गुरुग्राम जिले के जटौली मंडी में एक युवक ने अपनी पत्नी से अवैध संबंध के शक में अपने साथियों के साथ मिलकर एक युवक की हत्या कर दी। पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। आरोपी की पहचान राजेश उर्फ लंबू निवासी गांव जाटौली के रूप में हुई। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि उसे शक था कि मृतक पवन व उसकी पत्नी के बीच अवैध संबंधों थे। जिस कारण उसने साथियों के साथ मिलकर पवन के साथ मारपीट की। गंभीर और अधिक चोट के कारण उसकी मौत हो गई। गंभीर हालत में फेंकर हुए फरार जटौली मंडी के वार्ड-9 निवासी राजेंद्र शर्मा शहर के एक विख्यात मंदिर के पुजारी हैं। उन्हें रविवार की सुबह सूचना मिली कि उनका 26 वर्षीय बेटा पवन कुमार फरीदपुर रोड पर लहूलुहान अवस्था में पड़ा है। जिस पर परिजन मौके पर पहुंचे और पवन को अस्पताल पहुंचाया। जहां उसकी हालत गंभीर देखते हुए उसे गुरुग्राम के अस्पताल भेज दिया गया। देर सांय उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। 6 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज मृतक के भाई राहुल ने पुलिस को शिकायत में कहा कि उसके भाई के साथ राजेश उर्फ लंबू, अंकित, संगम, मोहन हलवाई सहित दो अज्ञात ने मारपीट की है। पुलिस ने 4 नामजद सहित 6 आरोपियों पर केस दर्ज किया। थाना प्रभारी सज्जन सिंह ने कहा कि पुलिस ने केस दर्ज कर मुख्य आरोपी को काबू कर लिया है। मामले की छानबीन चल रही है, जल्दी ही अन्य आरोपियों को काबू कर लिया जाएगा। गुरुग्राम जिले के जटौली मंडी में एक युवक ने अपनी पत्नी से अवैध संबंध के शक में अपने साथियों के साथ मिलकर एक युवक की हत्या कर दी। पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। आरोपी की पहचान राजेश उर्फ लंबू निवासी गांव जाटौली के रूप में हुई। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि उसे शक था कि मृतक पवन व उसकी पत्नी के बीच अवैध संबंधों थे। जिस कारण उसने साथियों के साथ मिलकर पवन के साथ मारपीट की। गंभीर और अधिक चोट के कारण उसकी मौत हो गई। गंभीर हालत में फेंकर हुए फरार जटौली मंडी के वार्ड-9 निवासी राजेंद्र शर्मा शहर के एक विख्यात मंदिर के पुजारी हैं। उन्हें रविवार की सुबह सूचना मिली कि उनका 26 वर्षीय बेटा पवन कुमार फरीदपुर रोड पर लहूलुहान अवस्था में पड़ा है। जिस पर परिजन मौके पर पहुंचे और पवन को अस्पताल पहुंचाया। जहां उसकी हालत गंभीर देखते हुए उसे गुरुग्राम के अस्पताल भेज दिया गया। देर सांय उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। 6 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज मृतक के भाई राहुल ने पुलिस को शिकायत में कहा कि उसके भाई के साथ राजेश उर्फ लंबू, अंकित, संगम, मोहन हलवाई सहित दो अज्ञात ने मारपीट की है। पुलिस ने 4 नामजद सहित 6 आरोपियों पर केस दर्ज किया। थाना प्रभारी सज्जन सिंह ने कहा कि पुलिस ने केस दर्ज कर मुख्य आरोपी को काबू कर लिया है। मामले की छानबीन चल रही है, जल्दी ही अन्य आरोपियों को काबू कर लिया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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CAS ने कहा-वजन बढ़ने की जिम्मेदार विनेश फोगाट:ऑर्डर में लिखा- खिलाड़ी को इसका ध्यान रखना होगा, जॉइंट मेडल का नियम नहीं
CAS ने कहा-वजन बढ़ने की जिम्मेदार विनेश फोगाट:ऑर्डर में लिखा- खिलाड़ी को इसका ध्यान रखना होगा, जॉइंट मेडल का नियम नहीं पेरिस ओलिंपिक में 100 ग्राम वजन ज्यादा होने पर डिस्क्वालिफाई हुईं विनेश फोगाट के केस में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने 24 पेज की ऑर्डर कॉपी जारी की है। जिसमें CAS ने कहा कि किसी भी खिलाड़ी का वजन कम-ज्यादा होने का कारण और जिम्मेदार खुद खिलाड़ी ही है। नियमों से ऊपर कोई भी कारण नहीं हो सकता है। CAS ने आगे कहा कि खेलों में सभी प्रतिभागियों के लिए नियम समान होते हैं और इन नियमों में कोई भी ढील नहीं दी जा सकती। विनेश फोगाट का मामला यह था कि उनका वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम अधिक था। उन्होंने इस मामूली बढ़त के लिए सहनशीलता की मांग की थी, क्योंकि यह वृद्धि मासिक धर्म (पीरियड्स) के कारण पानी के रिटेंशन और पानी पीने के कारण हुई थी। लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और स्पष्ट कर दिया कि नियमों में कोई सहनशीलता का प्रावधान नहीं है। CAS के ऑर्डर की खास बातें… पानी की कमी की दलील दी CAS ने कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि विनेश फोगाट फाइनल से पहले वजन मापने के दौरान असफल साबित हुईं। यानी उनका वजन 50 किग्रा वेट कैटेगरी के लिहाज से ज्यादा पाया गया। इसमें विनेश का मानना यह था कि सिर्फ 100 ग्राम वजन ज्यादा है। इसे पीरियड्स, वॉटर रिटेंशन के चलते विलेज तक आने के कारण पानी नहीं मिल पाया। नियम सभी के लिए समान एथलीट्स के लिए समस्या यह है कि वजन को लेकर नियम साफ हैं और सभी के लिए समान भी हैं। इसमें कितना ज्यादा है, यह देखने के लिए कोई सहनशीलता प्रदान नहीं की गई है। यह सिंगलेट (फाइटिंग के दौरान पहलने वाली जर्सी) के वजन की भी अनुमति नहीं देता है। यह भी साफ है कि एथलीट को ही यह देखना होगा कि उसका वजन नियम के अनुसार ही हो। थोड़ी भी छूट देने का अधिकार नहीं यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के नियमों में साफ दिया गया है कि पहलवान को न सिर्फ टूर्नामेंट के शुरुआत में खेलने के योग्य होना चाहिए, बल्कि पूरे टूर्नामेंट के दौरान ही उसे योग्य होना चाहिए। यानी एंट्री से लेकर फाइनल तक ऐसे में नियमों में जरा भी अधिकार नहीं दिया गया है कि थोड़ी भी छूट दी जाए। इससे समझ सकते हैं कि क्यों ये नियम प्रदान करते हैं कि एक बार जब कोई पहलवान प्रतियोगिता के दौरान अयोग्य हो जाता है, तो अनुच्छेद 11 में दिए गए परिणाम लागू होते हैं। उस दिन के हालात पर छूट का प्रावधान नहीं एथलीट ने यह भी मांग की है कि वजन के नियमों में दी गई लिमिट को उस दिन की उसकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के अनुसार बदला जाए और उस लिमिट पर सहनशीलता लागू की जाए। यानी 100 ग्राम वजन को ज्यादा न समझा जाए और 50 किग्रा वेट कैटेगरी में खेलने की अनुमति दी जाए। मगर, नियमों को देखा जाए तो उसमें ऐसी कोई छूट देने का प्रावधान ही नहीं है। नियम साफ हैं कि 50 किग्रा वेट एक लिमिट है. इसमें व्यक्तिगत तौर पर सहूलियत देने या विवेकाधिकार प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है। विनेश ने पहले मापे गए वजन की दलील दी एथलीट का पहले दिन का वजन नियम के अनुसार था। उन्हें दूसरे दिन यानी फाइनल से पहले भी वजन माप में सफल होना था। नियमों के अनुच्छेद 11 के लागू होने के कारण विनेश टूर्नामेंट से बाहर हो गईं और बिना किसी रैंक के आखिरी स्थान पर आ गईं। इसने उनसे सिल्वर मेडल भी छीन लिया, जो उन्होंने सेमीफाइनल जीतने के साथ ही पक्का कर लिया था। इस पर विनेश की दलील है कि वो सिल्वर मेडल के लिए योग्य और पात्र बनी रहीं और 6 अगस्त (पहले दिन) को उनका जो सफल वजन माप हुआ था, उसे दूसरे दिन भी लागू किया जाए। नियमों में मेडल देने का प्रावधान नहीं नियमों में कोई विवेकाधिकार नहीं दिया गया है। इसे लागू करने के लिए एकमात्र मध्यस्थ पूरी तरह से बाध्य हैं। एकमात्र मध्यस्थ इस दलील में भी दम देखता है कि फाइनल से पहले जो वजन माप किया गया था, वो नियम के खिलाफ था तो विनेश को सिर्फ फाइनल के लिए अयोग्य माना जाना चाहिए। यानी उन्हें सिल्वर दिया जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से आवेदक के लिए नियमों में यह भी सुविधा भी प्रदान नहीं की गई है। फैसला कानूनी रूप से लिया गया एथलीट ने यह अनुरोध किया है कि अपील किए गए निर्णय को इस तरह से अलग रखा जाए कि नियमों के अनुच्छेद 11 में दिए गए परिणाम लागू न हों या अनुच्छेद 11 को इस तरह से समझा जाए कि यह सिर्फ टूर्नामेंट के आखिरी दौर पर लागू हो और यह टूर्नामेंट के शुरुआत से ही लागू न हो। यह विवाद का विषय नहीं है कि एथलीट दूसरे वजन-माप में असफल रहा। आवेदक ने नियमों के अनुच्छेद 11 को चुनौती नहीं दी है। इसका मतलब यह है कि फैसला कानूनी रूप से लिया गया था और अनुच्छेद 11 लागू होता है। जॉइंट मेडल का नियम नहीं एथलीट ने यह भी माना है कि नियमों के लिहाज से वो अयोग्य हो गई हैं। इस कारण सेमीफाइनल में उनसे हारने वाली एथलीट फाइनल खेलने के लिए योग्य हो गई हैं। उन्हें ही सिल्वर या गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। विनेश यह नहीं चाहती कि कोई अन्य पहलवान अपना मेडल खो दे। वो तो संयुक्त रूप से दूसरा सिल्वर मेडल चाहती हैं। ऐसे में कोई नियम नहीं है, जिसके आधार पर विनेश को संयुक्त रूप से दूसरा सिल्वर मेडल दिए जाने की सहूलियत प्रदान की जाए। कोई गैरकानूनी काम नहीं किया इन सभी नियमों और बातों का मतलब है कि एकमात्र मध्यस्थ विनेश द्वारा मांगी गई राहत को देने से इनकार करता है और उनका यह आवेदन खारिज करता है।एकमात्र मध्यस्थ ने यह पाया है कि विनेश ने खेल के मैदान में एंट्री की और पहले ही दिन 3 राउंड के मुकाबले में फाइटिंग करते हुए जीत हासिल की। इसके दम पर उन्होंने पेरिस ओलिंपिक गेम्स में 50 किग्रा वेट कैटेगरी के रेसलिंग फाइनल में पहुंचीं। मगर, दूसरे दिन वजन माप में वो असफल रहीं और फाइनल के लिए अयोग्य हो गईं। विनेश की ओर से कोई भी गलत काम (गैरकानूनी) करने का कोई संकेत नहीं मिला है।
हरियाणा की फायरबॉल फैक्ट्री में धमाका:4 लोगों की मौत, 6 बुरी तरह झुलसे; आसपास की इमारतों पर गिरा मलबा
हरियाणा की फायरबॉल फैक्ट्री में धमाका:4 लोगों की मौत, 6 बुरी तरह झुलसे; आसपास की इमारतों पर गिरा मलबा हरियाणा में गुरुग्राम के दौलताबाद इंडस्ट्रियल एरिया में फायरबॉल बनाने वाली फैक्ट्री में कल देर रात आग लग गई। इसके बाद फैक्ट्री में जबरदस्त धमाके हुए, जिससे पूरा इलाका दहल गया। भीषण आग लगने से 6 लोग झुलस गए। वहीं, कंपनी में तैनात एक सिक्योरिटी गार्ड समेत 4 लोगों की मौत हो गई। घायलों को सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, जहां उनका उपचार चल रहा है। धमाकों के बाद आग लगने की सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। कंपनी में धमाका इतना जोरदार था कि आसपास के मकान तक हिल गए। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। वहीं, पुलिस ने बताया है कि फैक्ट्री में पड़े केमिकल के कारण विस्फोट हुए हैं। बता दें कि फायरबॉल एक प्रकार का अग्निशामक यंत्र है जो गेंद के आकार का होता है और इसका उपयोग आग बुझाने के लिए किया जाता है। कंपनी में हादसे के बाद के PHOTOS… कंपनी का मालिक पुलिस हिरासत में
घटना के बाद मौके पर पहुंचे DCP करण गोयल के मुताबिक, 6 लोग घायल हैं। उनमें से 2 लोग ज्यादा गंभीर हैं। हादसे के बाद पुलिस ने कंपनी के मालिक को हिरासत में लिया है। जांच में अगर कोई लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। DCP के मुताबिक, पुलिस के पास 10 व्यक्तियों के फंसे होने की सूचना मिली थी। इनमें से 6 कंपनी में थे और बाकी 4 आसपास की कंपनी में थे। उन्हें निकालने के लिए NDRF और SDRF की टीमें पहुंची थीं। अब रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो चुका है। दमकल की दर्जनों गाड़ियों ने पाया आग पर काबू
जानकारी के अनुसार, यह हादसा अल सुबह करीब 2 बजे का है। दमकल विभाग के कर्मी रमेश कुमार ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि दौलताबाद इंडस्ट्रियल एरिया की कंपनी प्लॉट नंबर-200 टेक्नोक्रैट प्रोडक्टिव सॉल्यूशन में भीषण आग के बाद धमाके हो रहे हैं। इसके बाद दमकल की दर्जनों गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाया। वहीं, इस वारदात के बारे में स्थानीय लोगों ने बताया है कि फायरबॉल बनाने वाली फैक्ट्री में लगी आग से रात भर धमाके होते रहे। धमाके इतने जोरदार थे कि आसपास के मकान-दुकान सब हिल गए। धमाकों से आसपास के 200 से 500 मीटर की दूरी पर बनी कंपनियों में भी नुकसान हुआ है। बगल की कंपनियों को भारी नुकसान
फैक्ट्री में हुए धमाकों से उसकी छत उड़ गई। इसके मलबे के टुकड़े आसपास की कंपनियों और घरों पर गिरा, जिसे उन्हें भी भारी नुकसान पहुंचा है। फैक्ट्री के पास मौजूद पैनल कंट्रोल पॉइंट कंपनी के विवेक गुप्ता ने बताया कि बगल वाली फैक्ट्री में रात को हुए धमाकों से हमारा काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी पर गिरे मलबे से काफी सामान टूट गया है। इससे उन्होंने अनुमान लगाया है कि उनका करीब 25 से 30 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि इस धमाके में उनका तो कोई हाथ भी नहीं था, फिर भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।
हरियाणा में भंग होगी विधानसभा:CM सैनी संवैधानिक संकट में फंसे; मानसून सेशन बुलाने का दबाव, विशेषज्ञों से राय-शुमारी कर रहे
हरियाणा में भंग होगी विधानसभा:CM सैनी संवैधानिक संकट में फंसे; मानसून सेशन बुलाने का दबाव, विशेषज्ञों से राय-शुमारी कर रहे हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले BJP विधानसभा भंग करने की योजना बना रही है। इसे लेकर मुख्यमंत्री नायब सैनी इसी हफ्ते कैबिनेट मीटिंग बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। अगस्त की चौथी कैबिनेट मीटिंग में 12 सितंबर से पहले विधानसभा का मानसून सत्र बुलाने या विधानसभा भंग करने को लेकर फैसला लिया जाएगा। सरकार के सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के अफसर इसे लेकर संविधान विशेषज्ञों से भी राय शुमारी कर रहे हैं। फिलहाल, सरकार किसी भी तरह मानसून सत्र बुलाने को तैयार नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द होने वाली कैबिनेट मीटिंग में हरियाणा विधानसभा भंग करने का फैसला हो सकता है। हरियाणा में संवैधानिक संकट का कारण
हरियाणा में चुनाव की घोषणा के बाद संवैधानिक संकट खड़ा हुआ है। इसकी वजह 6 महीने के भीतर एक बार विधानसभा सेशन बुलाना है। राज्य विधानसभा का अंतिम सेशन 13 मार्च को हुआ था। उसमें नए बने CM नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। इसके बाद 12 सितंबर तक सेशन बुलाना अनिवार्य है। यह संवैधानिक संकट ऐतिहासिक भी है, क्योंकि देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। हरियाणा में ही कोरोना के दौरान भी इस संकट को टालने के लिए 1 दिन का सेशन बुलाया गया था। 6 माह में सत्र न बुलाने का इतिहास में उदाहरण नहीं
संविधान के जानकार मानते हैं कि वैसे तो यह महज कागजी औपचारिकता है, लेकिन संवैधानिक तौर पर अनिवार्य होने से इसे हर हाल में पूरा करना होगा। ऐसी सूरत में भी सेशन न बुलाया गया हो, ऐसा कोई उदाहरण देश में नहीं है। 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक
राज्य में इस समय 15वीं विधानसभा चल रही है। 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इसका नोटिफिकेशन 5 सितंबर को जारी होगा। 1 अक्टूबर को वोटिंग और 4 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है। संविधान में सेशन बुलाने के क्या नियम
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के मुताबिक, संविधान के अनुच्छेद 174(1) में उल्लेख है कि विधानसभा के 2 सत्रों के बीच 6 महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए। इसलिए, 12 सितंबर तक विधानसभा का सत्र बुलाना अनिवार्य है। भले ही वह एक दिन की अवधि का ही क्यों न हो। एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार, यदि 12 सितंबर से पूर्व कैबिनेट की सिफारिश पर राज्यपाल विधानसभा को समय पूर्व भंग कर देते हैं तो आगामी सत्र बुलाने की आवश्यकता नहीं होगी। विधानसभा का यह सत्र इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि राज्यपाल से कुल 5 अध्यादेश (ऑर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 (1) में जारी कराए गए हैं। अगर विधानसभा को समय पूर्व भंग कर दिया जाता है तो इन 5 अध्यादेशों की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार को राज्यसभा चुनाव का इंतजार था
हरियाणा में दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट अब भाजपा के खाते में आ चुकी है। इस सीट पर BJP उम्मीदवार किरण चौधरी निर्विरोध जीत चुकी हैं। यदि BJP राज्यसभा चुनाव से पहले विधानसभा भंग करती तो संवैधानिक संकट खड़ा हो जाता। लेकिन, अब इस सीट पर निर्विरोध चुनाव संपन्न हो चुके हैं। ऐसे में BJP अब विधानसभा भंग करने की तैयारी कर रही है। एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि अगर राज्यसभा उप-चुनाव से पहले विधानसभा भंग हो जाती तो यह चुनाव ही रद्द करने पड़ते, क्योंकि तब कोई विधायक नहीं रहता।