शिरोमणि अकाली दल (SAD) से निकाले गए बागी नेताओं की आज चंडीगढ में मीटिंग हुई। यह मीटिंग SAD के सरपरस्त सुखदेव सिंह ढींढसा की अगुवाई में हुई। इस मौके ढींढसा ने कहा कि वह पार्टी के सरपरस्त होने के नाते 8 नेताओं को पार्टी से निकालने के इस फैसले को रद करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ संविधान के खिलाफ किया जा रहा है। इस मामले में सुखबीर सिंह बादल को पत्र लिखूंगा। उनसे इस मामले में जवाब मांगेंगे। पार्टी का प्रधान चुनने के लिए जनरल इजलास बुलाएंगे। जिसमें नया प्रधान चुना जाएगा। ढींढसा ने कहा कि वह आज तक लोगों के सामने नहीं आए थे, लेकिन मजबूरी में उन्हें यह फैसला लेना पड़ा है। झूंदा कमेटी ने की थी प्रधान बदलने की सिफारिश इस मौके गुरप्रताप वडाला और प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि, जब 2022 में लगातार शिरोमणि अकाली दल चुनाव हार रहा था तो उस समय झूंदा कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने सारे पंजाब में लोगों की राय ली थी। लोगों ने उस समय अकाली दल की लीडरशिप में बदलाव की सिफारिश की थी। सुखबीर बादल को पद त्यागना चाहिए। हम भी कमेटी की सिफारिश वाली बात कर रहे हैं। हम तो कमेटी के मुताबिक काम करने की बात कर रहे हैं। सुखबीर पर लगे आरोप गंभीर, प्रधान पद लायक नहीं दोनों नेताओं ने कहा कि हम लोग दो महीने से अकाली दल सुधार लहर चला रहे हैं। लेकिन जब प्रदीप कलेर ने गत दिवस सुखबीर बादल पर सवाल उठाया तो लोगों का ध्यान भटकाने के लिए उन्हें पार्टी से निकालने की कोशिश की। वहीं, उन्होंने कहा कि जिस तरह के आरोप सुखबीर बादल पर लगे हैं, ऐसे में वह प्रधान पद के लायक नहीं है। सुखबीर ने अकाल तख्त साहिब के आदेशों को भी नहीं माना है। अब तो सारी बात सामने आ गई हैं। पार्टी के लिए जेलों में गए हैं नेताओं ने कहा कि उन्होंने अकाली दल के लिए कुर्बानियां दी हैं। जेलों में रहे है। लेकिन सुखबीर बादल ने ऐसा कुछ नहीं किया है। आज अकाली दल दो ग्रुप में बंट गया है। एक ग्रुप में वह लोग जो जेलों में जाकर आए हैं, जबकि दूसरे कारों से उतरकर आते हैं। सरपरस्त को फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं इस मामले में शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि सरपरस्त के पास कोई फैसला नहीं लेने का अधिकार नहीं है। निकाले गए लोगों से हमारा लिंक नहीं है। चार लोगों के कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। वह पार्टी से निकाले जा चुके है। वह अपना प्रधान चुन सकते हैं। हमने नियमों के मुताबिक सारी कार्रवाई की है।
इन आठ नेताओं को पार्टी से निकाला गया SAD की तरफ से गुरप्रताप सिंह वडाला, बीबी जागीर कौर, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, परमिंदर सिंह ढींढसा, सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, सुरिंदर सिंह ठेकेदार और चरणजीत सिंह बराड़ को पार्टी से निकाला गया था। आरोप है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। हालांकि निकाले गए नेताओं का कहना है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया। शिरोमणि अकाली दल (SAD) से निकाले गए बागी नेताओं की आज चंडीगढ में मीटिंग हुई। यह मीटिंग SAD के सरपरस्त सुखदेव सिंह ढींढसा की अगुवाई में हुई। इस मौके ढींढसा ने कहा कि वह पार्टी के सरपरस्त होने के नाते 8 नेताओं को पार्टी से निकालने के इस फैसले को रद करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ संविधान के खिलाफ किया जा रहा है। इस मामले में सुखबीर सिंह बादल को पत्र लिखूंगा। उनसे इस मामले में जवाब मांगेंगे। पार्टी का प्रधान चुनने के लिए जनरल इजलास बुलाएंगे। जिसमें नया प्रधान चुना जाएगा। ढींढसा ने कहा कि वह आज तक लोगों के सामने नहीं आए थे, लेकिन मजबूरी में उन्हें यह फैसला लेना पड़ा है। झूंदा कमेटी ने की थी प्रधान बदलने की सिफारिश इस मौके गुरप्रताप वडाला और प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि, जब 2022 में लगातार शिरोमणि अकाली दल चुनाव हार रहा था तो उस समय झूंदा कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने सारे पंजाब में लोगों की राय ली थी। लोगों ने उस समय अकाली दल की लीडरशिप में बदलाव की सिफारिश की थी। सुखबीर बादल को पद त्यागना चाहिए। हम भी कमेटी की सिफारिश वाली बात कर रहे हैं। हम तो कमेटी के मुताबिक काम करने की बात कर रहे हैं। सुखबीर पर लगे आरोप गंभीर, प्रधान पद लायक नहीं दोनों नेताओं ने कहा कि हम लोग दो महीने से अकाली दल सुधार लहर चला रहे हैं। लेकिन जब प्रदीप कलेर ने गत दिवस सुखबीर बादल पर सवाल उठाया तो लोगों का ध्यान भटकाने के लिए उन्हें पार्टी से निकालने की कोशिश की। वहीं, उन्होंने कहा कि जिस तरह के आरोप सुखबीर बादल पर लगे हैं, ऐसे में वह प्रधान पद के लायक नहीं है। सुखबीर ने अकाल तख्त साहिब के आदेशों को भी नहीं माना है। अब तो सारी बात सामने आ गई हैं। पार्टी के लिए जेलों में गए हैं नेताओं ने कहा कि उन्होंने अकाली दल के लिए कुर्बानियां दी हैं। जेलों में रहे है। लेकिन सुखबीर बादल ने ऐसा कुछ नहीं किया है। आज अकाली दल दो ग्रुप में बंट गया है। एक ग्रुप में वह लोग जो जेलों में जाकर आए हैं, जबकि दूसरे कारों से उतरकर आते हैं। सरपरस्त को फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं इस मामले में शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि सरपरस्त के पास कोई फैसला नहीं लेने का अधिकार नहीं है। निकाले गए लोगों से हमारा लिंक नहीं है। चार लोगों के कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। वह पार्टी से निकाले जा चुके है। वह अपना प्रधान चुन सकते हैं। हमने नियमों के मुताबिक सारी कार्रवाई की है।
इन आठ नेताओं को पार्टी से निकाला गया SAD की तरफ से गुरप्रताप सिंह वडाला, बीबी जागीर कौर, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, परमिंदर सिंह ढींढसा, सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, सुरिंदर सिंह ठेकेदार और चरणजीत सिंह बराड़ को पार्टी से निकाला गया था। आरोप है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। हालांकि निकाले गए नेताओं का कहना है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर