हरियाणा में इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई नजर आ सकती है। इसी वजह से दोनों पार्टियां फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। 10 साल से सत्ता में बैठी BJP हैट्रिक बनाने के लिए सर्वे करवा रही है वहीं कांग्रेस में भी अलग-अलग लेवल पर फीडबैक जुटाया जा रहा है। सत्ता विरोधी लहर और एंटी इन्कंमबेंसी से निपटने के लिए BJP में इस बार कई मौजूदा विधायकों के टिकट कटने तय हैं। अगर गुरुग्राम जिले की पटौदी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां के लोगों ने कभी भी मौजूदा विधायक को लगातार दूसरी बार नहीं जिताया। यानि इस सीट से हर चुनाव में नया चेहरा ही एमएलए बनता है। 2019 में BJP के सत्यप्रकाश जरावता पटौदी से विधायक चुने गए थे। अगर इतिहास को देखें तो इस बार उनकी जीत मुश्किल है। यही वजह है कि भाजपा यहां सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काटकर किसी दूसरे चेहरे को मौका दे सकती है। सर्वे में खुलासा-तीनों विधायकों से लोग नाराज गुरुग्राम लोकसभा हलके में आने वाली गुरुग्राम, सोहना और पटौदी विधानसभा सीटों की बात करें तो BJP की ओर से कराए गए सर्वे में हालात बहुत अच्छे नहीं मिले। तीनों इलाकों के लोग अपने मौजूदा विधायकों से खुश नहीं हैं और बदलाव के मूड में नजर आते हैं। सर्वे के नतीजे आने के बाद BJP इन तीनों सीटों पर नए चेहरों को मौका देने पर गंभीरता से विचार करने को मजबूर हो गई है। 2014 में भी BJP ने काटा था सीटिंग MLA का टिकट पटौदी सीट का तो इतिहास रहा है कि यहां के वोटर हर चुनाव में अपना विधायक बदलते हैं। यानि मौजूदा विधायक को अगले चुनाव में बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इस लिहाज से 2019 में चुनाव जीतने वाले सत्यप्रकाश जरावता के लिए संकेत बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते। भाजपा नेतृत्व भी शायद पटौदी के लोगों का मिजाज समझता है इसलिए उसने 2014 के चुनाव में यहां से विधायक चुनी गई अपनी नेता विमला चौधरी को 2019 में दूसरी बार मौका नहीं दिया। पार्टी ने 2019 में विमला चौधरी का टिकट काटते हुए उनकी जगह सत्यप्रकाश जरावता को मैदान में उतारा। BJP की यह रणनीति सफल रही और जरावता यहां से बाजी मार ले गए। इंद्रजीत से मधु की दूरियां बढ़ीं, सुमेर तंवर करीब आए शुरू से BJP से जुड़े सुमेर सिंह तंवर और पूर्व मेयर मधु आजाद पटौदी में टिकट के दावेदार हैं। सुमेर तंवर तो यहां डेरा डालकर बैठे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के करीबी सुमेर तंवर ने हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद राव इंद्रजीत सिंह से भी निकटता बना ली है। दरअसल गुरुग्राम नगर निगम चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह ने ही श्रीमती मधु आजाद को गुरुग्राम का मेयर बनवाया। हाल के लोकसभा चुनाव में मधु आजाद के बूथ से राव इंद्रजीत को महज 3 वोट की लीड मिली जबकि सुमेर तंवर ने अपने बूथ से राव इंद्रजीत को 350 वोट की बढ़त दिलाई। इसके बाद ही राव इंद्रजीत ने मधु आजाद से दूरी बना ली। इसका फायदा सुमेर तंवर को मिल सकता है। जरावता को टिकट दिलाने वाले खट्टर हरियाणा से बाहर 2019 में पटौदी सीट से भाजपा के विधायक चुने गए सत्यप्रकाश जरावता किसी समय राव इंद्रजीत सिंह के खेमे में होते थे। जरावत ने 2014 के विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए हाथ-पैर मारे लेकिन काम नहीं बना। 2014 में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद मनोहर लाल खट्टर सीएम बने तो जरावता राव इंद्रजीत का गुट छोड़कर खट्टर के पाले में चले गए। 2019 के विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत पटौदी सीट से नरेंद्र सिंह पहाड़िया को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे लेकिन खट्टर ने उस पर वीटो लगाते हुए जरावता को टिकट दिला दी। चुनाव में जरावत विजयी रहे वहीं राव इंद्रजीत के आशीर्वाद से नरेंद्र पहाड़िया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर रहे। अब मनोहर लाल खट्टर हरियाणा से बाहर जा चुके हैं इसलिए वह जरावता की मजबूत पैरवी कर पाने की स्थिति में नहीं रह गए। ऐसे में पूरी संभावना है कि राव इंद्रजीत के विरोध और पटौदी के इतिहास को देखते हुए BJP यहां जरावता का टिकट काट दे। पटौदी में कांग्रेस के पास भी बड़ा चेहरा नहीं भाजपा के अलावा कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के सर्वे में पटौदी से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेसी नेताओं की स्थिति भी ठीक नहीं निकली। कांग्रेस की ओर से सुधीर चौधरी यहां लगातार दो (2014 व 2019) चुनाव हार चुके हैं। वह इस बार भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं लेकिन कांग्रेस में लगातार दो चुनाव हारने वाले नेताओं को तीसरा मौका देने को लेकर विचार-मंथन चल रहा है। कांग्रेस पार्टी में यहां कुमारी सैलजा के खेमे से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप जटोली भी एक्टिव हैं। 3 चुनाव में कभी लगातार दो बार कोई नहीं जीता 1967 से लेकर 2019 तक हुए 13 विधानसभा चुनाव में यहां कभी कोई विधायक लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाया। यहां के वोटर हर बार अपना विधायक बदल लेते हैं। पटौदी सीट पर पहली बार 1967 में चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के बी. सिंह जीते। 1968 में विशाल हरियाणा पार्टी के रामजीवन सिंह, 1972 में कांग्रेस के शीशराम, 1977 में विशाल हरियाणा पार्टी के नारायण सिंह और 1982 में कांग्रेस के हीरालाल यहां से विधायक बने। वर्ष 1987 के चुनाव में लोकदल के शिवलाल, 1991 में जनता दल के हीरालाल, 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के नारायण सिंह और 2000 में इनेलो के रामबीर सिंह यहां से MLA बने। 2005 में कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह, 2009 में इनेलो के गंगाराम, 2014 में BJP की विमला चौधरी और 2019 में BJP के सत्यप्रकाश जरावता जीतकर विधानसभा पहुंचे। हीरालाल 1982 और 1991 में तो नारायण सिंह 1977 और 1996 में यहां से दो बार विधायक बने लेकिन वह भी बैक टू बैक जीत दर्ज नहीं कर पाए। 20% एससी वोटर पटौदी विधानसभा सीट एससी के लिए रिजर्व हैं। यहां तकरीबन 20% वोट एससी बिरादरी के हैं। तकरीबन सवा दो लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर 2019 में 71% तो 2014 में 61.67% वोटिंग हुई थी। हरियाणा में इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई नजर आ सकती है। इसी वजह से दोनों पार्टियां फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। 10 साल से सत्ता में बैठी BJP हैट्रिक बनाने के लिए सर्वे करवा रही है वहीं कांग्रेस में भी अलग-अलग लेवल पर फीडबैक जुटाया जा रहा है। सत्ता विरोधी लहर और एंटी इन्कंमबेंसी से निपटने के लिए BJP में इस बार कई मौजूदा विधायकों के टिकट कटने तय हैं। अगर गुरुग्राम जिले की पटौदी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां के लोगों ने कभी भी मौजूदा विधायक को लगातार दूसरी बार नहीं जिताया। यानि इस सीट से हर चुनाव में नया चेहरा ही एमएलए बनता है। 2019 में BJP के सत्यप्रकाश जरावता पटौदी से विधायक चुने गए थे। अगर इतिहास को देखें तो इस बार उनकी जीत मुश्किल है। यही वजह है कि भाजपा यहां सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काटकर किसी दूसरे चेहरे को मौका दे सकती है। सर्वे में खुलासा-तीनों विधायकों से लोग नाराज गुरुग्राम लोकसभा हलके में आने वाली गुरुग्राम, सोहना और पटौदी विधानसभा सीटों की बात करें तो BJP की ओर से कराए गए सर्वे में हालात बहुत अच्छे नहीं मिले। तीनों इलाकों के लोग अपने मौजूदा विधायकों से खुश नहीं हैं और बदलाव के मूड में नजर आते हैं। सर्वे के नतीजे आने के बाद BJP इन तीनों सीटों पर नए चेहरों को मौका देने पर गंभीरता से विचार करने को मजबूर हो गई है। 2014 में भी BJP ने काटा था सीटिंग MLA का टिकट पटौदी सीट का तो इतिहास रहा है कि यहां के वोटर हर चुनाव में अपना विधायक बदलते हैं। यानि मौजूदा विधायक को अगले चुनाव में बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इस लिहाज से 2019 में चुनाव जीतने वाले सत्यप्रकाश जरावता के लिए संकेत बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते। भाजपा नेतृत्व भी शायद पटौदी के लोगों का मिजाज समझता है इसलिए उसने 2014 के चुनाव में यहां से विधायक चुनी गई अपनी नेता विमला चौधरी को 2019 में दूसरी बार मौका नहीं दिया। पार्टी ने 2019 में विमला चौधरी का टिकट काटते हुए उनकी जगह सत्यप्रकाश जरावता को मैदान में उतारा। BJP की यह रणनीति सफल रही और जरावता यहां से बाजी मार ले गए। इंद्रजीत से मधु की दूरियां बढ़ीं, सुमेर तंवर करीब आए शुरू से BJP से जुड़े सुमेर सिंह तंवर और पूर्व मेयर मधु आजाद पटौदी में टिकट के दावेदार हैं। सुमेर तंवर तो यहां डेरा डालकर बैठे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के करीबी सुमेर तंवर ने हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद राव इंद्रजीत सिंह से भी निकटता बना ली है। दरअसल गुरुग्राम नगर निगम चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह ने ही श्रीमती मधु आजाद को गुरुग्राम का मेयर बनवाया। हाल के लोकसभा चुनाव में मधु आजाद के बूथ से राव इंद्रजीत को महज 3 वोट की लीड मिली जबकि सुमेर तंवर ने अपने बूथ से राव इंद्रजीत को 350 वोट की बढ़त दिलाई। इसके बाद ही राव इंद्रजीत ने मधु आजाद से दूरी बना ली। इसका फायदा सुमेर तंवर को मिल सकता है। जरावता को टिकट दिलाने वाले खट्टर हरियाणा से बाहर 2019 में पटौदी सीट से भाजपा के विधायक चुने गए सत्यप्रकाश जरावता किसी समय राव इंद्रजीत सिंह के खेमे में होते थे। जरावत ने 2014 के विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए हाथ-पैर मारे लेकिन काम नहीं बना। 2014 में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद मनोहर लाल खट्टर सीएम बने तो जरावता राव इंद्रजीत का गुट छोड़कर खट्टर के पाले में चले गए। 2019 के विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत पटौदी सीट से नरेंद्र सिंह पहाड़िया को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे लेकिन खट्टर ने उस पर वीटो लगाते हुए जरावता को टिकट दिला दी। चुनाव में जरावत विजयी रहे वहीं राव इंद्रजीत के आशीर्वाद से नरेंद्र पहाड़िया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर रहे। अब मनोहर लाल खट्टर हरियाणा से बाहर जा चुके हैं इसलिए वह जरावता की मजबूत पैरवी कर पाने की स्थिति में नहीं रह गए। ऐसे में पूरी संभावना है कि राव इंद्रजीत के विरोध और पटौदी के इतिहास को देखते हुए BJP यहां जरावता का टिकट काट दे। पटौदी में कांग्रेस के पास भी बड़ा चेहरा नहीं भाजपा के अलावा कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के सर्वे में पटौदी से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेसी नेताओं की स्थिति भी ठीक नहीं निकली। कांग्रेस की ओर से सुधीर चौधरी यहां लगातार दो (2014 व 2019) चुनाव हार चुके हैं। वह इस बार भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं लेकिन कांग्रेस में लगातार दो चुनाव हारने वाले नेताओं को तीसरा मौका देने को लेकर विचार-मंथन चल रहा है। कांग्रेस पार्टी में यहां कुमारी सैलजा के खेमे से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप जटोली भी एक्टिव हैं। 3 चुनाव में कभी लगातार दो बार कोई नहीं जीता 1967 से लेकर 2019 तक हुए 13 विधानसभा चुनाव में यहां कभी कोई विधायक लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाया। यहां के वोटर हर बार अपना विधायक बदल लेते हैं। पटौदी सीट पर पहली बार 1967 में चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के बी. सिंह जीते। 1968 में विशाल हरियाणा पार्टी के रामजीवन सिंह, 1972 में कांग्रेस के शीशराम, 1977 में विशाल हरियाणा पार्टी के नारायण सिंह और 1982 में कांग्रेस के हीरालाल यहां से विधायक बने। वर्ष 1987 के चुनाव में लोकदल के शिवलाल, 1991 में जनता दल के हीरालाल, 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के नारायण सिंह और 2000 में इनेलो के रामबीर सिंह यहां से MLA बने। 2005 में कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह, 2009 में इनेलो के गंगाराम, 2014 में BJP की विमला चौधरी और 2019 में BJP के सत्यप्रकाश जरावता जीतकर विधानसभा पहुंचे। हीरालाल 1982 और 1991 में तो नारायण सिंह 1977 और 1996 में यहां से दो बार विधायक बने लेकिन वह भी बैक टू बैक जीत दर्ज नहीं कर पाए। 20% एससी वोटर पटौदी विधानसभा सीट एससी के लिए रिजर्व हैं। यहां तकरीबन 20% वोट एससी बिरादरी के हैं। तकरीबन सवा दो लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर 2019 में 71% तो 2014 में 61.67% वोटिंग हुई थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
अंबाला में आज शूटर सरबजोत सिंह का ग्रैंड वेलकम:पेरिस ओलिंपिक में जीता है कांस्य पदक; शहर से गांव तक होगा स्वागत
अंबाला में आज शूटर सरबजोत सिंह का ग्रैंड वेलकम:पेरिस ओलिंपिक में जीता है कांस्य पदक; शहर से गांव तक होगा स्वागत पेरिस ओलिंपिक में कांस्य पदक विजेता शूटर सरबजोत सिंह आज अंबाला पहुंचेगा। हरियाणा में इस दौरान उनके जगह जगह स्वागत की तैयारी है। सरबजोत के माता-पिता के साथ ग्रामीण भी उनके आने की बाट जोह रहे हैं। सरबजोत सिंह गुरुवार को भारत लौटे थे। उनको दिल्ली एयरपोर्ट पर ढ़ोल नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया गया था। सरबजोत सिंह दिल्ली से आज दोपहर को अंबाला पहुंचेगा। सरबजोत का अंबाला लौटने पर अंबाला छावनी में कई जगह स्वागत हो सकता है। अंबाला से उनके गांव धीन तक रास्ते में भी उनके स्वागत की तैयारी कीर जा रही है। उनके पिता जितेंद्र पहले ही कह चुके हैं कि गांव में उनके स्वागत में ढ़ोल नगाड़े बजेंगे। उनको खुली गाड़ी में गांव तक लाया जाएगा। बता दें कि सरबजोत सिंह ने पेरिस ओलिंपिक में 10 मीटर मिक्स डबल शूटिंग में कांस्य पदक जीता है। सरबजोत सिंह के कोच अभिषेक राणा ने बताया कि सरबजोत आज दोपहर को 12 बजे के करीब अपने गांव अंबाला पहुंचेगा। सरबजोत के पिता जितेंद्र सिंह ने बताया कि उनको बेटे के घर लौटने का इंतजार है। यहां पर उनका स्वागत ढोल नगाड़े के साथ बड़ी धूमधाम से होगा। सबसे पहले सरबजोत अंबाला के पंजोखरा साहिब गुरुद्वारे में पूरे परिवार के साथ माथा टेकेगा। इसके लिए सरबजोत कौर की मां हरजीत कौर ने अपने तौर पर पूरी तैयारी कर रखी है। जितेंद्र ने कहा कि फिलहाल उनको नहीं पता कि बेटा कब अंबाला आएगा। वे अभी घर पर ही हैं। दिल्ली में स्वागत की सूचना की सूचना भी उनको नहीं मिली थी।
जिसका 40 साल से श्राद्ध निकल रहा, वह जिंदा मिला:हरियाणा में लावारिस घूम रहा था; NGO ने इलाज किया तो परिवार के बारे में बताया
जिसका 40 साल से श्राद्ध निकल रहा, वह जिंदा मिला:हरियाणा में लावारिस घूम रहा था; NGO ने इलाज किया तो परिवार के बारे में बताया परिवार के लोग जिसे 40 साल से मरा हुआ समझकर श्राद्ध निकाल रहे थे, वह रामेश्वर दास हरियाणा में जिंदा मिला। यमुनानगर के नी आसरे दा आसरा शेल्टर होम के सदस्यों ने मानसिक रूप से बीमार रामेश्वर दास को एक महीने पहले कुरुक्षेत्र के सरकारी अस्पताल के सामने से रेस्क्यू किया था। वहां पूछताछ करने पर पता चला कि रामेश्वर दास लंबे समय से यहां रह रहा है। गिरने की वजह से उसे चोट भी लगी हुई थी। वह ठीक से नहीं चल पा रहा था। इसके बाद उसे यमुनानगर के मघरपुर गांव स्थित शेल्टर होम ले जाया गया। शेल्टर होम में रामेश्वर दास का इलाज किया गया। पूछताछ में पता चला कि वह बिहार के गया जिले के बड़ी खाप गांव का रहने वाला है। शेल्टर होम के सदस्यों ने रामेश्वर दास के बड़े बेटे राजू भारती का नंबर निकालकर कॉल की। इसके बाद परिवार के लोग यमुनानगर पहुंचे। यहां परिवार रामेश्वर दास को देख कर फूट-फूटकर रोया। इसके बाद उसे अपने साथ ले गए। बेटा बोला- पिता बिना बताए घर से निकले रामेश्वर दास के बेटे राजू भारती ने बताया कि पिता 40 साल पहले घर से बिना बताए चले गए थे। इसके बाद न वह घर आए और न ही संपर्क करने की कोशिश की। परिवार ने मान लिया था कि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसे बाद वह हर साल पिता का श्राद्ध मनाने लगे थे। रामेश्वर को लेकर कुरुक्षेत्र से कॉल आई शेल्टर होम के सदस्य जसकीरत सिंह ने कहा कि आसपास जिलों में जो भी लोग बेसहारा लोग घूमते हैं, हम उनका यहां इलाज करते हैं। हमारे एक सदस्य ने कुरुक्षेत्र से कॉल किया था। वहां गए तो रामेश्वर दास की हालत नाजुक थी। शेल्टर होम में इलाज शुरू किया। यहां काउंसिलिंग के बाद पता चला कि वह बिहार का रहने वाला है। परिवार को यकीन नहीं हुआ जसकीरत सिंह ने आगे बताया कि हमारी ट्रैकिंग टीम रामेश्वर के घर तक पहुंची। परिवार उसे मरा हुआ समझ चुका था। जब टीम ने परिवार को ये बात बताई तो उन्हें एक बार के लिए यकीन नहीं हुआ। फिर उसकी वीडियो कॉल पर बात कराई। यही पता चला है कि रामेश्वर यहां काम ढूंढने के लिए आया था। यहां वह बीमार होता चला गया। इसके बाद घर भी नहीं जा पाया। अभी तक हमारी टीम 350 के करीब लोगों को घर पहुंचा चुके हैं। लोगों से अपील है कि आप लोगों को कोई भी रोड पर बेसहारा घूमता हुआ या मानसिक रूप से बीमार दिखे तो हमारी टीम को सूचना दें।
रेवाड़ी के सैनिक स्कूल में रैगिंग:12वीं के छात्र ने डंडे से कई स्टूडेंट को पीटा; परिजन बोले- बच्चों को प्रताड़ित किया
रेवाड़ी के सैनिक स्कूल में रैगिंग:12वीं के छात्र ने डंडे से कई स्टूडेंट को पीटा; परिजन बोले- बच्चों को प्रताड़ित किया हरियाणा में रेवाड़ी जिले के गांव गोठड़ा में स्थित सैनिक स्कूल में 12वीं क्लास के एक कैंडेट (स्टूडेंट) द्वारा अन्य विद्यार्थियों को डंडे से पीटने का वीडियो सामने आया है। जिसमें सीनियर स्टूडेंट जूनियर को लाइन में लगाकर डंडे से पीटते हुए साफ दिखाई दे रहा है। दर्द की वजह से बच्चे कहराते हुए भी दिखाई दिए। हालांकि ये साफ नहीं हो पाया कि वीडियो कब है। लेकिन वीडियो सामने आने के बाद सैनिक स्कूल की तरफ से कहा गया कि घटना के बारे में जांच की जा रही है। कैडेट दोषी मिला तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं पीड़ित छात्रों के अभिभावकों ने कहा कि रैगिंग करते हुए उनके बच्चों को प्रताड़ित किया जा रहा है। दरअसल, दो दिन पहले ये वायरल वीडियो अभिभावकों के पास पहुंचा। जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया और अभिभावकों ने इसे मीडिया तक पहुंचाया। उसी समय मामला सैनिक स्कूल प्रशासन तक भी पहुंचा, लेकिन इस संबंध में कोई एक्शन नहीं लिया गया। हालांकि मीडिया में आने के बाद स्कूल के प्रवक्ता की तरफ से बयान दिया गया कि जांच की जा रही है। मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। पहले भी कई घटनाएं हो चुकी रेवाड़ी-जैसलमेर हाईवे (NH-11) पर गांव गोठड़ा में स्थित सैनिक स्कूल में पहले भी कई तरह की घटनाएं हो चुकी है। एक साल पहले स्कूल की तीसरी मंजिल से कूदकर एक सुसाइड कर लिया था। इतना ही नहीं पिछले साल स्कूल के अंदर दो सीनियर अधिकारी ही आपस में भिड़ गए थे। मामला तूल पकड़ा तो दूसरे अधिकारी का ताबदला कर दिया। अब स्कूल के अंदर रैगिंग का मामला सामने आया है। डेढ़ साल पहले शिफ्ट हुआ स्कूल बता दें कि गोठड़ा सैनिक स्कूल की घोषणा 2008 में हुई थी। उसी समय सैनिक स्कूल की कक्षाएं रेवाड़ी शहर के सेक्टर-4 स्थित अस्थाई बिल्डिंग में लगनी शुरू हो गई थी। सैनिक स्कूल की बिल्डिंग को बनने में 15 साल लग गए। भवन बनकर तैयार हुआ तो इसे शिफ्ट करने में काफी अड़चने हुई। हालांकि लंबी खिंचतान के बाद डेढ़ साल पहले सैनिक स्कूल को गोठड़ा के भवन में शिफ्ट किया गया था।