हरियाणा में इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई नजर आ सकती है। इसी वजह से दोनों पार्टियां फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। 10 साल से सत्ता में बैठी BJP हैट्रिक बनाने के लिए सर्वे करवा रही है वहीं कांग्रेस में भी अलग-अलग लेवल पर फीडबैक जुटाया जा रहा है। सत्ता विरोधी लहर और एंटी इन्कंमबेंसी से निपटने के लिए BJP में इस बार कई मौजूदा विधायकों के टिकट कटने तय हैं। अगर गुरुग्राम जिले की पटौदी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां के लोगों ने कभी भी मौजूदा विधायक को लगातार दूसरी बार नहीं जिताया। यानि इस सीट से हर चुनाव में नया चेहरा ही एमएलए बनता है। 2019 में BJP के सत्यप्रकाश जरावता पटौदी से विधायक चुने गए थे। अगर इतिहास को देखें तो इस बार उनकी जीत मुश्किल है। यही वजह है कि भाजपा यहां सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काटकर किसी दूसरे चेहरे को मौका दे सकती है। सर्वे में खुलासा-तीनों विधायकों से लोग नाराज गुरुग्राम लोकसभा हलके में आने वाली गुरुग्राम, सोहना और पटौदी विधानसभा सीटों की बात करें तो BJP की ओर से कराए गए सर्वे में हालात बहुत अच्छे नहीं मिले। तीनों इलाकों के लोग अपने मौजूदा विधायकों से खुश नहीं हैं और बदलाव के मूड में नजर आते हैं। सर्वे के नतीजे आने के बाद BJP इन तीनों सीटों पर नए चेहरों को मौका देने पर गंभीरता से विचार करने को मजबूर हो गई है। 2014 में भी BJP ने काटा था सीटिंग MLA का टिकट पटौदी सीट का तो इतिहास रहा है कि यहां के वोटर हर चुनाव में अपना विधायक बदलते हैं। यानि मौजूदा विधायक को अगले चुनाव में बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इस लिहाज से 2019 में चुनाव जीतने वाले सत्यप्रकाश जरावता के लिए संकेत बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते। भाजपा नेतृत्व भी शायद पटौदी के लोगों का मिजाज समझता है इसलिए उसने 2014 के चुनाव में यहां से विधायक चुनी गई अपनी नेता विमला चौधरी को 2019 में दूसरी बार मौका नहीं दिया। पार्टी ने 2019 में विमला चौधरी का टिकट काटते हुए उनकी जगह सत्यप्रकाश जरावता को मैदान में उतारा। BJP की यह रणनीति सफल रही और जरावता यहां से बाजी मार ले गए। इंद्रजीत से मधु की दूरियां बढ़ीं, सुमेर तंवर करीब आए शुरू से BJP से जुड़े सुमेर सिंह तंवर और पूर्व मेयर मधु आजाद पटौदी में टिकट के दावेदार हैं। सुमेर तंवर तो यहां डेरा डालकर बैठे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के करीबी सुमेर तंवर ने हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद राव इंद्रजीत सिंह से भी निकटता बना ली है। दरअसल गुरुग्राम नगर निगम चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह ने ही श्रीमती मधु आजाद को गुरुग्राम का मेयर बनवाया। हाल के लोकसभा चुनाव में मधु आजाद के बूथ से राव इंद्रजीत को महज 3 वोट की लीड मिली जबकि सुमेर तंवर ने अपने बूथ से राव इंद्रजीत को 350 वोट की बढ़त दिलाई। इसके बाद ही राव इंद्रजीत ने मधु आजाद से दूरी बना ली। इसका फायदा सुमेर तंवर को मिल सकता है। जरावता को टिकट दिलाने वाले खट्टर हरियाणा से बाहर 2019 में पटौदी सीट से भाजपा के विधायक चुने गए सत्यप्रकाश जरावता किसी समय राव इंद्रजीत सिंह के खेमे में होते थे। जरावत ने 2014 के विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए हाथ-पैर मारे लेकिन काम नहीं बना। 2014 में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद मनोहर लाल खट्टर सीएम बने तो जरावता राव इंद्रजीत का गुट छोड़कर खट्टर के पाले में चले गए। 2019 के विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत पटौदी सीट से नरेंद्र सिंह पहाड़िया को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे लेकिन खट्टर ने उस पर वीटो लगाते हुए जरावता को टिकट दिला दी। चुनाव में जरावत विजयी रहे वहीं राव इंद्रजीत के आशीर्वाद से नरेंद्र पहाड़िया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर रहे। अब मनोहर लाल खट्टर हरियाणा से बाहर जा चुके हैं इसलिए वह जरावता की मजबूत पैरवी कर पाने की स्थिति में नहीं रह गए। ऐसे में पूरी संभावना है कि राव इंद्रजीत के विरोध और पटौदी के इतिहास को देखते हुए BJP यहां जरावता का टिकट काट दे। पटौदी में कांग्रेस के पास भी बड़ा चेहरा नहीं भाजपा के अलावा कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के सर्वे में पटौदी से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेसी नेताओं की स्थिति भी ठीक नहीं निकली। कांग्रेस की ओर से सुधीर चौधरी यहां लगातार दो (2014 व 2019) चुनाव हार चुके हैं। वह इस बार भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं लेकिन कांग्रेस में लगातार दो चुनाव हारने वाले नेताओं को तीसरा मौका देने को लेकर विचार-मंथन चल रहा है। कांग्रेस पार्टी में यहां कुमारी सैलजा के खेमे से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप जटोली भी एक्टिव हैं। 3 चुनाव में कभी लगातार दो बार कोई नहीं जीता 1967 से लेकर 2019 तक हुए 13 विधानसभा चुनाव में यहां कभी कोई विधायक लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाया। यहां के वोटर हर बार अपना विधायक बदल लेते हैं। पटौदी सीट पर पहली बार 1967 में चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के बी. सिंह जीते। 1968 में विशाल हरियाणा पार्टी के रामजीवन सिंह, 1972 में कांग्रेस के शीशराम, 1977 में विशाल हरियाणा पार्टी के नारायण सिंह और 1982 में कांग्रेस के हीरालाल यहां से विधायक बने। वर्ष 1987 के चुनाव में लोकदल के शिवलाल, 1991 में जनता दल के हीरालाल, 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के नारायण सिंह और 2000 में इनेलो के रामबीर सिंह यहां से MLA बने। 2005 में कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह, 2009 में इनेलो के गंगाराम, 2014 में BJP की विमला चौधरी और 2019 में BJP के सत्यप्रकाश जरावता जीतकर विधानसभा पहुंचे। हीरालाल 1982 और 1991 में तो नारायण सिंह 1977 और 1996 में यहां से दो बार विधायक बने लेकिन वह भी बैक टू बैक जीत दर्ज नहीं कर पाए। 20% एससी वोटर पटौदी विधानसभा सीट एससी के लिए रिजर्व हैं। यहां तकरीबन 20% वोट एससी बिरादरी के हैं। तकरीबन सवा दो लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर 2019 में 71% तो 2014 में 61.67% वोटिंग हुई थी। हरियाणा में इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई नजर आ सकती है। इसी वजह से दोनों पार्टियां फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। 10 साल से सत्ता में बैठी BJP हैट्रिक बनाने के लिए सर्वे करवा रही है वहीं कांग्रेस में भी अलग-अलग लेवल पर फीडबैक जुटाया जा रहा है। सत्ता विरोधी लहर और एंटी इन्कंमबेंसी से निपटने के लिए BJP में इस बार कई मौजूदा विधायकों के टिकट कटने तय हैं। अगर गुरुग्राम जिले की पटौदी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां के लोगों ने कभी भी मौजूदा विधायक को लगातार दूसरी बार नहीं जिताया। यानि इस सीट से हर चुनाव में नया चेहरा ही एमएलए बनता है। 2019 में BJP के सत्यप्रकाश जरावता पटौदी से विधायक चुने गए थे। अगर इतिहास को देखें तो इस बार उनकी जीत मुश्किल है। यही वजह है कि भाजपा यहां सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काटकर किसी दूसरे चेहरे को मौका दे सकती है। सर्वे में खुलासा-तीनों विधायकों से लोग नाराज गुरुग्राम लोकसभा हलके में आने वाली गुरुग्राम, सोहना और पटौदी विधानसभा सीटों की बात करें तो BJP की ओर से कराए गए सर्वे में हालात बहुत अच्छे नहीं मिले। तीनों इलाकों के लोग अपने मौजूदा विधायकों से खुश नहीं हैं और बदलाव के मूड में नजर आते हैं। सर्वे के नतीजे आने के बाद BJP इन तीनों सीटों पर नए चेहरों को मौका देने पर गंभीरता से विचार करने को मजबूर हो गई है। 2014 में भी BJP ने काटा था सीटिंग MLA का टिकट पटौदी सीट का तो इतिहास रहा है कि यहां के वोटर हर चुनाव में अपना विधायक बदलते हैं। यानि मौजूदा विधायक को अगले चुनाव में बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इस लिहाज से 2019 में चुनाव जीतने वाले सत्यप्रकाश जरावता के लिए संकेत बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते। भाजपा नेतृत्व भी शायद पटौदी के लोगों का मिजाज समझता है इसलिए उसने 2014 के चुनाव में यहां से विधायक चुनी गई अपनी नेता विमला चौधरी को 2019 में दूसरी बार मौका नहीं दिया। पार्टी ने 2019 में विमला चौधरी का टिकट काटते हुए उनकी जगह सत्यप्रकाश जरावता को मैदान में उतारा। BJP की यह रणनीति सफल रही और जरावता यहां से बाजी मार ले गए। इंद्रजीत से मधु की दूरियां बढ़ीं, सुमेर तंवर करीब आए शुरू से BJP से जुड़े सुमेर सिंह तंवर और पूर्व मेयर मधु आजाद पटौदी में टिकट के दावेदार हैं। सुमेर तंवर तो यहां डेरा डालकर बैठे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के करीबी सुमेर तंवर ने हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद राव इंद्रजीत सिंह से भी निकटता बना ली है। दरअसल गुरुग्राम नगर निगम चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह ने ही श्रीमती मधु आजाद को गुरुग्राम का मेयर बनवाया। हाल के लोकसभा चुनाव में मधु आजाद के बूथ से राव इंद्रजीत को महज 3 वोट की लीड मिली जबकि सुमेर तंवर ने अपने बूथ से राव इंद्रजीत को 350 वोट की बढ़त दिलाई। इसके बाद ही राव इंद्रजीत ने मधु आजाद से दूरी बना ली। इसका फायदा सुमेर तंवर को मिल सकता है। जरावता को टिकट दिलाने वाले खट्टर हरियाणा से बाहर 2019 में पटौदी सीट से भाजपा के विधायक चुने गए सत्यप्रकाश जरावता किसी समय राव इंद्रजीत सिंह के खेमे में होते थे। जरावत ने 2014 के विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए हाथ-पैर मारे लेकिन काम नहीं बना। 2014 में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद मनोहर लाल खट्टर सीएम बने तो जरावता राव इंद्रजीत का गुट छोड़कर खट्टर के पाले में चले गए। 2019 के विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत पटौदी सीट से नरेंद्र सिंह पहाड़िया को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे लेकिन खट्टर ने उस पर वीटो लगाते हुए जरावता को टिकट दिला दी। चुनाव में जरावत विजयी रहे वहीं राव इंद्रजीत के आशीर्वाद से नरेंद्र पहाड़िया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर रहे। अब मनोहर लाल खट्टर हरियाणा से बाहर जा चुके हैं इसलिए वह जरावता की मजबूत पैरवी कर पाने की स्थिति में नहीं रह गए। ऐसे में पूरी संभावना है कि राव इंद्रजीत के विरोध और पटौदी के इतिहास को देखते हुए BJP यहां जरावता का टिकट काट दे। पटौदी में कांग्रेस के पास भी बड़ा चेहरा नहीं भाजपा के अलावा कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के सर्वे में पटौदी से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेसी नेताओं की स्थिति भी ठीक नहीं निकली। कांग्रेस की ओर से सुधीर चौधरी यहां लगातार दो (2014 व 2019) चुनाव हार चुके हैं। वह इस बार भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं लेकिन कांग्रेस में लगातार दो चुनाव हारने वाले नेताओं को तीसरा मौका देने को लेकर विचार-मंथन चल रहा है। कांग्रेस पार्टी में यहां कुमारी सैलजा के खेमे से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप जटोली भी एक्टिव हैं। 3 चुनाव में कभी लगातार दो बार कोई नहीं जीता 1967 से लेकर 2019 तक हुए 13 विधानसभा चुनाव में यहां कभी कोई विधायक लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाया। यहां के वोटर हर बार अपना विधायक बदल लेते हैं। पटौदी सीट पर पहली बार 1967 में चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के बी. सिंह जीते। 1968 में विशाल हरियाणा पार्टी के रामजीवन सिंह, 1972 में कांग्रेस के शीशराम, 1977 में विशाल हरियाणा पार्टी के नारायण सिंह और 1982 में कांग्रेस के हीरालाल यहां से विधायक बने। वर्ष 1987 के चुनाव में लोकदल के शिवलाल, 1991 में जनता दल के हीरालाल, 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के नारायण सिंह और 2000 में इनेलो के रामबीर सिंह यहां से MLA बने। 2005 में कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह, 2009 में इनेलो के गंगाराम, 2014 में BJP की विमला चौधरी और 2019 में BJP के सत्यप्रकाश जरावता जीतकर विधानसभा पहुंचे। हीरालाल 1982 और 1991 में तो नारायण सिंह 1977 और 1996 में यहां से दो बार विधायक बने लेकिन वह भी बैक टू बैक जीत दर्ज नहीं कर पाए। 20% एससी वोटर पटौदी विधानसभा सीट एससी के लिए रिजर्व हैं। यहां तकरीबन 20% वोट एससी बिरादरी के हैं। तकरीबन सवा दो लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर 2019 में 71% तो 2014 में 61.67% वोटिंग हुई थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में घर में रखे 2 सिलेंडर फटे:मकान की दीवारें गिरीं, पड़ोसियों के शीशे टूटे; 2 लड़कियों की मौत, 2 गंभीर घायल
हरियाणा में घर में रखे 2 सिलेंडर फटे:मकान की दीवारें गिरीं, पड़ोसियों के शीशे टूटे; 2 लड़कियों की मौत, 2 गंभीर घायल हरियाणा में कैथल के गुहला चीका में सोमवार (4 नवंबर) को घर में रखे 2 सिलेंडरों में ब्लास्ट हो गया। धमाके से घर पूरी तरह तहस-नहस हो गया। मलबे के नीचे दबने से 2 लड़कियों की मौत हो गई, जबकि परिवार के 2 सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को गुहला के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना सुबह 4 बजे की बताई जा रही है। सूचना के बाद पुलिस की टीमें मौके पर पहुंची हैं। मरने वाली एक बच्ची की उम्र सवा साल थी, जबकि दूसरी बच्ची की उम्र 17 साल थी। 2 महिलाओं की टांगों में चोटें आई हैं। दो सिलेंडर इकट्ठे फटे से हुआ बड़ा धमाका
पड़ोसी बलजीत सिंह ने बताया कि सुबह करीब 4 बजे आसपास बड़ा धमाका हुआ, जिसमें उनके पास लगने वाले कई घरों की दीवारों में दरार आ गई तो वहीं कई घरों के शीशे भी टूट गए। 2 सिलेंडर इकट्ठे फटने के कारण धमाका बहुत भयंकर था, एक बार तो उन्हें लगा कि शायद उनके घर में ही कोई सिलेंडर वगैरा फटा होगा, लेकिन बाद में देखा कि उनके पड़ोस में एक बिल्डिंग को ही तहस-नहस कर दिया है। आधे घंटे बाद पहुंची एंबुलेंस व फायर ब्रिगेड
बलजीत ने बताया कि हादसे के आधे घंटे बाद एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची। तब तक आसपास के लोगों ने घायलों को अंदर से निकाल लिया था। पुलिस भी काफी देर बाद पहुंची जो हादसे में हताहत हुए लोगों के नाम वगैरह नोट करके चली गई। बच्चियों ने अस्पताल ले जाते समय तोड़ा दम
परिजनों ने बताया कि हादसे में घायल परिवार के सभी सदस्यों को पहले गुहला के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उनकी नाजुक हालत को देखते हुए पटियाला के सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया। इलाज के लिए पटियाला ले जाते समय रास्ते में बच्चियों ने दम तोड़ दिया। लड़कियों की मां, दादी व दादा के इलाज के लिए पटियाला के सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है।
हुड्डा पर जमकर बरसे मुख्यमंत्री:नायब सैनी बोले- भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे पूर्व सीएम, आजकल मेकअप करके ईमानदारी का चोला पहनकर निकल रहे
हुड्डा पर जमकर बरसे मुख्यमंत्री:नायब सैनी बोले- भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे पूर्व सीएम, आजकल मेकअप करके ईमानदारी का चोला पहनकर निकल रहे हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी रविवार रात को रोहतक स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पहुंचे। इस दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली व अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की। वहीं इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जमकर बरसे। नायब सिंह सैनी ने कहा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हुए हैं। लेकिन आजकल वे मेकअप करके व ईमानदारी का चोला पहनकर निकल रहे हैं। सीएम नायब सैनी ने कांग्रेस के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हिसाब मांगे जाने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जब सरकार थी तब कोई काम नहीं किया। भूपेंद्र हुड्डा किसान हितैषी बन रहा है, इनकी सरकार में किसानों को दो-दो रुपए के चेक मिलते थे। किसानों के लिए बनाई कमेटी में हुड्डा ही अध्यक्ष ।थे जब क्यों नहीं स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिश की। 6 हजार बुढ़ापा पेंशन देने का दावा करने वाले के राज में थी 500 रुपए
सीएम नायब सैनी ने कहा कि हुड्डा अब कह रहे बुढ़ापा पेंशन 6 हजार देंगे उस समय क्यों नहीं दी जब इनकी सरकार थी। इनकी 10 साल की सरकार में 500 रुपए बुढ़ापा पेंशन थी, आखिरी साल में एक हजार रुपए कर गए थे वह भी नहीं मिली। आज हमने दो हजार बढ़ाने का काम किया है। सीएम सैनी ने कहा कि उन्होंने हुड्डा से सवाल किए थे, लेकिन आज तक उनका जवाब नहीं दिया। हुड्डा राज में पर्ची-खर्ची से मिलती थी नौकरी
हुड्डा के राज में नौकरियां खर्ची-पर्ची से मिलती थी हमारी सरकार में बिना खर्ची-पर्ची से नौकरी देने का काम किया। हुड्डा हिसाब मांग रहे है पहले आप हिसाब दो मिर्चपुर कांड का, गोहाना कांड का कैसे दलितों के घर ओर जिंदा जला दिया था। कांग्रेस अब कह रहे हैं कि 100-100 गज का प्लाट देंगे, इनकी सरकार में 100-100 गज के प्लाट गरीब लोगों को जो घोषणा की थी, वह घोषणा थी प्लाट के लिए लोग दर-दर भटकते रहे मगर हमारी सरकार ने रोहतक में ही 1500 से ज्यादा शहरी और ग्रामीण इलाकों में प्लाटों दिए उनकी रजिस्ट्री कब्जे दिए। जजपा पर साधा निशाना
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कैथल में खंगाला गया 20 साल पुराने तस्करों का रिकॉर्ड:पुलिस की 5 टीमों का हुआ गठन, आरोपियों के ठिकाने पर की छापेमारी
कैथल में खंगाला गया 20 साल पुराने तस्करों का रिकॉर्ड:पुलिस की 5 टीमों का हुआ गठन, आरोपियों के ठिकाने पर की छापेमारी हरियाणा में नायब सैनी सरकार अब प्रदेश को नशा मुक्त करने के लिए काम कर रही है, अब हरियाणा को पूरी तरह से नशा मुक्त करना करने लिए सरकार के आदेश पुलिस विभाग को मिले हैं, जिनमें 20 साल पुराने दर्ज मामलों में नशा तस्करों का रिकॉर्ड खंगाल जाए और जो लोग अभी नशा तस्करी में शामिल हैं उनके ऊपर कार्रवाई की जाए। इसको कैथल पुलिस भी जिले के हर थाने में 20 साल पूर्व के नशा तस्करों का रिकॉर्ड खंगाला गया और उनकी रिपोर्ट तैयार कर उनके ठिकानों पर छापेमारी की गई। ताकि दोबारा से कोई भी नशा तस्कर इस धंधे में एक्टिव ना रहे। इसके लिए थाना शहर के एसएचओ बीर सिंह ने बताया कि उच्च अधिकारियों के निर्देशों अनुसार रविवार की सुबह शहर में पांच टीमों का गठन किया गया। जिन्होंने लगभग 100 ऐसे नशा तस्करों के ठिकानों पर छापे मारे, जो पिछले 20 साल में नशा तस्करी में एक्टिव रहे है। लेकिन पुलिस को कहीं भी कुछ नशे से संबंधित सामग्री नहीं मिली। पुलिस का कहना है कि पुलिस की सख्ती के कारण ऐसा संभव हो पाया कि लोग नशा तस्करी छोड़ रहे हैं। उन्होंने कुछ ऐसे चिन्हित स्थानों पर लोगों को इकट्ठा किया और उनसे बातचीत की और समझाया कि नशा तस्करी एक अपराध है। जिसको दूर करने के लिए आमजन को भी सरकार का साथ देना होगा, प्रदेश में नशा तस्करों पर सरकार भी पूरी तरह से सख्त हैं, अगर कोई भी व्यक्ति नशा तस्करी में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है, इसके अलावा जो कोई व्यक्ति नशा तस्कर के खिलाफ पुलिस को इसकी सूचना देगा तो पुलिस द्वारा उसे सम्मानित भी किया जाएगा और उसका नाम भी गुप्त रखा जाएगा।