और 2014 के चुनाव को लेकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम से जुड़े हैं। खुद विवेचक ने ट्रायल कोर्ट में बयान में कहा कि 4 साल तक वह मुहम्मदाबाद थाने के इंचार्ज रहे। अफजाल के खिलाफ मुकदमा तो क्या किसी ने छोटी-मोटी शिकायत भी नहीं की। ऐसे में अफजाल की सजा बढ़ाने का कोई सवाल ही नहीं होता। राजनीतिक कारण से दर्ज हुए मुकदमों में कानून के मुताबिक गैंगस्टर एक्ट लागू ही नहीं होता। इसलिए अफजाल को सुनाई गई सजा निरस्त की जानी चाहिए। सरकारी वकील के जवाब बोले- 70 साल की उम्र देखकर सजा कम देना गलत
इससे पहले राज्य सरकार की अपील पर अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव और अपर शासकीय अधिवक्ता जेके उपाध्याय ने अपनी बहस में कहा- ट्रायल कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में अफजाल अंसारी को कम सजा सुनाई है। ट्रायल कोर्ट ने ऐसा करने के पीछे अफजाल अंसारी की 70 साल की आयु और उनके 2 बार सांसद एवं कई बार विधायक चुने जाने के मद्देनजर किया है। जबकि कानून के मुताबिक ट्रायल कोर्ट को अभियुक्त की आयु उस समय की देखनी चाहिए थी, जब अपराध हुआ था। साथ ही ट्रायल कोर्ट ने अफजाल के सांसद एवं विधायक चुनने को भी कम सजा का आधार बनाया है। लेकिन यह भी उचित नहीं किया गया। क्योंकि जिन पर देश का भविष्य बनाने का दायित्व है, वह ही अगर अपराध करें तो उन्हें अधिकतम दंड दिया जाना चाहिए था। पीयूष राय के अधिवक्ता सुदिष्ट कुमार ने सरकार की ओर से प्रस्तुत तर्कों पर पूरी तरह सहमति जताई थी। अब 5 पॉइंट, जिनका अफजाल को फायदा मिला… अफजाल ने कहा – मेरे माथे पर साजिश का काला टीका लगाने की कोशिश हुई
कोर्ट का फैसला आने के बाद अफजाल अंसारी ने कहा- इन लोगों को गाजीपुर की जनता माफ नहीं करेगी। इस फैसले के बाद गरीबों की बस्ती में जाकर देखिए, सब कितने खुश हैं। वो डरे हुए थे। कल मेरा एक ऑडियो वायरल किया गया। किसी ने ये नहीं कहा कि सावन के सोमवार पर महादेव के मंदिर में जल चढ़ाने वालों ने मेरे लिए दुआ की। मैं आज गाजीपुर की जनता को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्हें 8 महीने से टॉर्चर किया जा रहा था कि अफजाल का साथ छोड़ दो। मेरे माथे पर साजिश का काला टीका लगाने का प्रयास हुआ, वो मिट गया है। मुझे इस पर गर्व है। कल से मैं संसद की कार्रवाई में शामिल हो जाऊंगा। अफजाल पर चले केस को सिलसिलेवार समझिए… 2005 में कृष्णानंद हत्या केस में गैंगस्टर लगा
2005 में तत्कालीन BJP विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद अफजाल पर गैंगस्टर एक्ट लगा था। गाजीपुर की MP-MLA कोर्ट ने गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी को 29 अप्रैल, 2023 को सजा सुनाई गई थी। 4 साल की जेल और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इस मामले में उनके छोटे भाई मुख्तार अंसारी को भी 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसी वजह से अफजाल को जेल जाना पड़ा और उनकी संसद सदस्यता निरस्त हो गई। इसके बाद अफजाल ने हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी। हाईकोर्ट से मिली थी जमानत
24 जुलाई, 2023 को हाईकोर्ट ने अफजाल को जमानत दे दी थी। लेकिन मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अफजाल को जेल से रिहा कर दिया गया। मगर उनकी संसद सदस्यता बहाल नहीं हुई। इसके अलावा, वह भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए, क्योंकि उन्हें दी गई सजा 2 साल से ज्यादा थी। सुप्रीम कोर्ट से बहाल हुई थी सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उनकी सजा पर रोक लगा दी, जिस वजह से उनकी सदस्यता बहाल हो गई और वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भी पात्र हो गए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को सुनवाई में तेजी लाने और 30 जून तक मामले का फैसला करने का निर्देश दिया था। इसके बाद अफजाल अंसारी ने 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा और गाजीपुर सीट से सांसद बन गए। सपा सांसद अफजाल अंसारी की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 4 जुलाई, 2024 को फैसला सुरक्षित रखा था। 29 जुलाई को हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद MP-MLA कोर्ट गाजीपुर का फैसला पलट दिया। अफजाल अंसारी 2024 में चुनाव जीते और सांसद बने 7 पॉइंट में अफजाल का पॉलिटिकल करियर समझें उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर