‘कोरियन-जापानी’ सिटी के लिए 1700 एकड़ जमीन लेगा प्राधिकरण:किसानों से खरीदी जाएगी, प्रोजेक्ट में खर्च होंगे 2544 करोड़; मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनेगी

‘कोरियन-जापानी’ सिटी के लिए 1700 एकड़ जमीन लेगा प्राधिकरण:किसानों से खरीदी जाएगी, प्रोजेक्ट में खर्च होंगे 2544 करोड़; मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनेगी

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए जापानी और कोरियन सिटी विकसित करने की तैयारी तेज कर दी है। हर को एक सेक्टर दिया जाएगा। सेक्टर-5ए में जापानी, जबकि सेक्टर 4-ए में कोरियन शहर बसेगा। इन सेक्टर को विकसित करने के लिए प्राधिकरण किसानों से सीधे जमीन खरीदेगा। करीब 1700 एकड़ में इन दोनों सिटी को बसाया जाएगा। यहां बनने वाली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लोगों को रोजगार देंगी। इसको बसाने में 2544 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि जापानी सिटी के लिए 395 हेक्टेयर और कोरियन सिटी के लिए 365 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गई है। पहले प्राधिकरण सेक्टर-10 में 200 हेक्टेयर में जापानी शहर बसाने पर विचार कर रहा था। हालांकि, अब इन शहरों को बसाने के लिए नई योजना तैयार की गई है। शहरों को विकसित करने के लिए जमीनी विवाद का सामना ना करना पड़े, इसके लिए किसानों से सीधे जमीन खरीदने की तैयारी चल रही है। इससे संबंधित लगेंगे इंडस्ट्री
इन दोनों सिटी में इलेक्ट्रॉनिक सामान, चिप्स, सेमीकंडक्टर, एआई, कैमरे के निर्माण का भी केंद्र रहेंगे। इन शहरों में जापानी और कोरियाई नागरिकों के लिए उन्हीं के पारंपरिक व व्यवसायिक तौर तरीकों पर आधारित आवास, स्कूल व अस्पताल और अन्य आवश्यक सुविधा विकसित की जाएगी। इस तरह से डिवाइड होगा लैंड यूज
इन सेक्टरों में भूमि का भू प्रयोग मिक्स लैंड का होगा, जिसमें 70% औद्योगिक और 13% वाणिज्यिक क्षेत्र रहेगा। 10% भूमि पर आवास बनेंगे। 5% अस्पतालों, स्कूलों और कॉलेजों जैसे संस्थागत उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाएगा। शेष दो प्रतिशत भूमि का उपयोग अन्य सुविधाओं के विकास के लिए किया जाएगा। यहां रहने वाले लोगों को किसी भी प्रकार की सुविधा के लिए सेक्टरों से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के दौरान किया प्लान
जापानी और कोरियन सिटी बनाने का प्लान ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के समय लिया गया। जापान और कोरिया के निवेशकों के साथ बैठक की गई। विगत कुछ महीनों में दोनों देशों के डेलिगेशन भी आ चुके है और आगे भी आएंगे। अधिकारियों ने कहा कि कुछ जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने पिछले साल एक्सप्रेस वे से दूर औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा किया था। स्थान की जांच करने और मिट्टी परीक्षण करने के बाद, कंपनियों ने इस क्षेत्र में निवेश करने में रुचि व्यक्त की। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए जापानी और कोरियन सिटी विकसित करने की तैयारी तेज कर दी है। हर को एक सेक्टर दिया जाएगा। सेक्टर-5ए में जापानी, जबकि सेक्टर 4-ए में कोरियन शहर बसेगा। इन सेक्टर को विकसित करने के लिए प्राधिकरण किसानों से सीधे जमीन खरीदेगा। करीब 1700 एकड़ में इन दोनों सिटी को बसाया जाएगा। यहां बनने वाली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लोगों को रोजगार देंगी। इसको बसाने में 2544 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि जापानी सिटी के लिए 395 हेक्टेयर और कोरियन सिटी के लिए 365 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गई है। पहले प्राधिकरण सेक्टर-10 में 200 हेक्टेयर में जापानी शहर बसाने पर विचार कर रहा था। हालांकि, अब इन शहरों को बसाने के लिए नई योजना तैयार की गई है। शहरों को विकसित करने के लिए जमीनी विवाद का सामना ना करना पड़े, इसके लिए किसानों से सीधे जमीन खरीदने की तैयारी चल रही है। इससे संबंधित लगेंगे इंडस्ट्री
इन दोनों सिटी में इलेक्ट्रॉनिक सामान, चिप्स, सेमीकंडक्टर, एआई, कैमरे के निर्माण का भी केंद्र रहेंगे। इन शहरों में जापानी और कोरियाई नागरिकों के लिए उन्हीं के पारंपरिक व व्यवसायिक तौर तरीकों पर आधारित आवास, स्कूल व अस्पताल और अन्य आवश्यक सुविधा विकसित की जाएगी। इस तरह से डिवाइड होगा लैंड यूज
इन सेक्टरों में भूमि का भू प्रयोग मिक्स लैंड का होगा, जिसमें 70% औद्योगिक और 13% वाणिज्यिक क्षेत्र रहेगा। 10% भूमि पर आवास बनेंगे। 5% अस्पतालों, स्कूलों और कॉलेजों जैसे संस्थागत उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाएगा। शेष दो प्रतिशत भूमि का उपयोग अन्य सुविधाओं के विकास के लिए किया जाएगा। यहां रहने वाले लोगों को किसी भी प्रकार की सुविधा के लिए सेक्टरों से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के दौरान किया प्लान
जापानी और कोरियन सिटी बनाने का प्लान ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के समय लिया गया। जापान और कोरिया के निवेशकों के साथ बैठक की गई। विगत कुछ महीनों में दोनों देशों के डेलिगेशन भी आ चुके है और आगे भी आएंगे। अधिकारियों ने कहा कि कुछ जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने पिछले साल एक्सप्रेस वे से दूर औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा किया था। स्थान की जांच करने और मिट्टी परीक्षण करने के बाद, कंपनियों ने इस क्षेत्र में निवेश करने में रुचि व्यक्त की।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर