हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के द्रंग में वर्षों पुराने पुलिस थाने को पधर शिफ्ट करने बाद द्रंग में पुलिस चौकी स्थापित न किए जाने से आधा दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों के लोग प्रदेश सरकार के खिलाफ मुखर हुए हैं। ग्रामीणों ने अब प्रदेश सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। पुलिस चौकी स्थापित किए जाने की मांग को लेकर स्थानीय युवा रविवार को बाइक रैली निकाल कर आवाज बुलंद करेंगे। इस धरना- प्रदर्शन में क्षेत्र के युवक मंडल, महिला मंडल, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण भी शामिल होंगे। बाइक रैली पुलिस थाने के पुराने भवन से ग्राम पंचायत टांडू, मैगल, शाढला, तरयांबलि होते हुए सिलग पंचायत तक निकाली जाएगी। ग्राम पंचायत टांडू के प्रधान शुभम शर्मा ने कहा कि द्रंग से पुलिस थाना पधर शिफ्ट किए जाने के बाद द्रंग क्षेत्र में चोरी और अन्य वारदातें लगातार बढ़ रही हैं। गत दो माह में ही दो दर्जन से अधिक चोरी की वारदातें हो चुकी हैं। जिससे ग्रामीण दहशत में है। उन्होंने कहा कि द्रंग से पुलिस थाना पधर शिफ्ट होने के बाद चोरों के हौसले बुलंद हैं। सीएम सुक्खू ने दिया था आश्वासन जिसके चलते स्थानीय प्रतिनिधियों और समाज सेवी संगठनों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से द्रंग में पुराने थाना के खाली भवन में चौकी स्थापित करने की मांग उठाई। लोकसभा चुनाव से पहले एक प्रतिनिधि मंडल विधायक पूर्ण चंद के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से शिमला में मिला था। उस समय सीएम ने आचार संहिता हटते ही चौकी स्थापित किए जाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कदम सरकार द्वारा नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने मांग उठाई कि प्रदेश सरकार अति शीघ्र यहां पुलिस चौकी स्थापित करे। जब तक पुलिस चौकी की अधिसूचना जारी नहीं होती। अस्थाई चौकी यहां स्थापित की जाए। जिससे अपराधों में कमी आए। अन्यथा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और ग्रामीण प्रदेश सरकार के खिलाफ मुखर होंगे। जिसकी शुरुआत बाइक रैली से की जाएगी। इसके बाद भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। एक साल पहले शिफ्ट किया गया था थाना उल्लेखनीय है कि ठीक एक साल पहले अगस्त 2023 में वर्षों से द्रंग में चल रहे पुलिस थाना भवन को पधर शिफ्ट किया है। जिसके बाद से ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीण द्रंग में पुलिस चौकी स्थापित करने की मांग उठाते आए हैं। लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कार्रवाई इस बारे नहीं हो पाई है। ऐसे में ग्रामीण लामबंद हुए है। हालांकि थाना पधर में भी तहसील कार्यालय के पुराने भवन में ही चल रहा है। यहां थाने के निर्माणाधीन नए भवन का कार्य धीमी गति से चल रहा है। हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के द्रंग में वर्षों पुराने पुलिस थाने को पधर शिफ्ट करने बाद द्रंग में पुलिस चौकी स्थापित न किए जाने से आधा दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों के लोग प्रदेश सरकार के खिलाफ मुखर हुए हैं। ग्रामीणों ने अब प्रदेश सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। पुलिस चौकी स्थापित किए जाने की मांग को लेकर स्थानीय युवा रविवार को बाइक रैली निकाल कर आवाज बुलंद करेंगे। इस धरना- प्रदर्शन में क्षेत्र के युवक मंडल, महिला मंडल, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण भी शामिल होंगे। बाइक रैली पुलिस थाने के पुराने भवन से ग्राम पंचायत टांडू, मैगल, शाढला, तरयांबलि होते हुए सिलग पंचायत तक निकाली जाएगी। ग्राम पंचायत टांडू के प्रधान शुभम शर्मा ने कहा कि द्रंग से पुलिस थाना पधर शिफ्ट किए जाने के बाद द्रंग क्षेत्र में चोरी और अन्य वारदातें लगातार बढ़ रही हैं। गत दो माह में ही दो दर्जन से अधिक चोरी की वारदातें हो चुकी हैं। जिससे ग्रामीण दहशत में है। उन्होंने कहा कि द्रंग से पुलिस थाना पधर शिफ्ट होने के बाद चोरों के हौसले बुलंद हैं। सीएम सुक्खू ने दिया था आश्वासन जिसके चलते स्थानीय प्रतिनिधियों और समाज सेवी संगठनों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से द्रंग में पुराने थाना के खाली भवन में चौकी स्थापित करने की मांग उठाई। लोकसभा चुनाव से पहले एक प्रतिनिधि मंडल विधायक पूर्ण चंद के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से शिमला में मिला था। उस समय सीएम ने आचार संहिता हटते ही चौकी स्थापित किए जाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कदम सरकार द्वारा नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने मांग उठाई कि प्रदेश सरकार अति शीघ्र यहां पुलिस चौकी स्थापित करे। जब तक पुलिस चौकी की अधिसूचना जारी नहीं होती। अस्थाई चौकी यहां स्थापित की जाए। जिससे अपराधों में कमी आए। अन्यथा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और ग्रामीण प्रदेश सरकार के खिलाफ मुखर होंगे। जिसकी शुरुआत बाइक रैली से की जाएगी। इसके बाद भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। एक साल पहले शिफ्ट किया गया था थाना उल्लेखनीय है कि ठीक एक साल पहले अगस्त 2023 में वर्षों से द्रंग में चल रहे पुलिस थाना भवन को पधर शिफ्ट किया है। जिसके बाद से ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीण द्रंग में पुलिस चौकी स्थापित करने की मांग उठाते आए हैं। लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कार्रवाई इस बारे नहीं हो पाई है। ऐसे में ग्रामीण लामबंद हुए है। हालांकि थाना पधर में भी तहसील कार्यालय के पुराने भवन में ही चल रहा है। यहां थाने के निर्माणाधीन नए भवन का कार्य धीमी गति से चल रहा है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में मंत्री पद को लॉबिंग:पद एक, तलबगार अनेक; अवस्थी, सुंदर और संजय रत्न के नाम चर्चा में, कांगड़ा में सियासी चर्चाएं ज्यादा तेज
हिमाचल में मंत्री पद को लॉबिंग:पद एक, तलबगार अनेक; अवस्थी, सुंदर और संजय रत्न के नाम चर्चा में, कांगड़ा में सियासी चर्चाएं ज्यादा तेज हिमाचल प्रदेश में छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द होते ही कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई है। CPS पद से हटाए गए 6 विधायक मंत्री पद को लॉबिंग में जुट गए हैं। पदों से हटने के बाद गुरुवार को संजय अवस्थी और एमएल ब्राक्टा दोनों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू से शिमला में मुलाकात की। मंत्री पद को लेकर सबसे ज्यादा सियासी हलचल कांगड़ा जिला में है, क्योंकि कांगड़ा के 2 CPS बाहर हुए हैं। सुक्खू सरकार में अभी सबसे बड़े कांगड़ा जिला से दो ही मंत्री है। पूर्व की जयराम, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल सरकार में कांगड़ा जिला से तीन-तीन मंत्री बनते रहे है। इसलिए कांगड़ा में तीसरे मंत्री पद को लेकर ज्यादा चर्चाएं है। पदों से हटाए गए CPS में अर्की से विधायक संजय अवस्थी और कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर का नाम मंत्री की रेस में आगे माना जा रहा है। संजय अवस्थी की दावेदारी से आड़े आएंगे क्षेत्रीय समीकरण संजय अवस्थी इस सरकार में CM सुक्खू के सबसे करीबी माने जाते हैं। मगर उनकी ताजपोशी में क्षेत्रीय समीकरण आड़े आ सकते हैं। सोलन जिला में कुल 5 विधानसभा सीटें है। इस जिले से पहले ही धनीराम शांडिल मंत्री है। इसी तरह अर्की विधानसभा हलका शिमला संसदीय क्षेत्र में आता है। इस संसदीय क्षेत्र से सुक्खू सरकार में 6 मंत्री है, जबकि सीएम को मिलाकर कुल 11 मंत्री है। बीते दिनों बगावत और हिमाचल सरकार पर संकट की भी यही सबसे बड़ी वजह रही, क्योंकि हिमाचल सरकार पर सियासी संकट से पहले तक कांगड़ा जिला से केवल एक ही मंत्री बनाया गया था और तब सुधीर शर्मा ने खुलकर बगावत की। इसके बाद सरकार पर सियासी संकट आया था। क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ने के डर से दोबारा विरोध की चिंगारी न सुलगे, इस वजह से संजय अवस्थी की दावेदारी कमजोर पड़ सकती है। सुंदर ठाकुर की दावेदार मजबूत वहीं पूर्व CPS एवं कुल्लू से विधायक सुंदर सिंह ठाकुर मंडी संसदीय हलके से आते हैं। कुल्लू जिला से सुक्खू सरकार में एक भी मंत्री नहीं है। इसी तरह मंडी संसदीय क्षेत्र से जगत सिंह नेगी इकलौते मंत्री है। मगर वह ट्राइबल कोटे से मंत्री बने हैं। इस वजह से सुंदर सिंह ठाकुर की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है। यह अब सुक्खू पर निर्भर करेगा कि वह मंडी संसदीय हलके या फिर कांगड़ा को मंत्री पद देते हैं। ज्वालामुखी से संजय रत्न भी दावेदार प्रदेश की सत्ता की चाबी तय करने वाले कांगड़ा जिला की बात करें तो ज्वालामुखी से विधायक संजय रत्न को कैबिनेट मंत्री का अच्छा दावेदार माना जा रहा है, क्योंकि कांगड़ा जिला दो मंत्री चंद्र कुमार और यादवेंद्र गोमा पहले ही मंत्री बनाए जा चुके है। भवानी सिंह पठानिया और केवल सिंह पठनिया को सीएम सुक्खू ने कैबिनेट रैंक दे रखा है। इसलिए संजय रत्न पर सहमति बन सकती है। संजय रत्न पर सहमति नहीं बनती है तो पूर्व सीपीएस आशीष बुटेल को भी मंत्री बनाया जा सकता है। बगावत से बचने के लिए CM को देना होगा राजनीतिक सूझबूझ का परिचय राजनीति के जानकारों की माने तो मुख्यमंत्री सुक्खू को सोच समझकर क्षेत्रीय संतुलन बिठाना होगा, क्योंकि उन पर पहले भी मित्र मंडली को खुश करने के आरोप लगते रहे है। विपक्ष को बार बार मित्रों की सरकार बोलता रहा है। हिमाचल सरकार पर संकट के दौरान इस तरह की आवाजें कांग्रेस संगठन के भीतर से भी गूंजी थी। इसलिए सीएम सुक्खू को राजनीतिक दृष्टि से सूझबूझ वाला निर्णय लेना होगा। ऐसा नहीं किया तो बगावत की चिंगारी फिर से भड़क सकती है। कमलेश ठाकुर और अनुराधा भी चर्चा में सियासी गलियारों में महिला मंत्री को लेकर भी चर्चाएं है। इस सरकार में सीएम सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर और लाहौल स्पीति से अनुराधा राणा विधायक विधायक है। मगर दोनों पहली बार चुनाव जीती हैं। महिला को विधायक बनाए जाने की चर्चाएं जरूर है, लेकिन इनका अनुभव आड़े आ सकता है। यदि कमलेश ठाकुर मंत्री बनती है तो कांगड़ा जिला को तो मंत्री पद मिल जाएगा, लेकिन सीएम सुक्खू पर इससे सवाल खड़े हो सकते हैं।
हिमाचल में विवादित मस्जिद पर बवाल:शिमला में क्षत्रिय संगठन का प्रदर्शन; अवैध निर्माण को गिराने पर अड़े लोग, सदन में गूंज चुका मामला
हिमाचल में विवादित मस्जिद पर बवाल:शिमला में क्षत्रिय संगठन का प्रदर्शन; अवैध निर्माण को गिराने पर अड़े लोग, सदन में गूंज चुका मामला हिमाचल की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद निर्माण का मामला तूल पकड़ रहा है। शिमला में आज देवभूमि क्षेत्रीय संगठन के बैनर विशाल प्रदर्शन रखा गया है। तनाव की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने इन्हें संजौली में प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई। इसलिए चौड़ा मैदान में प्रदर्शन रखा गया है। देवभूमि क्षत्रीय संगठन ने दावा किया कि इस प्रदर्शन में उनके साथ प्रदेश सरकार में कुछ मंत्री भी शामिल होंगे। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रुमित ठाकुर ने कहा, एक विशेष समुदाय ने शिमला में काफी जगह कब्जा कर रखा है। एक दिन हिमाचल बांग्लादेश बन जाएगा। इसलिए हिमाचल को बचाने के लिए हमे जागना होगा। उन्होंने बताया, संजौली में अवैध मस्जिद को गिराना होगा। देवभूमि का माहौल खराब करने की किसी को भी इजाजत नहीं दी जाएगी। इसलिए आज सड़कों पर उतर रहे हैं। आगे भी आंदोलन जारी रहेगा। इसी मामले में शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बीते कल सदन में कहा, नगर निगम आयुक्त कोर्ट में केस चल रहा है। अगर कोर्ट मस्जिद को अवैध बोलता है, तो नियमों के तहत सरकार कार्रवाई की जाएगी। पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह मस्जिद और विशेष समुदाय पर सख्त कार्रवाई की पैरवी करते नजर आएं। उन्होंने कहा, एक विशेष समुदाय के नए-नए लोग रोज यहां आ रहे हैं। क्या ये रोहिंग्या है? वह कुछ ऐसे लोगों को जानते हैं, जो बांग्लादेशी है। उन्होंने सदन में एमसी की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए। संजौली में 5 दिन से मस्जिद पर मचा बवाल शिमला के संजौली में पॉश इलाके में बिना अनुमति व नक्शा पास किए बगैर 5 मंजिला ऊंची मस्जिद बना दी गई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां बड़ी संख्या में सैकड़ों लोग नमाज पढ़ने आते हैं। 4 दिन पूर्व प्रदर्शन कर रहे लोगों ने समुदाय विशेष के लोगों द्वारा स्थानीय व्यक्तियों के घरों में तांक-झांक करने के भी आरोप लगाए थे। हिंदू संगठन मस्जिद तोड़ने पर अड़े प्रदर्शन के दौरान लोगों ने मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया। बीते शनिवार शाम को समुदाय विशेष के लोगों द्वारा स्थानीय व्यक्ति के साथ मारपीट भी की गई। इस मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मारपीट के बाद से यह मामले ने तूल पकड़ा है। हिंदू संगठनों और स्थानीय लोग मस्जिद को गिराने पर अड़ गए हैं। पहले 2 परिवार थे, अब सैकड़ों लोग पहुंच रहे: श्याम लाल संजौली निवासी 73 वर्षीय श्याम लाल ने बताया कि पहले यहां छोटी मस्जिद थी। एक समुदाय के 2 ही परिवार यहां रहते थे, लेकिन बीते कुछ सालों के दौरान यहां बड़ी संख्या में बाहर से आकर लोग बसने लगे। बाहरी लोगों ने ही यहां बहुमंजिला मस्जिद बनाई, जो मस्जिद पहले बनी थी, वो कच्ची और 2 मंजिल की थी। उन्होंने बताया कि नमाज के वक्त यहां लोगों की इतनी भीड़ होती है। इससे स्थानीय लोगों का चलना मुश्किल हो जाता है। इमाम बोले- 1947 में बनी पुरानी मस्जिद मस्जिद के इमाम शहजाद ने कहा, मस्जिद 1947 से पहले की है। पहले मस्जिद कच्ची थी और 2 मंजिल की थी। लोग मस्जिद के बाहर नमाज पढ़ते थे, जिससे नमाज में दिक्कतें आती थी। इसे देखते हुए लोगों ने चंदा एकत्रित किया और मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू किया। उन्होंने बताया कि जमीन वक्फ बोर्ड की थी, जिस पर 2 मंजिल पहले से बनी थी। 2 मंजिल को लेकर बवाल कोर्ट में चल रहा है। वक्फ बोर्ड इसकी लड़ाई लड़ रहा है। कानून का जो निर्णय होगा वो सभी को मंजूर होगा। राज्य सरकार के अनुसार, मस्जिद पुरानी है। मगर अवैध निर्माण 2010 में शुरू हुआ। इसके बाद 30 से 35 बार अवैध निर्माण रोकने के लिए नोटिस दिए गए। मगर निर्माण नहीं रोका गया और कमिशनर कोर्ट में 44 पेशी लग चुकी है। इस मामले में अगली सुनवाई परसो यानी 7 सितंबर को है।
शिमला में सोमवार को भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी:हॉस्पिटल में नहीं होगा इलाज, मरीजों को हो रही परेशानी, केवल इमरजेंसी सेवा चालू
शिमला में सोमवार को भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी:हॉस्पिटल में नहीं होगा इलाज, मरीजों को हो रही परेशानी, केवल इमरजेंसी सेवा चालू हिमाचल प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में सोमवार को भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। भारतीय चिकित्सा संघ के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश में डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया है। आज भी मरीजो को अस्पतालों में इलाज नहीं मिलेगा। शनिवार से शुरू हुई हड़ताल रविवार को छुट्टी होने के कारण आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गई है। ऐसे में आज भी मरीजों को परेशानियां झेलनी पड़ेगी। रेजिडेंट डॉक्टर के बाद हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन (HMOA) भी हड़ताल पर है। जिससे प्रदेश में इससे स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतर गई है। अस्पतालों में केवल आपातकालीन सेवाएं चालू रही। पश्चिम बंगाल की घटना पर भड़के डॉक्टर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर मामले में देशभर के डॉक्टर भड़क उठे हैं। इसी कड़ी में हिमाचल में भी रेजिडेंट डॉक्टर 14 अगस्त से हड़ताल पर है, और शनिवार से इसमें सीनियर डॉक्टर भी समर्थन में हड़ताल में उतर आए हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गाड़ी पटरी से उतर गई है। हिमाचल प्रदेश में अकेले आईजीएमसी शिमला में रोजाना 3000 से ज्यादा मरीज ओपीडी में उपचार को पहुंचते है। इसी तरह प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आते है। जिन्हें डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। ओपीडी में इलाज, ऑपरेशन, सर्जरी कुछ नहीं होगा आज शनिवार को ओपीडी में डॉक्टरों के नहीं बैठने से मरीजों को बिना उपचार के लिए वापस लौटना पड़ा। आज भी डॉक्टर ओपीडी में नही बैठेंगे। डॉक्टरों की चल रही हड़ताल के कारण मरीजों का ओपीडी में नहीं इलाज होगा और नियमित ऑपरेशन भी नहीं होंगे। आपातकालीन सेवाओं को छोड़ कर बाकी सब सेवाएं ठप रहेगी। डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन आज भी जारी वहीं डॉक्टरों ने अलग-अलग जिलों और अस्पतालों में प्रदर्शन जारी रखने का ऐलान किया है। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों हॉस्पिटल में आज भी डॉक्टर इलाज नही करेंगे। यदि मरीज दूरदराज क्षेत्रों से हॉस्पिटल पहुंचे तो शनिवार की तरह ही बिना इलाज के वापस लौटना पड़ सकता है। IMA का रेजिडेंट डॉक्टरों को समर्थन IMA के राष्ट्रीय इकाई के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को समर्थन के ऐलान के बाद हिमाचल डॉक्टर एसोसिएशन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA), फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (FORDA) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FOAIA) ने सोमवार को भी हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है। 14 अगस्त से हड़ताल पर रेजिडेंट डॉक्टर हिमाचल में 14 अगस्त रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से केवल मेडिकल कॉलेज में ही स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ा था, क्योंकि 4 दिन तक रेजिडेंट डॉक्टरों ही हड़ताल पर थे। मगर शनिवार से कंसल्टेंट डॉक्टर भी हड़ताल कर रहे हैं। इससे मेडिकल कालेज के साथ साथ प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सेवाएं चरमाई है। कल रविवार होने के कारण मरीजों को इलाज नहीं मिला और आज डॉक्टरों ने हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया है, तो आज भी मरीजों को इलाज नहीं मिलेगा।