<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”UPSC” href=”https://www.abplive.com/topic/upsc” data-type=”interlinkingkeywords”>UPSC</a> Aspirants Case:</strong> दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग वाली याचिका पर आज (बुधवार, 31 जुलाई) हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ऐसा लगता है कि हम जंगल में रह रहे हैं. नियम कहते हैं कि एमसीडी और दूसरे विभाग अवैध निर्माण या सेफ्टी नियमों की अनदेखी के सामने आते ही कार्रवाई करें. क्या इन्हें कहीं अनियमितता दिखती ही नहीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वकील ने कहा, ”एक छात्र ने राजेंद्र नगर बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों की शिकायत की. 2 बार रिमाइंडर भी भेजे थे. लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>वकील ने कहा, ”मामले की उच्चस्तरीय जांच हो. यह भी देखा जाए कि शिकायत पर क्या कार्रवाई हुई? क्या शिकायत की जांच के लिए किसी अधिकारी को नियुक्त किया गया था? कोर्ट दिल्ली के हर जिले में अवैध निर्माण की जांच के लिए ज़िला लेवल कमेटी भी बनाए.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक दूसरे वकील ने कहा, ”कुछ दिनों पहले करंट लगने से एक छात्र मर गया था. लगातार लापरवाही हो रही है. भ्रष्टाचार से हर कोई पैसे बना रहा है. एमसीडी जानबूझकर सेफ्टी नियमों की उपेक्षा कर रही है.” वकील ने कहा कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमिटी बने. इसका विस्तार दिल्ली के हर जिले तक हो. अवैध पीजी चल रहे हैं. एक बिल्डिंग में 50-60 छात्र रह रहे हैं. हर इलाके के लिए एमसीडी के लोग तय हैं. यह खुला तथ्य है कि निर्माण के दौरान हर लेंटर के लिए वसूली होती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं दिल्ली सरकार के वकील ने कहा, ”नियम बने हुए हैं. उनके पालन की कोशिश की जाती है. बिल्डिंग के आधार पर ही कोचिंग को अनुमति मिलती है. फायर सेफ्टी के लिए इंस्पेक्शन होता है. हम कोचिंग संस्थानों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. 75 को नोटिस दिया. 35 बंद हुए, 25 को सील किया गया. कुछ दूसरी जगह शिफ्ट हुए.” इसपर याचिकाकर्ता ने कहा कि घटना के बाद अब कार्रवाई का दिखावा किया जा रहा है. पहले कुछ नहीं किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली सरकार ने इसपर कहा कि कई जांच कमिटी बनी हैं. उनकी रिपोर्ट से और जानकारी मिलेगी. यह सब की साझा ज़िम्मेदारी है. इस तरह की घटनाएं दुखद हैं</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बाद जज ने कहा कि समस्या यह है कि आपने सुविधाओं का ढांचा विकसित किए बिना बिल्डिंग बायलॉज में ढील दी. कई फ्लोर का निर्माण हो जाता है, लेकिन सरकार को जो सुविधाएं देनी होती है, वह नहीं दी जा रही. एमसीडी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं. लोगों को सुविधा क्या देगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>जज ने कहा, ”100 साल पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसे विकसित किए बिना बेहिसाब निर्माण होने दिया जा रहा है. पुलिस क्या जांच कर रही है? किसे पकड़ा अभी तक? क्या खुद पुलिस की जानकारी के बिना अवैध निर्माण हो जाते हैं, दूसरी गतिविधियां चलती हैं? सब के सब गेंद दूसरे के पाले में डालने में लगे हैं. क्या एमसीडी के अधिकारियों की भूमिका की जांच पुलिस कर रही है? इतना पानी वहां कैसे जमा हुआ?”</p> <p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”UPSC” href=”https://www.abplive.com/topic/upsc” data-type=”interlinkingkeywords”>UPSC</a> Aspirants Case:</strong> दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग वाली याचिका पर आज (बुधवार, 31 जुलाई) हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ऐसा लगता है कि हम जंगल में रह रहे हैं. नियम कहते हैं कि एमसीडी और दूसरे विभाग अवैध निर्माण या सेफ्टी नियमों की अनदेखी के सामने आते ही कार्रवाई करें. क्या इन्हें कहीं अनियमितता दिखती ही नहीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वकील ने कहा, ”एक छात्र ने राजेंद्र नगर बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों की शिकायत की. 2 बार रिमाइंडर भी भेजे थे. लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>वकील ने कहा, ”मामले की उच्चस्तरीय जांच हो. यह भी देखा जाए कि शिकायत पर क्या कार्रवाई हुई? क्या शिकायत की जांच के लिए किसी अधिकारी को नियुक्त किया गया था? कोर्ट दिल्ली के हर जिले में अवैध निर्माण की जांच के लिए ज़िला लेवल कमेटी भी बनाए.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक दूसरे वकील ने कहा, ”कुछ दिनों पहले करंट लगने से एक छात्र मर गया था. लगातार लापरवाही हो रही है. भ्रष्टाचार से हर कोई पैसे बना रहा है. एमसीडी जानबूझकर सेफ्टी नियमों की उपेक्षा कर रही है.” वकील ने कहा कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमिटी बने. इसका विस्तार दिल्ली के हर जिले तक हो. अवैध पीजी चल रहे हैं. एक बिल्डिंग में 50-60 छात्र रह रहे हैं. हर इलाके के लिए एमसीडी के लोग तय हैं. यह खुला तथ्य है कि निर्माण के दौरान हर लेंटर के लिए वसूली होती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं दिल्ली सरकार के वकील ने कहा, ”नियम बने हुए हैं. उनके पालन की कोशिश की जाती है. बिल्डिंग के आधार पर ही कोचिंग को अनुमति मिलती है. फायर सेफ्टी के लिए इंस्पेक्शन होता है. हम कोचिंग संस्थानों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. 75 को नोटिस दिया. 35 बंद हुए, 25 को सील किया गया. कुछ दूसरी जगह शिफ्ट हुए.” इसपर याचिकाकर्ता ने कहा कि घटना के बाद अब कार्रवाई का दिखावा किया जा रहा है. पहले कुछ नहीं किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली सरकार ने इसपर कहा कि कई जांच कमिटी बनी हैं. उनकी रिपोर्ट से और जानकारी मिलेगी. यह सब की साझा ज़िम्मेदारी है. इस तरह की घटनाएं दुखद हैं</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बाद जज ने कहा कि समस्या यह है कि आपने सुविधाओं का ढांचा विकसित किए बिना बिल्डिंग बायलॉज में ढील दी. कई फ्लोर का निर्माण हो जाता है, लेकिन सरकार को जो सुविधाएं देनी होती है, वह नहीं दी जा रही. एमसीडी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं. लोगों को सुविधा क्या देगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>जज ने कहा, ”100 साल पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसे विकसित किए बिना बेहिसाब निर्माण होने दिया जा रहा है. पुलिस क्या जांच कर रही है? किसे पकड़ा अभी तक? क्या खुद पुलिस की जानकारी के बिना अवैध निर्माण हो जाते हैं, दूसरी गतिविधियां चलती हैं? सब के सब गेंद दूसरे के पाले में डालने में लगे हैं. क्या एमसीडी के अधिकारियों की भूमिका की जांच पुलिस कर रही है? इतना पानी वहां कैसे जमा हुआ?”</p> दिल्ली NCR सीहोर: पनीर फैक्ट्री पर EOW का छापा, 25 सदस्यीय टीम कर रही जांच