हरियाणा के हिसार के हांसी में एक प्रेमिका ने जहर खा लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। न्यू सुभाष नगर निवासी लड़की के पिता अनिल ने पुलिस को बताया कि वे पब्लिक हेल्थ में ठेकेदारी का काम करते हैं। उसके दो बच्चे हैं- एक लड़का और एक लड़की। लड़के का नाम हर्ष (22) और लकड़ी का निकिता (19) हैं। अनिल ने बताया कि मेरी लड़की निकिता कुछ दिनों से परेशान रह रहीं थी। उन्होंने जब निकिता से परेशानी का कारण पूछा तो उसने बात को टाल दिया। लेकिन जब पिता ने निकिता से बार-बार पूछा तो उसने बताया कि वह धरोली (सफीदों) का रहना वाला अमन से परेशान है। निकिता ने बताया कि अमन ने उसे शादी का झांसा देकर उसके साथ कई बार अवैध संबंध बनाए। लेकिन बाद में शादी करने से मना दिया। लड़की ने अपने पिता को अमन का नंबर दिया। इसके बाद पिता ने अमन से बात की तो अमन ने उनको धमकाना शुरू कर दिया। इसके बाद पिता ने बेटी को समझाया। उसके बाद लड़की ने अपने पिता को दोपहर 12 बजे स्कूटी से बस स्टैण्ड पर छोड़ा और बाद में वापस घर चली गई। लड़की ने घर जाकर जहर खा लिया। लड़की को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा के हिसार के हांसी में एक प्रेमिका ने जहर खा लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। न्यू सुभाष नगर निवासी लड़की के पिता अनिल ने पुलिस को बताया कि वे पब्लिक हेल्थ में ठेकेदारी का काम करते हैं। उसके दो बच्चे हैं- एक लड़का और एक लड़की। लड़के का नाम हर्ष (22) और लकड़ी का निकिता (19) हैं। अनिल ने बताया कि मेरी लड़की निकिता कुछ दिनों से परेशान रह रहीं थी। उन्होंने जब निकिता से परेशानी का कारण पूछा तो उसने बात को टाल दिया। लेकिन जब पिता ने निकिता से बार-बार पूछा तो उसने बताया कि वह धरोली (सफीदों) का रहना वाला अमन से परेशान है। निकिता ने बताया कि अमन ने उसे शादी का झांसा देकर उसके साथ कई बार अवैध संबंध बनाए। लेकिन बाद में शादी करने से मना दिया। लड़की ने अपने पिता को अमन का नंबर दिया। इसके बाद पिता ने अमन से बात की तो अमन ने उनको धमकाना शुरू कर दिया। इसके बाद पिता ने बेटी को समझाया। उसके बाद लड़की ने अपने पिता को दोपहर 12 बजे स्कूटी से बस स्टैण्ड पर छोड़ा और बाद में वापस घर चली गई। लड़की ने घर जाकर जहर खा लिया। लड़की को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के पूर्व डिप्टी CM सरकारी कोठी खाली कर रहे:मान्यता- इसमें रहने वाला दोबारा नहीं जीतता; दुष्यंत ने टाइम भी पूरा नहीं किया
हरियाणा के पूर्व डिप्टी CM सरकारी कोठी खाली कर रहे:मान्यता- इसमें रहने वाला दोबारा नहीं जीतता; दुष्यंत ने टाइम भी पूरा नहीं किया चंडीगढ़ में सरकारी कोठी नंबर-48 अक्सर चर्चा में रहती है। इस बार इसकी चर्चा हरियाणा के पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला को लेकर है। वह अब तक इसी कोठी में रहे थे, लेकिन अब वह इसे खाली कर पंचकूला में शिफ्ट हो रहे हैं। हालांकि, अभी यह कोठी किसी को अलॉट नहीं हुई है। इस कोठी के साथ एक धारणाएं जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि इस कोठी में रहने वाले मंत्रियों में ज्यादातर अगली दफा विधानसभा तक भी नहीं पहुंचते। अब JJP नेता दुष्यंत चौटाला इस कोठी को 5 साल पूरा होने से पहले ही खाली कर रहे हैं। हालांकि, अब वह मंत्री नहीं हैं, इसलिए खाली करना भी पड़ता। इसके अलावा यहां कोठी नंबर-78 को लेकर भी ऐसी ही धारणाएं बनी। बाद में इस कोठी को IAS अफसरों को ही अलॉट किया जाता रहा है। ये कोठियां भी मंत्रियों की अन्य कोठियों की तरह काफी अच्छी हैं, लेकिन इनके साथ जुड़ी धारणाएं नेगेटिव हैं। समझिए… कोठी नंबर-48 का गणित
चंडीगढ़ में कोठी नंबर-48 सेक्टर-2 में है। यहां हरियाणा कोटे की अन्य कोठियां भी हैं, जिनमें मंत्री रहते हैं। इस कोठी में इनेलो सरकार में चौधरी धीरपाल सिंह रहे थे। वह 1999 से 2005 तक इस कोठी में रहे, लेकिन इसके बाद वह नहीं जीते। इस कोठी में कांग्रेस सरकार बनने पर तब के वित्त मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह रहने लगे, लेकिन वह भी 2009 में हार गए। उन्हें उचाना सीट पर ओमप्रकाश चौटाला ने विधानसभा में हराया। कांग्रेस के दूसरे कार्यकाल में 2009 में यह कोठी मंत्री रणदीप सुरजेवाला को अलॉट हुई। वह जीतकर विधानसभा ताे पहुंचे, लेकिन उनकी सरकार सत्ता से बाहर होने पर वह मंत्री नहीं बन सके और कोठी खाली करनी पड़ी। भाजपा सरकार बनने पर 2014 में यह कोठी तब के वित्त मंत्री कैप्टनअभिमन्यु काे मिली, लेकिन वह भी 2019 में चुनाव हार गए। गठबंधन सरकार बनने पर यह कोठी 2019 में तब के डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला को मिली, लेकिन अब लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। गठबंधन टूटने से सरकार से बाहर हो गए। अब वह यहां पांच साल पूरे नहीं कर रहे। वह इस कोठी को पहले ही खाली कर रहे हैं। कोठी नंबर-78 में ये भी रहे, जो अगली बार नहीं जीते
कोठी नंबर-78 में तत्कालीन डिप्टी स्पीकर कुलबीर सिंह, सुषमा स्वराज, करतार देवी, बहादुर सिंह, रामबिलास शर्मा, फूलचंद मुलाना रह चुके हैं। ये लोग अगली बार विधानसभा नहीं पहुंचे थे। इनके बाद कृष्णलाल पंवार को भी हार का सामना करना पड़ा। अब यह कोठी अफसरों को दी जा रही है। इसमें अभी मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव रह रहे हैं।
पानीपत में सड़क हादसे में महिला की मौत:ससुराल छोड़ने जा रहा था भाई; रास्ते में कार चालक उनकी ओर तेज गति से आया, संतुलन बिगड़ने पर नीचे गिरी
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