यूपी के गहमर गांव के हर दूसरे घर में फौजी:देश के सबसे बड़े गांव से 20 हजार लोग सेना में; 15 हजार हो चुके रिटायर

यूपी के गहमर गांव के हर दूसरे घर में फौजी:देश के सबसे बड़े गांव से 20 हजार लोग सेना में; 15 हजार हो चुके रिटायर

यूपी की राजधानी लखनऊ से 370 किमी दूर देश का सबसे बड़ा गांव गहमर देश प्रेम के लिए जाना जाता है। गाजीपुर जिले के 1.35 लाख की आबादी वाले गांव के हर दूसरे घर से कोई न कोई सेना में है। गांव का हर लड़का सोते-जागते फौज के बारे में ही सोचता है। इस गांव ने 30 हजार से ज्यादा सैनिक और सैन्य अधिकारी ​दिए हैं। अभी गांव के 15 से 20 हजार लोग सेना में हैं। 15 हजार रिटायर्ड फौजी हैं। गांव के 42 लोग लेफ्टिनेंट से ब्रिगेडियर तक पहुंचे, 35 आर्मी में कर्नल हैं। गांव 22 टोले में बंटा है। हर टोला किसी सैनिक के नाम पर है। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर गांव के मठिया मैदान पहुंचे। उन्होंने देखा, कई युवा खुद को ट्रेन कर रहे हैं। इनमें अंशु और साकिब भी हैं। वे वार्मअप कर रहे हैं। दोनों का लक्ष्य एक ही है, सेना में भर्ती होना। साकिब के पांव में मोच है। क्रेप बैंडेज बंधा है, लेकिन दौड़ने के लिए जूते बांध रहे हैं। कहते हैं- पिता शह‍ंशाह और चाचा कादिर खान सेना में थे। मेरा भी सपना वर्दी पहनने का है। मठिया मैदान… यहां जो​ दिल से दौड़ा, वो सेना में पहुंचा
गांव के फौजियों ने मठिया मैदान में 1600 मीटर का ट्रैक बनाया है। कहा जाता है कि इस ट्रैक पर जो युवा दिल से दौड़ा, सिलेक्ट हुआ। इसी मैदान पर दौड़े गहमर के 12 हजार युवा अभी आर्मी में हैं। 22 साल के आयुष कहते हैं- ट्रेनिंग के दौरान जितनी तरह की बाधा की ट्रेनिंग दी जाती है, सारी यहां हैं। 83 साल के पहलवान बली सिंह युवाओं को ट्रेन कर रहे
83 साल के पहलवान बली सिंह रोज मैदान में ट्रेनिंग देने पहुंच जाते हैं। गांव के किशोर सुबह 4 बजे मैदान में पहुंच जाते हैं। 7-8 बजे तक ट्रेनिंग चलती है। फिर शाम में 6 से रात के 8-9 बजे तक ट्रेनिंग चलती है। मैदान में बड़े-बड़े हैलोजन लाइट भी लगाए गए हैं। मान्यता है, गांव के फौजियों की मां कामाख्या रक्षा करती हैं
गहमर के फौजियों ने 1962, 65, 71 और कारगिल युद्ध में भी दुश्मनों के दांत खट्‌टे किए हैं। लेकिन गांव का कोई फौजी, चाहे कितना भी घायल हो, आमने-सामने की लड़ाई में शहीद नहीं हुआ। पूर्व सैनिक सेवा समिति के अध्यक्ष मार्कंडेय सिंह कहते हैं- हम पर मां कामाख्या का आशीर्वाद है। वह जंग के मैदान में हमारी रक्षा करती हैं। राजस्थान के इस गांव को भी कहते हैं फौजियों का गांव
झुंझुनूं: धनूरी के 1200 घरों में 600 फौजी, भिर्र गांव के हर घर में फौजी राजस्थान के झुंझुनूं जिले के कई गांव फौजियों के गांव के नाम से मशहूर हैं। कई घरों में 3 से 4 पीढ़ियों के लोग सेना में हैं। धनूरी गांव के 1200 घरों ने देश को 600 से ज्यादा फौजी दिए हैं। गांव के 17 जवान शहीद भी हुए हैं। नुआं गांव के कैप्टन अयूब खान ने 1971 में पाकिस्तान के टैंक नष्ट किए थे। गांव ने अब तक 400 से ज्यादा सैनिक दिए हैं। जाकिर झुंझुनूंवाला बताते हैं- गांव की बेटी इशरत अहमद सेना में कर्नल हैं। 970 घरों वाले भिर्र गांव के हर घर में कोई न कोई फौजी है। इस गांव ने देश को 3200 से ज्यादा सैनिक दिए हैं। जबकि 2100 रिटायर्ड फौजी हैं। यह खबर भी पढ़ें केशव ने ली योगी के विभाग की बैठक:7 साल में पहली बार गृह विभाग के अफसरों से की बात सीएम योगी से चल रही खींचतान के बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने गृह विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। 7 साल के अपने डिप्टी सीएम के कार्यकाल में ऐसा पहली बार है, जब केशव ने गृह विभाग की बैठक ली। यह विभाग सीएम योगी के पास है। यहां पढ़ें पूरी खबर यूपी की राजधानी लखनऊ से 370 किमी दूर देश का सबसे बड़ा गांव गहमर देश प्रेम के लिए जाना जाता है। गाजीपुर जिले के 1.35 लाख की आबादी वाले गांव के हर दूसरे घर से कोई न कोई सेना में है। गांव का हर लड़का सोते-जागते फौज के बारे में ही सोचता है। इस गांव ने 30 हजार से ज्यादा सैनिक और सैन्य अधिकारी ​दिए हैं। अभी गांव के 15 से 20 हजार लोग सेना में हैं। 15 हजार रिटायर्ड फौजी हैं। गांव के 42 लोग लेफ्टिनेंट से ब्रिगेडियर तक पहुंचे, 35 आर्मी में कर्नल हैं। गांव 22 टोले में बंटा है। हर टोला किसी सैनिक के नाम पर है। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर गांव के मठिया मैदान पहुंचे। उन्होंने देखा, कई युवा खुद को ट्रेन कर रहे हैं। इनमें अंशु और साकिब भी हैं। वे वार्मअप कर रहे हैं। दोनों का लक्ष्य एक ही है, सेना में भर्ती होना। साकिब के पांव में मोच है। क्रेप बैंडेज बंधा है, लेकिन दौड़ने के लिए जूते बांध रहे हैं। कहते हैं- पिता शह‍ंशाह और चाचा कादिर खान सेना में थे। मेरा भी सपना वर्दी पहनने का है। मठिया मैदान… यहां जो​ दिल से दौड़ा, वो सेना में पहुंचा
गांव के फौजियों ने मठिया मैदान में 1600 मीटर का ट्रैक बनाया है। कहा जाता है कि इस ट्रैक पर जो युवा दिल से दौड़ा, सिलेक्ट हुआ। इसी मैदान पर दौड़े गहमर के 12 हजार युवा अभी आर्मी में हैं। 22 साल के आयुष कहते हैं- ट्रेनिंग के दौरान जितनी तरह की बाधा की ट्रेनिंग दी जाती है, सारी यहां हैं। 83 साल के पहलवान बली सिंह युवाओं को ट्रेन कर रहे
83 साल के पहलवान बली सिंह रोज मैदान में ट्रेनिंग देने पहुंच जाते हैं। गांव के किशोर सुबह 4 बजे मैदान में पहुंच जाते हैं। 7-8 बजे तक ट्रेनिंग चलती है। फिर शाम में 6 से रात के 8-9 बजे तक ट्रेनिंग चलती है। मैदान में बड़े-बड़े हैलोजन लाइट भी लगाए गए हैं। मान्यता है, गांव के फौजियों की मां कामाख्या रक्षा करती हैं
गहमर के फौजियों ने 1962, 65, 71 और कारगिल युद्ध में भी दुश्मनों के दांत खट्‌टे किए हैं। लेकिन गांव का कोई फौजी, चाहे कितना भी घायल हो, आमने-सामने की लड़ाई में शहीद नहीं हुआ। पूर्व सैनिक सेवा समिति के अध्यक्ष मार्कंडेय सिंह कहते हैं- हम पर मां कामाख्या का आशीर्वाद है। वह जंग के मैदान में हमारी रक्षा करती हैं। राजस्थान के इस गांव को भी कहते हैं फौजियों का गांव
झुंझुनूं: धनूरी के 1200 घरों में 600 फौजी, भिर्र गांव के हर घर में फौजी राजस्थान के झुंझुनूं जिले के कई गांव फौजियों के गांव के नाम से मशहूर हैं। कई घरों में 3 से 4 पीढ़ियों के लोग सेना में हैं। धनूरी गांव के 1200 घरों ने देश को 600 से ज्यादा फौजी दिए हैं। गांव के 17 जवान शहीद भी हुए हैं। नुआं गांव के कैप्टन अयूब खान ने 1971 में पाकिस्तान के टैंक नष्ट किए थे। गांव ने अब तक 400 से ज्यादा सैनिक दिए हैं। जाकिर झुंझुनूंवाला बताते हैं- गांव की बेटी इशरत अहमद सेना में कर्नल हैं। 970 घरों वाले भिर्र गांव के हर घर में कोई न कोई फौजी है। इस गांव ने देश को 3200 से ज्यादा सैनिक दिए हैं। जबकि 2100 रिटायर्ड फौजी हैं। यह खबर भी पढ़ें केशव ने ली योगी के विभाग की बैठक:7 साल में पहली बार गृह विभाग के अफसरों से की बात सीएम योगी से चल रही खींचतान के बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने गृह विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। 7 साल के अपने डिप्टी सीएम के कार्यकाल में ऐसा पहली बार है, जब केशव ने गृह विभाग की बैठक ली। यह विभाग सीएम योगी के पास है। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर